पेट्रोल-डीजल की कीमतें मौजूदा समय में आसमान छू रही हैं. कर्नाटक चुनाव को देखते हुए तेल कंपनियों ने 19 दिन का प्राइस रिवीजन नहीं किया था, लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. 14 मई के बाद से ही पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी लगातार जारी है.

सोमवार को दिल्ली में पेट्रोल 76.61 रुपए और डीजल 67.82 रुपए प्रति लीटर तो वहीं मुंबई में पेट्रोल की कीमत 84.44 रुपए प्रति लीटर और डीजल 72.21 है. पेट्रोल और डीजल की कीमतों ने कई पुराने रिकौर्ड तोड़ दिए हैं. पिछले आठ दिनों में पेट्रोल के दाम में 1.61 रुपए जबकि डीजल की कीमत में 1.64 रुपए का इजाफा किया गया है.

कहा जा रहा है कि कीमतें अभी और बढ़ सकती हैं. देखते हैं कि पेट्रोल के दाम आसमान क्यों छू रहे हैं और कैसे तय होती है इनकी कीमत :

तो इसलिए तेल में लग रही आग

कच्चे तेल की कीमत और पेट्रोल-डीजल की बढती मांग इसकी मुख्य वजह है. कच्चे तेल की कीमत हालांकि अभी 70 डालर प्रति बैरल है. याद होगा कि 2013-14 में यह रेट 107 डालर प्रति बैरल तक पहुंच गया था. उस वक्त जब कीमतें सरकारी नियंत्रण से मुक्त हो गईं तो इसका सीधा असर कीमतों पर पड़ा. हालांकि इंडियन बास्केट के कच्चे तेल की कीमत घटी है, पर वहीं कई तरह के टैक्स के चलते देश में पेट्रोल-डीजल महंगा होता चला जा रहा है.

किस तरह होती है किमत तय

सबसे पहले खाड़ी या दूसरे देशों से तेल खरीदते हैं, फिर उसमें ट्रांसपोर्ट खर्च जोड़ते हैं. क्रूड आयल यानी कच्चे तेल को रिफाइन करने का व्यय भी जोड़ते हैं. केंद्र की एक्साइज ड्यूटी और डीलर का कमीशन जुड़ता है. राज्य वैट लगाते हैं और इस तरह आम ग्राहक के लिए कीमत तय होती है.

चार साल में 12 बार बढ़ीं कीमतें

बीते चार साल में सरकार ने कम से कम एक दर्जन बार ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी यानी उत्पाद शुल्क में इजाफा किया है. इतना ही नहीं 4 मई से अबतक लगातार आठवीं बार कीमतों में बढ़ोतरी हुई है. नतीजतन मौजूदा सरकार को पेट्रोल पर मनमोहन सिंह की सरकार के कार्यकाल में 2014 में मिलने वाली एक्साइज ड्यूटी के मुकाबले 10 रुपये प्रति लीटर ज्यादा मुनाफा होने लगा. इसी तरह डीजल में सरकार को पिछली सरकार के मुकाबले 11 रुपये प्रति लीटर ज्यादा मिल रहे हैं.

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