आंखों में आंसू और सिसकियों के बीच मनीषा मंदिर से मुक्त कराईं गईं बच्चियों ने जब अपने दर्द की दास्तां सुनाई तो विवेचक भी भावुक हो गए. बच्चियों ने बताया कि संचालिका सरोजिनी अग्रवाल ने जुल्म की इंतिहा कर दी थी.
बच्चियों ने विवेचक पंकज सिंह को बताया कि उन्हें छोटी-छोटी बात पर पतली छड़ी से संचालिका पीटती थीं. चीखने पर मुंह दबाकर थप्पड़ मारे जाते थे. मम्मी-पापा से मिलने नहीं दिया जाता था. सुबह सड़ा नाश्ता दिया जाता था. दोपहर में कीड़े वाली दाल के साथ कच्चा आटा पानी में घोलकर जबरन पिलाया जाता था. सड़ा खाना जबरन खिलाने पर उल्टी हो जाती तो बच्चियों को सड़ा पुदीना पिला दिया जाता था. बीमार होने पर इलाज भी नहीं कराया जाता था. संचालिका बच्चियों से नौकरों की तरह झाड़ू-पोछा कराती, नाली में हाथ डलवाकर कीड़े और सिल्ट निकलवातीं, कूड़ा उठवातीं.
खराब खाने के विरोध पर रहना पड़ता था भूखे
बच्चियों ने विवेचक को बताया कि उन्हें सड़ा और खराब खाना दिया जाता था और विरोध करने पर भूखा रखा जाता था, भूख के चलते जब बच्चे रोने लगते तो उन्हें फिर सड़ा खाना खाने पर मजबूर किया जाता था.
संचालिका पी जाती थी बच्चियों का दूध
एक बच्ची ने अपने बयान में बताया कि संचालिका और मनीषा मंदिर में आने वाले उसके परिचित बच्चियों का सारा दूध पी जाते थे. इसीलिए बच्चियों को दूध भी नहीं मिल पाता था.
बच्चों के गिफ्ट व सामान भी छीन लेती थी
बच्चियों के मुताबिक, कोई भी जब उनसे मिलने आता तो संचालिका उनसे बच्चियों को गिफ्ट व खाने-पीने का सामान देने की डिमांड करती. जब कोई गिफ्ट व सामान लेकर आता तो उसके सामने तो उन्हें दे दिया जाता, लेकिन बाद में संचालिका छीन लेती थी. बच्चियों को कमरे में लगी टीवी भी नहीं देखने दिया जाता था और लोगों से कहा जाता था कि बच्चे दिनभर टीवी देखते हैं.
बर्तन तो छोड़िए शौचालय भी कराते थे साफ
बच्चियों ने बताया कि उनसे बर्तन के साथ शौचालय जबरन साफ कराया जाता था. जब बच्चियां नहाने के लिए साबुन मांगती तो उन्हें नीम वाले साबुन में कालिख पोतकर दी जाती थी, जिससे वह साबुन न लगा पाएं.
पढ़ने आई थी अंग्रेजी कर रही थी सफाई
लखीमपुर निवासी बारह वर्षीय बच्ची के किसान पिता मंगलवार शाम प्राग नारायण रोड स्थित राजकीय बाल गृह (शिशु) पहुंचे. उन्होंने बताया कि पहले मनीषा मंदिर में उनकी बहन रहकर पढ़ाई करती थी. संचालिका सरोजिनी अग्रवाल ने उनके गांव जाकर संपर्क किया और बताया कि यहां आपके बच्चे हिंदी मीडियम में पढ़ रहे हैं हम इन्हें अंग्रेजी मीडियम की पढ़ाई करवाएंगे.
प्रत्येक वर्ष चार हजार रुपये में पढ़ाई के साथ अच्छा रहन-सहन और पौष्टिक खाना भी मिलेगा. उन्होंने अपनी चार बच्चियों को मनीषा मंदिर में भेज दिया. किसान पिता ने बताया कि उन्होंने अपनी 12 वर्षीय बच्ची को इसी वर्ष जून महीने में संचालिका के हवाले किया था, अभी बच्ची से मुलाकात नहीं हो सकी है. उसे मोतीनगर स्थित राजकीय बाल गृह (बालिका) में रखा गया है.
जांच में पहले भी मिली थीं खामियां, नहीं हुई कार्रवाई
देवरिया कांड के बाद उप्र के मुख्यमंत्री के निर्देश पर राजधानी में भी शरणालयों की जांच कराई गई थी. उस वक्त मनीषा मंदिर में कई खामियां सामने आई थीं. इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारियो ने कार्रवाई नहीं करके महज सुधार करने का अल्टीमेटम दिया.
बीते छह अगस्त को जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा के निर्देश पर प्रशासनिक टीमों ने राजधानी के 23 बालक-बालिका गृहों की जांच की थी. इसके बाद सात सितंबर को मनीषा मंदिर में टीम ने जाकर बच्चों को मिल रही सुविधाओं का जायजा लिया. इस दौरान जांच टीम वहां बच्चियों को मिल रही सुविधाओं से खुश नहीं थी. टीम ने किसी ठोस कार्रवाई के बजाए केवल हिदायत देना मुनासिब समझा.
पूरे मामले में घिरता देखकर संचालिका सरोजिनी अग्रवाल ने मंगलवार को डीएम के सामने अपना पक्ष रखने का प्रयास किया. डीएम का कहना है कि चूंकि न्यायालय बाल कल्याण समिति इस मामले को देख रहा है इसलिए उनके आदेश का इंतजार है. अगर वहां से कोई आदेश मिलेगा तो तत्काल कार्रवाई होगी.
रद्द होगा मनीषा मंदिर का पंजीयन
गोमतीनगर के मनीषा मंदिर में छोटी बालिकाओं को रखने की अनुमति ही नहीं थी. महिला एवं बाल कल्याण मंत्री डॉ. रीता बहुगुणा जोशी ने न्यायालय बाल कल्याण समिति से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है. रिपोर्ट के परीक्षण के बाद संस्था का पंजीयन रद किया जाएगा. बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष कुलदीप रंजन ने बताया कि जांच रिपोर्ट के बाद मामले की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है.
तीन दशक से अधिक समय से नियमों को दरकिनार कर चल रहे मनीषा मंदिर बाल संरक्षण गृह का संचालन होता रहा और अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी. 10 साल से कम उम्र की आठ बालिकाएं यहां नियमों के विरुद्ध रखी गईं तो छह बालिकाओं को न्यायालय बाल कल्याण समिति के आदेश के बगैर कैसे रखा गया? ऐसे सवालों के जवाब मनीषा मंदिर की संस्थापिका डॉ.सरोजिनी अग्रवाल को अब पुलिस की जांच में देना होगा.
परीक्षण के साथ इलाज शुरू
प्राग नारायण रोड स्थित राजकीय बालगृह (शिशु) में और मोतीनगर के राजकीय बालगृह (बालिका) में रेस्क्यू कर लाई गईं बालिकाओं का मेडिकल परीक्षण के साथ ही इलाज शुरू हो गया है. समिति की सदस्य डॉ. संगीता शर्मा ने बताया कि शरीर में दाने निकले थे और कई को बुखार भी था. बालगृह के चिकित्सक डॉ.सुदर्शन के साथ ही मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा नियुक्त चिकित्सकों की ओर से 22 सितंबर को ही सभी 14 बालिकाओं की चिकित्सीय जांच की गई.