एक पुराने नगर में एक सेठ रहता था. उस के 5 बेटे थे. पांचों की अलग सोच थी. ऐसे में सेठ के विरोधी हावी होते जा रहे थे. पांचों बेटे आपस में ही लड़ रहे थे. सेठ और उन के बेटे चर्चा कर रहे थे कि किस तरह से अपने विरोधियों का मुकाबला करें. सेठ ने 5 लकड़ी के टुकडे लिए और पांचों बेटों को दिया. सब से लकड़ी तोड़ने के लिए कहा. सभी बेटों ने अपने अपने टुकड़े तोड़ दिए. अब सेठ ने पांचों लकड़ी को ले कर एक रस्सी से बांध दिया. अब वह पांचों लकड़ी एकएक बेटे से तोड़ने के लिए दी. कोई भी बेटा उस को तोड़ नहीं पाया. पिता ने कहा अगर अपने विरोधियों को हराना है तो एकजुट हो कर लड़ना पड़ेगा. एकता का यही संदेश काम करता है. यह संदेश पुराना है लेकिन कारगर है.
ये भी पढ़ें- भाजपा आखिर क्यों अंबेडकर शरणम गच्छामि
राजनीति में भी एकता का संदेश चुनावी लड़ाई में हार को जीत में बदल देता है. लोकसभा 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 400 पार का नारा दिया. अब चर्चा इस बात की होने लगी कि भाजपा और उस के सहयोगी 400 पार या भाजपा अपने बल पर 370 सीटें जीत लेगी. प्रधानमंत्री को लग रहा था कि उन के नारे के आगे विपक्ष एकजुट नहीं हो पाएगा. जो एकजुट होने का प्रयास करेगा उस को तोड़ दिया जाएगा. जैसे ‘इंडिया ब्लौक’ के संस्थापक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ हुआ. भाजपा ने उन को अपने साथ मिला लिया. ‘इंडिया ब्लौक’ के एक और सहयोगी आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जेल जाना पड़ गया.
इस के बाद भी इंडिया ब्लौक चुनावी लड़ाई से पीछे नहीं हटा. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हर विरोध और बाधा को पार कर आपसी सहयोग बना कर भाजपा का विरोध करते रहे. उत्तर प्रदेश में राहुल गांधी ने बहुत सारे अंर्तविरोध के बाद भी समाजवादी पार्टी का न केवल साथ बल्कि सपा के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ साझा प्रैस काफ्रेंस की. आगे चुनाव में साथसाथ रैलियां भी कर रहे हैं.
प्रियंका गांधी भी अपनी अलग रैली कर के यह दिखा रही है कि कितना भी प्रयास मोदी सरकार कर ले इंडिया ब्लौक पीछे हटने वाला नहीं है.
भीड़ बढ़ा रही हौसला
सहारानपुर में प्रियंका गांधी के पहुंचते ही लोगों के उत्साह का कोई ठिकाना न रहा और लोगों ने प्रियंका गांधी और इमरान मसूद के समर्थन में जोरदार नारे लगाए. हर कोई प्रियंका गांधी की गाड़ी के पास खड़े हो कर सेल्फी लेने के लिए उतावला दिख रहा था. रोड शो के मार्ग में दोनों और जहां बड़ी संख्या में नागरिक ने खड़े हो कर प्रियंका गांधी का स्वागत किया, तो वहीं महिलाओं और बच्चों ने छतों से ही गुलाब व अन्य पुष्प पंखुड़ियों की वर्षा कर जोरदार स्वागत किया पूरे रोड शो के दौरान प्रियंका गांधी ने हाथ हिला कर, हाथ जोड़ कर सभी का अभिवादन और स्वागत स्वीकार किया.
प्रियंका गांधी ने रामायण की चौपाई ’रावण रथी विरथ रघुबीरा..’ का उच्चारण करते हुए कहा कि युद्ध में रथ, सत्ता, महल, सोने की लंका रावण के पास थी, लेकिन उस की लड़ाई असत्य पर आधारित थी, इसलिए रावण को हार का सामना करना पड़ा, जबकि राम एक वनवासी की तरह बिना रथ और सत्ता के युद्ध लड़े और इसलिए विजयी हुए क्योंकि भगवान राम ने युद्ध सत्य के लिए लड़ा.
भाजपा सरकार औद्योगिक घरानों का 16 लाख करोड़ का कर्ज और ब्याज तो माफ कर सकती है, लेकिन किसानों को एमएसपी, ऋण माफी की गारंटी तो दूर उन के गन्ने का भुगतान भी सही समय पर नहीं करती. भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई लड़ने का दावा करने वाली मोदी सरकार पर उन्होंने भ्रष्टाचार में डूबे होने का आरोप लगाते हुए पूछा कि इलैक्टोरल बांड जिसे माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अवैधानिक घोषित किया, क्या मनी लौन्ड्रिंग का एक जरिया नहीं है ? उन्होंने युवाओं के लिए 30 लाख रोजगार और महिलाओं की सुरक्षा व सरकारी नौकरियों में 50 प्रतिशत आरक्षण, किसानों को एमएसपी आदि सहित कांग्रेस के 5 न्याय और 25 गारंटीयों का भी जिक्र किया.
150 सीटें मिलेंगी भाजपा को
एक तरफ जहां भाजपा 370 और 400 सीटों की बात कर रही राहुल गांधी और अखिलेश यादव की प्रैस काफ्रेंस में राहुल गांधी ने भाजपा के लिए 150 सीटें पाने की बात कही. पहले राहुल गांधी और ममता बनर्जी भाजपा को 200 सीटें दे रहे थे. गाजियाबाद में हुई प्रेस काफ्रेंस में अखिलेश यादव ने कहा कि जनता बदलाव चाहती है. इंडिया ब्लौक केंद्र में सरकार बनाने जा रहा है. राहुल और अखिलेश की जोड़ी उत्तर प्रदेश में आगे बढ़ कर बदलाव करने की तैयारी कर रही है.
इस में कोई चमत्कार जैसी बात नहीं है. 2004 के लोकसभा चुनाव में केंद्र की अटल सरकार मजबूत सरकार मानी जा रही थी. कांग्रेस बिखरी हुई थी. इस से पहले कांग्रेस ने कभी गठबंधन की सरकार नहीं बनाई थी. कांग्रेस में गठबंधन का कोई अनुभव नहीं था. सोनियां गांधी ने कुछ इस तरह से चुनावी बिसात बिछाई की इंडिया शाइनिंग का नारा देेने वाली अटल सरकार धराशाई हो गई. कांग्रेस ने यूपीए गठबंधन की सरकार पूरे 10 साल चलाई.
1977 में यही हाल कांग्रेस का था. इंदिरा गांधी जैसी मजबूत प्रधानमंत्री के खिलाफ विपक्ष एकजुट हो गया. इमरजैंसी लगाने के बाद भी इंदिरा गांधी चुनाव हार गई. उन को हराने वाले तब छोटेछोेटे दलों ने मिल कर जनता पार्टी बनाई थी. उन के पास कोई चेहरा नहीं था. न कोई नेता था. भले ही वह सरकार ज्यादा दिन नहीं चली पर कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया था. असल में उस समय भी जनता पार्टी को केवल टूल थी असल लड़ाई देश की जनता ही लड़ रही थी.
इंडिया ब्लौक भले ही मोदी के खिलाफ बड़ा न दिख रहा हो लेकिन जैसेजैसे चुनाव आगे बढ़ रहे हैं यह ताकत दिख रही है. जनता देख रही है कि एक तरफ सुविधाओं से युक्त भाजपा है तो दूसरी तरफ संघर्ष कर रहा इंडिया ब्लौक.
आज भी जनता अपने मंहगाई, बेरोजगारी के मुद्दे को ले कर लड़ाई कर रही है. मोदी सरकार के पास धर्म के मुद्दे के अलावा कोई मुददा नहीं रह गया है. काठ की हांडी 2014 और 2019 में चढ़ गई अब जनता की रूचि इस में नहीं रह गई है.
2024 के लोकसभा चुनाव में पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को है. इस चरण में 21 राज्यों की कुल 102 सीटों पर वोटिंग है. पहले चरण में कुल 1625 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. 2019 में पहले चरण में कुल 91 सीटों के लिए मतदान कराए गए थे. इन में से 31 सीटें भाजपा के खाते में गई थीं. वहीं, कांग्रेस के महज 9 उम्मीदवार जीतने में सफल रहे थे. इस के अलावा 51 सीटों पर अन्य दलों ने कब्जा जमाया था. 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा पहले चरण के चुनाव में ही फंसी नजर आ रही है. इस चरण में सब से अधिक सीटें दक्षिण भारत की है. जहां भाजपा के लिए गढ़ भेदना कठिन काम है. उत्तर भारत में भाजपा की ठाकुर बिरादरी उस का खेल बिगाड़ रही है.
उत्तर प्रदेश के पश्चिम में 8 लोकसभा सीटों पर कांटे की टक्कर हुई है. उत्तर प्रदेश जैसे मजबूत किले में इंडिया गठबंधन की ताकत बढ़ने से भाजपा कमजोर पड़ गई है. मोदी सरकार नेताओं के नहीं पीएमओ के बल पर चलती रही है. ऐसे में अब भाजपा के नेता भी बहुत रूचि नहीं दिखा रहे हैं. पहले चरण के चुनाव में भाजपा के रथ का पहिया युद्व के मैदान में फंस गया दिखता है. ऐसे में विरोधी हमलावर हैं और वह बचाव भी नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में वह बारबार राम की शरण में पहुंच जा रहे हैं.