बैंक औफ बड़ौदा, विजया बैंक और देना बैंक का विलय प्रस्तावित है. इस विलय के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक अस्तित्व में आ जाएगा. सरकार ने इन बैंकों के विलय का निर्णय बैंकों की कर्ज देने की ताकत उबारने और आर्थिक वृद्धियों को गति देने के प्रयासों के तहत किया है. विलय होने के बाद इन बैंकों के सिस्टम में तो बदलाव आएगा, साथ ही ग्राहकों पर भी इसका असर पड़ेगा.

अगर आपका अकाउंट इन बैंकों में से किसी बैंक में है तो आपको किन बदलावों का सामना करना पड़ सकता है इसके बारे में हम यहां आपको जानकारी दे रहे हैं.

अकाउंट नंबर, कस्टमर आईडी में हो सकता है बदलाव

आपको एक नया अकाउंट नंबर और कस्टमर आईडी मिल सकता है. यह पक्का करें कि आपका ईमेल एड्रेस और मोबाइल नंबर बैंक के पास अपडेटेड हो, जिससे किसी बदलाव के बारे में आपको तुरंत जानकारी मिल सके. आपके सभी अकाउंट एक आईडी के साथ टैग होंगे. उदाहरण के लिए, अगर आपका एक अकाउंट विजया बैंक और एक अन्य देना बैंक के साथ है, तो दोनों अकाउंट के लिए एक कस्टमर आईडी अलौट की जाएगी.

यह भी संभव है कि नई एंटिटी सिक्योरिटी की एक और परत जोड़ दे. सूत्रों के अनुसार समान बैंक के साथ एक से अधिक अकाउंट के लिए कस्टमर आईडी एक ही होगी. हालांकि, ज्वाइंट होल्डर के लिए एक अलग यूजर आईडी जेनरेट की जा सकती है जिससे वह केवल संबंधित अकाउंट तक ही पहुंच सके.’

थर्ड पार्टीज के साथ डिटेल्स अपडेट करनी होगी

जिन ग्राहकों को नए अकाउंट नंबर या IFSC कोड अलौट किए गए हैं, उन्हें इन डिटेल्स को विभिन्न थर्ड पार्टी एंटिटीज के साथ अपडेट करना होगा. इनमें इनकम टैक्स डिपार्टमेंट, इंश्योरेंस कंपनियां, म्यूचुअल फंड और नैशनल पेंशन सिस्टम (NPS) शामिल हैं. ग्राहक चाहे तो अपने पौलिसी अकाउंट के जरिए औनलाइन या ब्रांच जाकर नए अकाउंट की डिटेल्स अपडेट कर सकते हैं.

बंद हो सकती है लोकल ब्रांच

बैंक की कई ब्रांच बंद हो सकती हैं और ग्राहकों को नई ब्रांच में जाना पड़ सकता है. उदाहरण के लिए, आपकी मौजूदा होम ब्रांच ऐसी स्थिति में बंद हो सकती है जब एक्वायर करने वाले बैंक की अपनी ब्रांच पास में हो. अपनी ब्रांच के लिए लागू नए IFSC और MICR कोड का ध्यान रखें क्योंकि आपको फंड ट्रांसफर और अन्य फाइनैंशल ट्रांजैक्शंस के लिए इनकी जरूरत होगी.

नए ECS, SIP निर्देश

मर्जर के बाद एंटिटी को सभी इलेक्ट्रानिक क्लीयरिंग सर्विस (ECS) निर्देशों और पोस्ट डेटेड चेक को क्लीयर करना होगा. अपने बैंक, फंड हाउस और इंश्योरेंस कंपनी से संपर्क कर नए ECS निर्देश जारी करें. जरूरत होने पर आपको ECS से जुड़ा फौर्म औनलाइन या अपनी ब्रांच के जरिए भरना होगा. औटो डेबिट या सिस्टेमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) के लिए आपको नया SIP रजिस्ट्रेशन और इंस्ट्रक्शन फौर्म भरना पड़ सकता है. ऐसा ही लोन की ईएमआई के लिए भी करना होगा. ग्राहकों को आमतौर पर 6-12 महीनों के लिए बाकी के चेक और मौजूदा चेक बुक का इस्तेमाल करने की अनुमति होती है.

डिपौजिट, लेंडिंग रेट में जल्द बदलाव नहीं

कोटक महिंद्रा बैंक के प्रेसिडेंट (रिटेल लायबिलिटीज एंड ब्रांच बैंकिंग), विराट दीवानजी ने बताया, ‘औफिशल मर्जर की तिथि पर एक्वायर करने वाले बैंक की ओर से औफर किया जाने वाला फिक्स्ड डिपौजिट रेट लागू होगा.’ हालांकि, मौजूदा फिक्स्ड डिपौजिट पर मैच्योरिटी तक पहले से तय इंटरेस्ट मिलेगा. इसी तरह लोन पर इंटरेस्ट रेट भी वास्तविक एग्रीमेंट के अनुसार जारी रहेगा. होम लोन के लिए मौजूदा इंटरेस्ट रेट तब तक बरकरार रहेगा जब तक नई एंटिटी इंटरेस्ट रेट में बदलाव नहीं करती.

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