30 साल बाद दोबारा रिलीज हुई फिल्म नाम बौक्स औफिस पर बुरी तरह ढेर हो गई वहीं अभिषेक बच्चन की फिल्म कुछ खास कमाल नहीं कर पाई.

नवंबर माह के चौथे सप्ताह 22 नवंबर में राकेश रोशन ने अपनी फिल्म ‘करण अर्जुन’ को 30 साल बाद रीरिलीज किया, तो वहीं दिसंबर 2021 में प्रदर्शित फिल्म ‘पुष्पा द राइज’ को भी रीरिलीज किया गया. यह दोनों रीरिलीज फिल्में बौक्स औफिस पर कोई कमाल दिखाने में बुरी तरह से असफल रहीं. मगर दूसरी नई रिलीज हुई फिल्मों को जरूर नुकसान पहुंचाया. इस सप्ताह रिलीज हुई नई फिल्मों का बंटाधार हो गया.

शूजीत सरकार निर्देशित व रितेश शाह लिखित फिल्म ‘‘आई वांट टू टोक 2’’ में अभिषेक बच्चन मुख्य भूमिका में हैं. फिल्म की कहानी कैंसर पीड़ित अर्जुन सेन की सच्ची कहानी पर आधारित है, जो जीवन बदलने वाली सर्जरी का सामना कर रहा है और साथ ही बचपन से ही अपनी बेटी के साथ एक जटिल रिश्ते से गुजर रहा है. लेकिन अमेरिका के कैलिफोर्निया में फिल्माई गई इस फिल्म के दृश्यों व कहानी से भारतीय दर्शक रिलेट नहीं कर पाया. दर्शकों ने अभिषेक बच्चन के अभिनय की भी काफी आलोचन की. अभिषेक बच्चन को कब तक लोग अमिताभ बच्चन के कारण अपनी फिल्म में काम देते रहेंगे, पता नहीं.

यह फिल्म पूरे 7 दिन के अंदर महज 80 लाख रुपए ही कमा सकी. इस में से निर्माता की जेब में कुछ नहीं आएगा. सरल शब्दों में कहें तो फिल्म ‘आई वांट टू टोक’ बौक्स औफिस पर चाय पीने के पैसे भी निर्माता को न दिला सकी. फिल्म निर्माता अब इस फिल्म के निर्माण में खर्च की गई रकम तक बताने को तैयार नहीं है.

‘सिंघम अगेन’ और ‘भूल भुलैया 3’ के टकराव के बीच अजय देवगन ने अपनी 2002 में बनी फिल्म ‘‘बेनाम’ का नाम बदल कर ‘नाम’ के नाम से 22 नवंबर को रिलीज करने की घोसहणा कर दर्शकों को दिग्भ्रमित करने का असफल प्रयास किया. फिल्म ‘बेनाम’ यानी कि नाम को 2002 में खुद अजय देवगन ने ही रिलीज नहीं होने दिया था. अब नवंबर माह के चौथे सप्ताह 22 नवंबर को रिलीज होने पर ‘नाम’ 7 दिन में 25 लाख रूपए ही एकत्र कर सकी. निर्माता की जेब से सारा पैसा चला गया.

फ्रांस के कान्स फिल्म फेस्टिवल में पुरस्कृत पायल कपाड़िया की फिल्म ‘‘औल वी इमेजिन एज लाइट’’ भी 22 नवंबर को रिलीज की गई. अफसोस अंगरेजी भाषा की यह फिल्म दर्शकों को आकर्षित न कर सकी. यही वजह है कि इस के निर्माता और निर्देशक इस फिल्म के बौक्स औफिस कलेक्शन को ले कर खामोश हैं.
22 नवंबर को ही निर्माता रघुनाथ राव मोहिते पाटिल और निर्देशक तुषार विजयराव शेलार की मराठी व हिंदी द्विभाषी फिल्म ‘‘धर्म रक्षक महावीर संभाजी महाराज’’ का भाग रिलीज होगी. यह नई फिल्म है. फिल्म की कहानी के केंद्र मे संभाजी का जीवन वृत्तांत व उन की देशभक्ति का गुणगान है. फिल्म में ठाकुर अनुप सिंह, अमृता खानविलकर, किशोरी शहाणे, प्रदीप रावत की अहम भूमिकाएं हैं. हिंदी में इस के पीआरओ ने कुछ काम नहीं किया है. इस वजह से हिंदी भाषी दर्शक इस फिल्म के नाम से परिचित नहीं है. दूसरी बात अब दर्शकों का देशभक्ति व राष्ट्रवाद वाली फिल्मों से मोहभंग हो गया है, जिस के चलते यह फिल्म पूरे 7 दिन में महज 3 करोड़ रुपए ही बौक्स औफिस पर जुटा पाई, इस में से निर्माता की जेब में एक करोड़ रुपए ही आए.

वैसे निर्माता को भी पता था कि उन की यह फिल्म गुणवत्तावाली नहीं है, इसलिए उन्होंने इस का प्रेस शो भी नहीं किया था. 22 नवंबर को ही जयपुर की पृष्ठभूमि पर 3 महिलाओं की मित्रता, स्वतंत्रता व यात्रा की बात करने वाली मराठी भाषा की फिल्म ‘‘गुलाबी’ भी रिलीज हुई. अभ्यंग कुलवेकर निर्देशित इस फिल्म में श्रुति मराठे, अश्विनी भावे व मृणाल कुलकर्णी की अहम भूमिकाएं हैं. पर इस फिल्म की बौक्स औफिस पर बड़ी दुर्गति हुई. यह फिल्म 7 दिन में केवल 35 लाख रुपए ही एकत्र कर सकी.

22 नवंबर को ही मृणाल कुलकर्णी की मराठी फिल्म ‘गुलाबी’ के ही साथ हिंदी भाषा की फिल्म ‘‘ढाई आखर’ रिलीज हुई. मशहूर लेखक अजगर वजाहत लिखित प्रवीण अरोड़ा निर्देशित फिल्म ‘ढाई आखर’ में मृणाल कुलकर्णी के साथ हरीश खन्ना व रोहित कोकाटे भी हैं. इस फिल्म में एब्यूज मैरिज की संवेदनशील कहानी है. मगर इस फिल्म का प्रचार सही ढंग से नहीं किया गया. खराब प्रचार के चलते इस फिल्म का मात खाना तय माना जा रहा था. मगर किसी ने यह नहीं सोचा था कि यह फिल्म मृणाल कुलकर्णी के कैरियर पर ही सवालिया निशान लगा देगी.

यह फिल्म 7 दिन में बौक्स औफिस पर 5 लाख रूपए भी नहीं कमा सकी. इस फिल्म से निर्माता का सारा धन डूब गया. इस के लिए कुछ हद तक मृणाल कुलकर्णी भी दोषी हैं. वह खुद को स्टार मानती हैं और उन्हें पत्रकारों से बात करने में यकीन नहीं है.

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