खेल बीसीसीआई का
एक तरफ विराट कोहली की अगुआई में टीम इंडिया बंगलादेश में टैस्ट सीरीज को ले कर उत्साहित थी तो वहीं पूर्व खिलाड़ी राहुल द्रविड़ को नई जिम्मेदारी मिलने से खुशी है. भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ को बीसीसीआई ने भारत ए और अंडर-19 टीम का कोच नियुक्त किया है. इस से ठीक पहले बीसीसीआई ने भारत के 3 दिग्गजों, जो अब रिटायर्ड हो चुके हैं- सचिन तेंदुलकर, वीवीएस लक्ष्मण और सौरव गांगुली को अपनी सलाहकार समिति में जोड़ने की घोषणा की थी. राहुल को भी यह औफर दिया गया था पर उन्होंने सलाहकार समिति में शामिल होने से इनकार कर दिया था. तब से अटकलें लगाई जा रही थीं कि राहुल को नई जिम्मेदारी मिलेगी. पर सवाल उठता है कि द्रविड़ ने आखिर सलाहकार समिति में आने से मना क्यों कर दिया? इस के पीछे कहा जा रहा है कि गांगुली जहां होंगे वहां द्रविड़ नहीं होंगे क्योंकि दोनों की आपस में हमेशा से तनातनी रही है. इस बात में कितनी सचाई है, शायद क्रिकेट के दिग्गज भी न बता पाएं क्योंकि बीसीसीआई में कोई भी काम रहस्यमयी ढंग से होता है और वहां पारदर्शिता के बारे में सोचना ही गलत होगा. वहां घपलों की भरमार है और बीसीसीआई में कुंडली मार कर बैठे आकाओं को लगता है कि कोई खिलाड़ी इन घपलों का परदा उठा न दे इसलिए वे कुछ ऐसे खिलाडि़यों को अपने साथ रखना चाहते हैं ताकि वक्त आने पर उन का इस्तेमाल कर सकें. यह तो जगजाहिर है कि बीसीसीआई को चलाने वाले धनकुबेरों के अलावा राजनेता और कुछ पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी भी हैं.
बीसीसीआई को न तो खेल की गुणवत्ता की चिंता है और न ही खिलाडि़यों को बेहतर बनाने की, उसे सिर्फ चिंता है तो पैसों की. शायद इसी डर से कुछ खिलाडि़यों को वह पैसों के दम पर अपने पाले में रखना चाहता है ताकि वे उस के खिलाफ मुंह न खोलें. वैसे भी टीम में जो मौजूदा खिलाड़ी हैं वे कभी भी बीसीसीआई के खिलाफ मुंह खोलते नहीं देखे गए हैं क्योंकि अगर वे ऐसा करेंगे तो वे भलीभांति समझते हैं कि उन का हश्र क्या होगा. और जो नए खिलाड़ी तैयार हो रहे हैं, वे तो बीसीसीआई के खिलाफ बोलने का सोचेंगे भी नहीं. तो फिर बीसीसीआई के अंदर भ्रष्टाचार और भाईभतीजावाद के खिलाफ बोलेगा कौन, यह बड़ा सवाल है.
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फीफा की चमक फीकी
फीफा फुटबाल विश्वकप की जब शुरुआत होती है तो पूरी दुनिया के खेलप्रेमी मस्ती में झूम उठते हैं और रातरात भर जाग कर खेल का आनंद उठाते हैं. पर यह बात पुरुष वर्ग के फुटबाल विश्वकप में होती है. लेकिन इन दिनों फीफा महिला फुटबाल विश्वकप की खुमारी लोगों के सिर चढ़ कर बोल रही है पर उतना नहीं जितना कि पुरुष वर्ग के खेल में देखी जाती है. वैसे वैंकूवर, एडमेटन, विनिपेग, मोकटोन ओटावा और मौंट्रियल में होने वाले मैचों के लिए 10 लाख से अधिक टिकट बिक चुके हैं. कनाडा और चीन में चल रहे इस विश्वकप में 8 देशों की महिला खिलाड़ी अपना दमखम दिखाने में लगी हुई हैं, जिन में सब से प्रबल दावेदार जरमनी और अमेरिका को माना जा रहा है. फीफा इन दिनों भ्रष्टाचार के मामले को ले कर उलझा हुआ है और 5वीं बार अध्यक्ष चुने जाने के बाद सेप ब्लाटर को इस्तीफा देना पड़ा लेकिन फीफा को उम्मीद है कि इस से फर्क नहीं पड़ने वाला है. वैसे कनाडा फुटबाल प्रमुख विक्टर मोंटेग्लियानी का मानना है कि यह टूर्नामैंट फुटबाल के इतिहास के सब से खराब दौर के लिए आशा की किरण बनेगा. भले ही अधिकारी कुछ भी कह लें पर फीफा में भ्रष्टाचार के चलते उस की चमक घटी है. और ऐसा न हो कि यह टूर्नामैंट बेनूर हो जाए. इस टूर्नामैंट में 4-4 टीमों के 6 ग्रुप हैं. कुल 16 टीमें दूसरे राउंड में प्रवेश करेंगी. विश्वविजेता टीम को 20 लाख डौलर का पुरस्कार दिया जाएगा और 5 जुलाई को वैंकूवर में फाइनल मैच खेला जाएगा.