Donald Trump : अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की खब्ती नीतियां पूरे देश में ऐसा वायरस उगा रही हैं जिस से अमेरिका 10-15 सालों में थर्ड वर्ल्ड कंट्री बन जाए तो बड़ी बात नहीं. जैसे भारत में हिंदू मुसलमान कर के समाज को 2 हिस्सों में बांट दिया गया है कुछ वैसे ही ट्रंप ने अमेरिका में लोगों को बांट डाला है. दूसरी बार सत्ता में आने के बाद ट्रंप ने अवैध घुसपैठियों को पकड़ने के लिए भारी हथियार लिए, बुलेटप्रूफ वरदी पहने, मास्क लगाए अर्धसैनिकों को कैलिफोर्निया के लौस एंजेल्स में भेज दिया जिस से वहां के स्थानीय लोग उबल पड़े.

यह न सिर्फ जनता की इच्छा जाने बिना किया गया बल्कि वहां के चुने हुए गवर्नर को भी बताए बिना किया गया. वाशिंगटन की पुलिस को राज्य की पुलिस का कोई सहयोग नहीं मिला और अब इस खूबसूरत शहर में दंगों, आगजनी, गिरफ्तारियों, जुलूसों, धरनों, हाथापाई का दौर चल रहा है जहां का हौलीवुड सारी दुनिया में जाना जाता है.

घुसपैठिए अमेरिका का भला ही कर रहे हैं, बुरा नहीं. ये गरीब, अनपढ़अधपढ़, छोटे काम करने वाले सौदोसौ डौलर महीना कमाने के लिए हजारों डौलर खर्च कर के खुशहाल देश अमेरिका में आए थे पर अब ट्रंप प्रशासन द्वारा उन्हें खलनायक बना डाला गया है व जंजीरों में बांध कर मवेशियों की तरह गाडि़यों में ठूंसा जा रहा है. उन्हें कईकई दिनों तक भूखा रखा जा रहा है. उन के साथ वही बरताव हो रहा है जो 400 साल पहले अफ्रीका से काले गुलामों को यूरोपीय बंदूकों के बल पर जहाजों में भर अमेरिका लाने के लिए किया गया था.

आधे से ज्यादा अमेरिकी इस से सहमत नहीं पर ये वे अमेरिकी हैं जो पढ़ेलिखे हैं और सड़कों पर एक बेवकूफ नेता के नाम पर नारे नहीं लगा सकते. रेड हैट पहने मागा (मेक अमेरिका ग्रेट अगेन) एक तरह का संप्रदाय बन गया है जो जरमनी के नाजियों की तरह अमेरिका को शुद्ध गोरे ईसाइयों का देश बनाना चाहता है. शिक्षित अमेरिकी समझते हैं कि अमेरिका ने हर तरह के लोगों का खुल कर स्वागत किया था. बहुतों को तो अपने यूरोपीय जन्म का इतिहास भी नहीं मालूम.

यही कट्टर लोग अब, सिर्फ चर्च के कहने पर, अमेरिकी-अमेरिकी में खाई पैदा कर रहे हैं. वे बहाना यह कर रहे हैं कि पुलिस उन्हें ही पकड़ रही है जो बिना कागजों के अमेरिका में रह रहे हैं. असल में निशाना हर गैरगोरा है, वे काले भी हैं जो 400 साल पहले आए थे. उन्हें यह कह कर डराया जा रहा है कि अगर उन्होंने बाद में अपनी मरजी से आए लोगों का साथ दिया, तो उन की खैर नहीं.

लौस एंजेल्स के निवासी इस बात को समझ रहे हैं और हर कदम पर ट्रंप की बिगड़ैल फोर्स का विरोध कर रहे हैं. वे उन गोरों का विरोध कर रहे हैं जो अनर्गल झुठ फैला रहे हैं कि ये लोग अपराधी हैं, जुर्म करते हैं, पालतू कुत्तेबिल्लियां खा जाते हैं, सड़कों पर लूट के लिए जिम्मेदार हैं वगैरह.

आंकड़े बताते हैं कि गोरों और गैरगोरों के अपराधी होने में फर्क नहीं. फर्क इतना है कि अदालतें गोरों को बरी कर देती हैं, गैरगोरों को लंबी सजा दे देती हैं. अदालतों में जज, वकील, जूरी चाहे गैरगोरे हों लेकिन वे अपने को गोरों के एहसान तले होना दर्शाते हुए पकड़े गए अपराधी को उस की स्किन के रंग से ही उसे वास्तविक अपराधी करार दे देते हैं.

लौस एंजेल्स के बाद ऐसे प्रदर्शन अमेरिकाभर में हो रहे हैं. वे जुलाई, जो अमेरिका का स्वंत्रता दिवस है, को भी हुए. अगर ये ट्रंप के अमेरिका के नष्ट होने से बचा सकें तो बड़ी बात होगी वरना अमेरिका भी ईरान, उत्तरी कोरिया और अफगानिस्तान की तरह ‘महान’ बनेगा, इस में शक नहीं.

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