सवाल
मैं 32 वर्षीय महिला हूं. मेरी आंखों के इर्दगिर्द गहरे काले घेरे हैं. मेरी बड़ी बहन और मां को भी यह परेशानी है. ये घेरे किस कारण बनते हैं और इन से कैसे छुटकारा पाया जा सकता है?
जवाब
आंखों के आसपास की त्वचा का रंग मूलरूप से त्वचा को रंग प्रदान करने वाली मिलेनोसाइट्स कोशिकाओं के ऊपर निर्भर करता है. मिलेनोसाइट के कम रंगद्रव्य बनाने पर त्वचा का रंग साफ रहता है और अधिक सक्रिय होने पर गहरा हो जाता है. यह गुण कुछ हद तक आनुवंशिक होता है, जिस पर किसी का वश नहीं चलता.
लेकिन शरीर में खून की कमी हो जाए या कोई पूरी नींद न ले पाए तब भी आंखों के इर्दगिर्द काले घेरे बन जाते हैं. इस के अलावा जिन लोगों में नेत्र कोठर की गहराई अधिक होती है, उन में भी यह दोष दिखाई दे सकता है.
इन घेरों को हलका करने के लिए आप कुछ छोटे छोटे उपाय आजमा सकती हैं. पहली बात तो धूप में कम से कम निकलें ताकि मिलेनोसाइट्स कम से कम सक्रिय हों. दूसरी यह कि चेहरे पर हाईड्रोक्वीनोन क्रीम और विटामिन ई युक्त क्रीम लगाएं. इन से भी त्वचा के रंग में सुधार दिखेगा. तीसरी, यह कि रोजाना 7-8 घंटे की नींद जरूर लें. धीरेधीरे त्वचा का रंग निखरता जाएगा.
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नार्मल डिलीवरी चाहती हैं तो अपनाएं ये 5 टिप्स
एक लड़की का जीवन सीढ़ियों जैसा होता है वो एक ही जिंदगी में कई जिंदगियां जीती है पहले वो लड़की होती है अपने माता पिता की दुलारी. फिर शादी कर के ससुराल में जाती है तो वह बहु और बीवी कहलाती है लेकिन एक और पड़ाव आता है और वो है मां बनने का. इसमें वो औरत से मां तक का सफर तय करती है. यह उसके सामने सबसे बड़ा ख़ुशी का पल होता है. हालाकि यह 9 महीने का समय उसके लिये काफी कष्टदायी होता है लेकिन इसके बाद की खुशी के लिये वो शुक्रियाआदा करती है .और अगर उसका बच्चा नार्मल डिलीवरी से हो जाये तो यह उसके लिये और भी खुशी की बात होती है क्योंकि नार्मल डिलीवरी से वो खुद का और अपने बच्चे का ध्यान भी अच्छे से रख पाती है और न ही डिलीवरी के बाद कोई शारारिक कष्ट होता है.
लेकिन आज कल की हमारी दिनचर्या काफी भागदौड़ भरी होती है. ऐसे बिजी वक्त में खुद को स्वस्थ्य रख पाना महिलाओं के लिए मुश्किल हो गया है और पहले की तरह नौर्मल डिलीवरी करना नामुमकिन… क्योंकि पूरी प्रेग्नेंसी में महिलाओं को सभी काम करने पड़ते हैं, जिस वजह से वो फिजिकली और मेंटली नौर्मल डिलीवरी नहीं कर पाती. जानते हैं कुछ ऐसे टिप्स जिनको अपना कर नार्मल डिलीवरी की उम्मीद की जा सकती है.
तनाव से रहे दूर
सबसे पहले आप को अपनी लाइफ से तनाव को बिल्कुल दूर करना होगा. क्योंकि तनाव की वजह से प्रेगनेंसी में जटिलताएं आ सकती हैं. जिसका सबसे अधिक प्रभाव आप पर और अंदर पल रहे बच्चे पर पड़ेगा. तो कोशिश करें कि आप परेशानी में भी खुश रहें. ऐसे में आप किताबें पढ़ें, दूसरों से बात करें और हमेशा अच्छा सोचें और जो काम आपको करना पसंद है उस काम में लगे.
व्यायाम करें
प्रेग्नेंसी के दौरान व्यायाम बहुत ज़रूरी है. क्योंकि इस दौरान शरीर के भारी वजन से आपको जौइंट्स में दर्द, अकड़न जैसी तकलीफ हो सकती है. इससे बचने के लिए किसी एक्सपर्ट के साथ व्यायाम करें. इनसे आपकी पेल्विक मसल्स और थाइज स्ट्रौंग बनेंगी, जिससे आपको लेबर पेन में दर्द कम होगा. ध्यान रहे बिना एक्सपर्ट के कोई भी एक्सरसाइज ना करें.
खान पान का रखें ध्यान
प्रेगनेंसी के वक्त खानपान का ध्यान अवश्य रखें क्योंकि आप ही का खाया हुआ बच्चे तक पहुंचता है यदि आप ज्यादा खाते हैं तो वो भी बच्चे के लिये समस्या बन सकता है और भूखा रहना भी.
पानी अधिक पिए
पानी हर किसी के लिए ज़रूरी है, लेकिन प्रेग्नेंसी के दौरान ये और भी ज़रूरी हो जाता है. इससे आपको लेबर के दौरान होने वाले दर्द को सहने की शक्ति मिलेगी. इसीलिए सिर्फ पानी ही नहीं बल्कि ताजे फलों का जूस और एनर्जी ड्रिंक्स भी लेती रहें.
ज्यादा देर खड़े न रहे
अगर आप काम कर रहे हैं तो ज्यादा देर तक खड़े न रहे इससे आपके पैरो में दर्द होगा और बच्चे का प्रेशर भी नीचे की तरफ बढ़ेगा इसलिए थोड़ी थोड़ी देर में आराम करती रहें.