सौजन्य- मनोहर कहानियां

गुजरात के जिला खेड़ा के इंडस्ट्रियल एरिया नडियाद और आणंद में ऐसे कई अस्पताल हैं, जो निस्संतान दंपतियों को सरोगेसी मदर (किराए की कोख यानी जो दूसरे के बच्चे को अपनी कोख में पालती हैं) की व्यवस्था करते हैं.

आणंद के एक ऐसे ही निजी अस्पताल में मायाबेन दाबला काम करती थी. लगातार एक ही अस्पताल में काम करने की वजह से मायाबेन की ऐसी तमाम महिलाओं से जानपहचान हो गई थी, जो अपनी कोख किराए पर देती थीं.

इस तरह का काम बहुत गरीब महिलाएं करती हैं, जिन्हें पैसे की बहुत ज्यादा जरूरत होती है या फिर कोई बहुत करीबी रिश्तेदार महिला करती है, जिसे अपने उस रिश्तेदार की बहुत फिक्र होती है.

रिश्तेदार महिला तो अपने रिश्तेदार के लिए इस तरह का काम करती है, पर जो महिलाएं पैसा ले कर किसी अन्य का बच्चा अपनी कोख में पालती हैं, उन के लिए यह एक तरह का धंधा होता है. वे तब तक यह काम करती रहती हैं, जब तक उन का शरीर साथ देता है.

निस्संतान दंपतियों को, जो हर तरफ से निराश हो चुके होते हैं, उन्हें इस तरह की औरतों की तलाश रहती है. पर वे किस से कहें कि मेरे लिए तुम अपनी कोख में मेरा बच्चा पाल दो. हर किसी से या किसी अंजान से तो इस तरह की बात कही नहीं जा सकती. इसलिए इस तरह के लोग किसी दलाल के माध्यम से ऐसी महिलाएं तलाशते हैं.

मायाबेन की इस तरह की अनेक महिलाओं से जानपहचान हो गई थी, इसलिए वह निस्संतान दंपतियों और इस तरह की महिलाओं के बीच दलाली का भी काम करने लगी थी.

इस के अलावा कभीकभी ऐसा भी होता था कि निस्संतान दंपति खुद अपने साथ अपने गांव की या किसी परिचित के माध्यम से किसी गरीब महिला को पैसे का लालच दे कर सरोगेट मदर के लिए ले कर आते थे.

मायाबेन ऐसी महिलाओं से जानपहचान बना कर उन्हें आगे किसी जरूरतमंद के लिए तैयार कर लेती थी. ऐसी ही महिलाओं से सरोगेट मदर के लिए अन्य गरीब महिलाएं भी मिल जाती थीं. इस तरह मायाबेन को नौकरी से जो वेतन मिलता था, वह तो मिलता ही था, इस तरह की दलाली से भी उसे अच्छी कमाई हो जाती थी.

किराए की कोख दिलवाती थी मायाबेन

कहते हैं इंसान बड़ा लालची होता है. उसे कहीं से चार पैसे मिलने की उम्मीद होती है तो वह लालच में यह भी नहीं देखता कि वे चार पैसे उसे सही रास्ते से मिल रहे हैं या गलत रास्ते से. उसे तो बस वे पैसे चाहिए.

ऐसा ही कुछ मायाबेन के साथ भी हुआ. कुछ कमाई अलग से करने के चक्कर में मायाबेन सरोगेट मदर और निस्संतान दंपतियों के बीच दलाली करतेकरते वह बच्चे बेचने का काम भी करने लगी. वह ऐसे निस्संतान दंपतियों को बच्चे भी बेचने लगी, जो किसी भी रूप में बच्चा पैदा करने लायक नहीं होते थे.

हमारे यहां बच्चा गोद लेना भी आसान नहीं है. जबकि हर कोई अपना वारिस चाहता है. इस के लिए यानी एक संतान के लिए आदमी कुछ भी करने को तैयार हो जाता है. मायाबेन ऐसे ही लोगों के लिए मोटी रकम ले कर बच्चे उपलब्ध कराने का काम भी करने लगी थी. क्योंकि उस के पास ऐसी महिलाएं भी थीं, जो पैसे ले कर दूसरे के लिए बच्चा पैदा करने को तैयार थीं.

चूंकि यह आसान काम नहीं है, इसलिए मायाबेन इस के लिए काफी पैसे लेती थी. क्योंकि इस के लिए उसे ऐसी महिलाओं को तलाशना पड़ता था, जो अपना बच्चा बेचने के लिए तैयार होती थीं.

जबकि कोई भी महिला जल्दी से अपना बच्चा बेचने को तैयार नहीं होती. पर एक सच्चाई यह भी है कि पेट की भूख इंसान से कुछ भी करवा सकती है. इन कामों से उसे मोटी कमाई हो रही थी.

चूंकि ऐसा करना कानूनी रूप से गलत है, इसलिए यह काम वह चोरीछिपे करती थी. पर कोई भी गलत काम लगातार कितना भी चोरीछिपे किया जाए, उस की जानकारी लोगों को हो ही जाती है.

ऐसा ही मायाबेन के इस काम के बारे में भी हुआ. जब इस बात की जानकारी कुछ लोगों को हुई तो उन्हीं में से किसी ने यह बात खेड़ा की एसपी अर्पिता पटेल तक पहुंचा दी.

चूंकि यह मामला एक तरह से मानव तसकरी से जुड़ा था, इसलिए इस बात का पता चलते ही उन के कान खड़े हो गए. मायाबेन भले ही किसी गरीब महिला का बच्चा किसी धनी निस्संतान दंपति के हाथों बेचवा कर नेकी का काम कर रही थी, पर कानून की नजरों में था तो यह गलत ही.

महिला एसआई बनी डमी जरूरतमंद

बच्चा खरीदने वाला बच्चे का न जाने किस तरह उपयोग करता होगा? इसलिए जब बात मानव तसकरी की सामने आई तो एसपी अर्पिता पटेल ने इस मामले की सच्चाई का पता लगाने की जिम्मेदारी खेड़ा की एसओजी टीम को सौंप दी.

पुलिस चाहती तो मायाबेन को गिरफ्तार कर के पूछताछ कर सकती थी. पर तब पुलिस को सबूत जुटाना मुश्किल हो जाता. एसपी खेड़ा अर्पिता पटेल इस मामले की तह तक जाने और इस काम में लिप्त महिलाओं को सबूतों के साथ गिरफ्तार करना चाहती थीं. इसीलिए उन्होंने यह काम एसओजी को सौंपा था.

एसओजी प्रभारी ने यह जिम्मेदारी विभाग की तेजतर्रार महिला एसआई आर.डी. चौधरी को सौंपी. आर.डी. चौधरी को पता ही था कि मायाबेन बच्चा बेचती है. इसलिए उन्होंने सोचा कि वह उस से एक जरूरतमंद बन कर मिलें, तभी सच्चाई का पता चल सकता है.

इस के लिए उन्होंने अपने साथ 2 महिला सिपाहियों को ले कर बच्चा बेचने वाले रैकेट की मुखिया मायाबेन लालजीभाई दाबला निवासी 104, कर्मवीर सोसायटी, पीजी रोड नडियाद से मिलने की कोशिश शुरू कर दी. उन की यह कोशिश रंग लाई और वह एक जरूरतमंद यानी डमी ग्राहक के रूप में मायाबेन से मिलने में कामयाब हो गईं.

तय स्थान शांताराम नगर, नजदीक सब्जी मंडी, नडियाद में वह सहयोगियों के साथ तय समय पर पहुंच गईं. पर साथ आई महिला सिपाही इस तरह अलगअलग खड़ी हो गईं, जैसे वे उन के साथ नहीं हैं.

पर मायाबेन दाबला तय समय पर एसआई आर.डी. चौधरी से मिलने अकेली नहीं आई थी. उस के साथ 2 अन्य महिलाएं मोनिकाबेन महेश शाह निवासी किशन समोसा वाले की गली, बणियावड, नडियाद और पुष्पाबेन संदीप पटेलिया निवासी रामादूधा की चाल, मिल रोड, नडियाद भी थीं.

6 लाख में बेचती थी लड़का

मायाबेन ने पहले तो आर.डी. चौधरी को गौर से देखा, उस के बाद धीरे से बोली, ‘‘बताइए, आप क्या चाहती हैं?’’

‘‘मुझे एक बच्चा चाहिए.’’ आर.डी. चौधरी ने कहा.

‘‘क्यों? अभी तो आप की उम्र भी कोई ज्यादा नहीं है. आप चाहें तो आप को अपना बच्चा हो सकता है.’’ मायाबेन ने कहा.

‘‘डाक्टर ने कहा है कि मेरी फेलोपियन ट्यूब ब्लौक है, जो औपरेशन के बाद भी ठीक नहीं हो सकती. जबकि मुझे बच्चा चाहिए. बच्चा मुझे कहीं से गोद भी नहीं मिल रहा है. सरोगेट द्वारा बच्चा पाने में पैसा भी खर्च करो और इंतजार भी करो. इसलिए मेरा सोचना है कि जब पैसा ही खर्च करना है तो बच्चा खरीद ही क्यों न लूं. मुझे पता चला है कि आप पैसे ले कर बच्चा दिला देती हैं, इसलिए मैं आप के पास आई हूं.’’ आर.डी. चौधरी ने एक सांस में अपनी समस्या ऐसे बताई कि मायाबेन तथा उस के साथ आई महिलाओं को उन पर जरा भी शक नहीं हुआ.

‘‘आप को लड़का चाहिए या लड़की?’’ मायाबेन ने पूछा.

‘‘मतलब?’’ डमी ग्राहक बनी एसआई आर.डी. चौधरी ने जवाब देने के बजाय सवाल किया.

‘‘मतलब यह कि लड़का चाहिए तो उस के लिए अधिक पैसे लगेंगे. लड़की कम पैसों में मिल जाएगी.’’

‘‘लड़के के लिए कितने रुपए देने होंगें?’’ आर.डी. चौधरी ने पूछा.

‘‘लड़के के लिए पूरे 6 लाख रुपए देने होंगे. अगर आप को लड़का चाहिए तो आप 6 लाख रुपए की व्यवस्था कीजिए. आप को लड़का अभी मिल जाएगा.’’ मायाबेन ने कहा.

डमी ग्राहक बन कर आई आर.डी. चौधरी ने हामी भर दी तो मायाबेन ने कहा, ‘‘ठीक है, आप पैसे की व्यवस्था कीजिए. मैं बच्चा मंगा रही हूं.’’

‘‘मैं ने पैसों की व्यवस्था कर रखी है. आप बच्चा मंगाइए. मैं देखूंगी भी तो. बच्चा पसंद आ गया तो सारे पैसे एकमुश्त दे कर बच्चा ले लूंगी.’’ आर.डी. चौधरी ने कहा.

सब कुछ तय हो जाने के बाद मायाबेन ने फोन किया तो एक महिला एक नवजात बच्चा ले कर आ गई. उस महिला के आते ही आर.डी. चौधरी ने अपनी पूरी टीम बुला ली और चारों महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया.

पूछताछ में पता चला कि वह बच्चा उसी महिला का था. उस का नाम राधिकाबेन राहुल गेडाम था. वह नागपुर की रहने वाली थी. नडियाद में वह किडनी हौस्पिटल के सामने स्थित कंफर्ट होटल में कमरा नंबर 203 में रुकी थी.

राधिका से की गई पूछताछ में पता चला कि उसे पैसों की काफी जरूरत थी, इसलिए उस ने मायाबेन और उस के साथ मिल कर यह काम करने वाली मोनिका और पुष्पा से संपर्क किया था.

माया ने उस से उस के बेटे का सौदा डेढ़ लाख रुपए में किया था. जबकि उसी बच्चे का सौदा मायाबेन ने आर.डी. चौधरी से 6 लाख रुपए में किया था.

4 महिलाएं हुईं गिरफ्तार

एसओजी द्वारा की गई पूछताछ में पता चला कि मायाबेन और उस के साथ बच्चों का व्यापार करने वाली मोनिका और पुष्पा महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्य प्रदेश में अपने सूत्रों से इस तरह की गरीब गर्भवती महिलाओं को खोजती थीं.

इस के बाद उन से सौदा कर के उन्हें नडियाद ला कर उन की डिलीवरी करा कर उन्हें तय रकम दे कर उन से बच्चा ले लेती थीं. उस के बाद बच्चा चाहने वाले से मोटी रकम ले कर उसे बच्चा सौंप देती थीं.

यह भी पता चला है कि पहले भी मायाबेन ने सरोगेसी द्वारा बच्चे प्राप्त कर के अलगअलग शहरों गोवा, रायपुर और जयपुर में भी बच्चे बेचे हैं. पुलिस के अनुसार बच्चों का सौदा करने वाला यह रैकेट जरूरतमंद की जरूरत और हैसियत देख कर पैसा वसूलता था.

प्राथमिक पूछताछ के बाद एसओजी टीम ने चारों महिलाओं को थाना कोतवाली नडियाद पुलिस के हवाले कर दिया, जहां थानाप्रभारी एन.जी. गोस्वामी ने चारों महिलाओं के खिलाफ आईपीसी की धारा 370, 144, 120बी एवं 511 के तहत मुकदमा दर्ज कर चारों को 8 अगस्त, 2021 को अदालत में पेश किया, जहां से चारों महिलाओं को मामले की विस्तृत जांच के लिए 5 दिनों के रिमांड पर लिया.

इस मामले की गंभीरता का इसी बात से पता चलता है कि जैसे ही इस मामले की जानकारी आईजी रेंज वी. चंद्रशेखर को हुई तो वह भी नडियाद आ पहुंचे. उन्होंने एसपी अर्पिता पटेल और जांच अधिकारी एन.जी. गोस्वामी से मिल कर मामले की पूरी जानकारी ली, साथ ही दिशानिर्देश भी दिए कि आगे क्या करना है.

रिमांड के दौरान मायाबेन ने स्वीकार किया कि उसे बेटे की शादी के लिए पैसों की सख्त जरूरत थी, इसलिए बच्चों को बेचने का यह घिनौना काम उस ने किया.

बच्चों का सौदा करने पर उसे जो 6 लाख रुपए मिलते, उस में से ढाई लाख रुपए उसे मिलते. बाकी के साढ़े 3 लाख रुपए में से डेढ़ लाख बच्चे की मां को और एकएक लाख रुपए मोनिका तथा पुष्पा को मिलते.

पुलिस ने उन से उन लोगों के बारे में पता लगाने की कोशिश की, जिनजिन को उन्होंने बच्चे बेचे थे, पर उन से कुछ हासिल नहीं हो सका. पुलिस डीएनए जांच करा कर यह भी पता करेगी कि जिस बच्चे का सौदा किया गया था, वह राधिका का ही है या किसी और का.

रिमांड के दौरान जांच में सहयोग न मिलने की वजह से पुलिस इस मामले में और ज्यादा जानकारी नहीं जुटा पाई.

रिमांड अवधि खत्म होने पर फिर से चारों महिलाओं को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 12 अगस्त, 2021 को जेल भेज दिया गया.

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