लेखक : श्री प्रकाश
हम सभी की आंखों से कभी न कभी पानीनुमा एक तरल निकलता है जिसे हम आंसू कहते हैं. आंसू हमारी आंखों से कभी दुख में तो कभी ख़ुशी से भी निकलते हैं. कभी आंखों में कुछ बाहरी धूलकण पड़ने से या कभी किसी इन्फैक्शन के चलते भी आंसू निकलते हैं.
आंसू क्या हैं
आंसू में 98 फीसदी पानी होता है और बाकी 2 फीसदी में नमक और अन्य तत्त्व. कभी आंखों से ज्यादा आंसू निकल कर होंठों तक पहुंच जाते हैं और हमें इस के नमकीन स्वाद का एहसास भी होता है. पानी के अतिरिक्त बाकी 2 फीसदी में नमक, तेल, कुछ विटामिन और करीब 200 प्रोटीन होते हैं . ये तत्त्व आंखों के सैल्स का पोषण करते हैं.
हमारे आंसुओं में एलेक्ट्रोलीट भी होता है. उन में मौजूद सोडियम के कारण वे सौल्टी (नमकीन) होते हैं. एलेक्ट्रोलीट में मुख्यतया सोडियम, पोटैशियम, क्लोराइड और बाईकार्बोनेट होते हैं. इस के अतिरिक्त आंसू में अल्प मात्रा में मैग्नीशियम और कैल्शियम भी होते हैं. ये सारे तत्त्व आंसू के लेयर्स बनाते हैं.
आंसू कहां से आते हैं
आंखों में आंसू टियर ग्लांड्स (लैक्रिमल ग्लांड्स) बनाते हैं. ये ग्लांड्स आंखों की पुतलियों के ऊपर होते हैं और कार्निया की सतह तक फैले रहते हैं. ऊपरी और निचली पलक के कोने में स्थित सूक्ष्म छिद्र से हो कर आंसू बाहर निकलते हैं और टियरडक्ट से होते हुए नाक व गले तक आते हैं. ज्यादा रोने से ज्यादा आंसू निकल कर नाक में जा कर म्यूकस से मिलते हैं. यही कारण है कि अकसर रोते समय नाक से पानी आने लगता है और रोने के बाद खुद बंद हो जाता है. औसतन एक आदमी में प्रतिवर्ष 15 से 30 गैलन आंसू बनता है.
आंसू का काम
ऐसा नहीं है कि आंसू सिर्फ दुख या अत्यंत ख़ुशी में आते/निकलते हैं. आंसू आंखों की रक्षा और पोषण के लिए हैं. ये वातावरण में मौजूद बाह्य धूलकण, वायरस और बैक्टीरिया से हमें बचाते हैं. जितनी बार हम पलक झपकते हैं, यह आंखों को लुब्रिकेट करता है और उन्हें साफ़ भी करते रहता है.
आंसू का पानी आंखों को हाइड्रेटेड रखता है. इस के अलावा इस में मौजूद मिनरल और प्रोटीन आंखों के सैल्स का पोषण कर आंखों को हैल्दी बनाए रखते हैं.
आंसू के लेयर
आंसू की 3 लेयर होती हैं.
म्यूकस लेयर: यह लेयर आंसुओं को आंखों मेंबांध कर रखती है. बिना इस के आंखों की सतह पर ड्राई स्पौट्स हो जाते हैं. आंख जितना ड्राई होगी, इन्फैक्शन का खतरा उतना ज्यादा रहेगा.
एक्वस लेयर: यह आंखों को हाइड्रेटेड रखती है, कार्निया को बचाती है और बैक्टीरिया से रक्षा करती है. यह सब से ज्यादा मोटी और नमकीन लेयर होती है.
तैलीय लेयर: यह बाकी दोनों लेयरों को वाष्प बनने से रोकती है और आंसू को पारदर्शी बनाती है.
आंसू के प्रकार
आंसू 3 प्रकार के होते हैं और उन का नमकीन होना उस के प्रकार पर निर्भर करता है.
रिफ्लेक्स टीयर: यह सब से ज्यादा नमकीन होता है और आंखों में इरिटैंट को वौश करता है, जैसे प्याज से निकली गैस और ज्यादा दुर्गंध में (कैमिकल, उलटी). इस के अलावा किसी अन्य इरिटेशन, जैसे धूल, तेज रोशनी आदि से भी आंसू आते हैं. दरअसल, किसी भी इरिटेशन के चलते टियर ग्लांड्स ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं.
बासल टीयर: यह आंखों की बाहरी सतह पर रहता है. यह हमेशा रहता है और आंखों को ड्राईनैस से बचाता है,. साथ ही, वातावरण में मौजूद अन्य खतरों से भी रक्षा करता है.
इमोशनल टीयर: यह मन की भावनात्मक स्थिति पर निर्भर करता है. ये हमारे दुख या कभी अत्यंत ख़ुशी की हालत में आंखों में आते हैं. इमोशनल टीयर से हमें आराम मिलता है. इन में कुछ हार्मोन और प्रोटीन होते हैं जो अन्य दोनों प्रकार के आंसुओं में नहीं होते. आंसू देख कर लोग सहानुभूति प्रकट करते हैं या सहायता के लिए आ सकते हैं जिस से हमें एक मोरल सपोर्ट मिलता है. इमोशनल टियर्स बायोलौजिकल, सामाजिक और शारीरिक तीनों कारणों से हो सकते हैं.
निद्रा और टीयर
इंसान के सोने के बाद आंसू का स्वरूप बदल जाता है. इस दौरान आंसू में प्रोटीन कम होता है पर एंटीबौडीज ज्यादा होता है. इस के चलते इन्फैक्शन से बचाव करने वाले सैल्स आंखों में चले आते हैं. इस के अलावा निद्रा के दौरान आंसू में औयल, म्यूकस और स्किन सैल्स मिक्स होते हैं व आंखों के कोनों में पपड़ी जमा होती है क्योंकि इस दौरान हम पलक नहीं झपकते हैं.
आंसू की कमी से क्या हो सकता है
आंसू की कमी से ड्राई आई सिंड्रोम होता है. इस के चलते आंखों में जलन और खुजलाहट हो सकती है. इस के अलावा आई इन्फैक्शन, कार्निया में अल्सर और दृष्टिदोष होने की संभावना रहती है. हालांकि सुनने में यह हास्यास्पद लगता है पर ड्राई आई से आंखों में ज्यादा पानी आता है (वाटरी आईज). ड्राईनैस एजिंग और दवाओं के असर से भी हो सकता है.
नवजात शिशु की आंखों में आंसू नहीं आते
शिशु के टियर ग्लैंड विकसित नहीं होते, इसलिए उन के रोने पर आंखों से आंसू नहीं निकलते हैं.कुल मिलाकर आंसू आंखों की हैल्थ का एक संकेत भी होता है. आंसू हमेशा हमारी आंखों की रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं. ये इरिटेशन पैदा करने वाले तत्त्वों की सफाई करते हैं, इमोशन को शांत करते हैं और दूसरों को आप की पीड़ा का मैसेज देते हैं.
*