अगर एक तकनीकी सवाल पूछा जाए कि देश में सब से ताकतवर लोगों में आप किन्हें गिनते हैं तो निश्चित रूप से आप का जवाब होगा सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी, क्योंकि तकनीकी रूप से सच यही है. आईएएस अधिकारी देश में एक व्यक्ति के रूप में सब से ताकतवर प्रोफाइल है. लेकिन यह सच महज तकनीकी है, क्योंकि व्यवहारिक दुनिया में आईएएस अधिकारी पर शासन करते हैं राजनेता. यह सिर्फ हिंदुस्तान का सच नहीं है, पूरी दुनिया का सच है. यह भी समझ लीजिए कि यह सिर्फ लोकतांत्रिक व्यवस्था की भी बात नहीं है. दुनिया में जितनी तरह की व्यवस्थाएं हैं उन सभी तरह की व्यवस्थाओं में राजनेता शिखर पर हैं. रास्ता कोई भी हो, तर्क किधर से भी निकले मगर सभी तरह की व्यवस्थाओं में किसी न किसी रूप में शिखर पर राजनेता ही हैं. चाहे भारत और अमेरिका जैसे लोकतांत्रिक देश हों, चाहे इंगलैंड और जापान जैसे संवैधानिक राजतंत्र हों या फिर चीन जैसे समाजवादी देश.
सभी देशों की सत्ता में राजनेता ही विराजमान हैं. हर जगह अंतिम रूप से उन्हीं का शासन है. दुनिया में जो भी परिवर्तन होते हैं, उन्हीं की मरजी या सहमति से होते हैं या हो रहे हैं, अगर कुछ नकारात्मक परिवर्तनों को छोड़ दें. भले रिसर्च या खोजें वैज्ञानिक करते हों मगर उन खोजों को सामाजिक जामा राजनेता ही पहनाते हैं.
सवाल है आखिर क्यों? क्योंकि हजारों सालों की तमाम व्यवस्थाओं को देखने के बाद दुनिया इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि जनप्रतिनिधियों का शासन ही अब तक की सब से उत्तम व्यवस्था है. भले ही इन जनप्रतिनिधियों के चुने जाने के तौरतरीके अलगअलग हों.
इसलिए पिछली 3 सदियों से हर समय दुनिया को दिशा देने के लिए ताकतवर राजनेताओं की फौज मौजूद रही है, चाहे द्वितीय विश्वयुद्ध के समय मौजूद चर्चिल, ट्रूमैन, गांधी, माओत्से तुंग और जोसेफ स्टालिन जैसे राजनेता रहे हों या बाद में जवाहरलाल नेहरू, नासिर, टीटो, निक्सन, कैनेडी, रुश्चेव और इंदिरा गांधी रही हों. देंगश्याओपिंग, रोनाल्ड रीगन, मिखाइल गोर्बाचोव, मार्ग्रेट थैचर इस के बाद के बड़े और दुनियाभर में अपना प्रभाव रखने वाले नेता रहे हैं. इसी क्रम में जौर्ज बुश, बिल क्लिंटन, बराक ओबामा, पी वी नरसिम्हा राव, मनमोहन सिंह, नरेंद्र मोदी तक और गोर्बाचोव, येल्तसिन से होते हुए पुतिन तक आ पहुंचे हैं.
मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी
सवाल है आज दुनिया में कौनकौन से ऐसे राजनेता हैं जिन का उत्तरी गोलार्द्ध से, दक्षिणी गोलार्ध या दूसरे शब्दों में समूची दुनिया में असर है? बराक ओबामा तो मनमोहन सिंह के लिए कहा करते थे जब आप बोलते हैं तो पूरी दुनिया गौर से सुनती है.
पिछले डेढ़ सालों से नरेंद्र मोदी के लिए यह कहा भर ही नहीं जा रहा बल्कि देखा भी जा रहा है, फिर चाहे अमेरिका के मैडिसन स्क्वायर में उन का रौक स्टार की तरह उभरना हो या फिर महज 3 हफ्तों में उन की योग के लिए एक विश्व दिवस हासिल कर लेने की बात रही हो. हालांकि इधर कुछ महीनों में मोदी की चमक फीकी पड़ी है. उन के कई दावे फोटोशौप तकनीकी से आंखमिचौली करते पकड़े गए हैं तो हाल में कई बेहद संवेदनशील मामलों में उन की चुप्पियां हैरान करती रही हैं. पहले दादरी हत्याकांड में उन की लंबी चुप्पी ने देश को बेचैन किया, तो उस के बाद रोहित वेमुला की आत्महत्या में वे उम्मीद से लेट बोले और अब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के मामले में भी वे बोलने से जिस तरह बच रहे हैं, उस से उन को कोई फायदा नहीं हुआ, उलटे नुकसान हुआ है. वह भी सिर्फ देश के स्तर पर ही नहीं, विदेशों में भी.
ताकतवर राजनेता
विदेशी मीडिया हैरान है कि मोदी अपनी चुप्पियों से अपनी हासिल की गई कमाई को डुबोने की कोशिश क्यों कर रहे हैं? फिर भी मोदी अभी दुनिया के ताकतवर रोजनेताओं में शामिल हैं. हालांकि दुनिया के लोकप्रिय नेताओं के स्तर पर उन्हें अभी टौप-10 में जगह नहीं मिलती. ऐसे में यह सहज जिज्ञासा बन जाती है कि फिर दुनिया के मौजूदा ताकतवर राजनेताओं का क्रम क्या है? आइए देखते हैं- फोर्ब्स पत्रिका जिस तरह दूसरे क्षेत्रों के लिए ताकतवर लोगों की सूची बनाती है, उसी तरह से उस ने एक साझी सूची बनाई है. जिस में सभी क्षेत्र के सब से ताकतवर लोग शामिल हैं. लेकिन इस की शुरुआत में ज्यादातर राजनेता ही हैं, इसलिए यह बात निर्विवादित तरीके से साबित होती है कि राजनेता ही दुनिया में सब से ताकतवर होते हैं. फोर्ब्स की मौजूदा सूची के मुताबिक, दुनिया के सब से ताकतवर राजनेता रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन हैं. फोर्ब्स ने उन्हें लगातार दूसरे साल दुनिया के शीर्ष राजनेता के बतौर चुना है.
व्लादिमीर पुतिन
मार्शल आर्ट के क्षेत्र में ब्लैकबैल्ट हासिल करने वाले व्लादिमीर पुतिन ने पिछले 2 सालों से यह स्थान अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को पछाड़ते हुए हासिल किया है. इस तरह देखा जाए तो शीतयुद्ध के दिनों का दुनिया का 2 महाशक्तियों के रूप में बंटा होना वैयक्तिक रूप में एक बार फिर से जीवंत हो रहा है. भले, आज यह बंटवारा 2 देशों के मुकाबले इन देशों के प्रमुखों के रूप में ही सिमट गया हो.
फोर्ब्स के मुताबिक, ‘‘वैश्विक स्तर पर तमाम विरोधों के बावजूद उन्होंने जिस तरह क्रीमिया का अधिग्रहण किया और यूके्रन में विद्रोहियों को सैन्य समर्थन जारी रखा, सीरिया में बमबारी की, साथ ही नाटो जैसे फौजी संगठन के तमाम थिंकटैंकों को यह सोचने के लिए मजबूर कर दिया कि रूस आशंकित विश्वयुद्ध की बागडोर थाम सकता है. वह उन के हौसले और निडरता का जीताजागता सुबूत है.’’ दुनिया के तमाम कोनों से उन्हें धमकियां मिलीं. कई बार अमेरिका ने अपने स्वाभाविक यूरोपीय मित्रों के साथ भी रूस को धमकी दी लेकिन पुतिन का आत्मविश्वास एक पल के लिए भी कमजोर नहीं पड़ा.
बराक ओबामा
निश्चित रूप से दूसरे स्तर पर अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ही हैं. जिन्हें खुद ही नहीं, तमाम अमेरिकी नीति नियंताओं को भी पहले पायदान में न होने से कोफ्त होती है. बहरहाल, पिछले दिनों फोर्ब्स पत्रिका ने उन्हें ‘हीरो औफ होप’ के खिताब से नवाजा है, जो कि विकास और भविष्य के संबंध में सर्वाधिक सकारात्मक ताकत का प्रतीक है. फोर्ब्स ने दुनिया के सभी क्षेत्रों के जिन सर्वोच्च ताकतवर 72 व्यक्तित्वों का चयन किया है, उन में ओबामा दूसरे स्थान पर हैं.
फोर्ब्स के मुताबिक, दूसरे टर्म की आधी से ज्यादा पारी पार कर चुके ओबामा के सामने पश्चिम अफ्रीका में इबोला बीमारी के बाद अब अफ्रीका के साथसाथ लैटिन अमेरिका में बड़े पैमाने पर फैले जीका वायरस को महामारी बनने से रोकना और खूनी संगठन आईएसआईएस से निबटना सब से बड़ी चुनौतियां हैं. हाल के सालों में अमेरिका में बारबार सिर उठाता नस्लवाद भी एक बड़ी चुनौती है. अगर ओबामा अपने दूसरे टर्म के खत्म होने के पहले इन समस्याओं से कायदे से निबट पाते हैं, जैसे कि अभी तक वे करते रहे हैं, तो निश्चित रूप से वे अमेरिका को दुनिया के नक्शे में विकल्पहीन महाशक्ति बनाए रखेंगे.
शी जिनपिंग
पिछले साल के आखिर में इंगलैंड की आर्थिक पत्रिका ‘द इकोनौमिस्ट’ ने खुलासा किया था कि शायद चीन की अर्थव्यवस्था ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था को पछाड़ दिया है. इस तरह कुछ दशक पहले राजनीतिक हलकों में चीनी सदी का जो व्यंग्य इस्तेमाल हुआ करता था वह अब मूर्तरूप लेता दिख रहा है. बावजूद इस के कि तमाम पश्चिमी विशेषज्ञ चीखचीख कर यह भी कह रहे हैं कि चीन की अर्थव्यवस्था रफ्तार खो चुकी है और अपना भविष्य भी. लेकिन जीडीपी के मामले में चीन का अमेरिका से ऊपर पहुंचना या लगभग उस के बराबर पहुंचना कोई छोटी उपलब्धि नहीं है. इस का श्रेय कोई न भी चाहे तो भी राजनेताओं को ही मिलेगा और यह स्थिति चीनी राजनेताओं को अमेरिकी राजनेताओं के बराबर खड़ी करती है. शायद इसीलिए पुतिन और ओबामा के बाद तीसरे स्थान पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का होना लाजिमी है. उन्हें ‘वैरियर औफ करप्शन’ की उपाधि से नवाजा गया है. क्योंकि जब से वे सत्ता में आए हैं, कई भ्रष्ट चीनी राजनेताओं को सजा हो चुकी है, कुछ को सजा-ए-मौत तक. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग फोर्ब्स की सूची में तीसरे स्थान पर हैं. 2 साल से सत्तारूढ़ जिनपिंग के बारे में माना जा रहा है कि वे माओत्से तुंग के बाद सब से ताकतवर चीनी राजनेता बन कर उभरे हैं.
एंजेला मर्केल
दुनियावी हलचल और भविष्य की संभावनाओं के नजरिए से देखा जाए तो भारत के राजनेता का चौथा स्थान होना चाहिए. मगर ऐसा नहीं है. यह हैसियत दिल्ली के खाते से अभी दूर है. दुनिया के नक्शे में अभी भी भारत एकसाथ अपार संभावनाओं वाले और अपार समस्याओं वाले देश के रूप में दर्ज है. इसलिए चौथे स्थान पर जरमनी की चांसलर एंजेला मर्केल हैं. उन्हें राजनीति के गलियारे में सी पावर इन पौलिटिक्स भी कहा जाता है. एंजेला मर्केल का यूरोप की राजनीति और आर्थिक पटल पर अपना अहम स्थान है. अर्थव्यवस्था के मामले में जरमनी यूरोप में अन्य देशों से कहीं अधिक शक्तिशाली है. इसलिए जरमन चांसलर दुनिया के ताकतवर राजनेताओं की लिस्ट में तो चौथे स्थान पर हैं लेकिन संपूर्णता में ताकतवर लोगों की सूची में उन का स्थान 5वां है. गौरतलब है कि उन्होंने पिछले साल के चुनावों में जीतने के बाद तीसरी बार जरमनी की कमान संभाली है.
डेविड कैमरन
करिश्माई ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने ब्रितानी सत्ता में एक बार फिर से लौट कर मीडिया के तमाम आकलन को तो झुठला दिया ही है, जिस तरह से उन्होंने अपने भरोसे और दिलेरी के चलते, स्कौटलैंड ब्रिटेन में रहे या न रहे, इस इश्यू पर चुनाव करा दिया, उन के जोखिम उठाने के स्वभाव का परिचायक है. हालांकि यह बात भी सही है कि वे स्कौटलैंड को हारतेहारते बचे थे. और यह भी सही है कि वे इंगलैंड की सत्ता में बने रहने का चुनाव जीतते कतई नहीं लग रहे थे. मगर यदि फिर भी जीत गए तो यह उन की ताकत है. कैमरन दुनिया की छठवीं सब से बड़ी राजनीतिक हस्ती हैं. जबकि सभी किस्म के ताकतवर लोगों की सूची में उन का स्थान 10वां है. कैमरन को आधुनिकतापसंद नेता समझा जाता है. वे ट्विटर पर भी काफी सक्रिय रहते हैं.
कैमरन के बाद दुनिया के ताकतवर राजनेताओं की सूची में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्थान है, जिन्हें फोर्ब्स ने ‘रौक स्टार मोदी’ की संज्ञा दी है. नरेंद्र मोदी ताकतवर राजनेताओं की फोर्ब्स सूची में छठें नंबर पर आते हैं. हालांकि सभी क्षेत्रों के साझे सर्वाधिक ताकतवर लोगों की सूची में उन को 15वां स्थान दिया गया है.