Hindi Story : महिलाएं ‘स’ से सावधान रहें.’ हमारी यह चेतावनी शायद महिलाएं समझ गई होंगी. ‘स’ अक्षर से शुरू होने वाले शब्द उन के जीवन के लिए ‘डेंजर प्वाइंट’ जो बने हुए हैं.

महिलाओं का समयसमय पर अनेक शत्रुओं से साबिका पड़ता रहता है. इस में उन के अनुसार पहला नाम उन की ‘सास’ का होता है, जो उन्हें सांस भी नहीं लेने देती पर वर्तमान में सास से भी खतरनाक शत्रु ‘सार्स’ आ गया है.

इस सार्स का जन्म भले ही चीन में हुआ हो पर चीनी यानी ‘शुगर’ की बीमारी भी महिलाओं की साथी है. सिरदर्द उन का बड़ा शत्रु है जो पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को अधिक चपेटे में लेता है. महिलाएं  शृंगारप्रेमी होने के कारण स्वर्ण आभूषणों का प्रयोग सर्वाधिक करती हैं तो ‘सोने’ के आभूषणों से उन में एक तरह का डर भी बना रहता है. इस से बच कर नए शत्रु का सामना यानी ‘सफर’ करती हैं तो भारतीय ‘सड़क’ एक और शत्रु के रूप में आ टपकती है क्योंकि इन्हीं सड़कों की सघन आलियों में से संभव है स्वर्ण आभूषण के लुटेरे भी आ धमकें.

महिलाओं को अपनी ‘सहेलियों’ से भी कम खतरा नहीं है. विवाह से पहले उन का सनम उन की सहेलियों की ओर आकर्षित न हो जाए इसलिए वे डरती हैं और जब सनम सहेलियों को कोई ‘सौगात’ देते हैं तो इसे वे खतरे की घंटी मानती हैं. इसी बीच ‘सगाई’ नामक एक अन्य शत्रु सामने आ धमकता है. इस के ‘संक्रमण’ से बेचारी अभी निकल भी नहीं पातीं कि ‘सुहागरात’ को क्या होगा इस का डर सताने लगता है. और इस डर से वे अपने शरीर की महान ‘सुस्ती’ को साथी बना लेती हैं.

इन खतरों से उबर भी नहीं पाईं कि तभी रोजरोज का साथी शत्रु के रूप में ‘साजन’ सामने आ जाता है. इस डर को भगाने के लिए वह हमेशा ‘सजती- संवरती’ रहती हैं. हालांकि  यह ‘सजना- संवरना’ भी एक खतरा है. इस से ‘संदेह’ रूपी एक खतरनाक बीमारी उस के पतिदेव को लग जाना भी संभव है. यदि ऐसा हुआ तो उस के पतिदेव दूसरा विवाह कर उस की ‘सौत’ को लाते हैं.

सौत के नाम से तो महिलाएं वैसे ही ‘सपने’ में डरती हैं. अगर इतना सबकुछ हो जाए तो समझिए उन को जो ‘सदमा’ लगता है उस से वे जिंदगी भर उबर नहीं पातीं.

‘समाज’ भी महिलाओं के लिए बड़ा खतरा है. इस में दिखावे के लिए ये क्याक्या नहीं करतीं. संयुक्त परिवार द्वारा एक दबाव अनुभव कर के भी वे इस में बनी रहती हैं. आधुनिक महिलाओं के लिए ‘सिनेमा’ एक आर्थिक खतरा है. इस में प्रदर्शित किए गए कपड़ों को खरीदने के चक्कर में वे घर के जरूरी सामान भी खरीदना भूल जाती हैं. इस के लिए वे ‘सरहद’ पार भी चली जाती हैं.

महिलाएं पुरुषों से अधिक भावुक होती हैं. वे ‘संकट’ में फंसे व्यक्तियों को ‘संकट’ से छुटकारे के लिए ‘समझाने’ लगती हैं. यही समझाना एक शत्रु बन जाता है तथा उसे घर में ‘सफाई’ देनी पड़ती है.

अत: हम कह सकते हैं कि महिलाओं को सब से खतरनाक शत्रु ‘स’ से संपूर्ण जीवन संभल कर शान से बिना संदेह के निबटना चाहिए.

लेखक : दीपांशु जिंदल 

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