बिग बॉस 13 के विनर और टीवी एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला का महज 40 साल की उम्र में हार्ट अटैक से निधन हो गया. जिससे हर कोई सदमे में हैं. उनके फैंस इसलिए भी दुखी और हैरान हैं क्योंकि वो एक हेल्दी पर्सन थे और फिटनेस का पूरा ख्याल रखते थे. फिर भी वो हार्ट अटैक का शिकार हो गए.
मौजूदा समय में बदलती लाइफस्टाइल और तनाव के बीच आम लोग भी इस समस्या से जूझ रहे हैं. ऐसे में कुछ खास बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. ताकी आपका दिल स्वस्थ रहे.
दिल शरीर का ऐसा अंग है जो एक बार धड़कना शुरू करता है तो अंतिम सांस तक धड़कता रहता है. औसतन यह 1 मिनट में 72 बार धड़कता है. सब से कीमती अंग होने की वजह से यह बेहद सम्मान और देखभाल का हकदार है. हार्ट की समस्याएं या तो जीवनशैली की वजह से हो सकती हैं या जन्मजात (कौंजीनिटल हार्ट डिजीज) होती हैं.
जन्मजात दिल के रोग : ज्यादातर मामलों में दिल के जन्मजात रोगों की रोकथाम संक्रमण से बचाव कर के और गर्भधारण के पहले 3 महीनों में दवाएं न ले कर की जा सकती है. अगर नवजात या गर्भ में पल रहे बच्चे को दिल की कोई बीमारी हो तो जितनी जल्दी हो सके उस का इलाज करना चाहिए ताकि भविष्य में होने वाली जटिलताओं से बचा? जा सके.
रिह्यूमैटिक दिल का रोग : यह दिल की एक आम बीमारी है जो युवाओं में पाई जाती है. यह बीमारी अकसर स्कूल जाने वाले उन बच्चों को हो जाती है जिन्हें गठिया की वजह से बुखार हो जाता है. इस बीमारी को पूरी तरह से रोका जा सकता है. अभिभावकों को चाहिए कि वे जब बच्चे का गला खराब हो या खांसी हो तो डाक्टर से जांच कराएं और रिह्यूमैटिक बुखार है या नहीं, इस का पता लगाएं. दूसरों तक संक्रमण न फैले, इस के लिए खांसी ठीक हो जाने तक बच्चे को स्कूल नहीं भेजना चाहिए.
हृदयधमनी रोग : हर रोज तनाव, सफर, छोटे परिवार व कार्यस्थल व घर पर संतुलन बनाने के बढ़ते दबाव के चलते लोग अस्वस्थ जीवनशैली अपना लेते हैं. नींद आधी हो जाती है, खाने में अत्यधिक ट्रांस फैट वाला जंक फूड शामिल हो जाता है जिस से रक्तचाप बढ़ जाता है और लोग सिगरेट व शराब का सहारा लेने लग जाते हैं. यह सब मिल कर डायबिटीज और हाइपरटैंशन का कारण बनते हैं, जो हृदयधमनी रोग को जन्म देते हैं. जीवनशैली से जुड़े सभी रोग टाले जा सकते हैं बशर्ते शुरुआत में ही उचित सावधानियां बरती जाएं.
भोजन से रोकें हृदयधमनी रोग
क्या आप ने कभी सोचा है कि जानवरों में जीवनशैली की समस्याएं जैसे उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, मोटापा, कैंसर, ओस्टियोपोरोसिस, दिल का दौरा, मेटाबौलिक सिंड्रोम, बढ़ा हुआ लिवर और पौलिसिस्टक ओवेरियन रोग क्यों नहीं होते. इस का सीधा कारण है कि वे प्राकृतिक नियमों के अनुसार जीते हैं. एक संतुलित और स्वस्थ जीवनशैली इन सभी रोगों को रोकने व ठीक करने का कारगर मंत्र है. स्वस्थ जीवन के लिए सब से पहला कदम है सही वजन होना. अल्प आहार की सनक, तनावपूर्ण कार्यस्थल लोगों को कंफर्ट फूड खाने के लिए उत्साहित करते हैं, दिनभर की डैस्क जौब और साइज जीरो की सोच तेजी से लोगों में उचित वजन और संपूर्ण आहार की परिभाषा को बदल रही है. ज्यादातर लोगों को यह बात पता नहीं है कि उन के वजन के मुताबिक तीनगुना ज्यादा कैलोरीज की उन्हें जरूरत होती है बल्कि भोजन से उन्हें मैक्रो और माइक्रोन्यूट्रैंट्स भी मिलने चाहिए.
मैक्रोन्यूट्रैंट्स खाने के रासायनिक तत्त्व होते हैं जैसे कि कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, वसा जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं और इन की बड़ी मात्रा में जरूरत होती है, माइक्रोन्यूट्रैंट्स की जरूरत कम मात्रा में होती है जिन में कई मिनरल और विटामिन शामिल हैं. अगर इन का सेवन उचित मात्रा और संतुलित रूप से नियमित व्यायाम के साथ किया जाए तो ये हमारी जीवनशैली से होने वाली सभी आम समस्याओं से हमें बचाते हैं. सेहतमंद भोजन का मंत्र है 7 रंगों और 6 स्वादों वाला भोजन खाना. खाने का हर रंग एक किस्म के विटामिन का संकेत होता है यानी लाल सेब से लाइकोपीन, हरी पत्तेदार सब्जियों और फलों से बी कौंपलैक्स और संतरी खाद्य पदार्थों से विटामिन सी मिलता है. इसी तरह मीठे, कड़वे व नमकीन स्वाद से वजन बढ़ता है और इस के विपरीत तीखे, कसैले व कड़वे स्वाद से वजन कम होता है.
सेहतमंद जिंदगी का फार्मूला
उम्र के 80वें वर्ष में भी आप का दिल स्वस्थ रहे, इस के लिए इन फार्मूलों पर ध्यान दें: अपने पेट का घेरा 80 सैंटीमीटर से कम रखें : पेट के घेरे को एडिपौसिटी भी कहा जाता है. पुरुषों में मोटापा आम समस्याओं को जन्म देने के अलावा जानलेवा भी माना जाता है. पेट के मोटापे से ग्रस्त लोगों में संपूर्ण मोटापे वाले लोगों के मुकाबले दिल की बीमारियां, डायबिटीज, हाइपरटैंशन और डिसलिपिडेमिया से पीडि़त होने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं. किसी का बौडी मास इंडैक्स और कमर का घेरा माप कर उस के मोटापे का पता लगाया जा सकता है. कमर का घेरा लचीले टेप से इलियिक क्रेस्ट से समतल सतह पर बाहर से मापा जाता है. वयस्कों में बौडी मास्क इंडैक्स (बीएमआई) अगर 23 किलोग्राम/एम2 हो और कमर का घेरा 80 सैंटीमीटर से ज्यादा हो तो इसे हाइपरटैंशन, टाइप 2 डायबिटीज, डिसलिपिडेमिया और दिल के रोगों के खतरे से जोड़ा जाता है.
उच्च रक्तचाप को निम्न स्तर 80 पर रखना : उच्च रक्तचाप आम जीवनशैली से जुड़ी बीमारी है जिस में रक्त धमनियों में खून का बहाव बहुत तेज होता है जो कई बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर देता है. ब्लडप्रैशर दिल द्वारा रक्त को पंप किए जाने की मात्रा और धमनियों में इस के बहाव के दबाव के हिसाब से मापा जाता है. दिल जितना ज्यादा रक्त पंप करता है और रक्त धमनियां जितनी संकरी होती है, ब्लडप्रैशर उतना ही ज्यादा होता है. अगर इसे सही तरह से नियंत्रित न किया जाए तो यह दिल, दिमाग, किडनी और आखों को पक्के तौर पर नुकसान पहुंचा सकता है. 2 दशकों तक कोई भी लक्षण नजर न आने की वजह से इसे साइलैंट किलर भी कहा जाता है. अगर किसी को उच्च रक्तचाप हो तो उसे तुरंत मैडिकल सलाह लेनी चाहिए. रक्तचाप के उच्च स्तर को सिस्टौलिक और निम्न स्तर को डायस्टौलिक ब्लडप्रैशर कहा जाता है. उच्च और निम्न रक्तचाप में 40 एमएमए एचडी से ज्यादा का अंतर नहीं होना चाहिए. हर उम्र के लोगों में उच्च रक्तचाप 120 से कम और निम्न स्तर पर 80 होना चाहिए.
ब्लडशुगर 80 से कम रखें : खाली पेट ब्लडशुगर अगर 80 एमजी प्रतिशत से ज्यादा हो तो मैकरोवैस्कुलर डिजीज (हार्ट अटैक, लकवा, और फेरीफर्ल वैस्कुलर डिजीज) होने का खतरा रहता है. दिल के सभी रोगों से बचने के लिए ब्लडशुगर का स्तर हमेशा 80 एमजी प्रतिशत से कम होना चाहिए
बैड कोलैस्ट्रौल का स्तर 80 एमजी से कम हो : भारतीयों में एलडीएल बैड कोलैस्ट्रौल की सही मात्रा 80 एमजी प्रतिशत से कम होनी चाहिए.
धड़कन प्रति मिनट 80 बार से कम हो : आरामदायक हालत में दिल की धड़कन जितनी ज्यादा होगी, अचानक मृत्यु होने का खतरा उतना ही ज्यादा होगा. बेहतर स्थिति बनाए रखने के लिए दिल की धड़कन हमेशा 80 बार प्रति मिनट से ज्यादा न होने पाए. साल में 80 दिन अनाज से परहेज करें : हम जितना कम खाएंगे उतना ज्यादा जिएंगे. विज्ञान यही कहता है कि साल में 80 दिन अनाज का त्याग करें. हर रोज अनाज खाने से खासतौर पर रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट्स (सफेद चीनी, सफेद मैदा और सफेद चावल) खाने से इंसुलिन का स्तर बढ़ता है और इंसुलिन से प्रतिरोधक क्षमता कम होती है. कम कैलोरी लेने से हार्ट अटैक होने की संभावना कम होती है. किसी भी भोजन में एक समय में 80 से ज्यादा कैलोरी नहीं लेनी चाहिए.
80 मिनट व्यायाम करें : हर रोज 80 मिनट तक व्यायाम करें. 1 मिनट में 80 कदम चलना और हफ्ते में 80 मिनट चलना दिल की सेहत के लिए अच्छा होता है.
(लेखक इंडियन मैडिकल एसोसिएशन के महासचिव व जानेमाने कार्डियोलौजिस्ट हैं)