उज्जैन मे आगामी 22 अप्रेल से शुरू होने जा रहे सिंह्स्थ मेले मे इस बार भारत माता का मंदिर भी आकर्षण का केन्द्र रहेगा, जिसे कोई साधु संत नहीं, बल्कि भाजपा बनवा रही है. सिंह्स्थ मेला स्थल पर कोई साढ़े चार एकड़ ज़मीन पर मध्य प्रदेश भाजपा दीनदयाल शहर बसा रही है, जहाँ भारत माता का भव्य मंदिर बनाया जायेगा. इस मंदिर मे भारत माता की 51फीट ऊँची प्रतिमा स्थापित की जायेगी. भारत माता मंदिर परिसर मे साधु संतों और महात्माओं के प्रवचन होंगे जिनके जरिये वे श्रद्धलुओं को राष्ट्रीयता का पाठ पढ़ायेंगे. पाठ भक्तो को भाव पूर्ण ढंग से समझ आये इसके लिये 108 कुन्डीय हवन भी समानांतर चलेगा, लोग चाहें तो दान दक्षिणा भी श्रद्धानुसार चढ़ा सकते हैं. उम्मीद की जानी चहिये कि इससे राष्ट्रीयता और धर्म को लेकर बढ़ रहा भ्रम का कोहरा छंट जायेगा और लोग धर्म को राष्ट्रीयता या फ़िर इस नई राष्ट्रीयता को धर्म मान लेने मे हिचकिचायेंगे नहीं.
भारत मंदिर बनाने का आइडिया दरअसल मे आरएसएस का है जो चाहती है कि सभी लोग भारत माता की जय निसंकोच बोलें. भाजपा ने इस मुहिम को शिविर नाम दिया है, जिसमे देश भर से छाँट कर बुलाये कोई 2 हजार कार्यकर्ता सामाजिक समरसता की जवाबदेही निभायेंगे. इतना ही नहीं चौबीसों घंटे लंगर भी शिविर मे चलेगा. श्रद्धालुओं के मनोरंजन के लिये सांस्कृतिक आयोजन भी होंगे. कुम्भ मे राजनीति कतई हैरत की वात नहीं है, लेकिन उज्जैन से कोशिश यह की जा रही है कि लोग संघ और भाजपा के विचारों को ह्रदय से आत्मसात कर लें जिसके तहत धर्म और राष्ट्रीयता की खाई पाट दी जायेगी.
अगर भारत माता बतौर देवी स्वीकार लीं गईं तो राम मंदिर का झंझट ख़त्म हो जायेगा और मुसलमान या सिख अगर इस पर एतराज जताये, जिसकी सम्भावनाये ज्यादा हैं, तो उन्हे देशद्रोही करार दिया जा सके और आम लोगों को बताया जा सके कि देखो हम तो भारत माता के नाम पर जो एक गैर धर्मिक देवी है लोगों को एक झंडा तले इक्कट्ठा करने की कोशिश कर रहे हैं पर ये लोग धर्म को बीच मे घसीटकर एक पवित्र विचार को दूषित कर रहे हैं. इसलिये अब यह आप लोग तय करें कि हकीकत मे सामप्रदयिक कौन है. संघ और भाजपा दोनो ही इस शिविर और मंदिर को लेकर खासे उत्साहित हैं, जो उनके धार्मिक एजेंडे का राष्ट्रीय संस्करण है.