फिल्म ‘कल हो न हो’ में सहायक निर्देशक के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत करने वाले अभिनेता अर्जुन कपूर ने फिल्म ‘इश्कजादे’ से अभिनय क्षेत्र में कदम रखा. फिल्म में उसके काम को काफी सराहना मिली और एक अभिनेता के रूप में वे इंडस्ट्री में स्थापित हुए. उनकी कुछ फिल्में सफल तो कुछ असफल रहीं, जिसे वे अधिक महत्व नहीं देते और आगे बढ़ते जाते है. वे अपने चाचा अनिल कपूर को अपना मेंटर मानते हैं और उनकी सभी फिल्मों से बहुत प्रभावित हैं.

उनका वजन पहले बहुत अधिक था, जिसे कम करने में उन्होंने काफी मेहनत की और इसकी सलाह सलमान खान ने उन्हें दी थी. आज भी वे उन्हें अपना प्रेरणास्त्रोत मानते हैं, जिसकी वजह से वे अभिनेता बन पाए.  अर्जुन कपूर स्पष्टभाषी हैं और जो भी कहना है, सामने कहना पसंद करते हैं. अभी उनकी फिल्म ‘नमस्ते इंग्लैंड’ रिलीज पर है पेश है कुछ अंश.

इस फिल्म को चुनने की खास वजह क्या है?

कहानी सुनते ही लगा कि ये कुछ अलग है, क्योंकि अधिकतर फिल्मों में पहले प्यार और शादी अंत में दिखाते हैं, जबकि इसमें फिल्म शुरू होते ही थोड़ी देर में शादी और बाद में कहानी आगे बढती है. आज के जमाने में शादी का मतलब समझौता नहीं है. दोनों में सहमति की भावना होना जरुरी है. जो ये कहानी कहती है. इसे सुनते हुए मैं ये महसूस कर रहा था कि ये कहानी माडर्न होने के साथ-साथ परंपरागत भी है.

आज के जमाने में रिश्तों के माइने बदल चुके हैं, जबकि ये किसी के लिए भी जरुरी है और आपने इसे सिद्ध किया और मुश्किल घड़ी में आप परिवार के साथ हमेशा रहे, परिवार या रिश्तों के साथ चलना कितना आवश्यक है?

रिश्ते तो रिश्ते होते हैं, उसके बिना जीवन नीरस होता है. ये सही है कि आज के जमाने में लोग दूसरों की भावनाओं को कम समझते हैं और स्वार्थी हो जाते हैं. मेरे हिसाब से मैंने जो जिंदगी देखी है उसकी वजह से मैं रिश्तों की कद्र कुछ अधिक ही करता हूं, क्योंकि मैंने देखा है कि अचानक से आपकी जिंदगी कभी भी बदल सकती है. मैंने जान्हवी और खुशी को सहयोग दिया ये कुछ अलग मैंने नहीं किया. मैं जानता हूं कि अगर मेरी मां जिन्दा होती, तो वह भी उन्हें साथ देने को कहती. मेरी परवरिश एक ऐसे माहौल में हुई है, जहां रिश्ते माइने रखते हैं. अभी गर्लफ्रेंड और बौयफ्रेंड के रिश्ते नाजुक हुए हैं, पर परिवार के रिश्ते अभी भी कायम है. रिश्ते को सम्हालना दोनों तरफ से होता है. परिवार के लोगों को भी बच्चे को समझने की जरुरत है, क्योंकि रिश्ते हर किसी के जीवन में जरुरी है.

इसके अलावा गर्लफ्रेंड बौयफ्रेंड की बात करें, तो किसी को भी ये समझना पड़ेगा कि किसी भी पहली लड़की से अगर आप मिलते हैं, तो वह आपकी जीवन साथी बन जाएगी, ये सोचना सही नहीं होता. उसे समझना और स्पेस देना फिर किसी निर्णय पर पहुंचना चाहिए. ऐसा करने से रिश्ते कम टूटते हैं.

आप अपने लिए किस तरह के पार्टनर की उम्मीद रखते हैं ?

हम जो सोचते हैं, अधिकतर उसका उल्टा ही होता है. हमारा प्रोफेशन ऐसा है कि इसमें कुछ भी मन मुताबिक नहीं होता. अधिकतर समय दूसरों के लिए ही होता है. मेरी पार्टनर को ये समझना पड़ेगा कि मेरी जिंदगी उसके अलावा लोगों के साथ शेयर करना भी है. जो औरत मुझे वह दे पायेगी, वही मेरी पार्टनर बन सकती है और मैं भी उसे समय देने की कोशिश अवश्य करूंगा.

आपका लुक हमेशा ‘एंग्री यंग मैन’ का रहा है, असल जिंदगी में आप कैसे हैं ?

मैं उससे बिल्कुल उल्टा हूं, मैंने आज तक किसी के उपर हाथ भी नहीं उठाया है. थोडा अक्कड़ और मूडी हूं पर एंग्री नहीं हूं. लोगों को मेरे एक्शन फिल्म पसंद हैं, मैं इस बात से खुश हूं. एक्शन फिल्म के अलावा मैंने कई रोमांटिक फिल्में भी की हैं.

आगे कौन सी फिल्में हैं ?

अभी मैं एक फिल्म ‘इंडियाज मोस्ट वांटेड’ कर रहा हूं. ये एक माडर्न एक्शन फिल्म है.

आप अपनी जर्नी से कितना खुश हैं ?

मैं अपनी जर्नी से खुश नहीं हूं, क्योंकि मुझे बहुत काम करने है. मैंने हर फिल्म से कुछ न कुछ सीखा है. अपने काम का क्रिटिक मैं खुद हूं, पर मैं इस बात से खुश हूं कि जितना भी मैंने काम किया, लोगों ने मुझे देखा और सहयोग दिया. इस बात से संतुष्टि है कि जो सपना मैंने देखा था, उससे मैं आगे ही बढ़ पाया हूं.

अब तक का सबसे बेस्ट कौम्प्लीमेंट क्या है ?

मेरा पहला कौम्प्लीमेंट जो मेरे दिल को छू गया था. मैं एक शादी के लिए जोधपुर गया था. शादी के बाद एक प्राइवेट टैक्सी में मैं एअरपोर्ट जा रहा था. उस गाड़ी में बैठा ड्राईवर शीशे से बार-बार मुझे देख रहा था. मुझे लगा कि ये मुझे पहचान नहीं पा रहा है या कुछ और बात है ऐसा सोचकर मैं चुपचाप बैठा रहा. फिर मैंने उससे पूछा कि आखिर मुझे घूर क्यों रहे हो. इस पर उसने कहा कि मैंने आपको फिल्म ‘इश्कजादे’ में देखा है. आप वही हीरो है न ? इससे मुझे लगा कि मेरी पहचान देश के कोने में पहुंच चुकी है और मेरे लिए ये खुशी की बात है.

‘मी टू मूवमेंट’ जो आजकल काफी चर्चा में है और महिलाये आगे आकर इसमें शामिल होकर अपनी बात सबसे कह रही हैं, इसे आप कैसे लेते हैं ?

यौन उत्पीड़न की समस्या पूरे देश में किसी न किसी रूप में है. औरत की इज्जत करना तो सबसे अधिक जरुरी है. हमारी परवरिश में कुछ कमी रहने की वजह से ये समस्या आ रही है. बचपन से ही बच्चे को सिखा देना चाहिए कि आप महिलाओं से कैसे वर्ताव करें, क्योंकि आप अपनी मां, बहन और रिश्तेदार से कभी ऐसा व्यवहार नहीं करते और अगर आपके किसी अपने के साथ ऐसा हुआ हो, तो आप इसे गलत मानते हैं. असल में किसी भी लड़की से आप ऐसी हरकत करें कि उसे बुरा लगता हो, तो ये बहुत गलत है. ये केवल फिल्म इंडस्ट्री में ही नहीं, बल्कि पूरे देश की समस्या है, मुझे बहुत अफसोस होता है, लेकिन इसे ठीक करने के लिए हमें अपने अंदर बदलाव लाने की जरुरत है.

जीवन में खुश रहने का मंत्र क्या है ? तनाव होने पर क्या करते हैं ?

मैं फिल्में देखने का बहुत शौकीन हूं और समय मिलते ही देखता रहता हूं. इसके अलावा समय मिले, तो सो जाता हूं, जिससे तनाव अपने आप ही भाग जाता है. परिवार के साथ बैठकर घर के खाने को एन्जाय करना टीवी देखना, फोन को अपने से दूर रखना आदि मैं करता रहता हूं. खुश रहने का कोई मंत्र नहीं है, जिसे करने के बाद आपको खुशी मिले, उसे करते रहना चाहिए.

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