Bollywood : फिल्ममेकर्स कुछ नया और बड़ा करने के लिए धार्मिक फिल्मों का सहारा लेते हैं, ये दर्शकों के बीच सब से ज्यादा पसंद भी की जाती हैं. बौलीवुड में ऐसी ही कुछ फिल्में हैं जो काफी विवादों में रहने के बावजूद भी छप्परफाड़ कमाई कर चुकी हैं.
हिंदी फिल्में असल में मनोरंजन का एक पैकेज हुआ करती हैं, जिस में गाने, डांस, मारधाड़ आदि दृश्य होते हैं. फिल्मों को समाज का आईना भी कहा जाता है, इस वजह से हिंदी फिल्में भी उस बात को ध्यान में रखते हुए ही बनाई जाती हैं, जिस में सब से अधिक धार्मिक फिल्में सब को अधिक पसंद आती है, क्योंकि धर्म हर व्यक्ति की भावनाओं से जुड़ा होता है और इस पर बनी फिल्में दर्शकों को अधिक आकर्षित करती हैं. बौलीवुड की ऐसी 5 सफल धार्मिक फिल्में हैं, जिसे दर्शकों ने काफी पसंद किया. ऐसी फिल्मों पर कई बार सवाल भी उठाए जाते हैं, लेकिन फिल्ममेकर इसे बनाने से नहीं चूकते.
पीके
अभिनेता आमिर खान और अभिनेत्री अनुष्का शर्मा की फिल्म ‘पीके’ भक्ति और आस्था के नाम पर चल रहे गोरखधंधे को ले कर बनाई गई फिल्म है, जिस में धर्म को ले कर आडंबर और लूटपाट की घटनाओं के बीच एक दूर ग्रह से एक अंतरिक्ष यात्री आता है, जिस के भाषा का कोई आचरण नहीं और न ही उस के शरीर पर वस्त्रों का कोई आवरण है. सच्चे दिल का एक इंसान है, लेकिन उस के बातचीत और सवालों से धरतीवासी चकित हो जाते हैं और मान बैठते हैं कि वह हमेशा पिए रहता है यानि पीके घूम रहा है.
धर्म के नाम पर चल रही राजनीति, सारे भेदभाव और आस्थाओं में बटे इस समाज में भटकते हुए पीके के जरिए सारी कुरीतियों के सामने व्यक्ति खड़ा मिलता है, जो हमारे रोजमर्रा की जिंदगी के हिस्से बन चुके हैं और हम सभी उस के आदि बन चुके है. इसलिए मन में कोई सवाल नहीं उठते. मुसीबतों के साथसाथ हमारे विचार भी संकीर्ण होते जा रहे हैं. निर्देशक राजकुमार हिरानी और पटकथा लेखक अभिजीत जोशी की ये कल्पना का यह एलियन चरित्र हमारे ढोंग को बेनकाब करता है, जिसे दर्शकों ने काफी पसंद किया.
ओ माय गौड
बौलीवुड की एक लोकप्रिय धार्मिक फिल्म “ओएमजी: ओह माय गौड!” (2012) है, जिस का निर्देशन उमेश शुक्ला ने किया है. यह फिल्म एक भारतीय व्यंग्यपूर्ण कौमेडीड्रामा फिल्म है, जो नास्तिकता और ईश्वर में विश्वास की अवधारणा पर आधारित है. फिल्म में अभिनेता अक्षय कुमार मुख्य भूमिका में है और यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है, जो भूकंप में अपनी दुकान नष्ट होने के बाद भगवान पर मुकदमा करता है. यह फिल्म “कांजी विरुद्ध कांजी” नामक एक गुजराती नाटक का रूपांतरण है और दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय रही. इस फिल्म को समीक्षकों ने सराहा और व्यावसायिक रूप से सफल रही.
धर्म संकट में
फिल्म ‘धर्म संकट में’ ब्रिटिश की कौमेडी फिल्म द इन्फिडेल से प्रेरित कहानी है. इस में धर्म और धार्मिक पहचान के संकट का चित्रण हास्यास्पद तरीके से किया गया है. ऐसी फिल्मों में अधिकतर अभिनेता परेश रावल ही होते हैं, क्योंकि वे ऐसी भूमिका को अच्छी तरीके से निभा पाते हैं. उन्होंने धर्मपाल के चरित्र को बखूबी निभाया है. निर्देशक फुवाद खान ने भारतीय संदर्भ में यहूदी और मुसलमान चरित्रों की मूल कहानी को हिंदी और मुसलमान में बदल दिया और मुसलमानों के बारें में प्रचालित धारणाओं और मिथकों पर संवेदनशील कटाक्ष किया है. फिल्मों के इतिहास में ऐसी कई फिल्में बनी हैं, जिस में बताया गया है कि इंसान पैदाइशी अच्छा या बुरा नहीं होता, उस के हालात और परवरिश उस के वर्तमान के कारण होते हैं.
ब्रह्मास्त्र
ब्रह्मास्त्र एक बौलीवुड ड्रामा फिल्म है, जिस का निर्देशन अयान मुखर्जी ने किया है. फिल्म में रणबीर कपूर, अलिया भट्ट, अमिताभ बच्चन, मौनी रौय और एक्टर नागार्जुन, मुख्य भूमिका में हैं. कहानी शुरू होती है सदियों पहले जहां कुछ महान ऋषिमुनि ज्ञानी हिमालय की शरण में घोर तपस्या कर रहे होते हैं. इस बेहद कड़ी तपस्या से उन्हें मिलता है, एक अनोखा वरदान, जो एक ब्रह्म शक्ति है. इस ब्रह्म शक्ति से अनेक प्रभावशाली अविश्वसनीय अस्त्रों का जन्म होता है.
यह ऐसे अस्त्र हैं जो प्रकृति की विभिन्न शक्तियों से बने और भरे हुए हैं, जैसे वानरास्त्र, नंदी अस्त्र, प्रभा अस्त्र, अग्नि अस्त्र और सब से आखिर में जन्म होता है, उस सब से महान और अत्यंत सर्वशक्तिशाली अस्त्र, ब्रह्मास्त्र, जिस से और सभी अस्त्रों की शक्ति जुड़ी हुई हैं. इस अस्त्र को, ऋषिमुनियों ने ‘ब्रह्मास्त्र’ नाम दिया. ये आयन मुखर्जी की कल्पना मात्र है, जिसे दर्शकों ने पसंद किया.
कल्कि 2898 एडी
कल्कि 2898 एडी एक डिस्टोपियन (कोई काल्पनिक दुनिया या समाज जहां लोग भयानक जीवन जीते हैं) साइंस फिक्शन, एक्शन फिल्म है, जो हिंदू भगवान विष्णु के आधुनिक अवतार के इर्दगिर्द घूमती है. यह फिल्म महाभारत के कुरुक्षेत्र युद्ध के छह हजार साल बाद की कहानी है. इस फिल्म में भगवान विष्णु के आधुनिक अवतार की कहानी है, जो दुनिया को बुरी ताकतों से बचाने के लिए धरती पर अवतरित हुए थे. फिल्म में अभिनेता प्रभास मुख्य भूमिका में हैं और अमिताभ बच्चन, कमल हासन, दीपिका पादुकोण, दिशा पाटनी और ब्रह्मानंदम मुख्य भूमिकाओं में शामिल हैं. सिनेमाघरों में राज करने के बाद फिल्म ओटीटी पर भी दर्शकों को पसंद आई है.
कहानी साल 2898 की काशी की है और दुनिया में बस यही एक शहर बचा है. काशी की रचना ही नगरों के विकास के क्रम में सबसे पहले हुई. काशी का कोतवाल, भैरव (प्रभास) को माना जाता है. दक्षिण में नामों के उच्चारण के समय अंतिम शब्द को दीर्घ स्वरूप में बोलने के चलते यहां वह भैरवा है. ये उन दिनों की काशी है, जब गंगा में पानी नहीं है. हवा में औक्सीजन नहीं है और बरसों से किसी ने पानी बरसते देखा नहीं है.
भैरव और बुज्जी की ट्यूनिंग समझाती है कि कहानी में कुल तीन तरह की दुनिया है. एक काम्प्लैक्स जिस का संचालन सुप्रीम यास्किन (कमल हासन) के पास है. वह गर्भवती स्त्रियों के भ्रूण से मज्जा निकाल कर खुद को जीवित रखे हुए है. काशी में भैरव की ऐयाशी चल रही है. इस के अलावा मार्वल सिनेमैटिक यूनिवर्स की ब्लैक पैंथर वाली कहानी की वकांडा जैसी एक दुनिया भी यहां है, जो तकनीकी रूप से विकसित और बाकी दुनिया की नजरों से छिपी हुई है. जहां ‘अवतार’ की मां का दुश्मन ही अब मां का रक्षक बन जाता है.
ऐसी फिक्शन वाली धार्मिक फिल्में आज की नई जेनरेशन को प्रभावित करने की खास वजह इन की कहानियों से उन का सरोकार न होना है. ऐसे में फिल्ममेकर ऐसी फिल्मों को वीएफएक्स के जरिए ऐसे दर्शकों को हौल तक लाने में समर्थ होते हैं, जिस का फायदा उन्हें मिलता है और फिल्म बौक्स औफिस पर सफल होती हैं.