अक्षत मिठाई का डब्बा ले कर घर लौटा, तो घर में सभी उसे देखते ही समझ गए कि उस की नौकरी लग गई है. सब ने बड़ी गर्मजोशी से उसे बधाई दी. अक्षत भी बहुत खुश था.

तभी अक्षत का सहपाठी राजन उस के घर आया और बोला, ‘मैं गैलेक्सी इंटरनैशनल में मार्केटिंग ऐग्जीक्यूटिव अपौइंट हो गया हूं और सैलरी का पैकेज है पूरे 6 लाख, 60 हजार रुपए. लो मिठाई खाओ,’ कहते हुए उस ने मिठाई का डब्बा अक्षत की तरफ बढ़ा दिया.

अक्षत उस की बात सुन कर हैरान रह गया. वह बोला, ‘‘अरे, क्या बात कर रहा है. गैलेक्सी इंटरनैशनल में तो मैं भी अपौइंट हुआ हूं. वह भी 6 लाख के पैकेज पर… बधाई तू मुझे दे…’’

दोनों की खुल कर बातें हुईं तो पता चला कि दोनों एक ही कंपनी की अलगअलग शाखाओं के लिए मैनेजर अपौइंट हुए हैं, लेकिन सैलरी के मामले में राजन ने बाजी मार ली थी, क्योंकि उस ने मैनेजर के साथ अच्छी तरह नेगोशिएट किया था, जबकि अक्षत ने कंपनी द्वारा बताई गई सैलरी को बिना कुछ कहे स्वीकार कर लिया था. सचाई का पता चलने पर अक्षत उदास हो गया, लेकिन अब कोई उपाय नहीं था.

आप भी अपने संभावित एंप्लौयर से बातचीत करते समय सैलरी के मामले में जरा खुल कर बात कर लें. ध्यान रहे, नौकरी हासिल करने की उतावली में कंपनी द्वारा दिए गए औफर को बिना मोलभाव के स्वीकार कर लेने से आप को अपने दीर्घअवधि के कैरियर में लाखों रुपए का नुकसान हो सकता है. बात पक्की करने जाएं तो इन बातों का ध्यान जरूर रखें :

मार्केट की अपडेट जानकारी रखें

कोई भी नया बिजनैस शुरू करने से पहले मार्केट में डिमांड और सप्लाई, मौजूदा प्रतिद्वंद्वियों की संख्या, कच्चे माल की उपलब्धता और रिस्क का आकलन करने की जरूरत होती है, वैसे ही जौब के मामले में भी कुछ रिसर्च वर्क करना पड़ता है. आप जहां नौकरी करने जा रहे हैं उस कंपनी के बारे में पूरी जानकारी रखें, अपनी योग्यता और अनुभव के आधार पर जिस पद के लिए आप अप्लाई कर रहे हैं उस की दूसरी कंपनियों में क्या स्टैंडर्ड सैलरी है आदि चीजों की जानकारी अवश्य रखें. जानकारी एकत्रित करने के कई सोर्स हो सकते हैं, लाइन में मौजूद परिचित, कैरियर या रिकू्रटमैंट सलाहकार या इंटरनैट.

गरज न दिखाएं

माना कि आप को काम की काफी जरूरत है, लेकिन अच्छी तनख्वाह चाहिए, तो गरज दिखाने से काम नहीं चलने वाला. आप फलसब्जी या साड़ी खरीदने जाते हैं, तो भाव कम करवाने के लिए ‘जरूरत नहीं’ वाले अंदाज में आगे बढ़ जाते हैं न. तभी तो भाव कम होते हैं. लेकिन आप वहां खड़े ही रहेंगे, तो भाव कम होने वाले नहीं. कुछ ऐसा ही रवैया यहां दिखाना पड़ता है. आप की गरज का संकेत मिलते ही एंप्लौयर सैलरी घटा कर बोलेगा. बातचीत या पत्राचार नपेतुले अंदाज में करने पर ही आप सर्वोत्तम वेतन पाने की उम्मीद कर सकते हैं.

कंपनी को बताएं अपना मोल

अच्छा वेतन पाना है, तो आप को अपनी भावी कंपनी को यह बात बतानी होगी कि आप इस पद के लिए कैसे एक योग्य कर्मचारी साबित होंगे और कंपनी के मौजूदा कार्य को कैसे इम्प्रूव कर सकते हैं. आप को नियुक्त करने से कंपनी को क्याक्या फायदे हो सकते हैं और आप जो वेतन लेंगे वह किस तरह कंपनी को मिले लाभ के सामने नगण्य है.

अपने पैर मजबूत रखें

जाहिर सी बात है कि पैरों तले की जमीन ठोस न हो तो व्यक्ति ज्यादा देर नहीं टिक सकता. आप किसी रोजगारदाता का शुरुआती औफर ठुकराने का साहस तभी बटोर सकते हैं, जब आप की वित्तीय स्थिति इस लायक हो कि आप दोचार महीने बिना नौकरी के बिता सकें. इसलिए कुछ महीने की बचत हाथ में होना या आय के वैकल्पिक स्रोत का होना बेहद जरूरी है वरना आप को ‘जो मिल रहा है वह तो लपको’ के फार्मूले पर ही काम करना पड़ेगा.

अपने सारे पत्ते न खोलें

भावी एंप्लौयर को अपनी पिछली सैलरी व नौकरी के बारे में अन्य बातें खुल कर बताने की गलती न करें. अपनी योग्यताओं जौब प्रोफाइल आदि के बारे में बताएं. घुमाफिरा कर एंप्लौयर आप के घर खर्च, किराए आदि के बारे में जानकारी हासिल करना चाहे, तो गोलमोल जवाब दें.

पगार की पहल एंप्लौयर को करने दें

वेतन से संबंधित चर्चा रोजगारदाता को शुरू करने दें. कई बार नौसिखिए उम्मीदवार खुद सैलरी की बात पूछ कर अपना अनाड़ीपन जाहिर कर देते हैं. अनुभवी एंप्लौयर समझ जाता है कि सामने वाला इस मैदान का नया खिलाड़ी है, सस्ते में पटेगा. वहगेंद आप के पाले में डाल कर आप से एक फिगर उगलवाएगा और फिर उसे कम करने की कोशिश करेगा, जबकि शुरुआत उस के द्वारा करने से आप को नेगोशिएट करने का चांस मिलता है.

मौखिक बात पर भरोसा न करें

कई बार हायरिंग मैनेजर चिकनीचुपड़ी बातें कर के उम्मीदवार को सातवें आसमान पर चढ़ा देते हैं. वे कुछ इस तरह कहते हैं, ठीक है, आप शुरुआत तो कीजिए, हम 6 महीने बाद आप की सैलरी बढ़ा देंगे. अगर वह ऐसा कमिटमैंट करे, तो उस से लिखित में मांगें. लिखित न दें तो समझ जाएं कि यह सिर्फ वादा ही है, जो निभाने के लिए नहीं है.

इन बातों पर भी चर्चा करें

नौकरी पक्की करते वक्त बोनस, छुट्टियां, छमाही रिव्यू, फ्लैक्सी टाइम आदि विषयों पर भी चर्चा कर लें. बोनस या वेतनवृद्धि की पौलिसी, 3 साल में एक बार लंबी छुट्टी, पेड लीव, मैटरनिटी लीव आदि के संबंध में भी खुल कर बात करना फायदेमंद रहता है.        

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