शराब घोटाला मामला 2021 से चल रहा है, 500 से ज़्यादा लोगों से पूछताछ हो चुकी है मगर चवन्नी की भी रिकवरी ईडी नहीं कर पायी. दो साल में केस का ट्रायल भी शुरू नहीं हुआ. जबकि आम आदमी पार्टी के तीन बड़े नेता मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन और संजय सिंह लम्बे समय से जेल में हैं. अब ऐन चुनाव के समय आम आदमी पार्टी के मुखिया को भी गिरफ्तार करना भाजपा की हताशा और डर को साबित कर रहा है.

महाभारत के युद्ध में पांडवों और कौरवों ने जिस तरह छल और झूठ का सहारा लिया या लंका के खिलाफ दशरथ पुत्रों ने जिस छलबल का इस्तेमाल कर रावण पर विजय पायी, इन प्रसंगों को पढ़ें तो एक चीज जो बिलकुल स्पष्ट है वह यह कि युद्ध में विजय पाने के लिए नियम और नैतिकता की राह पर कोई नहीं चला, धर्मग्रंथों में दर्ज युद्ध हमेशा साम, दाम, दंड, भेद, छल, प्रपंच और झूठ के सहारे ही जीते गए. द्रोणाचार्य, भीष्म, अभिमन्यु, जयद्रथ, बाली, रावण सब छल और झूठ से मारे गए. मनुवादी विजयी होने के लिए हमेशा धर्मग्रंथों के इन्हीं उदाहरणों से प्रेरित होकर दुशमन के खिलाफ अपनी रणनीति बनाते हैं. फिर युद्ध चाहे राजनीति के मैदान में हो, विपक्षी को मटियामेट करने के लिए हर नाजायज दांव चलने की प्रेरणा वे धर्मग्रंथों से लेते हैं.

मनुवादियों की पार्टी यानी भारतीय जनता पार्टी चुनावों के वक्त हर वो हथकंडा अपनाती है जिससे विपक्ष का मनोबल टूट जाए. जैसे जैसे चुनाव नज़दीक आता है वह जांच एजेंसियों पर दबाव बना कर विपक्षी नेताओं के खिलाफ मुक़दमे दर्ज करवाने, उनके बैंक अकाउंट फ्रीज करवाने और उन्हें जेल भिजवाने में मशगूल हो जाती है. यह ट्रेंड काफी समय से देखा जा रहा है. दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की गिरफ्तारी भी ऐसे समय में हुई है, जब देश में लोकसभा चुनाव का कार्यक्रम घोषित हो चुका है और पार्टी पहले से ही अपने कुछ वरिष्ठ नेताओं की गिरफ्तारी के चलते परेशान है.

आम आदमी पार्टी के लिए यह समय काफी नाजुक है क्योंकि अरविंद केजरीवाल को आम आदमी पार्टी का मुख्य कर्ताधर्ता और यहां तक की चाणक्य भी कहा जाता है. दिल्ली में शराब घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने जिस तरह 21 मार्च की रात दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनके आवास से गिरफ्तार किया उससे न केवल आम आदमी पार्टी, बल्कि विपक्ष सहित दिल्ली की जनता भी केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ आक्रामक नजर आ रही है. जब यह मामला 2021 से चल रहा है, 500 से ज़्यादा लोगों से पूछताछ हो चुकी है मगर चवन्नी की भी रिकवरी ईडी अब तक नहीं कर पायी और दो साल में इस केस का कोर्ट में ट्रायल भी शुरू नहीं हो पाया जबकि आम आदमी पार्टी के नंबर दो, नंबर तीन, नंबर चार नेता यानी मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन और संजय सिंह जैसे नेताओं को ईडी ने लम्बे समय से जेल में बंद कर रखा है तो एक ऐसे मामले में अब ऐन लोकसभा चुनाव के समय आम आदमी पार्टी के मुखिया को गिरफ्तार करना और जेल भेजना सिर्फ भाजपा की हताशा और डर को ही साबित करता है.

केजरीवाल की गिरफ्तारी को विपक्षी नेताओं ने स्पष्ट रूप से लोकसभा चुनाव से जोड़ते हुए अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं. विपक्ष का मानना है कि भाजपा आगामी चुनाव में अपनी जीत को लेकर बुरी तरह आशंकित है. पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बांड के मामले में जैसी सख्ती बरती और राजनीति पार्टियों को मिलने वाले गुप्त चंदे को असंवैधानिक बता कर इसके खुलासे का दबाव स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया पर बनाया उससे भाजपा बौखला गयी है क्योंकि सबसे ज़्यादा यानी आधे से भी ज़्यादा गुप्त चन्दा यानी विभिन्न कंपनियों से अरबों रुपयों की अवैध धनवसूली भाजपा ने की है. इलेक्टोरल बांड पर भाजपा की फजीहत हो रही है. चुनाव प्रचार में इस अवैध धनवसूली को विपक्ष बड़ा मुद्दा बनाता, खासतौर से आम आदमी पार्टी देश भर में जनता के सामने भाजपा की कलई खोलतीकई , इसलिए इस हमले से बचने के लिए केंद्रीय जांच एजेंसी के कान उमेठे गए और वह तुरंत अरविन्द केजरीवाल के घर जा धमकी. इससे पहले भी कई विपक्षी नेताओं को चुन चुन कर जेल भेजा गया है. यह सब इसीलिए ताकि युद्ध का मैदान खाली हो जाए और खाली मैदान में भाजपा अकेले तलवार भांज कर विजयी हो जाए.

आम आदमी पार्टी शुरू से भाजपा की आँखों में कंकड़ की तरह चुभ रही है. विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत से जीतने के बाद भी आम आदमी पार्टी को केंद्र की मोदी सरकार ने कभी भी शान्ति से शासन नहीं चलाने दिया. शुरू से ही दिल्ली के उपराज्यपाल चुनी हुई सरकार के काम में बड़े बड़े अड़ंगे लगाते रहे. बावजूद इसके आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली की जनता के लिए बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बढ़िया काम कर दिखाए और जनता के दिल में अपनी बढ़िया छवि गढ़ ली. इससे भाजपा को असुरक्षा महसूस होने लगी. क्योंकि मनुवादी सोच के लोग लोकतंत्र को ख़त्म करके तानाशाही लाने की ओर बढ़ना चाहते हैं और कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जैसे राजनीतिक दल लोकतंत्र के खम्भे को संभाले हुए हैं. आम आदमी पार्टी की रणनीति देशभर में अपना विस्तार करने की है और उसने लोकसभा चुनाव 2024 में दिल्ली, हरियाणा और गुजरात में कांग्रेस के साथ गठबंधन किया है. वहीं, पंजाब में भी उसने सभी लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं. इससे भाजपा और डर गयी है.

देखा जाए तो 543 लोकसभा सीटों में से आम आदमी पार्टी, दिल्ली की 4, हरियाणा की 1, गुजरात की 2 और पंजाब की 13 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है. कुल 20 सीटों पर आम आदमी पार्टी की जीत-हार लोकतंत्र में बहुत मायने रखती है. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार करवा के आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका देने की कोशिश केंद्र की तरफ से की गयी है. लेकिन लोकसभा चुनाव में इसका असर उलटा भी हो सकता है. यह विपक्ष को एक बार फिर और ज्यादा मजबूती के साथ एकजुट होने की वजह दे सकती है. केजरीवाल की गिरफ्तारी पर जिस तरह से कांग्रेस समेत कई विपक्षी नेताओं ने भाजपा और केंद्र सरकार के खिलाफ आक्रामक प्रतिक्रियाएं दीं, उससे इसकी एक तस्वीर नजर आ रही है.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”डरा हुआ तानाशाह, एक मरा हुआ लोकतंत्र बनाना चाहता है.” उन्होंने दावा किया, ”मीडिया समेत सभी संस्थाओं पर कब्जा, पार्टियों को तोड़ना, कंपनियों से हफ्ता वसूली, मुख्य विपक्षी दल का अकाउंट ‘फ्रीज’ करना भी ‘आसुरी शक्ति’ के लिए कम था तो अब चुने हुए मुख्यमंत्रियों की गिरफ्तारी भी आम बात हो गई है.”

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के अध्यक्ष शरद पवार ने भी कहा कि केजरीवाल पर इस कार्रवाई के खिलाफ विपक्षी गठबंधन एकजुट है. उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी से पता चलता है कि भाजपा सत्ता के लिए किस हद तक गिर सकती है. अरविंद केजरीवाल के खिलाफ इस असंवैधानिक कार्रवाई के खिलाफ ‘इंडिया’ गठबंधन एकजुट है.’’

वही, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके के अध्यक्ष एमके स्टालिन ने भी केजरीवाल की गिरफ्तारी की निंदा की और इसे विपक्ष के ‘निरंतर उत्पीड़न’ का हिस्सा बताया. आम आदमी पार्टी की गोवा इकाई के अध्यक्ष अमित पालेकर ने कहा कि यह कार्रवाई केजरीवाल को आगामी लोकसभा चुनाव का प्रचार करने से रोकने के लिए है. पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने भी केजरीवाल की गिरफ्तारी की निंदा की और आश्चर्य जताया कि अगर चुनाव से पहले विपक्षी नेताओं और निर्वाचित मुख्यमंत्रियों को गिरफ्तार किया गया तो लोकतंत्र का क्या होगा. राज्यसभा में पार्टी के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने एक्स पर पोस्ट के जरिए आश्चर्य जताया कि अगर सुप्रीम कोर्ट और भारत का निर्वाचन आयोग अब कार्रवाई करने में विफल रहता है तो भविष्य में भाजपा की दमनकारी राजनीति के खिलाफ लोगों के साथ कौन खड़ा होगा?

अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद ईडी ने कोर्ट से उनकी 10 दिन की रिमांड मांगी है. कोर्ट में ईडी की ओर से कहा गया कि इस मामले में सरकारी गवाह बन चुके किसी आरोपी के बयान में कितनी सत्यता है, इस पर बहस सिर्फ ट्रायल के वक्त ही हो सकती है. रिमांड के दौरान इस पर बहस का कोई मतलब नहीं है.

दिल्‍ली शराब नीति मामले में अरविंद केजरीवाल की ओर से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुनवाई के दौरान कहा कि जांच में शामिल अब तक 50 फीसदी लोगों ने केजरीवाल का नाम नहीं लिया है. वहीं 82 फीसदी लोगों ने केजरीवाल के साथ किसी डीलिंग का जिक्र नहीं किया है. सिंघवी ने कहा आप बिना किसी कारण के गिरफ्तार नहीं कर सकते हैं. ऐसी कोई अनिवार्यता नहीं है कि अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किए बिना कोई जानकारी उनसे ना ली जा सके. ईडी कहती है कि उनके पास केजरीवाल के खिलाफ सारी सामग्री थी, तो फिर उसने आचार संहिता लागू होने तक इंतजार क्यों किया? क्या आप चुनाव का इंतजार कर रहे थे?

सिंघवी ने कहा, “भारत के इतिहास में पहली बार किसी मौजूदा मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया गया है. पहली बार ऐसा हुआ है कि उनकी पार्टी के पहले चार नेताओं को गिरफ्तार किया गया है. ऐसा लगता है जैसे पहला वोट डालने से पहले ही भाजपा को नतीजे पता चल गए हों.” सिंघवी ने कहा कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले हैं. चुनाव के लिए नॉन लेवल फील्ड बनाया जा रहा है. सभी बड़े नेता जेल में हैं. चुनाव नजदीक हैं. इससे संविधान की मूल संरचना प्रभावित होती है. इसका असर लोकतंत्र पर पड़ता है.

शराब पॉलिसी मामले में अरविंद केजरीवाल की भूमिका और ईडी के आरोप

हाल ही में ईडी ने एक प्रेस नोट जारी कर शराब नीति मामले में बीआरएस की नेता के कविता को मुख्य साजिशकर्ता बताया. ईडी ने कहा कि के कविता ने अरविंद केजरीवाल, संजय सिंह और मनीष सिसोदिया के साथ मिलकर साजिश की. शराब नीति में बदलाव करवाए और फिर उसे अपनी तरह से लागू कराया. इसके बदले में साउथ की शराब लॉबी ने आम आदमी पार्टी को एकमुश्त 100 करोड़ रुपये दिए. इसके बाद शराब के थोक कारोबार में जो कमीशन 12 परसेंट किया गया, उसमें से 6 परसेंट वापस आम आदमी पार्टी को भेजा गया. केजरीवाल का नाम कुछ आरोपियों और गवाहों के बयानों में आया. इसका जिक्र एजेंसियों ने अपने रिमांड नोट और चार्जशीट में किया है.

ईडी के मुताबिक विजय नायर ने खोले राज

शराब पॉलिसी में आरोपी विजय नायर का मुख्यमंत्री कार्यालय में पूरी तरह आना जाना था और वो ज्यादातर समय वहीं बिताता था. वह मुख्यमंत्री केजरीवाल से काफी बात करता था. विजय नायर ने कई शराब कारोबारियों को बताया कि वो शराब पॉलिसी को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से चर्चा करता है. विजय नायर ने ही इंडोस्प्रिट के मालिक समीर महेंद्रू की मुलाकात अरविंद केजरीवाल से करवाई. जब मुलाकात सफल नहीं हुई तो उसने अपने फोन से फेस टाइम एप पर वीडियो कॉल के जरिए समीर महेंद्रू और अरविंद केजरीवाल की बात करवाई. बातचीत में अरविंद केजरीवाल ने कहा की विजय नायर अपना बच्चा है, उस पर विश्वास करें और सहयोग करें.

राघव मगुंटा की गवाही

बकौल ईडी साउथ की शराब लॉबी से पहले आरोपी और अब गवाह बने राघव मगुंटा ने बताया कि उसके पिता मगुंटा श्रीनिवासुलू रेड्डी (एमएसआर) जो वाईएसआर कांग्रेस के सांसद हैं, ने दिल्ली शराब पॉलिसी के बारे में और ज्यादा जानने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की थी. केजरीवाल ने दिल्ली में शराब के कारोबार के लिए उनका स्वागत किया था.

पूर्व सचिव के आरोप

मनीष सिसोदिया के पूर्व सचिव सी अरविंद ने 7 दिसंबर 2022 को अपने बयान में कहा कि मार्च 2021 में उन्हें मनीष सिसोदिया से एक ड्राफ्ट रिपोर्ट मिली. जब मनीष सिसोदिया के बुलाने पर वो अरविंद केजरीवाल के घर गए तो वहां सत्येंद्र जैन भी मौजूद थे. ये डॉक्यूमेंट उन्होंने पहली बार देखा था क्योंकि किसी मीटिंग में ऐसे किसी प्रपोजल पर चर्चा नहीं हुई थी और इसी डॉक्यूमेंट के आधार पर उन्हें ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा गया. इस रिपोर्ट में शराब का थोक कारोबार निजी लोगों को देने की बात थी.

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