राजेश, विक्रम, सरिता, पिंकी और रश्मि कालेज के बाहर खड़े बातचीत में व्यस्त थे कि तभी एक बाइक तेजी से आ कर उन के पास रुक गई. वे सब एक तरफ हट गए. इस से पहले वे बाइक सवार को कुछ कहते उस ने हैलमैट उतारते हुए कहा, ‘‘क्यों कैसी रही ’’
वे फक्क रह गए, ‘‘अरे, राजन तुम,’’ सभी एकसाथ बोले.
‘‘बाइक कब ली यार ’’ विक्रम ने पूछा.
‘‘बस, इस बार जन्मदिन पर डैड की ओर से यह तोहफा मिला है,’’ कहते हुए वह सब को बाइक की खासीयतें बताने लगा.
राजन अमीर घर का बिगड़ा हुआ किशोर था. हमेशा अपनी लग्जरीज का घमंड दिखाता और सब पर रोब झाड़ता, लेकिन वे तब भी साथ खातेपीते और उस से घुलेमिले ही रहते. रश्मि को राजन का इस तरह बाइक ला कर बीच में खड़ी करना और रोब झाड़ना बिलकुल अच्छा नहीं लगा. वे सभी कालेज के फर्स्ट ईयर के विद्यार्थी थे. लेकिन रश्मि 12वीं तक स्कूल में राजन के साथ पढ़ी थी इसलिए वह अच्छी तरह उस के स्वभाव से वाकिफ थी. सरिता व पिंकी तो हमेशा उस से खानेपीने के चक्कर में रहतीं, अत: एकदम बोल पड़ीं, ‘‘कब दे रहे हो पार्टी बाइक की ’’
‘‘हांहां, बस, जल्दी ही दूंगा. ऐग्जाम्स खत्म होते ही खाली होने पर करते हैं पार्टी,’’ राजन लापरवाही से बोला और बाइक स्टार्ट कर घरघराता हुआ चला गया. रश्मि सरिता व पिंकी से बोली, ‘‘मुझे तो बिलकुल अच्छा नहीं लगा इस का यह व्यवहार, हमेशा रोब झाड़ता रहता है अपनी अमीरी का. उस पर तुम लोग उस से पार्टी की उम्मीद करते हो. याद है, पिछली बार उस ने फोन की पार्टी देने के नाम पर क्या किया था.’’
‘‘हां…हां, याद है,’’ पास खड़ी सरिता बोली, ‘‘उस ने पार्टी के नाम पर बेवकूफ बनाया था, यही न. लेकिन तुम्हें पता है न अचानक उस के मामा की तबीयत खराब हो गई थी जिस कारण वह पार्टी नहीं दे सका था.’’
दरअसल, राजन का जन्मदिन 20 मार्च को होता था और पिछले वर्ष उसे जन्मदिन पर स्मार्टफोन मिला था. उस ने सब को दिखाया. फिर पार्टी का वादा भी किया, लेकिन आया नहीं. बाद में सब ने पूछा तो कह दिया कि मामाजी की तबीयत खराब हो गई थी, जबकि रश्मि जानती थी कि ऐसा कुछ नहीं था. बस, वह सब को मूर्ख बना रहा था. अब तो बाइक मिलने पर राजन का घमंड और बढ़ गया था. वह तो पहले ही अपने सामने किसी को कुछ नहीं समझता था. अत: राजन ने सब को कह दिया, ‘‘ऐग्जाम्स के बाद मैं सभी को एसएमएस कर के बता दूंगा कि कहां और कब पार्टी दूंगा.’’
शाम को सरिता घर में बैठी अगले दिन के पेपर की तैयारी कर रही थी कि रश्मि का फोन आया. बोली, ‘‘राजन का मैसेज आया है. 1 तारीख को दोपहर 1 बजे शिखाजा रैस्टोरैंट में पार्टी दे रहा है. जाओगी क्या ’’
‘‘हां, यार, मैसेज तो अभीअभी मुझे भी आया है. जाना भी चाहिए. तुम बताओ ’’ सरिता ने जवाब दिया.
‘‘मुझे तो उस पर रत्तीभर भरोसा नहीं है. सुबह वह कह रहा था ऐग्जाम्स के बाद पार्टी देगा और अब यह मैसेज. फिर मैं तो पिछली बार की बात भी नहीं भूली,’’ रश्मि साफ मना करती हुई बोली, ‘‘मैं तो नहीं जाऊंगी.’’
तभी राजेश का भी फोन आया और उस ने भी रश्मि को बताया कि राजन ने उसे व विक्रम को भी मैसेज किया है. सब चलेंगे दावत खाने. रश्मि बोली, ‘‘भई, पहले कन्फर्म कर लो, कहीं अप्रैल फूल तो नहीं बना रहा सब को मैं तो जाने वाली नहीं.’’
पहली तारीख को सभी इकट्ठे हो रश्मि के घर पहुंच गए और उसे भी चलने को कहने लगे. रश्मि के लाख मना करने के बावजूद वे उसे साथ ले गए. शिखाजा रैस्टोरैंट पहुंच कर सभी राजन का इंतजार करने लगे, लेकिन राजन का कहीं अतापता न था. वेटर 2-3 बार और्डर हेतु पूछ गया था. जब उन्होंने फोन पर राजन से संपर्क किया तो उस का फोन स्विचऔफ आ रहा था. काफी देर इंतजार के बाद उन्होंने रैस्टोरैंट में अपनेअपने हिसाब से और्डर दिया और थोड़ाबहुत खापी कर वापस आ गए. उन्हें न चाहते हुए भी अपनी जेब ढीली करनीपड़ी. जब वे सभी घर पहुंच गए तो राजन का मैसेज सभी के पास आया, ‘‘कैसी रही पार्टी अप्रैल फूल की ’’ सभी अप्रैल फूल बन कर ठगे से रह गए थे. ‘राजन ने हमें अप्रैल फूल बनाया’ सभी सोच रहे थे, ‘और हम लालच में फंस गए.’
रश्मि बारबार उन्हें कोस रही थी, ‘‘मैं तो मना कर रही थी पर तुम ही मुझे ले गए. खुद तो मूर्ख बने मुझे भी बनाया.’’
घर आ कर रश्मि ने अपनी मां को सारी बात बताई और राजन को कोसने लगी. मां ने उस की पूरी बात सुनी और बोलीं, ‘‘कूल रश्मि कूल.’’
‘‘कूल नहीं मां, फूल कहो फूल, हम तो जानतेसमझते मूर्ख बने,’’ रश्मि गुस्से से बोली.
‘‘रश्मि, अगर अप्रैल फूल बने हो तो गुस्सा कैसा यह दिन तो है ही एकदूसरे को मूर्ख बनाने का. तुम भी तो कई बार झूठमूठ डराती हो मुझे इस दिन. कभी कहती हो तुम्हारी साड़ी पर छिपकली है तो कभी गैस जली छोड़ देने का झूठ. फिर जब मुझे पता चलता है तो तुम गाना गाती हो और मुझे चिढ़ाती हो, ‘अप्रैल फूल बनाया…’
‘‘अगर फूल बन ही गए हो तो कुढ़ने से कुछ होने वाला नहीं. सोचो, कैसे राजन को भी तुम अप्रैल फूल बना सकते हो,’’ मां ने सुझाया. अब रश्मि शांत हो गई और कुछ सोचने लगी. फिर उस ने सभी दोस्तों को फोन कर अपने घर बुलाया और राजन को फूल बनाने की तरकीब सोचने को कहा. सभी राजन को भी मूर्ख बना कर बदला लेना चाहते थे. फिर उन्होंने भी राजन को मूर्ख बनाने की तरकीब सोचनी शुरू की. थोड़ी देर बाद रश्मि ही बोली, ‘‘मेरे दिमाग में एक आइडिया आया है. हम राजन को कूल फूल बनाएंगे. उस ने हमें फोन पर एसएमएस कर मूर्ख बनाया है, हम भी उसे फोन के जरिए मूर्ख बनाएंगे. सुनो…’’ कहते हुए उस ने अपनी योजना बताई.
शाम को राजन घर के अहाते में फोन पर बातचीत कर रहा था. उस की बाइक आंगन में खड़ी थी. तभी रश्मि उस के घर पहुंची. उसे देखते ही राजन बोला, ‘‘आओआओ रश्मि, कैसे आना हुआ ’’ रश्मि सोफे पर बैठते हुए बोली, ‘‘वाह राजन, आज तो तुम ने सभी को अच्छा मूर्ख बनाया. अच्छा हुआ मैं तो गई ही नहीं थी,’’ उस ने झूठ बोला.
‘‘अरे भई, तुम्हारी पार्टी तो ड्यू है ही. यह तो वैसे ही मैं ने मजाक किया था. बैठो, मैं तुम्हारे लिए कुछ खाने को लाता हूं,’’ कह कर राजन घर के अंदर गया. वह अपना फोन मेज पर ही छोड़ गया था. रश्मि तो थी ही मौके की तलाश में. उस ने झट से राजन का फोन उठाया और भाग कर आंगन में जा कर राजन की बाइक का फोटो खींच कर उसी के फोन से ओएलएक्स डौट कौम पर बेचने के लिए डाल दिया. कीमत भी सिर्फ 10 हजार रुपए रखी. फिर वापस वैसे ही फोन रख दिया. राजन रश्मि के लिए खानेपीने को लाया. रश्मि ने 2 बिस्कुट लिए और बोली, ‘‘चलती हूं, तुम्हें फूल डे की कूल शुभकामनाएं. अच्छा है अभी तक तुम्हें किसी ने फूल नहीं बनाया और तुम ने सब दोस्तों को एकसाथ बना दिया,’’ और मुसकराती हुई चल दी.
अभी रश्मि घर के गेट तक ही पहुंची थी कि राजन के मोबाइल की घंटी बज उठी, ‘‘आप अपनी बाइक बेचना चाहते हैं न, मैं खरीदना चाहता हूं क्या अभी आ जाऊं ’’
‘‘क्या ’’ राजू सकपकाता हुआ बोला, ‘‘कौन हैं आप किस ने कहा कि मैं ने अपनी बाइक बेचनी है. अरे, अभी चार दिन पहले ही तो खरीदी है मैं ने. मैं क्यों बेचूंगा ’’ कहते हुए उस ने फोन काट दिया. रश्मि अपनी योजना सफल होती देख मुसकराई और तेजी से घर की ओर चल दी. गुस्से में राजन ने फोन काटा ही था कि एक एसएमएस आ गया. ‘मैं आप की बाइक खरीदने में इंट्रस्टेड हूं. आप के घर आ जाऊं ’ राजन इस अनजान बात से बहुत आहत हुआ. आखिर थोड़ी ही देर में ऐसा क्या हुआ कि इतने फोन व एसएमएस आने लगे. उस ने तो कुछ भी ओएलएक्स पर नहीं डाला. उस के पास अब लगातार एसएमएस और फोन आ रहे थे. वह अभी एसएमएस के बारे में सोच ही रहा था कि तभी एक एसएमएस आया. वह मैसेज देखना नहीं चाहता था. लेकिन उस ने स्क्रीन पर देखा तो चौंका, मैसेज रश्मि का था.
‘अरे, रश्मि का मैसेज,’ सोच उस ने जल्दी से इनबौक्स में देखा तो पढ़ कर दंग रह गया. लिखा था, ‘क्यों, कैसा रहा हमारा रिटर्न अप्रैल फूल बनाना. तुम ने हमें रैस्टोरैंट में बुला कर फूल बनाया और हम ने तुम्हें तुम्हारे ही घर आ कर.’ राजन का गुस्सा सातवें आसमान पर था. उस ने आननफानन में बाइक उठाई और रश्मि के घर चल दिया. रश्मि के घर पहुंचा तो उस के घर सभी दोस्तों को इकट्ठा देख कर दंग रह गया. फिर तमतमाता हुआ बोला, ‘‘तुम मुझे मूर्ख समझते हो. मुझे फूल बनाते हो.’’
‘‘कूल बच्चे कूल. हम ने तुम्हें फूल बनाया है इसलिए गुस्सा थूक दो और सोचो तुम ने हमें रैस्टोरैंट में एकत्र कर मूर्ख नहीं बनाया क्या. तब हमें कितना गुस्सा आया होगा ’’
‘‘हां, पर तुम ने तो मेरी प्यारी बाइक ही बिकवाने की प्लानिंग कर दी.’’
तभी सभी दोस्त हाथ जोड़ कर खड़े हो गए और बोले, ‘‘कूल यार कूल… हमारा मकसद तुम्हें गुस्सा दिलाना नहीं था बल्कि तुम्हें एहसास दिलाना था कि तुम ऐसी हरकत न करो. पिछले साल भी तुम ने मूर्ख दिवस पर पार्टी रख हमें मूर्ख बनाया था. तब तो हम तुम्हारा बहाना भी सच मान गए थे पर इस बार फिर तुम ने ऐसा किया… क्या हम हर्ट नहीं होते ’’ ‘‘हां, लेकिन तुम ने यह सब किया कैसे मैं तो तुम से पूरे दिन मिला भी नहीं,’’ राजन ने दोस्तों से पूछा.
‘‘तुम नहीं मिले तो क्या. रश्मि तो मिली थी तुम्हें तुम्हारे घर पर,’’ सरिता बोली.
फिर रश्मि ने उसे सारी बात बता दी. ‘‘रश्मि तुम…’’ दांत भींचता हुआ राजन अभी बोला ही था कि अंदर से रश्मि की मां पकौडे़ की प्लेट लेती हुई आईं और बोलीं, ‘‘कूल…फूल…कूल. इस तरह झगड़ते नहीं. अगर मजाक करते हो तो मजाक सहना भी सीखो. मुझे रश्मि ने सब बता दिया है. आओ, पकौड़े खाओ. मैं चाय लाती हूं,’’ कहती हुई मां किचन की ओर मुड़ गईं.
‘‘आंटी, आप भी मुझे फूल कह रही हैं,’’ राजन आगे कुछ बोलता इस से पहले ही रश्मि ने उस के मुंह में पकौड़ा ठूंस दिया और बोली, ‘‘कूल यार फूल… कूल.’’ यह देख सब हंसने लगे और ठहाकों के बीच पकौड़े खाते पार्टी का आनंद उठाने लगे. राजन पकौड़े खातेखाते अपने फोन से बाइक का स्टेटस डिलीट करने लगा.