इन दिनों बौलीवुड में बिहार, पंजाब और नशाखोरी व मादक पदार्थों की तस्करी को केंद्र में रखकर बनायी गयी दो फिल्में चर्चा के केंद्र में हैं. एक फिल्म अभिषेक चौबे निर्देशित ‘‘उड़ता पंजाब’’ है, जिसका निर्माण अनुराग कश्यप ने ‘‘फैंटम फिल्म्स’’ के बैनर तले किया है. फिल्म ‘‘उड़ता पंजाब’’ विवादों में है. इस फिल्म का कई लोग विरोध कर रहे हैं. नीतू चंद्रा ने तो सोशल मीडिया पर फिल्म ‘‘उड़ता पंजाब’’ में बिहारी लड़की का किरदार निभाने वाली अभिनेत्री आलिया भट्ट व फिल्म के निर्देशक अभिषेक चौबे के नाम ‘खुला पत्र’ लिखकर बिहारियों को नीचा दिखाने का आरोप लगाया है. फिल्म ‘‘उड़ता पंजाब’’ से जुडे़ लोग फिल्म के कथानक को लेकर सिर्फ यही कह रहे हैं कि यह फिल्म मादक दृव्यों की तस्करी के खिलाफ बात करती है. पर पंजाब के खेतों में भूखे पेट काम करने वाले बिहारियों का फिल्म की कहानी से क्या संबंध है, इस पर सब चुप हैं.

जबकि दूसरी फिल्म बिहार की प्रतिभाओं की उपेक्षा और उनके उपहास पर आधारित ‘‘शहर मसीहा नहीं’’ है, जो कि मशहूर उपन्यासकार डॉं अरूणेंद्र भारती के इसी नाम के उपन्यास पर आधारित है. अमर वत्स निर्देशित इस फिल्म में ‘‘चार्ली चैप्लिन द्वितीय’’ के नाम से मशहूर अभिनेता राजन कुमार ने मुख्य भूमिका निभायी है. बौलीवुड में चर्चाएं गर्म है कि फिल्म ‘‘शहर मसीहा नहीं’’ में बिहार की अच्छी छवि पेश करते हुए पूरे भारत वासियों से बिहारियों को भी अपना भाई समझने का आहवान किया गया है.

मजेदार बात यह है कि फिल्म ‘‘शहर मसीहा नहीं’’ के निर्माताओ ने अपनी इस फिल्म को प्रयोग के तौर पर बिहार के मुंगेर जिले के दो तीन थिएटरों में तीन जून को रिलीज किया और इस फिल्म को जिस तरह से वहां पसंद किया जा रहा है, उससे उत्साहित होकर निर्माताओं ने अब अपनी फिल्म ‘‘शहर मसीहा नहीं’’ को पूरे देश में ‘उड़ता पंजाब’ के ही साथ 17 जून को रिलीज करने की योजना बनायी है. सूत्रों की माने तो बिहार के सिर्फ एक जिले में ‘शहर मसीहा नही’ को मिल रही सफलता ने ‘उड़ता पंजाब’ के निर्माताओं को चिंता में डाल दिया है. फिलहाल ‘‘उड़ता पंजाब’’ के निर्माताओं ने पंजाब से उम्मीदे लगा रखी हैं, इसलिए वह फिल्म से पंजाब शब्द को हटाना नहीं चाहते.

सूत्रों के अनुसार फिल्म ‘‘उड़ता पंजाब’’ में मादक दृव्यों की तस्करी के साथ साथ बिहारी लड़की व पंजाबी लड़के की प्रेम कहानी है. जबकि नशाखोरी की खिलाफत करने वाली फिल्म ‘‘शहर मसीहा नहीं’’ में बिहारी लड़के व पंजाबी लड़की की प्रेम कहानी है.

जी हॉ! फिल्म ‘‘शहर मसीहा नहीं’’ बिहार की प्रतिभाओं की उपेक्षा और उनके उपहास को लेकर चिंता व्यक्त करती एक उद्देश्यपरक फिल्म है. कहानी के अनुसार मुंगेर निवासी युवक राजन सहाय (राजन कुमार) गांव में एक चिटफंड कंपनी के लिए पैसा जमा करवाता है. लेकिन, कंपनी जब भाग जाती है, तो राजन अचानक कई तरह के संकटों से घिर जाता है, टूटने लगता है. लेकिन, मां के उत्साहवर्द्धक शब्दों से उसमें एक नया जोश जागता है. वह दिल्ली पहुंचता है. जहां बिहारी होने की वजह से उसे नौकरी नहीं मिलती है, पर एक दिन उसे एक कंपनी में नौकरी मिलती है और अंततः वह अपने परिश्रम के बूते उसी कंपनी का मैनेजर बनता है और साबित कर देता है कि बिहार में भी टैलेंट है, भले ही सायलेंट है. इस बीच दिल्ली में एक पंजाबी लड़की को राजन सहाय से प्रेम हो जाता है. पर राजन सहाय के बिहारी होने का विरोध लड़की का भाई करता है.

फिल्म ‘‘शहर मसीहा नहीं’’ के मुख्य अभिनेता राजन सहाय ने अपनी फिल्म को मकसदपूर्ण फिल्म बताते हुए ‘‘सरिता’’ पत्रिका से कहा- ‘‘वास्तव में बिहार से भागकर मुंबई आने के बाद मुंबई, दिल्ली के अलावा मैं कई शहरों में गया हूं. विदेश भी गया हूं. तमाम लोगों से मेरी बातचीत होती रही है. मैंने महसूस किया कि हर कोई बिहार व बिहार के लोगों को नीची नजरों से ही देखता है. हमने फिल्म में कहा है कि बिहार भी भारत का ही हिस्सा है. बिहार में भी अच्छे लोग बसते हैं. चाणक्य, डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद भी बिहार से थे. तमाम बड़े बड़े धर्म गुरू व आई ए एस आफिसर बिहार से रहे हैं. इस फिल्म में एक संदेश है कि हम सब पहले भारतीय हैं, फिर बिहारी या उत्तर भारतीय या महाराष्ट्यिन. फिल्म देखने के बाद लोगों को यह संदेश मिलता है हमें बिहार के लोगों को भी अपना भाई ही समझना चाहिए.’’

राजन कुमार ने आगे कहा- ‘‘हमारी फिल्म में दूसरे राज्यों या शहरों में ऊंचे पदों पर आसीन बिहार वासियों का आहवान किया है कि वह बिहार से बाहर निकलकर दूसरे शहरो में सौ प्रतिषश दे रहे हैं, यदि उसका 10 प्रतिशत भी अपने बिहार के गांव के लिए दें, तो बिहार के हालात बदल सकते हैं. बिहार की छवि बदल जाएगी. फिल्म में नशाखोरी के खिलाफ भी बात की गयी है. यह नशा तंबाकू, खैनी या शराब के रूप में बहुत ज्यादा है. हमने लोगों से कहा है कि वह नशाखोरी छोड़कर मानव जीवन जिएं. लोग अपने लिए, परिवार के लिए या देश के लिए सोचें. बड़े शहरों में जिस तरह से पानी की बर्बादी की जाती है, उस पर भी हमने कमेंट किया है. इसी के साथ हमने एक बात और की है कि हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती.’’

‘‘उड़ता पंजाब’’ के ही साथ ‘‘शहर मसीहा नहीं’’ को भी रिलीज करने के सवाल पर राजन कुमार ने कहा-‘‘देखिए, हमारी फिल्म कम बजट की फिल्म है. हमने प्रयोग के तौर पर इसे तीन जून को बिहार के मुंगेर में रिलीज किया. चार दिन के अंदर हमें अच्छी सफलता मिली है. अब हम लोग अपनी इस फिल्म को पंजाब सहित पूरे देश के सिनेमाघरों में 17 जून को रिलीज करने की योजना पर काम कर रहे हैं. ऐसा हम ‘उड़ता पंजाब’ को टक्कर देने के लिए नहीं कर रहे हैं. सच तो यही है कि हमें ‘उड़ता पंजाब’ के कथानक के बारे में कुछ पता ही नहीं है.’’ 

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