Best Hindi Story : एक रिटायर्ड शिक्षक, बेटी की शादी की तैयारी में दिनरात जुटा है. इस पिता का डर बस यही है कि कहीं वह अपनी बेटी की उम्मीदों पर खरा न उतर सका तो?

मैं एक सरकारी स्कूल से सेवानिवृत्त शिक्षक हूं. मुकेश अंबानी, उन के घर का कोई सदस्य, उन के नौकरचाकर, उन के घर के कुत्तेबिल्लियां और उन के घर के ही क्या वह जिस सड़क पर रहते हैं उस पर आवारा घूमने वाले जानवर आदि में से किसी से भी मेरा किसी भी जन्म का कोई परिचय नहीं है. बताने की कतई आवश्यकता नहीं है कि मैं इस शादी में आमंत्रित नहीं था, मेरी इतनी हैसियत नहीं पर जो बात बताने की है वह यह कि यदि मैं आमंत्रित होता तो भी मैं इस शादी में कतई न जाता. कारण यह नहीं कि उन्होंने टैरिफ बढ़ा दिया है. न, मु झे इस से कोई फर्क नहीं पड़ता. नहीं, मैं कोई अमीर आदमी नहीं हूं.

भला एक सरकारी स्कूल का रिटायर्ड टीचर कितना अमीर हो सकता है. ऐसा है कि इस देश में आम आदमी के बजट में हर रोज कहीं न कहीं से सेंध लगती ही है. कभी दूध के पैकेट का दाम बढ़ जाता है, किसी दिन अंडों का, कभी चावलदाल तो कभी तेलमसाले महंगे हो जाते हैं.

अब मोबाइल के लिए तो जियो से बीएसएनएल में पोर्ट किया जा सकता है. रोजमर्रा की जरूरत की इन चीजों के लिए कहीं कोई पोर्ट करने का विकल्प हो तो मैं भी अंबानी से नाराजगी रखूं. इस देश में आम आदमी ने महंगाई के आगे समर्पण कर दिया है. मैं भी इस का अपवाद नहीं हूं.

न ही मेरे अंदर किसी प्रकार की अकड़ है जो मु झे वहां जाने से रोकती हो. बड़ी अकड़ रखने वाले, अंबानी को दिनरात गरियाने वाले तेजस्वी और तेजप्रताप जब अंबानी की थाली में मलाई चाटने पहुंच सकते हैं तो मेरी क्या बिसात. न ही ऐसा है कि मैं कोई साधु आदमी हूं जिसे राजसी चमकदमक, स्वाद की अंतिम सीमा तक स्वादिष्ठ पुएपकवान में मेरी कोई रुचि नहीं. न ही ऐसा है कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति वाले हीरोहीरोइनों को लाइव देखने का मेरा मन न हो और न ही ऐसा है कि तेज संगीत पर नाचती अप्सरा सी सौंदर्य प्रतिमाओं के मादक हावभाव मु झे प्रभावित नहीं करते.

मेरे न जाने की विवशता का कारण है कि अगले महीने मेरी बिटिया का विवाह सुनिश्चित हुआ है. जब से शादी की तारीख तय हुई है, मु झे कहीं आनेजाने के लिए रिकशा लेना भी फुजूलखर्ची लगता है. अब मु झे दूर की जगह भी इतनी दूर नहीं लगती कि रिकशा लिया जाए.

हर पिता की तरह मैं ने भी अपनी बिटिया की शादी की तैयारी उसी दिन से शुरू कर दी थी जब उस का जन्म हुआ था. लेकिन मुकेश अंबानी के बेटे की शादी का सुन मु झे ऐसा लगने लगा है जैसे मैं ने अपनी बेटी की शादी की तैयारी शुरू करने में बड़ी देर कर दी. मु झे अपनी बिटिया की शादी की तैयारी उस के जन्म से नहीं, अपने जन्म से ही शुरू कर देनी चाहिए थी.

मेरे ऐसा सोचने का कारण यह नहीं कि इतने ही दिनों में महंगाई बहुत बढ़ गई है. कारण यह है कि अंबानी के बेटे की शादी के बाद शादी को ले कर मेरी पत्नी और बेटी की आकांक्षाओं व सपनों ने ऐसी उड़ान भरी है कि जिस से मैं आतंकित हूं.

कल हम लोग बिटिया के लिए लहंगा लेने गए थे. इंगेजमैंट के लिए अलग और शादी के लिए अलग लहंगा लेना था. 20-25 हजार रुपए से कम का कोई लहंगा मेरी पत्नी और बेटी को पसंद आ ही नहीं रहा था.

राधिका ने जो लहंगा पहना था, वह कैसा था, कितना सुंदर था, बिटिया बारबार बता रही थी. बाजार मेरे जैसे लोगों को बख्शने के लिए हरगिज तैयार न था. फलां हीरोइन ने फलां फिल्म में जो लहंगा पहना था वह तो आप के बाप की हैसियत से बाहर है. सो, आप के लिए यह फर्स्ट कौपी.

आज तक हजारों बच्चों की कौपियां चैक करने वाले इस बूढ़े मास्टर को इस फर्स्ट कौपी के चक्रव्यूह से निकलना मुश्किल हो रहा है. एक व्यंग्यकार ने कहा था कि हमारी पीढ़ी की पूरी ताकत लड़कियों की शादी करने में खर्च हो रही है. पता नहीं ऐसा है कि नहीं पर मेरी तो पूरी ताकत मेरी बिटिया की शादी करने में खर्च हो रही है.

ऐसा नहीं कि इन खर्चों का मु झे पूर्वानुमान न था. योजनाबद्ध तरीके से संतुलित जीवन जीने का आदी रहा हूं. एकएक चीज की डिटेलिंग की थी मैं ने पर इस बीच अंबानी के बेटे की शादी हो गई.

अब इस के बाद बच्चों की सोच ही बदल गई. अगर अंबानी के बेटे की शादी में आमिर, शाहरुख और सलमान नाचे थे, रिहाना और जस्टिन बीबर आए थे तो क्या वे इतने गएगुजरे हैं कि उन की शादी में शहर का सब से महंगा डीजे भी नहीं बुक हो सकता.

हर बात पर अंबानी के बेटे की शादी की बात कर मेरी बिटिया मेरे सामने एक ऐसा बैंचमार्क रख देती है जिस तक पहुंचना मेरे बस की बात नहीं.

मेरी बिटिया के सपनों की इस उड़ान ने इस बूढ़े मास्टर को उस के जीवन की सब से कठिन परीक्षा में डाल दिया है, डरता हूं कहीं एक अच्छे पिता होने की इस परीक्षा में असफल न हो जाऊं.

खैर, मेरे जैसे लोग जब भी कुछ महंगा समान खरीदते हैं तो उन की एक ही अपेक्षा रहती है कि वह चले, खूब चले.

सो, अंबानीजी, मैं भी आप को बेटे की शादी की शुभकामनाएं देता हूं और उम्मीद करता हूं कि उन की शादी खूब चले. सातों जनम तक चले क्योंकि अगर दोबारा फिर इसी तरह की शादी हुई तो मु झ जैसे टीचर की बेटी की शादी होगी ही नहीं और हो भी गई तो टूटने से डबल प्रहार हो जाएगा.

लेखक : संतोष कुमार अकवि

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