यह तो हम सभी जानते?हैं कि किसी भी चीज की अच्छी किस्म के कई फायदे होते?हैं, चाहे वह निर्जीव वस्तु हो या सजीव. यहां हम बात कर रहे?हैं पशुओं की नस्ल की. हर नस्ल की कुछ खासीयतें होती?हैं, जो उन्हें उसी जाति के जानवरों से अलग करती हैं. आज के दौर में अगर हम भैंस की बात करते?हैं, तो मुर्रा नस्ल का नाम तुरंत जबान पर आता है. मुर्रा भैंस विश्व की सर्वश्रेष्ठ भैंस मानी जाती है. मुर्रा नस्ल की भैंसें एक ब्यांत में तकरीबन 4500 लीटर तक दूध देती?हैं, जबकि अन्य नस्ल की भैंसें (नीली रावी, कुंडी, भदावरी, तराई, महसाना, जाफराबादी, नागपुरी वगैरह) इतना दूध नहीं दे पाती हैं.
गाय की नस्लों में अमेरिकन नस्ल की गाय जरसी, होलस्टिन, फ्रीजियन ज्यादा मात्रा में दूध देती?हैं. इन की तुलना में भारतीय नस्ल की गायें साहीवाल, गिर, रेड सिंघी, नागौरी, थारपारकर कम दूध देती?हैं.
जरूरी है नस्ल सुधार
इस बारे में पशु विशेषज्ञों का कहना?है कि हम किसी पशु को चाहे कितना भी अच्छा पौष्टिक चारा या अन्य पौष्टिक आहार क्यों न दें, लेकिन इस से उस की दूध देने की कूवत में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं हो सकता. जिस नस्ल की जितना दूध देने की कूवत है, उस को हम बदल नहीं सकते. इस के लिए हमें पशु की नस्ल में सुधार करना होगा.
पशु प्रजनन विज्ञान में ऐसा तरीका है, जिस के द्वारा हम कम दूध देने वाली नस्ल को भी ज्यादा दूध देने वाली नस्ल में तबदील कर सकते हैं. इस तरीके को हम क्रास ब्रीडिंग कहते हैं. यानी जब हम एक ही जीव की 2 अलगअलग नस्लों का आपस में मिलन करवाते हैं, तो इसे क्रास ब्रीडिंग कहते?हैं.
कृत्रिम गर्भाधान विधि से कम अच्छी नस्ल वाली मादा पशु को ज्यादा अच्छी नस्ल वाले नर पशु से न मिलवा कर कृत्रिम तरीके से मादा पशु की बच्चेदानी में बीज रखते हैं. आमतौर पर हम अगर अपने दुधारू पशु को गाभिन करवाते?हैं तो नर पशु (सांड़) मादा की वैजाइना में सीमन (वीर्य) छोड़ता?है, जबकि कृत्रिम गर्भाधान में पशु चिकित्सक नर पशु के सीमन को मादा की बच्चेदानी में छोड़ते हैं. इस प्रकार कृत्रिम गर्भाधान से गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है.
कम अच्छी नस्ल की मादा को आसानी से अच्छी नस्ल वाला पशु बनाया जा सकता है. इस के लिए मादा का गर्भाधान हर बार अच्छी नस्ल वाले नर के सीमन से कृत्रिम तरीके से करवाना होगा और तकरीबन छठेसातवें गर्भाधान तक वह उसी नस्ल की मादा बन जाती?है, जिस नस्ल का नर है.
आमतौर पर गाय की गर्भावस्था का समय 9 महीने 9 दिनों व भैंस की गर्भावस्था का समय 10 महीने 10 दिनों का होता है. भेड़बकरी की गर्भावस्था का समय 5 महीने 5 दिनों, मादा सूअर की गर्भावस्था का समय साढ़े 3 से 4 महीने होता है. आज बेशक हम दूध उत्पादन के मामले में काफी आगे हैं, लेकिन पशुओं की नस्लों के मामले में अभी कई देशों से पीछे?हैं. अभी हम जो दूध उत्पादन कर रहे?हैं, उस के लिए ज्यादा पशुओं का इस्तेमाल कर रहे हैं, जबकि विदेशों मेंकम पशुओं से ज्यादा दूध लिया जा रहा?है.
देश में हैं 151 देशी नस्ले
राष्ट्रीय पशु अनुवांशिक संसाधन?ब्यूरो करनाल (हरियाणा) देश के पशुधन व मुरगियों की नस्ल के पंजीकरण की समिति है. नस्ल पंजीकरण समिति ने 5 जनवरी 2015 को नई दिल्ली में हुई बैठक में 7 नई पशुओं व मुरगियों की प्रजातियों को शामिल किया, जिन में गाय की 2 नस्लें और बकरी, भेड़, ऊंट, सूअर व चिकन की 1-1 नस्लें शामिल हैं. इन नई नस्लों को शामिल करने के बाद अब देश में देशी नस्लों की कुल संख्या 151 हो गई है, जिस में गाय की 39, भैंस की 13, बकरी की 24, भेड़ की 40, घोड़े व टट्टू की 6, ऊंट की 9, सूअर की 3, गधे की 1 और चिकन की 16 नस्लें शामिल हैं.