कृषि विज्ञान के हर छात्र को कालेज के पहले ही साल में समझ आ जाता है कि देश खेती किसानी के मामले में पिछड़ा क्यों है और किन वजहों के चलते किसानों का शोषण हर स्तर पर होता है. छात्र यह बात और खासतौर से समझ लेता है कि अगर प्रति हेक्टेयर पैदावार बढ़ाना है तो यह बेहद जरूरी है कि किसान उन्नत और वैज्ञानिक तरीके से खेती करें. फसल की बुआई से लेकर कटाई तक की तमाम कृषि क्रियाएं अगर वक्त रहते की जाएं तो मौसम के अलावा कोई ऐसी ताकत है नहीं जो उपज को कम कर सकें.
तमाम कृषि स्नातक इस बात पर भी सहमत हैं कि खेती किसानी में कोई दैवीय चमत्कार नहीं होता, यानि गेहूं बोया जाएगा तो कटेगा भी गेंहू ही, कोई कथित शक्ति उसे धान में नहीं बदल सकती, ठीक इसी तर्क और तर्ज पर कोई दृश्य अदृश्य शक्ति न तो पैदावार बढ़ा सकती और न ही घटा सकती है.
लेकिन दुर्भाग्य से देश में एक ऐसा भी कृषि स्नातक है जो अपनी पढ़ाई लिखाई को धता बताते पूरी ढिढ़ाई से यह कहने की जुर्रत कर चुका है कि फलां मंत्र को जपने से किसान भाई अपनी पैदावार बढ़ा सकते हैं. इस कृषि स्नातक का नाम विजय सरदेसाई है जो गोवा जैसे अहम राज्य का कृषि मंत्री भी है. इन मंत्री जी ने कृषि स्नातक की उपाधि डा बालासाहेब सावंत कोंकण कृषि विध्या पीठ से साल 1992 में ली है, जिसकी गिनती देश के प्रतिष्ठित एग्रीकल्चर संस्थानों में होती है, पर मंत्री जी का बयान गौर से पढ़ने और समझने के बाद अब शायद न हो.
महज 48 वर्षीय विजय सरदेसाई ने बीती 3 जुलाई को अपने निर्वाचन क्षेत्र फतोर्डा में एक पायलट परियोजना का उदघाटन करते किसानों से कहा कि वे बेहतर फसल के लिए “ॐ रोम जुम साह” मंत्र प्रतिदिन 20 मिनट तक पढ़ें, इससे फसल अच्छी होगी.
जितनी बेहूदी और अवैज्ञानिक यह सलाह है उससे कहीं ज्यादा दिलचस्प इस बयानबाजी के पीछे छिपी उनकी पत्नी भक्ति और अंधविश्वास हैं, जिनके दलदल में विजय सरदेसाई एक खास मकसद से सभी को धंसा हुआ देखना चाहते हैं. दरअसल में विजय सरदेसाई की धर्म पत्नी उषा सरदेसाई शिवभक्त हैं और केमिकल इंजीनियर से बाबा बने डाक्टर अवधूत शिवानंद की अनुयायी हैं. जिस पायलट प्रोजेक्ट का उदघाटन उन्होंने किया उसका नाम शिव योग कास्मिक फार्मिंग है, जो इसी अवधूत बाबा के खुराफाती दिमाग की उपज है जिसका मकसद सरकारी इमदाद और किसानों से दक्षिणा झटकना भर है. बाबा मंत्रों से पैदावार बढ़ाने की इस अवैज्ञानिक विधि को वैदिक तकनीक बताता है और विजय सरदेसाई जाहिर है सपत्नीक उसका समर्थन करते हैं.
शिव योग फाउंडेशन के बैनर तले एक 2 दिवसीय वर्कशाप का भी आयोजन फतोर्डा में किया गया, जिसमे किसानों को यह नहीं बताया गया कि पैदावार बढ़ाने अच्छा बीज वे बोएं, समय पर सिंचाई करें, खेत से खरपतवार निकालते रहें और कीटों व बीमारियों से बचाव के लिए इन्सेक्टीसाइड्स और पेस्टीसाइड्स का छिड़काव करें. फसल की बेहतर बढ़वार के लिए फर्टिलाइजर का इस्तेमाल करने की जगह किसानों से कहा गया कि वे बुआई के दिन से लेकर कटाई के दिन तक खेत में खड़े होकर उक्त उस मंत्र का ध्यान लगाकर जाप करें जिसकी उत्पत्ति का भी किसानों के इन शुभचिंतकों को ज्ञान या जानकारी नहीं.
किसान उनकी बात को बकवास समझते खारिज न कर दें इसलिए बात में दम लाते विजय सरदेसाई ने कहा कि वे भी पहले नास्तिक थे, लेकिन बाबाजी के सानिध्य आने के बाद उनसे यानि ढोंग पाखण्डों से सहमत हो गए कि मंत्र पढ़कर भी फसलों की उपज बढ़ाई जा सकती है. इस विधि या तकनीक जो शुद्ध मूर्खता है में कोई खर्च न आने का राग भी उन्होने अलापा.
विजय सरदेसाई दरअसल में कितनी बड़ी साजिश किसानों को बरगलाने रच रहे हैं यह समझने कहीं दूर जाने की जरूरत नहीं, गांव गांव गली मोहल्ले में अवधूत बाबा जैसे लाखों बाबा बैठे किसानों को तरह तरह से धर्म, ज्योतिष, मुहूर्त और इनसे भी बात न बने तो तंत्र मंत्र का हुनर लिए ठगने को बैठे हैं. निठल्लों की यह जमात किसानों को न केवल अच्छी पैदावार के तरीके बताती है, बल्कि तगड़ी दक्षिणा के एवज में पड़ोसी या प्रतिद्वंदी किसान की फसल चौपट करने का भी दावा करती है, फिर रातों रात फसल मवेशी चर जाते हैं या इन महात्माओं के छिड़के केमिकल्स से फसल वाकई नष्ट भी हो जाती है. यानि किसानों के बीच के बैर को भी ये लोग बढ़ाते और भुनाते हैं.
क्या खेती किसानी के ये नीम हकीम किसानों का किसी भी तरह का भला करते हैं, इस बात का जबाब कोई भी खासतौर से एक भी कृषि स्नातक शायद ही हां में दे. रही बात विजय सरदेसाई की तो उनकी मंशा सिर्फ और सिर्फ पत्नी के गुरु और संस्थान की दुकान चमकाना थी, इससे कितने किसानों का कैसे कैसे नुकसान होगा इस बात के उनके लिए कोई माने नहीं, क्योंकि वे रियल एस्टेट के कारोबारी हैं और 2 साल में ही अकूत दौलत के मालिक बन बैठे हैं.
जब कुछ कृषि स्नातकों से विजय सरदेसाई के इस मशवरे पर उनकी प्रतिक्रिया ली गई तो सभी ने खुलकर उनका मखौल उड़ाया. दमोह के रहने वाले विज्ञान चौधरी सीहोर के रफी अहमद कृषि महाविद्यालय में पढ़े हैं, उनके मुताबिक इस मंत्री ने तो कृषि शिक्षा को ही लजा दिया है. इंदौर के एक कृषि स्नातक एस एल पटीदार का कहना है कि इस मंत्री को इस्तीफा देते अपना अवैज्ञानिक बयान वापस लेना चाहिए और किसानों से माफी मांगना चाहिए. गोवा सरकार को भी चाहिए कि वह ऐसे अंधविश्वास फैलाने वाले मंत्री को तुरंत बाहर का रास्ता दिखाये.
पर गोवा की भाजपा नेतृत्व वाली सरकार ऐसा करेगी यह कहने या सोचने की कोई वजह नहीं, उसे तो ऐसे ही लोगों की जरूरत है जो कुछ और करें न करें किसानों में अंधविश्वास जरूर फैलाते रहें, जिससे किसान अपनी बदहाली का जिम्मेदार सरकार की नाकामियों और नीतियों को नहीं, बल्कि ऊपर वाले को मानते मंत्र जाप के दौरान हुई गलतियों को भी मानते रहें.
विजय सरदेसाई भाजपाई नहीं हैं, बल्कि अपनी खुद की बनाई गोवा फारवर्ड पार्टी के मुखिया हैं, जिसे पिछले विधानसभा चुनाव में 3 सीटें मिली थीं. गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को गोवा की 40 में से 17 और भाजपा को 14 सीटें मिली थीं, तब उम्मीद की जा रही थी कि विजय सरदेसाई कांग्रेस को समर्थन देते सरकार का हिस्सा बनेंगे. इस उम्मीद की एक बड़ी वजह उनका साल 2012 तक कांग्रेसी होना भी था. दिलचस्प बात यह भी है कि गोवा फारवर्ड पार्टी का भाजपा से गठबंधन भी था जो चुनाव के ठीक पहले टूट गया था.
एक तीसरी दिलचस्प बात यह भी उल्लेखनीय है कि एक दफा मनोहर पर्रिकर ने विजय सरदेसाई को सार्वजनिक रूप से जलील किया था. इसके बाद भी वे भाजपा की तरफ झुके थे तो इसकी एक बड़ी वजह उनकी एकाएक ही धर्म में पैदा हो गई आस्था थी, जिसका जिक्र उन्होंने किसानों को गुमराह करने वाले बयान में किया था. कहा यह भी जाता है कि मार्च 2017 के तीसरे हफ्ते में जब गोवा में राजनैतिक सरगरमियां शबाब पर थीं, तब अवधूत बाबा की सलाह पर ही वे खुद को बेइज्जत करने वाले मनोहर पर्रिकर के अधीनस्थ काम करने को राजी हो गए थे.
ऐसे में क्यों भाजपा यह नायाब हीरा खोएगी, जो उसके एजेंडे को किसानों में फैला रहा है, वह तो उन्हें और सर पर बैठाएगी, जिससे मंत्र से पैदावार बढ़ाने का तरीका दूसरे राज्यों में भी फैले.
किसान राजनीति इन दिनों बेहद गरमाई हुई है, 2019 के आम चुनाव के मद्देनजर हर दल किसानों की निगाह में हीरो बनने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा. सभी किसानों के लिए बढ़चढ़ कर घोषणाएं कर रहे हैं, जिसकी कोई जरूरत विजय सरदेसाई की अनूठी खेती पद्धति के सामने नहीं रह जाती.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चाहिए कि वे बजाय फसलों के समर्थन मूल्य में वृद्धि के गोवा का फार्मूला अपनाने किसानों को कहें, जिसमें केवल 4 शब्दों का मंत्र पढ़ने से उपज बढ़ने का दावा किया जा रहा है, यह फार्मूला अगर चल निकला तो किसी राज्य सरकार को कर्ज माफी का लोलीपोप किसानों को नहीं देना पड़ेगा और सब से अच्छी बात कर्ज में डूबा किसान खुदकुशी करने मजबूर नहीं होगा.