जब तक इंडिया ब्लौक का आपसी गठबंधन नहीं हुआ था तो भाजपा रोज सवाल पूछती थी कि उस के गठबंधन और टिकट वितरण में सब ठीक नहीं चल रहा है. इंडिया गठबंधन ने अपना गठबंधन बना लिया तब दबाव भाजपा पर आ गया कि वह अपने गठबंधन में क्या कर रही है? उन के बीच टिकट कैसे बंट रहे हैं.

भाजपा ने इस बीच अपनी बढ़त दिखाने के लिए अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी. इस लिस्ट में सहयोगी दलों का कोई हिस्सा नहीं है. भाजपा ने यह कहा था कि जो 3 बार से सासंद है, जिन की उम्र 72 साल के ऊपर है और जो ठीक तरह से अपना काम नहीं कर रहे है उन के टिकट कट सकते हैं.

भाजपा ने अंदरखाने मीडिया के जरिए यह बात भी प्रचारित की कि 30 प्रतिशत मौजूदा सांसदों के टिकट कटेंगे. राज्य सरकारों के मंत्री विधायकी छोड़ कर लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे. जब भाजपा की लिस्ट सामने आई तो ये सारी बातें हवाहवाई हो गईं. उत्तर प्रदेश में 51 सीटों में से एक भी सीट पर जीते हुए सासंद का टिकट नहीं कटा. 72 साल के ऊपर वाले भी और जो सक्रिय नहीं हैं उन को भी टिकट दिया गया है.

मथुरा की सांसद हेमा मालिनी की उम्र 75 साल है. इस के बाद भी वे चुनाव लड़ेंगी. भाजपा को सब से अधिक उम्मीद उत्तर प्रदेश से है. यहां 6 सीटें सहयोगी दलों को दी हैं उस ने. इस प्रदेश में सभी पार्टी 80 सीटें जीतने का लक्ष्य ले कर चल रही है. इस लक्ष्य के डर से भाजपा ने यहां कोई फेरबदल नहीं किया है.

योगी सरकार के कुछ मंत्रियों को लोकसभा चुनाव मैदान में उतारा जा सकता था. कोई मंत्री अपनी कुरसी छोड़ कर चुनाव लड़ने को तैयार नहीं हुआ. इस की वजह यह बताई जा रही है कि मंत्रियों के सामने रीता बहुगुणा जोशी का उदाहरण मौजूद है.

2019 के लोकसभा चुनाव के समय वे उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री थीं. मंत्री पद छोड़ कर लोकसभा का चुनाव लड़ा. सांसद बनीं. इस के बाद उन को कहीं पद नहीं मिला. वे सांसद बन कर रह गईं. सांसद बनने के चक्कर में मंत्री पद चला गया. इस कारण अब कोई मंत्री यह रिस्क लेने को तैयार नहीं.

उत्तर प्रदेश के एक कैबिनेट मंत्री और डिप्टी सीएम का नाम लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए चर्चा में था. रीता बहुगुणा की हालत देख कर उन्होंने हिम्मत नहीं दिखाई. इस के अलावा एक और कारण है. कांग्रेस और सपा का गठजोड़ होने के बाद भाजपा पहले जैसी ताकतवर नहीं दिखाई दे रही. इस कारण मंत्री विधायकी छोड़ सांसदी लड़ने को तैयार नहीं हैं.

पहली लिस्ट में अपनों को ही टिकट

भाजपा ने अपनी पहली लिस्ट में अपनी ही पार्टी के लोगों को टिकट दिया है. गठबंधन की सीटों को छोड़ दिया है. उस ने लोकसभा चुनाव के लिए 195 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की. 2019 में भाजपा ने कुल 303 सीटें जीती थीं. 2024 के लिए उस ने 370 सीटे जीतने की बात कही है. 195 सीटों में उत्तर प्रदेश की 51, पश्चिम बंगाल की 20, मध्य प्रदेश की 24, गुजरात और राजस्थान की 15-15 सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की. इस के अलावा केरल की 12, तेलंगाना, असम, छत्तीसगढ़ और झारखंड की 11-11 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए.

भाजपा ने दिल्ली की 5 सीटों, उत्तराखंड की 3 और जम्मूकश्मीर की 2 सीटों के लिए उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं. वहीं गोवा, त्रिपुरा, अंडमान और निकोबार और दमन व दीव की एक-एक सीट पर उम्मीदवारों के नाम तय किए हैं.

भाजपा की पहली सूची में प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री शाह और रक्षा मंत्री सिंह समेत कुल 34 केंद्रीय मंत्रियों के नाम हैं जिन में राज्यमंत्री भी शामिल हैं. इस के अलावा लोकसभा के स्पीकर ओम बिड़ला और पूर्व मुख्यमंत्रियों शिवराज सिंह चौहान, बिप्लव देब और सर्वानंद सोनेवाल को भी टिकट दिया गया है.

भाजपा ने कुल 28 महिलाओं और 50 साल से कम उम्र के 47 नेताओं को टिकट दिया है. पहली सूची में 27 अनुसूचित जाति, 18 अनुसूचित जनजाति और 57 ओबीसी को टिकट दिए हैं. जिन नेताओं का टिकट कटा उन में भोपाल की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर भी शामिल हैं. दिल्ली के 4 मौजूदा सांसदों को टिकट भी नहीं दिया गया. आलोक शर्मा को साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की जगह भोपाल से टिकट दिया गया है. प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने 2019 में कांग्रेस के दिग्विजय सिंह को मात दी थी.

भाजपा ने दिल्ली के सीनियर नेता हर्षवर्धन, केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी, रमेश बिधूड़ी और परवेश वर्मा को टिकट नहीं दिया है. मध्य प्रदेश के गुना से के पी सिंह यादव को टिकट नहीं दिया गया. विदिशा, ग्वालियर और मुरैना में भी चेहरे बदल दिए गए हैं. राजस्थान में 15 उम्मीदवारों के नाम का एलान किया गया है. इन में से 5 सीटों पर मौजूदा सांसदों को टिकट नहीं मिला है.

झारखंड के हजारीबाग से मनीष जायसवाल को टिकट दिया गया है. अभी यहां के सांसद जयंत सिन्हा हैं. जंयत सिन्हा ने राजनीति से सन्यास लेने की बात कही है.पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह विदिशा, केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना से और पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव राजस्थान के अलवर, स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया गुजरात के पोरबंदर से चुनाव लड़ेंगे. 2019 में अमेठी से राहुल गांधी को हराने वाली केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी फिर से अमेठी से उम्मीदवार होंगी. केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू को अरुणाचल पश्चिम सीट से उम्मीदवार बनाया गया है.

भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता दिनेश लाल निरहुआ को आजमगढ़ से टिकट दिया गया है. बीजेपी ने अभिनेत्री हेमा मालिनी को फिर से उत्तर प्रदेश के मथुरा से टिकट दिया है. वहीं पूर्व मंत्री महेश शर्मा को गौतमबुद्धनगर से उम्मीदवार बनाया गया है. इस के अलावा साक्षी महाराज और एस पी सिंह बघेल को भी टिकट दिया गया है. लखीमपुर खीरी से अजय मिश्रा टेनी को उम्मीदवार बनाया है. लखीमपुर खीरी में प्रदर्शनकारी किसानों पर हमले में 4 लोगों की मौत के बाद टेनी विवादों में फंस गए थे. भाजपा ने उन पर फिर से भरोसा जताया है. किसान नेताओं ने टेनी को टिकट दिए जाने का विरोध किया है.

दिल्ली में नए चेहरों को टिकट दिया गया है. भाजपा की दिग्गज नेता रहीं सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज को भी टिकट दिया गया है. उत्तरपूर्वी दिल्ली से सांसद मनोज तिवारी को फिर से उम्मीदवार बनाया गया है. दिल्ली के भाजपा नेता हर्षवर्धन ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा कि उन की ईएनटी यानी नाक कान गले वाली क्लीनिक अब खुलने लगेगी. यानी, अब राजनीति छोड़ कर वे अपनी क्लीनिक संभालेंगे.

मजेदार बात यह है कि गौतम गंभीर, हर्षवर्धन, जयंत सिन्हा ने राजनीति छोड़ने की बात कह दी. भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता पवन सिंह ने असानसोल से चुनाव लड़ने से मना कर दिया. इस की वजह यह है कि पवन सिंह ने बंगाली महिलाओं को ले कर भोजपुरी के ऐसे गाने गाए जिन को अश्लील माना जा सकता है.

टीएमसी ने पवन सिंह का विरोध कर दिया. पवन सिंह के सामने चिंता की दूसरी बात यह थी कि उन का मुकाबला अभिनेता शत्रुघन सिन्हा से है. ऐसे में हार के डर से पवन सिंह ने आसनसोल से चुनाव लड़ने से मना कर दिया है. अभी सहयोगी दलों के साथ रार बाकी है. देखना है, भाजपा की दूसरी लिस्ट में क्या बवाल होता है. टिकट बंटवारे से 370 सीटों तक भाजपा का पहुंचना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन दिख रहा है.

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