उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में 11 फरवरी को पत्नी से प्रताड़ित हो कर एक युवक ने एसपी औफिस के बाहर जहर खा कर जान दे दी. 2 महीने पहले ही उस की शादी हुई थी. प्रदीप नाम का वह व्यक्ति अपनी पत्नी की प्रताड़ना से परेशान था. पुलिस ने उस की शिकायत दर्ज नहीं की थी. इस के बाद वह एसपी आवास के बाहर पहुंचा और वहां उस ने जहर खा लिया.

मिर्जापुर में 8 फरवरी को पत्नी से परेशान हो कर एक व्यक्ति कलेक्ट्रेट में धरने पर बैठ गया. पीड़ित पति ने धरनास्थल पर बैनर लगाया जिस में उस ने पत्नियों से सावधान रहने के लिए लोगों से अपील की. उस का कहना था कि उस की सुनवाई नहीं हो रही है. उस ने अपनी पत्नी को गुजाराभत्ता देने की लिए एक बौक्स बनाया जिस में उस ने एक स्लिप चिपका रखी थी. उस में लिखा था- ‘पत्नी गुजाराभत्ता की भीख’. वह इस तरह प्रशासन को अपनी स्थिति से अवगत कराने का प्रयास कर रहा था.

ऐसा नहीं है कि पति ही प्रताड़ित होते हैं. अखबारों में पत्नियों पर हो रहे प्रताड़ना के समाचार भरे पड़े हैं. 30 जनवरी को एक पत्नी के साथ जबरदस्ती रेप के आरोप में पति को कोर्ट ने 20 साल की सजा सुनाई. बिहार के चंपारण में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने आरोपी पति को दोषी मानते हुए 20 वर्ष कठोर कारावास की सजा सुनाई, साथ ही, 60 हजार रुपए जुर्माना भी लगाया.

राष्ट्रीय अपराध रिकौर्ड ब्यूरो के हालिया आंकड़े देखें तो पिछले साल 22,372 गृहिणियों ने आत्महत्या की थी. इस के अनुसार, हर दिन 61 और हर 25 मिनट में एक आत्महत्या हुई है. देश में 2020 में हुईं कुल 153,052 आत्महत्याओं में से गृहिणियों की संख्या 14.6 प्रतिशत है और आत्महत्या करने वाली महिलाओं की संख्या 50 प्रतिशत से ज्यादा है.

नेशनल फैमिली हैल्थ रिपोर्ट के अनुसार, हर 3 में से एक महिला घरेलू हिंसा की शिकार होती है. वर्ष 2022 में राष्ट्रीय महिला आयोग ने घरेलू हिंसा के 6,900 मामले दर्ज किए.

दरअसल यहां समस्या पति व पत्नी के बीच आपसी तालमेल और एकदूसरे को समझने की है. पुरुषों को बचपन से यह सिखाया जाता है कि पत्नी उस के अधीन रहेगी. उसे पत्नी और परिवार का खर्च उठाना है. वह मालिक होगा और पत्नी उस की गुलाम. पत्नी ही उस के सारे काम करेगी. वहीं लड़कियों को बचपन से ही यह घुट्टी पिलाई जाती है कि पति ही परमेश्वर है. हर हालत में पति की बात माननी होगी. घर, परिवार और बच्चों को संभालना होगा. खाना बनाना होगा. पति के सारे काम करने होंगे.

पुराणों में महिलाओं को यह भी सिखाया जाता है कि वे अपने पतियों को नाम से न बुलाएं. दरअसल स्कंद पुराण में लिखा है कि पतियों को नाम से बुलाने पर उन की उम्र घटने लगती है. इसलिए पतियों की लंबी आयु के लिए महिलाएं कभी भी उन्हें उन के नाम से संबोधित नहीं करतीं. पत्नी को पतिव्रता बनने के धर्म सिखाए जाते हैं.

स्कंद पुराण में यह भी लिखा है कि वही महिलाएं पतिव्रता स्त्री कहलाती हैं जो अपने पतियों के खाने के बाद ही भोजन करती हैं. जो महिलाएं अपने पतियों के सोने के बाद सोती हैं और सुबह पति के उठने से पहले उठ जाती हैं उन्हें ही पतिव्रता पत्नी का दर्जा दिया जाता है. यदि उन का पति किसी कारणवश उन से दूर रहता हो तो एक पतिव्रता स्त्री को कभी श्रृंगार नहीं करना चाहिए.

गरुण पुराण के 18 अध्याय के 108वें श्लोक में पत्नीधर्म का वर्णन नीचे लिखे श्लोक में दिया गया है:

सा भार्या या गृहे दक्षा सा भार्या या प्रियंवदा.
सा भार्या या पतिप्राणा सा भार्या या पतिव्रता.

मतलब, पत्नी वही है जो गृहकार्य में दक्ष हो, सब से प्रिय वचन बोले, बड़ों की इज्जत करे, पति को सर्वोपरि का दर्जा दे और पत्नी के जीवन में पति के अतिरिक्त कोई पुरुष न हो.

ऐसेहु पति कर किए अपमाना. नारि पाव जमपुर दुख नाना॥
एकइ धर्म एक ब्रत नेमा. कायं बचन मन पति पद प्रेमा॥5॥

भावार्थ: ऐसे भी पति का अपमान करने से स्त्री यमपुर में भांतिभांति के दुख पाती है. शरीर, वचन और मन से पति के चरणों में प्रेम करना स्त्री के लिए, बस यह एक ही, धर्म है, एक ही व्रत है और एक ही नियम है.

इस तरह की मान्यताएं और मिलने वाली सीखें ही दांपत्य जीवन में जहर घोलती हैं. क्योंकि इस से एकदूसरे से अपेक्षाएं बढ़ जाती हैं. जिम्मेदारियों का बोझ भी बढ़ जाता है. जिसे उठाना पतिपत्नी दोनों के लिए ही आसान नहीं. वे एकदूसरे को गलत समझने लगते हैं. खुद को पीड़ित मान बैठते हैं. लड़की पढ़ीलिखी या पैसे वाले घर की हो तो उस का ईगो भी हर्ट होने लगता है. वह खुद को गुलाम समझने से इनकार करती है. यहीं से ईगो का क्लैश शुरू हो जाता है.

हाल ही में रिलीज हुई शिल्पा शेट्टी की फिल्म ‘सुखी’ एक हाउसवाइफ की जिंदगी के स्ट्रगल्स को दिखाती है. वह केवल एक दिन के लिए अपने दोस्तों से मिलने दिल्ली जाना चाहती है मगर उस के पति और बेटी ने उस को साफ मना कर दिया कि फिर घर कौन संभालेगा? मतलब, एक औरत घर संभालने और दूसरों को सुविधाएं देने के लिए ही बनी है, अपनी ख़ुशी के लिए उसे एक दिन भी नहीं मिल सकता. शिल्पा पति के मना करने के बावजूद चली जाती है और अपने दोस्तों के साथ मिल कर जिंदगी जीने का नया नजरिया ढूंढ़ती है. अपनी सभी पुरानी समस्याओं को भूल कर वह आगे बढ़ती है और अपनी जिंदगी को नए सिरे से जीने की कोशिश करती है. इस फिल्म में दिखाया जाता है कि एक कौमन हाउसवाइफ भी अनकौमन हो सकती है.

इसी तरह वर्ष 2000 में रिलीज हुई फिल्म ‘अस्तित्व’ भी महिलाओं की स्थिति दिखाती है. भारत के पितृसत्तात्मक समाज को दिखाने वाली यह फिल्म एक्सट्रामैरिटल अफेयर, पति का एब्यूज और एक महिला के अपनी पहचान को खोजने की कहानी है. आखिर में वह महिला अपने पति और बेटे को छोड़ कर चली जाती है और उस की होने वाली बहू उस का साथ देती है जो खुद अपने बौयफ्रैंड को छोड़ देती है.

वहीं, ‘पद्मावत’ जैसी फिल्में भी हैं. संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावत’ में रानी पद्मावती का जौहर बेहद भव्य तरीके से दिखाया गया है. रानियों और राज्य की सभी महिलाओं ने खुद को क्रूर शासक अलाउद्दीन खिलजी और उस की सेना से बचाने के लिए आग में कूद कर अपनी जान दे दी. फिल्म में जौहर को जितनी भव्यता से दिखाया गया है और उस का महिमामंडन किया गया उसे आज के समाज में स्वीकारना संभव नहीं. पुराने समय में जौहर के साथ सतीप्रथा भी काफी प्रचलित थी.

वह ऐसा समय था जब भारतीय समाज में पति की मृत्यु के बाद पत्नी को अपनी पवित्रता और प्रेम साबित करने के लिए पति की चिता के साथ ही जिंदा जला दिया जाता था. कई स्त्रियां इसे प्रेम से करती थीं लेकिन कई स्त्रियों को सिर्फ प्रथा के नाम पर आग में जिंदा जलने के लिए झोंक दिया जाता था. उन की चीखें, दर्द सबकुछ इस प्रथा की आड़ में छिप जाते थे.

आज की स्त्री पढ़ीलिखी है. वह भी अपना वजूद साबित करना चाहती है और इस में कुछ बुराई नहीं है. हम अपने बच्चों को अगर यह सिखाना शुरू करें कि शादी के बाद अपने रिश्तों को कैसे संभालना है और एकदूसरे का ख़याल रखते हुए शादी कैसे मैनेज करना है तो यह बेहतर होगा.

हमें समझना होगा कि पतिपत्नी एक ही गाड़ी के 2 पहिए हैं. दोनों में कोई अगर अपना काम करना बंद कर दे तो जिंदगी की गाड़ी पटरी से उतर जाती है. इसलिए एकदूसरे को सपोर्ट देने से ही दांपत्य जीवन सही से चल पता है. कार के गियर की तरह उन्हें एकदूसरे के साथ मैनेज करना होगा. गियर के दांत एक अक्ष पर गियर के दांतों के साथ दूसरे अक्ष पर जाल बनाते हैं और इस प्रकार दोनों अक्षों के घूमने के बीच एक संबंध बनता है. जब एक धुरी घूमती है तो दूसरी भी घूमती है. गियर को अलगअलग पैटर्न में व्यवस्थित किया जाता है. वैसे ही, पतिपत्नी आपसी रिश्तों में एकदूसरे के पूरक बन कर आगे बढ़ें.

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