स्मार्टफोन्स में आने वाले सेंसर्स हमारे फोन, उसमें मौजूदा डाटा और वीडियो ऐप्स को और भी अधिक स्मार्ट और आधुनिक बनाते हैं. आप सेंसर को सीधा सीधा ऐसे समझ सकते हैं कि इलेक्ट्रानिक प्रोडक्ट में यदि कोई काम अपने आप हो जाता है, तो उसमें सेंसर का ही हाथ होता है. कुछ महत्वपूर्ण सेंसर हैं, जो लगभग सभी तरह के स्मार्टफोन में इस्तेमाल होते हैं-
स्मार्टफोन में इस्तेमाल होने वाले सेंसर्स
प्रोक्सिमिटी सेंसर: जब कोई वस्तु स्मार्टफोन के समीप होती है, तो यह सेंसर उसकी मौजूदगी का पता लगा लेता है. यह सेंसर मुख्य रूप से स्मार्टफोन के ऊपरी हिस्से में फ्रंट कैमरे के पास लगा होता है. आमतौर पर जब आप कौल आने या कौल करने के लिए स्मार्टफोन को कान के पास ले जाते हैं, तो यह सेंसर स्मार्टफोन के डिस्प्ले की लाइट को स्वत: औफ कर देता है.
एंबिएंट लाइट सेंसर: यह सेंसर स्मार्टफोन के डिस्प्ले की ब्राइटनेस को रोशनी के हिसाब से एडजस्ट तो करता ही है साथ ही डिस्प्ले की ब्राइटनेस को स्वत: कम या ज्यादा करने में भी मदद करता है.
एक्सीलरोमीटर और जाइरोस्कोप सेंसर: यह सेंसर मुख्य रूप से स्मार्टफोन किस दिशा में घूमा हुआ है, उसके बारे में बताता है. जब भी हम कोई वीडियो स्मार्टफोन में देख रहे होते हैं, तो उसे पोर्ट्रेट मोड की जगह लैंडस्केप मोड में में देखने के लिए अपना फोन घुमाते हैं तो एक्सीलरोमीटर और जाइरोस्कोप सेंसर की मदद से वीडियो फुल स्क्रीन पर आ जाता है. ध्यान रहे, यह सेंसर तभी काम करता है, जब आपने फोन में औटो-रोटेशन इनेबल किया हो. आपको बता दें कि स्मार्टफोन में रोटेशन के लिए दो सेंसर्स की जरूरत होती है, जिसमें एक्सीलरोमीटर इसके रेखीय त्वरण को और जाइरोस्कोप इसके घूर्णी कोण की गति को निंयत्रित करता है.
बायोमैट्रिक सेंसर: इसका इस्तेमाल आजकल लगभग सभी तरह के मिड रेंज और हाई रेंज के स्मार्टफोन्स में किया जा रहा है. इसकी मदद से स्मार्टफोन की सुरक्षा के लिए दिया गया फिंगरप्रिंट सेंसर काम करता है. यह सेंसर स्मार्टफोन में दर्ज किए गए अंगूठे या उंगली को स्कैन करके डाटा इकट्ठा कर लेता है. दूसरी बार, उसी अंगूठे या उंगली को इस सेंसर के पास रखा जाता है, तो वह इसकी जानकारी को इकट्ठा की गई जानकारी में मिलाकर सही अंगूठे या उंगली की पहचान कर लेता है. बायोमैट्रिक सेंसर में फिंगरप्रिंट के अलावा रेटिना स्कैनर भी आता है, जो फ्रंट कैमरे के साथ जुड़ा होता है. इसकी मदद से स्मार्टफोन के लौक को रेटिना के स्कैन की मदद से भी लौक-अनलौक किया जा सकता है.
डिजिटल कम्पास: इसमें मैग्नेटोमीटर सेंसर का इस्तेमाल किया जाता है, जो जमीन के चुंबकीय क्षेत्र के अनुसार काम करता है. इस सेंसर की मदद से स्मार्टफोन में इंस्टौल डिजिटल कम्पास सही दिशा के बारे में जानकारी देता है.
जीपीएस सेंसर: यह सेंसर आमतौर पर सभी स्मार्टफोन में इस्तेमाल किया जाता है. जीपीएस का मतलब होता है, ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम यानी भूमंडलीय स्थिति निर्धारण प्रणाली. इस सेंसर की मदद से डिवाइस की लोकेशन पता करने में मदद मिलती है. यह सेंसर कई तरह के सैटेलाइट के साथ जुड़कर काम करता है. इस सेंसर के लिए स्मार्टफोन में इंटरनेट कनेक्टिविटी होना जरूरी है. यानी अगर आपके स्मार्टफोन में इंटरनेट डाटा बंद होता है, तो यह सेंसर काम नहीं करेगा.
बैरोमीटर: यह सेंसर मूलरूप से स्मार्टफोन में इनबिल्ट जीपीएस चिप की मदद से काम करता है. इसकी मदद से ऊंचाई पर त्वरित गति से स्थान को लौक करके डाटा इकट्ठा किया जा सकता है.
वर्चुअल रियलिटी सेंसर: वर्चुअल रियलिटी सेंसर मूलरूप से स्मार्टफोन के कैमरे के साथ मिलकर रियलिटी ऐप्स के साथ काम करता है. यह सेंसर स्मार्टफोन में कैमरा ऐप्स की मदद से एनिमेटेड तस्वीर भी निकाल सकता है. इसी के साथ यह सेंसर कई तरह के मोबाइल गेम्स खेलने में भी मददगार है.