आज एक राष्ट्रीय न्यूज चैनल के ब्रेकिंग न्यूज से साबका पड़ा. खबर चल रही थी, दक्षिण अफ्रीका के कुछ युवकों ने एक टैक्सी ड्राइवर की मार-कुटाई इसलिए कर दी कि उसने क्या चार से ज्यादा लोगों को टैक्सी में बिठाने से मना कर दिया. यह खबर चल ही रही कि अचानक ब्रेकिंग न्यूज का एलान कर दिया टीवी चैनल के एक एंकर ने. गोया बहुत ही महत्वपूर्ण खबर हो. और खबर क्या थी? टेलीकौम मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कांफ्रेंस कर एलान किया है कि अब गंगाजल की औनलाइन बुकिंग हो सकती है. और डाक सेवा के जरिए सरकार घर-घर में ‘विशुद्ध’ गंगाजल पहुंचाने का इंतजाम कर रही है. इसके लिए शहर से लेकर गांव तक के तमाम डाकघरों को आधुनिक बनाने की कवायद शुरू करने जा रही है सरकार. डाक घरों को अत्याधुनिक तकनीक से लैश किया जाएगा.
जरा सोचिए, अंधेर नगरी में यह खबर ब्रेकिंग न्यूज है. कितना हास्यास्पद मामला है. पूरी तरह से अंधेर नगरी, चौपट राजा वाली स्थिति है. हमारा देश इस कदर अंधेर नगरी में तब्दील हो चुका है और भारत सरकार चौपट राजा! दो साल पूरे करने के लिए सरकार बड़े शानोशौकत से जश्न मनाती है. जबकि यह सरकार बहुमतवाली सरकार है और हर हाल में इस अपने पांच साल पूरे करने का जनादेश मिला हुआ है. माना भाजपा के वादे के मुताबिक अच्छे दिन न आए और इस सरकार को बनवाने के मलाल से अब जनता अपने हाथ मल रही हो! पांच साल की अवधि के बीच सरकार गिरने का कहीं कोई खतरा नहीं है. फिर हरेक साल पूरे करने के बाद जश्न मनाने का क्या तुक है?
सरकार का पानी हर दिन उतर रहा है. पर कम से कम 13 राज्यों में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. सरकार घर-घर तक पीने का पानी, बिजली और दाल नहीं पहुंचा सकती, लेकिन सरकार का फोकस गंगाजल पर जरूर है. इसके लिए सरकारी तंत्र को भी जोत दिया जा रहा है. गंगाजल पहुंचाने के महत काय में सरकार और मंत्री महोदय पूरी इमानदारी से जुट गए हैं. ई-कौमर्स के जरिए हरिद्वार और ऋषिकेश से गंगाजल डाक सेवा के जरिए घर-घर पहुंचाने के काम में कमर कस कर जुट गयी है सरकार.
पिछले कुछ दशकों में कुरियर सर्विस के कारण आहिस्ते-आहिस्ते डाक सेवा का भट्ठा ही बैठ गया है. इसे दुरुस्त करने और कुरियर सर्विस को चुनौती देने के लिए स्पीड पोस्ट की शुरूआत की गयी. लेकिन स्थिति तो सुधरनी ही नहीं थी, सो नहीं सुधरी. अब तो डाक से चिट्ठी भेजने का रिवाज ही बाबा अदम जमाने की बात हो गयी है. बीसियों तरीके निकल आए हैं किसी अपने-पराये से संपर्क साधने का. अब तो डाक सेवा का रहा-सहा उपयोग बचत खाते से रह गया है. डाक घर में बचत की रकम रखना आज भी लोग थोड़ा-बहुत सुरक्षित मानते हैं. वरना डाक घर का कोई खास उपयोग नहीं रह गया है.
लेकिन असका मतलब यह तो नहीं कि डाक सेवा को गंगाजल पहुंचाने में लगा दिया जाए! वैसे ही औनलाइन गंगाजल पहुंचानेवाले और भी ई-कौमर्स है. शौपक्लू, ईबे से लेकर अमाजोन तक आपकी चौखट तक गंगाजल पहुंचाने का काम कर ही रहे हैं. वह भी सालों से. इसके अलावा पलांजलि से लेकर भारतस्प्रिचुअल ओर्ग, वैदिकवाणी डौट कौम, गंगाजल डौट कौम, हिंदू-ब्लोग डौट कौम, गिरि डौट इन, रुद्राक्ष-रतन डौट कौम जैसे बहुत सारे तथाकथित धार्मिक और आध्यात्मिक साइट भी इसी धंधे में जुट हुए हैं. फिर भारत सरकार को इस धंधे में कूदने की भला क्या जरूरत!!
अब बात करते हैं न्यूज चैनल की. सवाल है कि इस खबर से आखिर कितनों का सरोकार है? और साथ में यह भी कि इसे ब्रेकिंग न्यूज कहना कहां तक सही है! लग तो यही रहा है कि ब्रेकिंग न्यूज की परिभाषा ही बदल गयी है. तमाम न्यूज चैनलों के बीच इतनी जबरदस्त प्रतियोगिता मची हुई है कि कुछ भी हाथ लग जाए, उसे ब्रेकिंग न्यूज बना कर परोसने में लग जाते हैं. खबर की अहमियत और आम आदमी के सरोकार से उससे कुछ लेना-देना हो या न हो- हाथ लग गयी तो बस परोस दो.
मीडिया के लिए सोशल मीडिया लगातार चुनौत बनती जा रही है. किसी बड़ी और अहम खबर को ब्रेक देने का काम सोशल मीडिया बखूबी कर रही है. दरअसल, ब्रेकिंग न्यूज कके लिए ट्वीटर जागरूक लोगों की पहली पसंद बन गयी है. कमोबेश न्यूज चैनल के एंकर किसी मामले में जनता का रुख जानने के लिए सोशल मीडिया का ही सहारा लेते हैं.
अमेरिकन प्रेस इंस्टीट्यूट एवं ट्वीटर की ओर से डीबीफाइव नामक शोध कंपनी के सर्वे में खुलासा हुआ है कि ताजा समाचारों और खबरों से खुद को अवगत रखने का सबसे पुख्ता जरिया आजकल सोशल मीडिया है. ट्वीटर के उपयोगकर्ताओं का तीन-चौथाई हिस्सा पत्रकारों, लेखकों और टिप्पणीकारों का ही है.
लगता है इस सर्वे के नतीजों को देख कुछ न्यूज मीडिया चैनल बौखला-से गए हैं. और ब्रेकिंग न्यूज की परिभाषा ही गड्डमगड्ड हो गयी है. तभी डाक द्वारा गंगाजल औन की खबर को ब्रेकिंग न्यूज बना कर पेश कर दिया गया. अब कहने को कुछ नहीं रह जाता सिवाय यह कहने के कि वाकई हमारा देश अंधेर नगरी चौपट राजा की ओर कदम बढ़ा रहा है.