मई से लेकर जुलाई तक अगर आप उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ आ रहे हैं, तो मिठाई की जगह पर आम का स्वाद लीजिये. लखनऊ के आम पूरी दुनिया में अपने स्वाद को लेकर मशहूर हैं. उत्तर प्रदेश सरकार आम की ब्रांडिग करने के लिये समय समय पर हर साल इस तरह का एक आम महोत्सव भी करती है. यह 2 दिन का आम महोत्सव इस बार जनेश्वर मिश्र पार्क में लगाया गया. आम महोत्सव का उदघाटन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किया.

कार्यक्रम में पर्यटनमंत्री ओम प्रकाश सिंह, उद्यान एंव खाद्य प्रसंस्करण मंत्री मूलचन्द्र चैहान, समाज कल्याणमंत्री राम गोविंद चैधरी, मुख्य सचिव आलोक रंजन, प्रमुख सचिव पर्यटन नवनीत सहगल, प्रमुख सचिव उद्यान एंव खाद्य प्रसंस्करण निवेदिता शुक्ला और निदेशक एसपी जोशी सहित बडी संख्या में उत्तर प्रदेश और प्रदेश के बाहर के लोग मौजूद थे.

प्रदर्शनी में 725 आम की प्रजातियों का प्रदर्शन किया गया. 870 प्रतिभागियों ने 2286 आम के नमूने दिखाये. आम के बडे से लेकर छोटे बागवानों ने इस प्रदर्शनी में हिस्सा लिया. आम प्रदर्शनी में रखे आम की अलग अलग तरह कि किस्म ने केवल अपने रूपरंग से ही नहीं, स्वाद से भी लोगों का मन मोह लिया. नई पीढी इन आम के नाम जानकार ही अचम्भे में थी.

आम के बागवान एससी शुक्ला कहते हैं ‘लखनऊ के आम में सबसे अधिक दशहरी का नाम ही लोगों को पता है. हैरानी वाली बात यह है कि लखनऊ में सैकडों तरह की प्रजाति के आम पैदा होते हैं, जिनके नाम ही सुनकर दिल खुश हो जाता है. इनमें टौमी, अंबिका, पीताम्बरा, श्रेष्ठा, लालिमा, प्रतिभा, नाजुक बदन और रामकेला जैसी तमाम वैराइटी आती है.’

लखनऊ के यह अलग अलग तरह के आम 900 ग्राम तक वजन के होते हैं. हाथीझूल आम सबसे ज्यादा वजनदार होता है. उत्तर प्रदेश सबसे बडा आम उत्पादक प्रदेश है. आम की कुल प्रजातियों में 25 फीसदी यही होती है. प्रमुख सचिव उद्यान एंव खाद्य प्रसंस्करण  निवेदिता शुक्ला ने बताया कि आम के बारे में लोगों को पूरी जानकारी हो, इसके लिये ही आम प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है. आम प्रदर्शनी देखने वालों और आम के बागवानों का उत्साह तब बढ गया जब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रदर्शनी का उदघाटन करने के साथ ही साथ वही पडी चारपाई पर किसी बागवान की तरह बैठ गये और आम का स्वाद लेने लगे. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री किसानो और बागवानों को ज्यादा से ज्यादा लाभ देने के लिये तमाम योजनाये चला रहे हैं.

आम प्रदर्शनी को इस तरह से सजाया गया था कि पूरा पार्क आम म्यूजियम सा बन गया था. प्रदर्शनी देखने आने वाले लोगों ने आम की सजावट के साथ दिल भर कर सेल्फी ली. प्रदर्शनी में नकली गांव और वहां के महौल को देखकर लोगों ने खूब मस्ती की. आम खाने की प्रतियोगिता सहित आम से तैयार होने वाले तमाम तरह के व्यंजन भी यहां बनाये गये थे.

आम से जुडे तमाम किस्से आने वालों को सुनाये गये.यह आम महोत्सव हर तरह से अलग और बेहतर था.ऐसे आयोजन अगर हर साल तय समय पर 5 से 7 दिन के हो तो पर्यटक इसको देखने और आम का स्वाद लेने के लिये लखनऊ आ सकते है. विदेशों में ऐसे सफल फेस्टिवल आयोजित होते हैं. उत्तर प्रदेश में आम बागवानों को लाभ देने के लिये ऐसे प्रयास जरूरी हैं. लखनऊ केवल दशहरी ही नहीं दूसरे तरह के तमाम आमों से गुलजार है जरूरत इसके प्रचार और प्रसार की है.                     

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