फिल्म की कहानी के केंद्र में तीन पात्र हैं. एक है रोहित (सलीम दिवान), जो कि दिल्ली के मध्यमवर्गीय परिवार का युवक है और एक काल सेंटर में नौकरी करता है. दूसरा पात्र है दुर्ग, भिलाई निवासी 52 वर्षीय सरकारी नौकर विष्णु श्रीवास्तव (आषीष विद्यार्थी). और तीसरा पात्र कलकत्ता के मशहूर रेडलाइट एरिया सोनागाछी की वेश्या इमली (राइमा सेन). इन तीनों पात्रों में समानता यह है कि यह तीनों मुंबई के बौलीवुड में बतौर कलाकार स्थापित होने का सपना देख रहे हैं. फिल्म में इन तीनों पात्रों की कहानी समानांतर चलती रहती है.

रोहित को लगता है कि उसके अंदर बौलीवुड में सुपरस्टार बनने की असीम क्षमता है. वह बाथरूम के अंदर फिल्मों के कई दृश्यों की नकल करता रहता है. वह अक्सर मुंबई में फिल्मों से जुड़े लोगों से फोन पर संपर्क करता रहता है. एक बार स्टार हंट करने के लिए मुंबई से एक टीम दिल्ली पहुंचती है, तब रोहित अपनी अभिनय क्षमता का प्रदर्शन करने पहुंचता है. रोहित के अंदर सिनेमा का पैशन देखकर टैलेंट हंट टीम उसे तीन मौके देती है,पर अंत में यह टीम कह देती है कि उसके अंदर सिनेमा के प्रति पैशन है, पर उसके अंदर कला का अभाव है. इसलिए वह उसे मुंबई नहीं ले जा सकते. इससे रोहित का दिल टूट जाता है और वह पागल सा हो जाता है.

विष्णु श्रीवास्तव अपनी बेटी की शादी करने के बाद अपनी पत्नी लता (करूणा पांडे) को बताता है कि उसने नौकरी से स्वैच्छिक अवकाश ले लिया है और अब वह अपने अभिनय के शौक को पूरा करने के लिए मुंबई जाने वाले हैं. पहले उनकी पत्नी लता इसका विरोध करती हे. फिर वह विष्णु को मुंबई जाने की इजाजत दे देती हे. मुंबई के लिए रवाना होने से पहले विष्णु अपने सभी दोस्तों के लिए एक पार्टी आयोजित करता है. इसी पार्टी में वह बेहोश हो जाता है. अस्पताल में पता चलता है कि विष्णु को तीसरे स्टेज का पेट का कैंसर है. अब अपनी मौत को नजदीक देख धार्मिक गुरू सुंदर दास (राबिन दास) को बुलाकर उनसे कहता है कि वह कुछ ऐसा उपाय करे, जिससे मरने के बाद उनका जन्म बौलीवुड के किसी सुपर स्टार के घर में हो और वह बौलीवुड में आसानी से अपना सपना पूरा कर सके. गुरू सुंदर दास, विष्णु से कई तरह की पूजा,हवन व दान करवाते हैं और अंत में उससे कहते हैं कि वह बौलीवुड का सपना देखते हुए ही मौत को गले लगाएं.

उधर कलकत्ता के सोनागाछी की वेश्या ईमली को लगता है कि वह सुंदर है, अच्छा नृत्य कर लेती है. तो फिर वह बौलीवुड की सफल हीरोईन क्यों नहीं बन सकती. इसलिए वह सिर्फ मुंबई से आने वाले ग्राहकों को ही अपनी सेवाएं देती है. एक दिन मुंबई से बौलीवुड में सहायक निर्देशक के रूप में कार्यरत दमन (विनीत सिंह) उसके पास पहुंचता है. वह वेश्याओं की जिंदगी पर रिसर्च करना चाहता है. ईमली अपनी कहानी सुनाती है. ईमली की कहानी सुनते हुए ईमली के साथ कुछ दिन बिताकर दमन ‘ईमली’ नामक फिल्म की पटकथा लिखकर कहता है कि वह ईमली को ही इस फिल्म में हीरोईन लेगा. अब वह ईमली का फोटो सेशन कराना चाहता है. जिसके लिए डेढ़ लाख रूपए चाहिए, जो कि दमन के पास नहीं है. तब ईमली अपने वह जमा पूंजी दमन को देती है, जो कि उसने अपनी बेटी मिली की पढ़ाई के लिए रखे थे. दमन मुंबई चला जाता है और एक दन टीवी समाचार से ईमली को पता चलता है कि दमन ने बौलीवुड की दूसरी हीरोईन को लेकर फिल्म ‘ईमली’ शुरू कर दी. तब मजबूरन ईमली दुबई पहुंच जाती हैं.

‘‘गट्टू’’ जैसी फिल्म के लेखक के डी सत्यम की यह बतौर निर्देशक पहली फिल्म है, जिसका लेखन भी उन्होने ही किया है. फिल्म की कहानी में नयापन नहीं है. फिल्म के तीनों पात्रों की कहानियां गाहे बगाहे अक्सर सुनाई देती रहती हैं. निर्देशक ने अपनी फिल्म के तीनों पात्रों के बौलीवुड सपने पूरे न होते दिखाकर यह संकेत देने का प्रयास किया है कि लोगों को बौलीवुड के सपने नहीं देखने चाहिए. जबकि बौलीवुड में आने वाले कई लोग असफल तो कुछ सफल होते रहते हैं. लेकिन फिल्म में रोहित का जो पात्र है. वह भी एक यथार्थ सच है. इस फिल्म को देखने के बाद रोहित जैसे लोगों को तो बौलीवुड का सपना नहीं देखना चाहिए. निर्देशक के डी सत्यम बौलीवुड में कुछ बनने का सपना देखने वालों के मनोविज्ञान व उनकी मनःस्थिति को बहुत सही अंदाज में परदे पर उतारने में कामयाब रहे हैं. फिल्म का गीत संगीत भी बेहतर है. इसके लिए फिल्म के संगीतकार विपिन पटवा बधाई के पात्र हैं.

फिल्म ‘‘बौलीवुड डायरीज’’ का निर्माण फिल्म में रोहित का किरदार निभाने वाले अभिनेता सलीम दिवान के पिता डॉक्टर सत्तार दिवान ने किया है. यानी कि सलीम दिवान ही फिल्म के अपरोक्ष निर्माता हैं. डॉक्टर सत्तार दिवान की ‘‘राजस्थान औषधालय’’ नामक दवा कंपनी के अलावा कई दूसरी कंपनियां हैं. घर में पैसा हो तो अभिनय का शौक होना लाजमी है. रोहित के किरदार में बतौर अभिनेता सलीम दिवान कहीं से भी प्रभावित नहीं करते हैं. निर्देशक के डी सत्यम ने फिल्म के कई दृश्यों में रोहित की शर्ट उतरवाकर पता नहीं क्या साबित करने का प्रयास किया है. फिल्म में यदि राइमा सेन व आशीष विद्यार्थी न होते तो फिल्म का एक शो भी चलना मुश्किल हो जाता. आशीष विद्यार्थी ने बहुत ही संजीदा अभिनय किया है. राईमा सेन एक अच्छी अदाकारा हैं, इसमें कोई दो राय नहीं. यह एक अलग बात है कि उन्हें बौलीवुड में अपनी अभिनय क्षमता दिखाने के सही मौके नहीं मिल पाए हैं. इस फिल्म में उन्होंने बहुत खुबसूरत दिखने के साथ साथ ईमली के किरदार में जान डाली है.

डॉक्टर सत्तार दिवान निर्मित फिल्म ‘‘बौलीवुड डायरीज’’ के लेखक व निर्देशक के डी सत्यम, संगीतकार विपिन पटवा, गीतकार डॉक्टर सागर, कैमरामैन देव अग्रवाल हैं.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...