Religion : चप्पल पहन कर मंदिर को मत छुओ, भगवान नाराज हो जाएंगे और दंड देंगे. मधु ने अपने 4 साल के बालक को खेलतेखेलते घर में बने मंदिर को हाथ लगाते देखा तो चिल्ला उठी.
भगवान कहां हैं?
दिख नहीं रहा, वो मंदिर में विराजमान हैं.
वो तो स्टैच्यू है. वो दंड कैसे देगा? वो तो चल भी नहीं सकता.
बालक ने अपने निश्छल भोले मन ने सच उजागर कर दिया.
मगर मां ने भगवान का डर मन में बिठाने के लिए 4 साल के मासूम को थप्पड़ जड़ दिया. उस के बाद पिता ने भी डांटफटकार करते हुए मासूम के सामने भगवान का हौआ खड़ा किया.
धर्म और भगवान दोनों इंसान पर जबरदस्ती लादे गए हैं. इंसान अपने कुदरती रूप में ही बहुत अच्छा और शुद्ध पैदा होता है और बिना धर्म व भगवान के वह बहुत अच्छा इंसान बन सकता है. अब चूंकि धार्मिक और अंधविश्वासी लोगों की जनसंख्या इस धरती पर बहुत ज्यादा है लिहाजा वह हर नए बच्चे को अपनी तरह ही बना लेती है. हो सकता है एक जमाने में सोसायटी को चलनेचलाने के लिए लोगों ने धर्म बनाया हो. मगर अब हमारी सोसायटी को चलने के लिए एक अलग व्यवस्था है. और ऐसे में अब ये धर्म हमारी प्रगति में लंगड़ी मारने के सिवा किसी काम के नहीं हैं.
इस बात को क्या नकार सकते हैं कि धर्म के नाम पे ही धरती सब से ज्यादा लहूलुहान हुई है और हो रही है. ईश्वर यदि सबकुछ देख रहा होता तो गाजा में भूख और बम से मरने वालों की पीड़ा को क्यों नहीं देख पा रहा है? बम चलाने वालों को दंड क्यों नहीं दे रहा? एक मुट्ठी चावल के लिए कटोरा ले कर रोतेगिड़गिड़ाते मासूमों का दर्द उसे दिखाई नहीं दे रहा? वह सिंथेटिक दूध बना कर नन्हेनन्हे बच्चों की रगों में जहर भरने वालों को दंड क्यों नहीं दे पाता? अगर धर्म एक अच्छे इंसान होने का सर्टिफिकेट होता तो इस दुनिया में कोई समस्या ही न होती, धर्म के नाम पर या संप्रदाय के नाम पर की जाने वाली हत्याएं न होतीं. दरअसल, न तो वो कहीं है और न कुछ देख सकता है. भगवान, ईश्वर, अल्लाह सब मनुष्य के रचे काल्पनिक नाम और सब से ज्यादा विश्वास के साथ बोला जाने वाला झूठ है. Religion