युवा पत्नी की मृत्यु का दुख कितना होता है, इस का एक उदाहरण उस पति की आत्महत्या से मिला जिसे पत्नी की आत्महत्या के लिए जेल में डाला हुआ था. सेना में 14 साल से कार्यरत लांस नायक विनोद कुमार ने, जो जम्मूकश्मीर का रहने वाला था, 7-8 माह पूर्व घर वालों की मरजी के बिना प्रेमविवाह किया था. प्रेम का चक्कर तो ठीक था पर दोनों को वैवाहिक जीवन रास न आया. पारिवारिक झगड़ों के कारण पहले पत्नी ने दहेज प्रताड़ना का मुकदमा कर दिया और फिर आत्महत्या कर ली. पत्नी के आत्महत्या करने पर बने सख्त कानून के अंतर्गत सैनिक जवान को जेल भेज दिया गया. सेना ने अदालत से उसे रिहा करने की प्रार्थना भी की पर अदालत ने नहीं सुनी. तनाव और निराशा में डूबे उस जवान ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली. उस की जेब से एक परची मिली, जिस में लिखा था, ‘मैं तुम्हारे पास आ रहा हूं.’

दहेज कानून को समाज सुधार का तरीका मान कर नेताओं ने तो छुट्टी पा ली पर वे यह भूल गए कि पतिपत्नी का संबंध केवल पैसों का नहीं होता. हां, विवाह में सदियों से लड़की के मातापिता मोटा दहेज देते रहे हैं पर उसी की खातिर लोग विवाह नहीं करते. विवाह तो शारीरिक जरूरत, जीवनसाथी, घर चलाने और बच्चों के लिए किया जाता है. पैसा उस की जरूरी मांग है पर हर पति जानता है कि नाराज पत्नी कभी सुख नहीं दे सकती, न बिस्तर पर न ही घर में. पत्नी के घर वालों को नाराज कर के, पत्नी पर अत्याचार कर के पति सैक्स पा सकता है, घर की नौकरानी पा सकता है पर दिल लुटाने वाली पत्नी नहीं पा सकता.

विवाह में मतभेदों के बहुत से कारण होते हैं पर दहेज कानून केवल एक ही बात सुनता है, पैसे की. जहां विवाह मातापिता द्वारा नियोजित होते हैं वहां तो समझा जा सकता है कि अनमेल विवाह हों पर इन में भी जहां दोनों की सहमति हो गई हो और पिछले 25-30 सालों से बिना सहमति वाले विवाह न के बराबर हो रहे हों, वहां दहेज कानून को तो लगना ही नहीं चाहिए. जहां सुबूत पेश किए जा सकें कि विवाहपूर्व पतिपत्नी आपसी तौर पर एकदूसरे को जानते थे या जानने लगे थे, वहां न तो मामला दहेज हत्या या दहेज आत्महत्या का लगना चाहिए और न ही पत्नी प्रताड़ना का.

लांस नायक विनोद कुमार जैसे हजारों पति व उन के मातापिता देश की जेलों में बंद हैं जहां मामला असल में तलाक का है, क्योंकि पतिपत्नी में नहीं बनी. एक आत्महत्या के लिए दूसरों को दोषी ठहराना गलत है. वैवाहिक संबंधों में सुधार लाने के कार्यक्रम किए जाने चाहिए. जेलें इस काम के लिए गलत जगह हैं.

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