लीजिए, फिर घूमनेफिरने का मौसम आ गया है. ऊंचेऊंचे पहाड़, कलकल बहती नदियां और खूबसूरत नैसर्गिक नजारे आप की प्रतीक्षा कर रहे हैं. पत्रपत्रिकाओं या टेलीविजन पर पर्यटन स्थलों के सुंदरसुंदर दृश्यों को देख कर सहज ही घूमने का मन बन जाता है. लेकिन ठहरिए, केवल मन ही पर्यटन के लिए पर्याप्त नहीं है. आप ने अगर पर्यटन पर जाने का मन बना लिया है तो आप को मन के अलावा और कुछ भी सोचना पड़ेगा.
सब से पहले तो आप को हकीकत के धरातल पर बैठ कर अपना कार्यक्रम बनाना पड़ेगा. आप घूमने जा रहे हैं तो आप को यह देखना बहुत जरूरी है कि 3 महीने पहले आप ने घूमने के लिए जो दिन निर्धारित किए हैं, आप 3 माह बाद उन दिनों को तो निकालने की स्थिति में रहेंगे. कहीं उस दौरान आप के बच्चे की कोई परीक्षा तो नहीं है या कोई विवाह या उत्सव आदि की तारीख तो नहीं टकरा रही. ऐसा नहीं कि आप पूरी तैयारी कर लें और फिर इस कारण से आप का निकलना संभव नहीं हो पाए.
कार्यक्रम बनाते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. सब से पहले हम जब कमरे में बैठ कर कार्यक्रम बनाते हैं और नक्शा देखते हैं तो सबकुछ आसान लगता है.
मेरे एक मित्र संजय ने यही किया. कार्यक्रम बनाना तो शुरू किया जम्मू का, लेकिन धीरेधीरे पटनीटाप, डलहौजी, कांगड़ा, धर्मशाला आदि भी कार्यक्रम में शामिल हो गए. फिर नक्शा देखा तो सोचा कि चलो हरिद्वार, ऋषिकेश भी घूम लेंगे. फिर किसी ने कह दिया कि वहां तक जा रहे हो तो मसूरी, बदरीनाथ भी हो आना. और नतीजा यही रहा कि इतना लंबा कार्यक्रम जब समय आया तो असंभव लगने लगा और फिर सारा परिवार घर में ही बैठा रह गया. इसलिए जरूरत से ज्यादा विस्तार वाले कार्यक्रम फेल हो जाते हैं. आप कितने लोग घूमने जा रहे हैं. वे किस उम्र के हैं. यदि आप के साथ वृद्धजन हैं तो उन की बीमारी आदि का खयाल रखना पड़ेगा. यदि हाल ही में कोई आपरेशन हुआ है तो अधिक चढ़ाईउतराई वाली जगह से बचना पड़ेगा.
जगह का चयन
जगह का चयन करते समय मौसम का अवश्य ध्यान रखें. गरमी की छुट्टियों में घूमने जा रहे हैं और आप को पर्यटन का वास्तविक आनंद लेना है तो ठंडी जगहों का चयन करें. हां, सर्दी के मौसम में दक्षिण भारत व समुद्रीतट वाली जगहों पर जाया जा सकता है. लू के मौसम में गरम जगहों पर जाया भी जाए तो दिन में यात्रा न कर गरमी से बचा जा सकता है. ऐसी जगहों पर सुबह थोड़ा जल्दी तैयार हो कर घूमा जा सकता है. दोपहर में आराम कर शाम को धूप उतरने के बाद भी घूम सकते हैं.
रिजर्वेशन
यात्रा की अच्छी शुरुआत के लिए सब से जरूरी है रिजर्वेशन. जहां आप जा रहे हैं वहां जाने के लिए साधन की उपलब्धता तय कर लें. यदि आप ट्रेन से जा रहे हैं तो 3 महीने पहले ही इस बारे में ध्यान देना पड़ेगा, क्योंकि यदि आप का रिजर्वेशन पक्का हो गया तो आप यात्रा के बारे में काफी निश्चिंत हो जाएंगे. यदि आप का प्रोग्राम 50 प्रतिशत भी हो तो भी रिजर्वेशन तो करवा ही लेना चाहिए, क्योंकि न जाने की दशा में टिकट कैंसिल भी करवाए जा सकते हैं. उस से अधिक पैसे भी नहीं कटते.
मुझे ऐसा ही एक वाकया तिरुअनंतपुरम का याद आता है. मेरा रिजर्वेशन कन्फर्म था लेकिन मुझे वहां एक सज्जन मिले जो सपत्नीक वहां घूमने आए थे. उन का रिजर्वेशन वेटिंग में था, उन का मन किसी चीज में नहीं लग रहा था, वह बारबार यही सोच रहे थे कि किसी तरह बस, रिजर्वेशन कन्फर्म हो जाए. वह बता रहे थे कि 2 महीने से कितनी ही बार हमारा प्रोग्राम बनाबिगड़ा. न जाने कितनी बार यह सोच कर बैठ गए कि चलो, फिर कभी चलेंगे. इस तरह मन परेशान हो तो घूमने का आनंद ही जाता रहता है.
होटल बुकिंग
ट्रेन के रिजर्वेशन के बाद नंबर आता है होटल का. किसी भी अनजान शहर में पहुंच कर मनपसंद होटल ढूंढ़ना सहज काम नहीं है. इसलिए होटल पहले से ही बुक हो जाए तो अच्छा रहता है. नहीं तो शहर में पहुंचते ही पहले होटल ढूंढ़ने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है और कई बार इस काम में आधा दिन लग जाता है. आजकल जहां हम किसी स्थान को 1-2 दिन से अधिक नहीं दे पाते, वहां इस काम में समय व्यर्थ करना बेमानी है.
और फिर इस से भी बड़ी बात शांति और सुकून की है. जब आप घूमने ही जा रहे हैं तो आप की मानसिकता शांत होनी चाहिए. जितनी अव्यवस्था होगी उतना ही आप का घूमना निरर्थक हो जाएगा. एक बार मैं मनाली में चेकआउट कर रहा था तो कमरे में से निकलते वक्त मैं ने देखा कि एक परिवार सामने ही बैठा था. मैं जैसे ही बाहर निकला, वे भीतर घुस गए. मैं ने पूछा तो पता चला कि ये लोग रात को ही मनाली पहुंच गए थे. पर गरमी का सीजन होने के कारण उन्हें कहीं जगह नहीं मिली तो फिर मजबूरी में पूरी रात टैक्सी में ही निकालनी पड़ी और मुंहमांगे दामों पर यह कमरा मिला है.
इसीलिए जहां तक हो सके इन परेशानियों से बचना चाहिए. एक बात और ध्यान में रखने की है कि लोग दूसरी जगह जाते हैं तो बहुत से जानपहचान वाले लोग औपचारिकतावश किसी रिश्तेदार या परिचित का पता दे देते हैं और फिर आग्रह भी करते हैं कि आप उन से जरूर मिल कर आना.
अब यहां यह तो ठीक है कि आप किसी का पता ले लें क्योंकि कभी इमरजेंसी में कोई बड़ी मुसीबत हो जाए तो अप्रोच किया जा सकता है लेकिन अनावश्यक रूप से किसी से मिलना- जुलना बिलकुल बेकार है, क्योंकि जब आप एक जगह को 1 या 2 दिन से ज्यादा समय नहीं दे पाते, ऐसे में किसी ऐसे व्यक्ति के घर जा कर समय व्यर्थ करना बेमानी है जिस से पहले कभी मिले ही नहीं और आगे कभी मिलने की संभावना भी नहीं है.
खरीदारी
एक परेशानी अमूमन सभी घूमने वालों के साथ बहुत ज्यादा होती है, वह है खरीदारी की. कई लोगों को मैं ने इतनी ज्यादा खरीदारी करते देखा है कि लगता है कि वे लोग कहीं घूमने नहीं बल्कि कहीं शापिंग करने गए थे. पर्यटन पर खरीदारी करना वैसे भी खतरनाक है. एक तो यह आप का बजट बिगाड़ देता है. दूसरे, आप पहले ही बड़ी मुश्किल से अपना समय निकाल पाए हैं. यह समय आप का शांति और सुकून से वहां के दर्शनीय स्थलों को देखने का है न कि खरीदारी करने का. ऐसी जगहों पर शापिंग करते वक्त कम से कम कपड़े तो नहीं खरीदने चाहिए क्योंकि कपड़े खरीदने में समय बहुत लगता है. अभी थोडे़ दिन पहले मैं केरल घूमने गया था. खरीदारी के नाम पर एक दुकान से गरम मसाले खरीद लिए और घर आ कर छोटेमोटे पैकेट बना कर सभी को दे दिए. इस से मेरा अधिक समय व्यर्थ नहीं हुआ. इसी तरह एक बार जम्मू गए तो वहां से अखरोट खरीद लिए और वापस आ कर लोगों में बांट दिए. अधिक वैरायटी के चक्कर में पड़े तो आप का घूमना व्यर्थ हो जाएगा.
एक बात और, यदि आप जहां घूमने जाने का कार्यक्रम बना रहे हैं तो पहले से उस की जानकारी जमा कर लें तो बेहतर रहता है. अगर आप घर से ही यह तय कर लें कि आप को उस शहर के कौनकौन से स्थान घूमने हैं तो आप व्यवस्थित रूप से घूम सकेंगे. फिर इस बात का अफसोस नहीं रहेगा कि आप जब वापस लौटें तो कोई आप को यह कहने वाला मिले कि अरे, आप ने फलां जगह तो देखी ही नहीं. जानकारी जुटाने का सर्वश्रेष्ठ साधन यही है कि सरिता के इस पर्यटन विशेषांक को सहेज कर रखें. इस की बहुमूल्य जानकारी हमेशा आप के काम आएगी. जब भी खाली समय में पढ़ेंगे तो आप के आगे घूमने की संभावना बनी रहेगी. सरिता द्वारा मुफ्त दी जा रही लघु रेलवे समय सारिणी भी घर पर होनी चाहिए. गाडि़यों के बारे में जानकारी मिलने से आप सुविधानुसार प्रोग्राम बना सकेंगे.
इन सब बातों के साथ एक बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि आप का घूमने का कार्यक्रम बहुत ही कसा हुआ नहीं होना चाहिए. भले ही 1-2 जगह कम देख लें लेकिन भागदौड़ या आपाधापी बिलकुल नहीं होनी चाहिए. एक बार मेरे साथ यही हुआ. दार्जिलिंग घूमने के लिए न्यूजलपाईगुड़ी उतरे तो पता चला कि आज भारत बंद है इसलिए दार्जिलिंग जाने का कोई साधन उपलब्ध नहीं है. हालांकि ट्रेन में रिजर्वेशन था लेकिन ट्रेन भी बंद थी.
बाहर निकले तो देखा, चाय की दुकानें तक बंद थीं. फिर एक व्यक्ति से टैक्सी की बात की तो उस ने भी यही कहा कि कल सुबह से पहले कोई साधन दार्जिलिंग के लिए नहीं मिल पाएगा. फिर उस से दूसरे दिन की बात कर कुछ लड़कों की मदद से एक होटल किया. यदि आप के साथ ऐसा कभी कुछ हो जाए कि आप जहां जाएं वहां बंद, दंगा या कोई अन्य घटना घटित हो जाए तो फौरन किसी होटल में चले जाएं क्योंकि आप को एक तो सुरक्षा भी मिलेगी और दूसरे कम से कम खानापीना तो मिल ही जाएगा. ऐसी आपात स्थितियों को ध्यान में रखते हुए थोड़ा समय अतिरिक्त ले कर चलना चाहिए. मैं ने एक दिन अतिरिक्त रख रखा था इसलिए भले ही एक दिन व्यर्थ रहा पर दूसरे दिन दार्जिलिंग घूम पाए. समय रहने से आप के आगे के प्रोग्राम भी व्यवस्थित रहते हैं और सब से बड़ी बात जो रिजर्वेशन आदि आप ने करवा रखे हैं वे कैंसिल नहीं करवाने पड़ेंगे.
पैसे की व्यवस्था
जाते समय पैसों की व्यवस्था समुचित होनी चाहिए. एटीएम में पर्याप्त मात्रा में पैसे होने चाहिए ताकि इमरजेंसी में आप को वहां रुकना पड़े तो आप को परेशानी न आए. जो एटीएम कार्ड आप के पास है उस की शाखा से जा कर यह मालूम भी कर लें कि उस का एटीएम या सहयोगी शाखा का एटीएम उस जगह है अथवा नहीं जहां आप जा रहे हैं. बहुत अधिक कैश साथ में ले कर न चलें. जो कैश हो भी उसे एक ही जगह न रखें तो बेहतर होगा. यात्रा में डेबिट या क्रेडिट कार्ड बहुत काम आते हैं अत: एकदो कार्ड आप के लिए काफी सुविधाजनक रहेंगे. अपना बजट बनाते समय यह भी ध्यान में रखें कि अमूमन पर्यटन पर बजट से अधिक खर्च हो ही जाता है, अत: अपने बजट से कुछ अधिक ही पैसे का इंतजाम रखें.
अंत में सब से बड़ी बात है स्थान का चुनाव. स्थान का चुनाव करते समय आप अपने परिवार का अवश्य ध्यान रखें. यदि आप किसी बड़े शहर में रहते हैं और बहुत ज्यादा भागदौड़ वाली जिंदगी जीते हैं तो आप स्थान के चयन में यह जरूर देखें कि जहां आप जा रहे हैं वह जगह वैसी तो नहीं है जिस माहौल में आप रोजाना जी रहे हैं. अगर आप शोरशराबे वाली जगह रहते हैं तो आप को किसी शांत जगह का चुनाव करना चाहिए. इस से आप को बहुत सुकून मिलेगा. आप पर्यटन से तरोताजा हो कर आएंगे व अपने जीवन को सुचारु रूप से जी सकेंगे. तो फिर देर किस बात की, सोचिए, समझिए और निकल जाइए.