Bollywood : फिल्म इंडस्ट्री में कुछ ऐसे नाम हैं जिन का चेहरा भले ही सक्रीन पर न दिखता हो मगर स्क्रीन पर दिखने वालों का चेहरा चमकाने में उन का हाथ होता है. ऐसे ही एक हैं सय्यद मुसर्रत, जिन्होंने बड़ेबड़े स्टार्स का मेकअप किया और उन के किरदारों को जीवंत बना दिया.

फिल्में देखते हुए लोग कलाकार की सुंदरता की तारीफ करते नहीं थकते. फिल्म में किसी भी किरदार में कलाकार को देख कर लोग उस के फैन बन जाते हैं पर लोगों का ध्यान इस बात पर नहीं जाता कि फिल्मी परदे पर वे जो कुछ देख रहे हैं, वह नकली है. कलाकार को सिनेमा के परदे पर सुंदर बनाने के पीछे सारा कमाल मेकअप आर्टिस्ट का होता है, जोकि इन का मेकअप करता है, इन के किरदार की मांग के अनुसार दाढ़ी, मूंछ व गेटअप बना कर इन्हें सजाता है.

ऐसे ही एक मेकअप आर्टिस्ट हैं सय्यद मुसर्रत, जिन्हें बौलीवुड में काम करते हुए 50 वर्ष पूरे हो गए हैं. मेकअप आर्टिस्ट के तौर पर काम करते हुए सय्यद मुसर्रत अब तक संजीव कुमार, रेखा, अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार, नीतू सिंह, प्राण, के एन सिंह सहित कई दिग्गज कलाकारों को सजासंवार चुके हैं. उन से बातचीत करना बेहद दिलचस्प रहा.

सब से पहले उन से पूछा कि आप क्या मेकअप आर्टिस्ट बनने के लिए मुंबई आए थे तो उन्होंने जवाब दिया कि वे दूसरे युवाओं की तरह राजस्थान के कोटा शहर से फिल्म में हीरो बनने के लिए ही मुंबई आए थे.

स्वतंत्र रूप से बतौर मेकअप मैन आप के कैरियर की शुरुआत कब व कैसे हुई थी? इस सवाल के जवाब में सय्यद मुसर्रत ने बताया, ‘‘मैं ने शुरुआत में बतौर मेकअप आर्टिस्ट ‘बग्गा डाकू’, ‘संतो बंतो’ सहित दर्जनों बड़ीबड़ी पंजाबी फिल्में कीं. उस के बाद मुझे निर्देशक जे एस गौतम की हिंदी फिल्म ‘बेटी’ मिली, जिस में संगीता नायर के अलावा सुधीर पांडे थे.

‘‘हिंदी में यह मेरी पहली फिल्म थी. फिर मुझे फिल्में मिलती गईं. उस के बाद मैं निर्माता व निर्देशक मुजफ्फर अली के साथ जुड़ गया. उन के साथ मैं ने ‘दमन’, ‘आगमन’, ‘अंजुमन’, ‘उमराव जान’ सहित सभी फिल्में और करीबन 15 टीवी सीरियल किए.

‘‘उस के बाद हम ने नीतू सिंह के साथ 6 साल तक उन के निजी मेकअप मैन के रूप में काम किया. उन के साथ मैं ने ‘काला पत्थर’, ‘चोरनी’, ‘चोरों की बरात’, ‘याराना’, ‘युवराज’ सहित करीब 50 फिल्में कीं.’’

मैं ने जब उन से सवाल किया कि मुजफ्फर अली के साथ आप का संबंध इतना अच्छा क्यों था तो उन्होंने कुछ यों बताया, ‘‘जब हम ने उन के साथ पहली फिल्म ‘दमन’ की, तभी से उन के साथ हमारे अच्छे ताल्लुकात बन गए थे. उन्होंने देखा कि मैं अपने काम में परफैक्ट था. मुझ में कोई ऐब नहीं था. आज भी अगर वे कुछ भी काम करते हैं तो मुझे ही बुलाते हैं.’’

पहली बार मुजफ्फर अली के साथ काम करते हुए सैट पर ऐसी कोई घटना घटी थी जिस ने उन महान निर्देशक को प्रभावित किया? इस के प्रत्युत्तर में सय्यद मुसर्रत कहते हैं, ‘‘जी हां, सैट पर अचानक उन्हें एक कलाकार को मौलवी बनाना था. उन्होंने मुझ से पूछा, ‘दाढ़ी है क्या?’ उन्होंने पहले से मुझे बताया नहीं था. मैं ने कहा कि, ‘सर, आप ने बताया नहीं था.’ उन्होंने कहा कि पहले ऐसी जरूरत महसूस नहीं हुई थी. हम मेकअप मैन लोग अपने पास हमेशा बड़ेबड़े बाल रखते हैं.

‘‘मैं ने वही बड़ेबड़े बाल निकाल कर दाढ़ी बनाई. इस से वे प्रभावित हो गए थे. उन्होंने मुझ से कहा, ‘तुम तो हर काम में माहिर हो.’ इसी वजह से हमारे बीच आज भी अच्छे ताल्लुकात हैं.’’

आप ने मुजफ्फर अली के साथ 2 ऐतिहासिक सीरियल भी किए. एक ऐतिहासिक किरदार मसलन वाजिद अली शाह. ऐसे किरदार के मेकअप के लिए तो रिसर्च करना पड़ता होगा? इस सवाल पर मुसर्रत ने बताया, ‘‘मुझे रिसर्च करने की जरूरत नहीं पड़ती थी. मुजफ्फर अली स्वयं हमें हर किरदार का स्कैच बना कर देते थे कि किरदार के लिए किस तरह का गेटअप चाहिए. फिर हम उसी अनुरूप तैयारी करते थे.’’

आप ने संजीव कुमार का भी मेकअप किया था. उन से जुड़ी कोई घटना याद है? इस सवाल पर सय्यद मुसर्रत ने बताया, ‘‘1980 का एक मजेदार किस्सा सुनाता हूं. यह किस्सा निर्देशक रघुनाथ झलानी की फिल्म ‘बेरहम’ के सैट का है. उस फिल्म में संजीव कुमार और माला सिन्हा की जोड़ी थी. संजीव कुमार बड़े नेकदिल के, बहुते अच्छे इंसान थे. उन की बड़ी पतली मूंछें हुआ करती थीं. सैट पर उन की मूंछों को मैं ही संभालता था.

‘‘जब वे मूंछ लगाने के लिए कहते, तब मैं उन की मूंछ में गम लगा कर पकड़ाता था. वे मेरे हाथ से मूंछ ले कर खुद अपने चेहरे पर लगाया करते. फिर मुझ से कहते कि देखो ठीक है. एक दिन एक बंगले में शूटिंग हो रही थी. वहां अंधेरा काफी था. मैं ने उन की मूंछ पर उल्टी साइड यानी कि मूंछ के बालों में गम लगा दिया. जब संजीवजी ने कहा, ‘मूंछें दीजिए’ तो उन को दे दीं.

‘‘जैसे ही उन्होंने चेहरे पर मूंछ लगाने का प्रयास किया, उन्हें समझ में आ गया कि मैं ने बहुत बड़ी गलती कर दी है. वे बोले, ‘अरे बेटा, तुम ने तो उलटी मूंछ पर गम लगा दिया.’ मैं डर सा गया. फिर संजीव कुमार ने कहा, ‘कोई बात नहीं, कोई बात नहीं. एक काम करो, इस को जल्दी से धो कर गम साफ करो.’ मैं ने वैसा ही किया. फिर उसे पंखे में सुखाने की कोशिश कर सही ढंग से गम लगा कर उन्हें दी, तो उन्होंने मूंछ लगाई.

‘‘अगर आजकल का कोई आर्टिस्ट होता तो वह हंगामा कर डालता. फिर शायद मेरी छुट्टी कर दी जाती.

‘‘आज भी कुछ कलाकार ऐसे हैं जो प्यार रखते हैं. संजीव कुमार उन कलाकारों में से नहीं थे जोकि चिल्लपों करें. आजकल के आर्टिस्ट ऐसे हैं कि अगर गलती हम से हो जाए तो तूफान खड़ा कर देंगे. मेकअप मैन ने ऐसा कर दिया, आप ने ऐसा क्यों कर दिया? यह मेकअप खराब कर दिया वगैरहवगैरह जबकि संजीव कुमारजी ऐसे नहीं थे.’’

आप ने मुजफ्फर अली की फिल्म ‘उमराव जान’ में रेखा का मेकअप किया था? इस के बारे में सय्यद मुसर्रत बताते हैं, ‘‘मैं तो रेखाजी का पर्सनल मेकअप आर्टिस्ट हुआ करता था. सैट पर उन से हमारी काफी बातचीत होती थी. मुझे एक घटना याद है. मुजफ्फर अली साहब ने कहा था कि वे रेखाजी यानी नूरजहां को नकली गहने नहीं पहनाएंगे तो रेखा के जो गहने थे, वे सारे ओरिजिनल थे. मुजफ्फर अली साहब उन के लिए अपने खानदानी जेवर ले कर आए थे.

‘‘हीरेजवाहरात अंगूठी वगैरह सबकुछ उन्होंने ओरिजिनल पहनाई थी. जब रेखाजी ये ओरिजिनल जेवरात आदि पहनने के बाद उतारती थीं तो मेरे हाथ में ही देती थीं, कीमती जो थे ये. मुजफ्फर अली ने ये सारे महंगे हीरेजवाहरात के गहने सैट पर पहले दिन मेरे हाथ में देते हुए कहा था कि अब आप संभालें. उस के बाद कभी भी उन्होंने यह नहीं देखा सही से कि मैं ने उन को वापस किया भी या नहीं.’’

रेखाजी ने आप से कभी कुछ कहा? इस सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘रेखाजी एक ही बात कहती थीं कि फिल्म बहुत अच्छी बन रही है. इस से उन्हें भी बहुत बड़ी कामयाबी मिलेगी और वह फिल्म अच्छी बनी भी. फिल्म ‘उमराव जान’ तो सही माने में अमर रही. मुजफ्फर साहब की पहचान है. यों तो मुजफ्फर अली ने ‘दमन’ व ‘आगमन’ सहित 2 दर्जन फिल्में बनाईं लेकिन ‘उमराव जान’ उन की पहचान है. वे बहुत अच्छे और क्रिएटिव इंसान हैं. उन से बेहतरीन ऐतिहासिक फिल्में कोई दूसरा नहीं बना सकता. वे बड़े शांत आदमी हैं. मैं तो पिछले 45 वर्षों से उन के साथ जुड़ा हुआ हूं पर मैं ने उन को गुस्सा होते हुए नहीं देखा और न कभी हायहाय करते देखा.’’

अमिताभ बच्चन के साथ आप ने कौनकौन सी फिल्में कीं? ‘‘उन के साथ मैं ने ‘कसमे वादे’, ‘याराना’, ‘काला पत्थर’ सहित कई फिल्में कीं. अमिताभ बच्चन बहुत ही अच्छे इंसान थे. वक्त के पाबंद वे तब भी थे, अब भी हैं. हम से पहले वे सैट पर पहुंच जाया करते थे. अपने काम से मतलब रखते थे. सच तो यही है कि पुराने सभी आर्टिस्ट काम और समय को बहुत महत्त्व देते थे. अब तो समय की कोई कीमत ही नहीं है. जितने भी पुराने आर्टिस्ट थे, वे टाइम पर आ जाते थे और टाइम से जाते थे.’’

कभी सैट पर अमिताभ बच्चन के साथ आप की बातचीत हुई? इस पर मुसर्रत कहते हैं, ‘‘बातचीत तो काफी हुई है. फिल्म ‘याराना’ की शूटिंग के लिए हम लोग कोलकाता गए थे. वहां हमारी अकसर बातचीत हुआ करती थी. तब वे अपने परिवार के बारे में बताते थे. वे कोलकता में रहे भी हैं तो उस वक्त की यादें बयां करते थे.

‘‘वह कभी अपनी तारीफ नहीं करते. वरना आजकल तो ऐसे कलाकारों की भरमार हो गई है, जिन की आप ने तारीफ नहीं की तो वे नाराज हो जाते हैं. कुछ तो खुल कर कहते हैं, ‘हमारी तारीफ नहीं की. हम तो इतने बड़े आर्टिस्ट हैं.’’

आप ने पर्सनल मेकअप मैन के रूप में काम करना कब से शुरू किया था? इस पर सय्यद मुसर्रत कहते हैं, ‘‘इत्तफाक से मेरी मुलाकात अभिनेत्री नीतू सिंहजी से हुई और मैं उन का पर्सनल मेकअप मैन बना. वे बहुत अच्छी औरत हैं. उन के साथ काम करने के दिन इतने अच्छे गुजरे कि वे मुझे आज भी याद आते हैं. उन के साथ मैं ने कई फिल्में कीं. उन के साथ बहुत आउटडोर घूमा.

‘‘उन्होंने कभी भी मेरे साथ बदतमीजी से बात नहीं की. वे मेरे साथ भाई जैसा व्यवहार करती थीं साथ में खाना खाना. मुझे हमेशा अपने साथ गाड़ी में लाना ले जाना, घर छोड़ना आदि. मैं ने उन के साथ जो इज्जत और मोहब्बत पाई है, वह और किसी के साथ नहीं मिली. आज भी हमारी बातचीत होती है.’’

कमाल अमरोही के साथ काम करने के आप के अनुभव क्या थे? इस सवाल पर मुसर्रत कहते हैं, ‘‘कमाल अमरोही अच्छे व बड़े सुकून वाले इंसान थे. वे सैट पर बड़े आराम व सुकून से शूटिंग करने में यकीन रखते थे. दिनभर में 2 सीन फिल्माए गए तो बहुत बड़ी बात होती थी. उन को परफैक्शन चाहिए होता था. वे हर कलाकार के कौस्ट्यूम, कौस्ट्यूम की सिलाई से ले कर मेकअप आदि खुद चैक करते थे. सब से बड़ी बात तो यह कि सैट पर पहुंचते ही दिलीप कुमार से कहते थे, ‘यूसुफ भाई, मेकअप हो गया?’ फिर चैक करते थे. एक बार मैं तिल लगाना भूल गया था. उन्होंने पकड़ लिया और कहा कि अरे भाई, तिल कहां चला गया. मैं ने कहा कि सर, वह सैट पर लगाऊंगा तो कहा कि नहीं, अभी लगाओ वरना आप भूल जाओगे.

‘‘कमाल अमरोही की आंखें कमाल की थीं. वे कलाकार का मेकअप देखते ही समझ जाते थे कि कल और आज के मेकअप में कितना फर्क है. एक दिन एक कलाकार की दाढ़ी का पौइंट थोड़ा हट गया था. बीच का जो पौइंट होता है, वह थोड़ा सा हिल गया था. कमाल साहब आए, उसे देखा और तुरंत बोले, ‘अरे भाई, आज इन का मेकअप किस ने किया है?’ मैं तो उन के साथ खड़ा था. मैं ने कहा, ‘सर, क्या समस्या हो गई?’ तो वे बोले, ‘देखा करो, आज दाढ़ी गड़बड़ लगी है.’ फिर उसे ठीक करवाने के बाद ही वे वहां से हटे.’’

और किनकिन कलाकारों के साथ आप ने काम किया? इस सवाल पर वे बताते हां, ‘‘हम ने तो अक्षय कुमार के साथ भी काम किया. अक्षय कुमार पहले डांसर और बौक्सर था. तब वह मुझ से पूछता था, ‘मैं आर्टिस्ट बन पाऊंगा या नहीं,’ एक दिन उस ने मेरी बीवी से पूछ लिया तो मेरी बीवी ने अक्षय कुमार से कहा था, ‘तुम तो ऐसे ही बहुत बड़े आर्टिस्ट हो. एक दिन और बड़े आर्टिस्ट बन जाओगे’.’’

स्टार बनते ही अक्षय कुमार का बिहेवियर बदल गया? इस पर वे कहते हैं, ‘‘वक्त के साथसाथ हर चीज बदलती है. हर सदी के अंदर बदलाव होता है. कलाकार जब इंडस्ट्री में आता है तो खुद को खड़ा करने के लिए हर किसी की मदद लेने के लिए बड़ी विनम्रता से पेश आता है. उन्हें खड़ा करने के लिए हम ने अपना काम किया. वे अपने स्वभाव के अनुरूप काम कर रहे हैं. सफलता के साथ हर इंसान का स्वभाव, व्यवहार, चालढाल, एटीट्यूड बदलता ही है. यह सिर्फ अक्षय कुमार के साथ ही नहीं है, सभी के साथ ऐसा है. वक्त के साथसाथ हर इंसान बदलता है.’’

आप के 50 साल के मेकअप आर्टिस्ट के कैरियर में कभी पछतावा भी हुआ होगा कि आप ने किसी कलाकार के बारे में क्या सोचा था और वह क्या निकला? इस सवाल पर मुसर्रत ने कहा, ‘‘ऐसा कभी नहीं हुआ. मैं ने धर्मेंद्रजी के साथ भी काम किया. लोग कहते थे कि धर्मेंद्रजी बहुत गुस्सैल कलाकार हैं. मैं ने धर्मेंद्र के साथ 2-3 फिल्में कीं. वे मुझ पर कभी गुस्सा नहीं हुए. वे बहुत बड़े प्यारे व हंसमुख इंसान हैं. मेरा मानना है कि अगर आप अच्छे हैं, आप का काम अच्छा है तो सभी अच्छे हैं. अगर आप अच्छे नहीं हैं, आप का काम अच्छा नहीं है तो कुछ नहीं हो सकता.’’

आप को नहीं लगता कि पहले कलाकार कला को महत्त्व दिया करते थे लेकिन अब धन को? इस पर उन्होंने कहा, ‘‘आप ने एकदम सही फरमाया. अब हर कलाकार का स्वभाव व व्यवहार दोनों बहुत बदल गए हैं. पहले कलाकार कला को महत्त्व देते थे. अपने काम को एक तरह से वे आदर्श मानते थे. तब कलाकार सैट पर लगन के साथ तब तक काम करते थे जब तक सारा काम खत्म न हो जाए पर आजकल तो फटाफट भागने वाली बात है.

हम ने तो बड़ेबड़े आर्टिस्टों के साथ काम किया है. प्रेम चोपड़ा, के एन सिंह, अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना, संजीव कुमार. इन्हें शूटिंग करते देख ऐसा लगता था कि जैसे वे बहुत ही महत्त्वपूर्ण काम कर रहे हों. उस वक्त कलाकार, निर्देशक से कोई बहस नहीं करता था, कोई चिकचिक नहीं, कोई शिकायत नहीं. उस वक्त के कलाकार ईमानदार, मेहनती व प्यार से काम करने वाले हुआ करते थे. अभी भी कुछ आर्टिस्ट अच्छे, दिल के अच्छे हैं. इस में कोई शक नहीं है.’’

50 वर्ष के मेकअप आर्टिस्ट के आप के कैरियर में आप को प्रशंसा मिली होगी. अवार्ड मिले होंगे? इस पर वे कहते हैं, ‘‘मेरे काम की तारीफ तो बहुत होती रही है. मुझे लाइफटाइम अचीवमैंट अवार्ड मिला है.’’

आजकल आप क्या कर रहे हैं? इस सवाल के जवाब में वे कहते हैं, ‘‘डाकू मलखान सिंह की बायोपिक फिल्म करने वाला हूं. इस फिल्म की तैयारी चल रही है.’’

50 साल में मेकअप मैन इंडस्ट्री के अंदर आए बदलावों को ले कर उन का मानना है कि पहले जो मोहब्बत थी, प्यार था, वह अब कम हो गया है. पहले मेकअप मैन की बहुत इज्जत होती थी. अब नहीं रही.

हर कलाकार को पता होता है कि उस के चेहरे का कौन सा भाग खराब है. ऐसे में यह बात कलाकार खुद ही आप को बताता होगा कि क्या करना है? इस सवाल पर वे थोड़ा हंसे, फिर बोले, ‘‘यों तो कलाकार को देखते ही हम खुद समझ जाते हैं. लेकिन कई बार कलाकार भी बता देता है कि देखो, मेरी नाक इस जगह से मोटी है तो उस को सही कर देना. इस जगह से मेरे कान ऐसे हैं तो उस को ठीक कर देना. वैसे, हर मेकअप आर्टिस्ट समझ जाता है कि उस को कहां क्याक्या ठीक करना है. कई बार लोग कहते हैं कि मेरी आंख बहुत छोटी है तो हम क्या करते हैं कि उस की आंखों को बड़ा करने के लिए थोड़ा काजल अच्छे से लगा देते हैं.’’

आजकल कलाकार प्लास्टिक सर्जरी करवाते हैं. ऐसे में चेहरा कितना बदलता है. मेकअप के समय कितनी समस्याएं आती हैं? इस पर वे कहते हैं, ‘‘यह तो मैं नहीं समझ पाता हूं कि चेहरा कितना बदलता है लेकिन अब लोग प्लास्टिक सर्जरी काफी करवा रहे हैं. मेरे सामने आज तक तो मैं ने ऐसा कोई देखा नहीं जो ऐसा आया हो. हां, मुझे पता है बड़ेबड़े लोग करवा लेते हैं पर यह भी सच है कि प्लास्टिक सर्जरी करने के बाद भी उन का मेकअप तो करना ही पड़ता है.

‘‘अगर प्लास्टिक सर्जरी करवा ली है तो इस का मतलब यह नहीं है कि उन्हें मेकअप करने की जरूरत नहीं है. फिर भी उन्हें मेकअप तो करवाना ही पड़ेगा. कैमरे के सामने आने के पहले आप को मेकअप तो करवाना ही पड़ेगा. जो आप के अंदर खामियां हैं, कमियां हैं उन को छिपाना तो पड़ेगा.

‘‘मेकअप का मतलब है पौलिश. अगर आप किसी चीज को चमकाओगे नहीं तो वह आप को खुदराखुदरा लगेगा. खराब लगेगा. लोग पसंद नहीं करेंगे पर वहीं अगर आप किसी चीज को चमका कर व सजा कर पेश करोगे तो लोग बोलेंगे अरे वाह, क्या बात है. लोग उस की तारीफ करेंगे.’’

आप एक मेकअप मैन को क्या संदेश देंगे? इस पर वे अपनी राय देते हुए कहते हैं, ‘‘मैं सभी से एक ही बात कहता हूं कि आप समय के पाबंद रहें. अपने काम को सही समय पर पूरा करें. सभी के साथ प्यारमोहब्बत से रहें. प्यारमोहब्बत ऐसी चीज है जो इंसान को आगे बढ़ाने में

मदद करती है. अगर आप के अंदर प्यारमोहब्बत नहीं है, अपनापन नहीं है तो लोग आप को पसंद नहीं करेंगे. समय पर काम करने की आदत के साथ अपने काम में परफैक्ट भी होना चाहिए.’’

आप के परिवार में कौनकौन हैं? इस निजी सवाल पर वे थोड़ा मुसकराए, बोले, ‘‘मेरे 2 बेटे हैं. दोनों बाहर काम करते हैं. 2 बहुएं हैं. मेरा एक पोता है. दोनों बेटे बहुत बड़ी कंपनी के अंदर बड़ेबड़े पदों पर हैं. एक बेटा एक कंपनी में सीईओ है. बड़ा बेटा मुजफ्फर बहुत अच्छा गाना गाता था. उस ने 1-2 फिल्मों में गाना भी गाया. लेकिन उस ने इंजीनियरिंग की है और उसे उस में अच्छी नौकरी मिली है. दोनों बेटे अच्छा कमा रहे हैं. बहुत खुश हैं.

‘‘मैं 50 साल बाद भी काम कर रहा हूं. 2 दिन पहले ही एक फिल्म की शूटिंग कर के आया हूं. हम मानते हैं कि काम छोटा या बड़ा नहीं होता. काम तो काम ही होता है. आखिर में बस, इतना ही कहूंगा कि इंडस्ट्री बहुत अच्छी है अगर आप अच्छे हैं तो.’’

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