34 वर्षीय पाकिस्तानी कलाकार फवाद खान अपने अभिनय करियर की पहली पाकिस्तानी फिल्म ‘‘खुदा के लिए’’ व पाकिस्तानी सीरियल ‘‘जिंदगी गुलजार है’’ की वजह से एक अलग पहचान रखते हैं. वह ना सिर्फ चार्मिंग कलाकार हैं, बल्कि बहुत ही तहजीबदार हैं. वह बहुत ही इमोशनल और संजीदा इंसान हैं. पर वह अपने इमोशंस को सिर्फ अपने करीबों के बीच ही जाहीर करते हैं. वह अपने परिवार और कमिटमेंट के लिए कुछ भी कर सकते हैं. फवाद खान ने सोनम कपूर के साथ बौलीवुड फिल्म ‘‘खूबसूरत’’ से करियर शुरू किया था. अब उनकी दूसरी बौलीवुड फिल्म ‘‘कपूर एंड संस’’ अठारह मार्च को रिलीज हो रही है. करण जोहर निर्मित तथा शकुन बत्रा निर्देशित फिल्म ‘‘कपूर एंड संस’’ में सिद्धार्थ मल्होत्रा व आलिया भट्ट के साथ अभिनय किया है. मगर इस फिल्म में फवाद खान ने आलिया भट्ट के साथ किसिंग व इंटीमसी के सीन करने से इंकार कर दिया. क्योंकि वह किसी भी सूरत में अपने मूल पाकिस्तानी दर्शकों को आहत नहीं करना चाहते.

जी हां! यह कड़ा सच है. जब कुछ दिन पहले हमने मुंबई के नोवाटेल होटल में फवाद खान से एक्सक्लूसिब बातचीत की, तो उन्होने इस बात का खुलासा करते हुए कहा-‘‘यह सच है कि मैं फिल्मों में  किंसिंग सीन करने से परहेज करता हूं. देखिए, हम अपनी शर्ट को एक खास नाप से सीते हैं, जिससे वह हमारे शरीर पर फिट आ सके. मैने भी अपने काम को दर्शकों को ध्यान में रखकर ही तय किया. मगर मैं काम के कुछ पहलुओं को लेकर अलग सोच रखता हूं. मेरी यह सोच मेरे अपने वतन पाकिस्तान के दर्शकों की रूचि का ध्यान रखकर बनी है. मसलन-इंटीमसी के सीन हैं. मैं इस तरह के सीन परदे पर अंजाम नहीं दे सकता. मेरे जो मूल दर्शक हैं, उन्हे जो चीजें या सीन सहज नहीं करती हैं, उनसे बचने का मेरा प्रयास रहता है. पाकिस्तान में सिनेमा की स्थिति बहुत अलग रही है. कुछ समय पहले तक वहां का सिनेमा मृत प्राय था. अब धीरे धीरे अलग तरह का सिनेमा बनने लगा है. अब पाकिस्तान में ‘खुदा के लिए’ जैसी बोल्ड फिल्म बनने लगी है, जिसमें मैंने स्वयं अभिनय किया था. जैसे जैसे वहां सिनेमा की संख्या बढ़ेगी, वैसे वैसे चीजें ज्यादा खुलेंगी. दर्शकों की रूचि भी बदलेगी. पर जब तक ऐसा नहीं होता है, मैं उन्हे अपमानित या ग्लानि का अहसास नहीं कराना चाहता. फिलहाल,मेरी कोशिश यह है कि मैं जिस तरह की कहानियां बताना चाहता हूं,वह उन तक पहुंच जाएं. पर आप यह कहे कि मैं डरकर काम कर रहा हूं. तो ऐसा नहीं है. कलाकार के तौर पर हम डरकर काम नहीं कर सकते. डर मुझे भी होता है, मगर मैं उस डर को नजरंदाज कर देता हॅूं.’’

यानी कि पाकिस्तानी दर्शकों के साथ तारतम्य बनाए रखने के मकसद से ही आपने फिल्म ‘कपूर एंड संस’ में आलिया भट्ट के साथ किसिंग सीन व इंटीमसी के सीन करने से परहेज किया? इस सवाल के जवाब में फवाद खान ने कहा-‘‘जी हां! मैं खुद इस तरह के सीन करने में कम्फर्टेबल नहीं हूं. पर मैं ऐसा करने के लिए दूसरों पर दबाव नहीं डाल सकता. फिल्म का अनुबंध करने से पहले ही मैं अपने निर्माता व निर्देशक को बता देता हूं कि फिल्म में मैं क्या कर सकता हूं और क्या नहीं. यदि निर्माता या निर्देशक को उस वक्त लगता है कि उनकी फिल्म में उन दृश्यों का होना जरुरी है, जिन्हें मैं नहीं करना चाहता, तो वह किसी अन्य कलाकार के बारे में सोचने के लिए स्वतंत्र होता है. बालीवुड में अब तक कुछ फिल्मकारों ने मेरी बात को महत्व देते हुए सीन में बदलाव भी किया है. मैं ऐसे फिल्मकारों का आभारी हूं.’’

जब हमने फवाद खान से पूछा कि किसिंग सीन न करने का आपका निर्णय निजी पसंद का मसला है या पाकिस्तान में किसिंग सीन के बैन होने की वजह से आपने निर्णय कर रखा है? तो फवाद खान ने बड़ी बेबाकी से कहा-‘‘यह मेरी सबसे बड़ी बेवकूफी होगी यदि में यह कहूंगा कि मैं इस तरह की फिल्में देख सकता हूं, इस तरह के काम की प्रशंसा कर सकता हूं, पर मैं खुद इस तरह की फिल्म या इस तरह का काम नहीं करूंगा. मैं खुद किसी चीज को गलत नहीं मानता. किसी चीज को गलत न मानते हुए भी हमें कुछ चीजों का ख्याल रखना जरुरी होता है और किसिंग सीन उन्ही में से है. अगर हमारी पाकिस्तान के दर्शकों को इस तरह के दृश्यों पर आपत्ति न होती, तो मैं इंकार न करता. देखिए, अमरीका में बहुत सारा काम हो रहा है. वहां पर लोग पूरी तरह से न्यूड सीन भी कर रहे हैं. बैक न्यूड सीन भी देते हैं. पर वही सीन भारतीय कलाकार से करने के लिए कहेंगे, तो वह मना कर देंगे. भारतीय कलाकार कहेगा कि हमारे भारतीय दर्शक इसे स्वीकार नहीं करेगे.

जब हमने उनसे कहा कि वह यह मानते हैं कि दर्शकों ख्याल रखने की वजह से कलाकार सीमाओं में कैद होकर रह जाता है? तो इस बात को स्वीकार करते हुए फवाद खान ने कहा-‘‘बिलकुल! मैं कलाकार की अपनी पसंद और दर्शकों की रूचि के बीच एक सामंजस्य बैठाने का प्रयास करता रहता हूं. यदि फिल्म की कहानी में वह बातें हैं, जो कि हर इंसान की जिंदगी में होती हैं, जिसे दर्शकों में से किसी को तकलीफ नहीं होगी, तो वह करने से मैं परहेज नहीं करता. फिल्म भी दर्शक को शिक्षा देने का एक माध्यम होता है. बशर्ते फिल्म बेवजह लोगों को तंग करने के लिए न बनायी जा रही हो. देखिए, सच भी कड़वा होता है. तो कभी कभी इस सच के कड़वे घूंट को भी पीना चाहिए. इसका स्वाद लेना चाहिए. मैने पाकिस्तानी फिल्म ‘‘खुदा के लिए’’ की, जिसे दर्शकों ने पसंद भी किया. इसलिए मैं धीरे धीरे उस लाइन को क्रास करते हुए डार्क किरदार भी निभाना चाहता हूं. लोगो की सोच के अनुरूप वह किरदार अजीब कहे जा सकते हैं. कहने का अर्थ यह है कि हर किरदार को करते समय मैं यह नहीं सोच सकता कि लोग क्या कहेंगे? यदि मैं ऐसा सोचने लगा,तो फिर मैं कलाकार नहीं रह पाउंगा. कोशि करता हॅू कि बेवजह के विवादों को जन्म देने की बजाय कंटेंट पर ध्यान देते हुए काम करता रहूं. कोई ऐसी कहानी होनी चाहिए, जो दिल को छू कर चली जाए.’’

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