अमूमन किशोर यह कहते मिलते हैं कि वे कितना भी याद कर लें कुछ याद ही नहीं होता, लेकिन विडंबना यह है कि यही किशोर अगर फिल्म देख कर आएं तो फिल्म के संवाद, गाने और दृश्य तक को हूबहू सुनाने में उन्हें मुश्किल नहीं होती आखिर उन्हें पढ़ाई ही क्यों नहीं याद होती? इस का एक तो सीधा सा कारण है सटीक पढ़ने का तरीका न होना और दूसरा याद्दाश्त कमजोर होना. अगर इन दोनों को दुरुस्त कर लिया जाए तो याद्दाश्त आश्चर्यजनक रूप से बढ़ सकती है.
याद्दाश्त का कमजोर होना एक व्यापक और गंभीर समस्या है. विद्यार्थियों को अपना पाठ अधिक दिन तक याद नहीं रहता है जिस से वे काफी परेशान रहते हैं. कुछ लोग अपनी वस्तुएं कहीं रख कर भूल जाते हैं तो कई लोग अपने मित्रों व पड़ोसियों इत्यादि को पहचानने में भी धोखा खा जाते हैं. यों तो मस्तिष्कीय क्षमताएं प्रकृति प्रदत्त होती हैं लेकिन फिर भी सतत प्रयासों द्वारा इन में आश्चर्यजनक वृद्धि की जा सकती है. याद्दाश्त का सीधा संबंध मस्तिष्क से है. इसलिए प्राय: हम उन चीजों को नहीं भूलते हैं जिन से हमारा सीधा संबंध होता है. लेकिन वे सारे कार्य, जिन्हें हम भारस्वरूप समझ कर करते हैं, मस्तिष्क पर अपनी अमिट छाप छोड़ने में समर्थ नहीं होते और हम उन्हें शीघ्र ही भूल जाते हैं.
फ्रांस के प्रधानमंत्री लियान मेंब्रेज विलक्षण याद्दाश्त के धनी थे. वे संसद में दिए गए विपक्षी नेताओं के भाषण तथा पिछले 10 वर्ष के संपूर्ण बजट को आंकड़ों सहित सुना सकते थे. यही नहीं सालोमन वेनियामिनोव नामक रूसी पत्रकार वर्षों पहले सरसरी तौर पर पढ़ी गई रेलवे समयसारिणी को बिना किसी असुविधा के दोहरा सकते थे. सच पूछिए तो ऐसी याद्दाश्त के धनी लोग विरले ही होते हैं.
जानिए, याद्दाश्त बढ़ाने के कुछ महत्त्वपूर्ण और कारगर उपाय :
बारबार दोहराएं
याद्दाश्त बढ़ाने तथा भूलने की क्रिया कम करने में याद की जाने वाली सामग्री की अधिकाधिक पुनरावृत्ति उपयोगी सिद्ध होती है. यदि कोई पाठ्यवस्तु केवल 3 या 4 बार पढ़ने से ही याद हो जाती है तो उस सामग्री को ग्रहण करने की शक्ति अपेक्षाकृत अधिक समय तक बनी रहती है. लेकिन यहां यह बता देना उपयुक्त होगा कि एक सीमा से अधिक बार याद करने से ग्रहण करने की शक्ति पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता है. निष्क्रिय पुनरावृत्ति के स्थान पर सक्रिय एवं सार्थक पुनरावृत्ति अधिक प्रभावशाली होती है.
धीरेधीरे याद करें
यदि याद की जाने वाली विषय सामग्री लंबी हो, तब उसे कई प्रयासों में धीरेधीरे ही याद करना चाहिए. परंतु यदि सामग्री छोटी हो, तो उसे एक ही बार में याद करना अधिक फायदेमंद होता है. शायद बहुत कम लोगों को यह पता है कि याद करने के बाद विश्राम करने से याद्दाश्त काफी सुदृढ़ होती है. अत: याद करने वाली सामग्री रात्रि में विशेषकर सोने से कुछ समय पूर्व पढ़ी जाए तो अच्छा होता है. कुछ विख्यात मनोवैज्ञानिकों ने भी अपने प्रयोगों द्वारा इस बात की पुष्टि की है.
उपयोगी तथ्यों पर ध्यान दें व टुकड़ों में याद करें
उपयोगी तथ्यों को सावधानीपूर्वक पढ़ना, समझना, दोहराना और आवश्यक होने पर नोट करना याद्दाश्त की वृद्धि में सहायक सिद्ध होते हैं. विषय के संक्षिप्तीकरण का तरीका भी तथ्यों को आसानी से याद रखने में सहायक होता है. पूरे विषय को संपूर्ण रूप से याद रखने के स्थान पर उसे छोटेछोटे शीर्षकों व उपशीर्षकों में बांट कर स्मरण करना आसान होता है. विद्यार्थियों को इस बात की भी जानकारी होनी चाहिए कि याद की जाने वाली सामग्री को भविष्य में पुन: स्मरण करना होगा. इस प्रकार सामग्री के प्रति मानसिक झुकाव उत्पन्न होता है जो निसंदेह बहुत फायदेमंद साबित होता है.
स्वास्थ्य दुरुस्त तो याद्दाश्त दुरुस्त
याद्दाश्त को ठीक रखने तथा उस में वृद्धि करने के लिए शरीर को स्वस्थ रखना भी अत्यंत आवश्यक है. नियमित रूप से व्यायाम करना व प्रात:कालीन भ्रमण करना न केवल चुस्तदुरुस्त रखता है बल्कि इस से याद्दाश्त में आश्चर्यजनक वृद्धि भी होती है. संतुलित आहार लेना, अधिक गरम और तेज मसालेदार खाद्य पदार्थों का सेवन न करना, सात्विक वातावरण में रहना इत्यादि तथ्य भी याद्दाश्त के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
इन बातों का भी रखें ध्यान याद्दाश्त बढ़ाने के लिए निम्न बातों को भी ध्यान में रखना आवश्यक है :
– याद करने के पश्चात खाली समय में महत्त्वपूर्ण तथ्यों को मन में दोहरा लेना चाहिए तथा बाद में भूले बिंदुओं का पुन: स्मरण करना चाहिए.
– विद्यार्थियों को अपने विषय के अध्ययन में पूरी अभिरुचि व एकाग्रता के साथ ही जुटना चाहिए.
– दूषित विचारों से बचना चाहिए.
– समयसमय पर पूर्व कंठस्थ सामग्री का भी अध्ययन करना चाहिए.
– स्मरण के बाद कुछ देर तक विश्राम अवश्य करना चाहिए.
– याद की जाने वाली सामग्री की अधिक से अधिक पुनरावृत्ति की जानी चाहिए.
आज तक कोई ऐसी चमत्कारिक औषधि नहीं बनी है जिसे खा कर विलक्षण याद्दाश्त प्राप्त की जा सके. वास्तविकता यह है कि यदि व्यक्ति में आत्मविश्वास तथा सच्ची लगन हो तो विलक्षण याद्दाश्त प्राप्त करना बिलकुल असंभव नहीं
आमतौर पर भूलने के 3 मुख्य कारण होते हैं :
1. किसी बात को स्मरण रखने की पूर्व इच्छा का अभाव होना.
2. प्रस्तुत विषय को पूरे मनोयोग से समझने का प्रयास न करना.
3. प्रसंग में अरुचि तथा उपेक्षा का भाव होना तथा उस के महत्त्व को स्वीकार न करना.