अस्पताल से लौटने के बाद जब खली ने खून का बदला खून से लेने की बात कही, तभी समझ में आ गया था कि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में ‘द ग्रेट खली रिटर्न्स’ सीरीज रोमांचक होने वाली है. लेकिन मुकाबला इतना छोटा रहेगा, यह अंदाजा नहीं था. फरवरी, 2016 में उत्तराखंड में आयोजित इस सीरीज में 3 विदेशी पहलवानों ने खली को धोखे से घायल कर दिया था, जिस के बाद खली को आईसीयू में भरती होना पड़ा था. लेकिन अस्पताल से निकल कर दिलीप सिंह राणा उर्फ खली ने हिसाब चुकता कर दिया. खली ने सिर्फ 2 मिनट में पहलवान स्टील, अपोलो और नोक्स को धूल चटा दी और खिताब अपने नाम कर लिया.

हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर से निकल कर दुनिया में भारत का सिर ऊंचा करने वाले पहलवान खली का असली नाम दिलीप सिंह राणा है. कुश्ती के अलावा बौलीवुड और हौलीवुड फिल्मों व बिगबौस जैसे टीवी कार्यक्रमों में शिरकत करने वाले खली से इस मुकाबले से पहले बात हुई. खली इन दिनों देश में अपने जैसे सैकड़ों खली तैयार करने के काम में लगे हैं. इस के लिए खली ने पंजाब के जालंधर में ट्रेनिंग एकेडमी शुरू की है. पेश हैं, 60 इंच के सीने और 7 फुट से अधिक लंबाई वाले द ग्रेट खली से बातचीत के खास अंश :

सब से पहले अपने बचपन के बारे में बताइए

मेरा बचपन काफी अभावों में बीता. परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि मैं पढ़ाई कर पाता. मुझे वजन उठाने में मुश्किल नहीं होती थी इसलिए पहले अपने गांव में और बाद में शिमला आ कर मैं ने यही काम किया. कई बार मुझ पर लोग हंसते थे. शायद वे मेरा सामान्य से ज्यादा बड़ा आकार देख कर मुझ पर हंसते थे. मैं जहां भी जाता, लोग मुझे अजीबोगरीब नजरों से देखते हुए इकट्ठे हो जाते, लेकिन मैं कभी किसी को कुछ नहीं कहता और वहां से आगे बढ़ जाता. मुझे जितने पैसे मिलते थे, उस में मुश्किल से खाने का इंतजाम हो पाता था. मैं घर के लिए कहां से बचाता, लेकिन मैं ने हिम्मत कभी नहीं हारी. न जाने ऐसा क्या था जो मेरे अंदर की हिम्मत को मरने नहीं देता था.

आप खली बनने की राह में कैसे आगे बढ़े

शिमला में मुझे एक बार पंजाब पुलिस के एक अधिकारी ने देखा तो पुलिस में भरती होने की सलाह दी. पुलिस में भरती होने के बाद मैं ने अपनी फिटनैस पर ध्यान देना शुरू किया. लेकिन मुझे लक्ष्य अभी तक नहीं मिला था. मैं जानता था कि भविष्य में कुछ बड़ा करना है. मैं ने 1998 में एक छोटा सा ब्लैक ऐंड व्हाइट टीवी खरीदा, जिस पर पहली बार पेशेवर कुश्ती देखी. मुझे टीवी पर रेस्लिंग देख कर लगा कि यह काम तो मैं भी कर सकता हूं. बस, मैं भी अमेरिका पहुंच गया. लेकिन डब्लूडब्लूई में मेरा टिकना आसान नहीं था. वहां पैसा तो बेशुमार था, लेकिन खूब पसीना बहाना पड़ता था. अच्छी बात यह थी कि पसीना बहाने के लिए मैं ने खुद को बचपन से ही तैयार कर रखा था. पहले दिन जैसे ही मैं ने रिंग में कदम रखा मुझे देख कर बड़ेबड़े रेस्लर कांपने लगे. जिस दिन मैं ने अंडरटेकर को 10 मिनट में हराया, दुनियाभर में मेरा नाम हो गया. बिग शो, मार्क हेनरी और बतिस्ता जैसे पहलवानों को हरा कर आखिरकार मैं ने डब्लूडब्लूई का खिताब जीता. भारत के लिए यह बिलकुल नया था. 2007 के अंत और 2008 की शुरुआत में देशविदेश में मेरी चर्चा होने लगी. मुझे अपने देश का नाम ऊंचा करते हुए गौरव का एहसास हुआ.

लेकिन दलीप सिंह राणा का नाम खली कैसे पड़ गया

डब्लूडब्लूई में नाम कुश्ती और मनोरंजन के हिसाब से रखना पड़ता है. ऐसा नाम जो ताकत और शौर्य का प्रतीक हो. मुझे नया नाम तलाशने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी. किसी ने जायंट सिंह रखने को कहा तो किसी ने भीम. तरहतरह के नाम सुझाए गए. मैं ने खुद काली नाम सुझाया. यह नाम सब को बहुत पसंद आया. लेकिन विदेशी लोगों ने ‘क’ को ‘ख’ बोलना शुरू  कर दिया और धीरेधीरे सब काली को खली कहने लगे.

आप हमारे पाठकों से क्या कहना चाहेंगे

जरूरी नहीं कि हर कोई खली बने, लेकिन आप मेहनत कर के किसी भी फील्ड में बहुत आगे जा सकते हैं. लगातार अभ्यास कर के किसी भी काम में सब को पीछे छोड़ा जा सकता है. आजकल बच्चे तंबाकू से बने खाद्य पदार्थों की तरफ तेजी से आकृष्ट हो रहे हैं. यह बहुत गंदी चीज है. चाहे कोई कितना भी अच्छा दोस्त हो, अगर गंदी आदतों का शिकार हो तो ऐसे लोगों से दूरी बना कर रखें.                                   

पाठकों के लिए खली के टिप्स

—      कभी किसी बात को ले कर निराश न हों.

—      किसी भी किस्म के नशे से हमेशा दूर रहें.

—      सही हैं तो किसी से न डरें.

—      आप पर कोई हंसे, आप का मजाक उड़ाए तो उसे अपने काम से जवाब दें.

—      मौके का इंतजार करें और काम शुरू करें तो रुकें न

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...