सही प्रकार के म्यूचुअल फंड का चयन करना संपत्ति बनाने की दिशा में पहला कदम है. कई फंड कैटेगरी और भरपूर विकल्प उपलब्ध होने के कारण आप फैसले को लेकर दुविधा में पड़ सकते हैं. देखने पर सभी फंड एक समान और आकर्षक नजर आते हैं.
व्यापक रूप से देखें तो म्यूचुअल फंड को तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है यानी इक्विटी, ऋण और हाइब्रिड में. प्रत्येक श्रेणी एक विशिष्ट लक्ष्य को पूरा करने के लिए है. इसके अलावा प्रत्येक फंड से निवेशक के लिए विभिन्न निहितार्थ होते हैं. आपको केवल फंड की सही श्रेणी में आने के लिए इन तीन मूलभूत सवालों के जवाब तलाशना है.
वित्तीय लक्ष्य ?
निवेश हमेशा लक्ष्य के अनुरूप होना चाहिए. म्यूचुअल फंड का चयन करने से पहले आपको खुद से पूछना होगा “म्यूचुअल फंड में निवेश के पीछे मेरा मूल उद्देश्य क्या है?”. एक निवेशक विभिन्न वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए म्यूचुअल फंड का उपयोग कर सकता है. सबसे लोकप्रिय लक्ष्य जिसके लिए निवेशक म्यूचुअल फंड का उपयोग करते हैं, उनमें रिटायरमेंट की प्लानिंग, इमरजेंसी फंड बनाने, छुट्टियों पर जाने, घर / कार खरीदने, बच्चों की उच्च शिक्षा की वित्तीय जरूरतें, शामिल हैं.
यदि आप बारीकी से देखें तो प्रत्येक लक्ष्य को उपलब्धि के लिए अलग-अलग राशि की आवश्यकता होती है. तद्नुसार, इस तरह का कार्पस जमा करने के लिए रिटर्न रेट अलग-अलग लगेगा. यदि आपको भविष्य में घर खरीदने के लिए एक बड़ा कार्पस चाहिए, तो इक्विटी फंड डेट फंड से अधिक उपयुक्त होगा. ऋण / हाइब्रिड फंड की तुलना में इक्विटी फंड लंबे समय तक उच्च रिटर्न देते हैं.
इसी प्रकार यदि आप एक इमरजेंसी फंड बनाना चाहते हैं तो यह निकटतम लक्ष्य ही होगा. इसके अतिरिक्त इसे हासिल करने में आवश्यक राशि घर खरीदने के लिए आवश्यक राशि से कम होगी. यहां आपका उद्देश्य हाई रिटर्न पर इन्वेस्टमेंट की सुरक्षा होगा. इस वजह से आप आसानी से ऋण फंड में निवेश कर सकते हैं जो आपको बचत बैंक खाते में अपने धन को रखने की तुलना में बेहतर रिटर्न देगा.
कितना जोखिम उठाया जा सकता है?
जोखिम उठाने का मतलब है “निवेशक फंड मूल्य में कितना परिवर्तन सहन कर सकता है”. इसे किसी व्यक्ति की जोखिम सहनशीलता भी माना जा सकता है. इसमें जोखिम लेने की इच्छा और उसकी क्षमता शामिल है. इच्छा एक व्यवहारिक पहलू है जबकि क्षमता वित्तीय पहलू से जुड़ी है. आप जोखिम लेने के इच्छुक हो सकते हैं, लेकिन यदि आपके पास इसे लेने की क्षमता नहीं है, तो यह आपके जोखिम की सहनशीलता नहीं बनती है. इसके अलावा उम्र और जीवन-चरण के साथ एक व्यक्ति की जोखिम सहनशीलता बदलती जाती है.
आदर्श परिस्थिति में युवा निवेशकों को मध्यम आयु वर्ग के निवेशक की तुलना में अधिक जोखिम की सहनशीलता ज्यादा होती है. इसी तरह किसी ऐसे व्यक्ति जिस पर कुछ लोग आश्रित हैं, के मुकाबले ऐसे युवा जिस पर कोई आश्रित नहीं है, जोखिम सहनशीलता कम होगी.
फंड का चयन अंततः आपकी जोखिम सहनशीलता पर निर्भर करता है. मोटे तौर पर जोखिम की सहनशीलता के आधार पर तीन निवेशक श्रेणियां होती हैं- अर्थात संरक्षणवादी, मध्यम और आक्रामक. संरक्षणवादी निवेशकों के लिए ऋण फंड उपयुक्त निवेश साधन हैं जो पूंजी की सुरक्षा के साथ मध्यम रिटर्न देते हैं.
आक्रामक निवेशक इक्विटी फंड और संबंधित उप-श्रेणियों को चुन सकते हैं जो उच्च जोखिम पर उच्च रिटर्न देते हैं. अपेक्षाकृत कम जोखिम लेने वाले तुलनात्मक रूप से कम जोखिम के साथ शेयर मार्केट को खंगालना चाहते हैं, वे हाइब्रिड/संतुलित फंड्स में पैसा लगा सकते हैं.
निवेश परिदृश्य क्या है?
निवेश परिदृश्य उस समयावधि से संबंधित है जिसके लिए एक निवेशक म्यूचुअल फंड में निवेश करना पसंद करता है. यह निवेशक के लक्ष्य पर निर्भर करता है. एक निवेश परिदृश्य अल्पकालिक, मध्यवर्ती और दीर्घकालिक हो सकता है. जिन लक्ष्यों को 1 से 3 वर्षों के भीतर हासिल किया जा सकता है जिन्हें अल्पकालिक लक्ष्यों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है. जिन लक्ष्यों को 3 से 7 साल की आवश्यकता होती है उन्हें मध्यवर्ती लक्ष्यों के तहत वर्गीकृत किया जाता है. हालांकि, जिन लक्ष्यों को सेवानिवृत्ति योजना या घर खरीदने जैसे 7 से अधिक वर्षों की आवश्यकता होती है उन्हें दीर्घकालिक लक्ष्यों के तहत वर्गीकृत किया जाता है.
म्यूचुअल फंड की पसंद आपके निवेश परिदृश्य के अनुसार बदलती है. लिक्विडिटी फंड जैसे ऋण फंड अल्पकालिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उपयुक्त हैं. बैलेंस्ड / हाइब्रिड फंड कार खरीदने जैसे मध्यवर्ती लक्ष्यों के लिए अधिक उपयुक्त हैं. इक्विटी फंड की मदद से सेवानिवृत्ति योजना जैसे दीर्घकालिक लक्ष्यों को हासिल किया जा सकता है.