7 फरवरी को पटना के एक एसएचओ सुदामा सिंह पर रेप करने और अश्लील वीडियो बना कर ब्लैकमेल करने का आरोप लगा है. पीड़ित महिला दारोगा ने थाने में केस दर्ज करा कर बताया कि उस की न्यूड वीडियो बना कर थानेदार उसे ब्लैकमेल करता था.

पीड़ित महिला दरोगा ने आरोप लगाया कि थानेदार सुदामा सिंह उसे प्रताड़ित करता रहता था. अपने आवास पर आने के लिए दबाव बनाता था और धमकी देता था कि उस के कहने के अनुसार काम करो वरना काम में लापरवाही के आरोप में सस्पैंड करवा दूंगा. पीड़ित महिला दरोगा नौकरी बचाने के डर से एक दिन उस के आवास पर चली गई. वहां पर थानेदार ने उस को कौफी पीने को दिया जिस में बेहोशी की दवा मिला दी. जब महिला दरोगा को होश आया तो वह थानेदार के घर पर न्यूड हालत में थी. थानेदार ने अश्लील वीडियो बना लिया और ब्लैकमेल कर शारीरिक संबंध बनाता रहा. इस दौरान वह प्रैग्नैंट हुई तो उस का गर्भपात भी करवा दिया.

5 फरवरी को शाहजहांपुर में एक युवक ने दहेज के लिए हद पार कर दी. उस ने अपनी पत्नी के अश्लील फोटो और वीडियो वायरल कर दिए. विवाहिता को जब इस का पता चला तो उसे गहरा सदमा लगा. उस की शिकायत पर थाना पुलिस ने सुनवाई नहीं की. बाद में सीओ के आदेश पर 5 आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है.

3 जून, 2023 को लुधियाना में रहने वाली मीनाक्षी (37) ने अपने ससुराल वालों से तंग आ कर जहरीला पदार्थ निगल लिया. इलाज के दौरान उस की मौत हो गई. मीनाक्षी की शादी करीब 5 साल पहले आरोपी बिट्टू वर्मा के साथ हुई थी. आरोपी नशा करने का आदी था और नशे की हालत में मीनाक्षी के साथ मारपीट करता था. इसी से तंग आ कर उस ने खुद को ही खत्म कर लिया.

कुछ महीने पहले पहले देशभर के मीडिया में एक खबर छपी कि यूपी के आगरा में रहने वाली एक 19 साल की लड़की ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली. उस के चचेरे भाई ने घर में ही बाथरूम में नहाते हुए उस का न्यूड वीडियो बना लिया. फिर वीडियो दिखा कर उसे ब्लैकमेल करने लगा. गैरवाजिब डिमांड की और न मानने पर उस वीडियो को इंटरनैट पर डाल देने व वायरल कर देने की धमकी दी.

जाहिर है, छिप कर न्यूड वीडियो लड़के ने बनाया था. ब्लैकमेल लड़का कर रहा था. वीडियो वायरल करने की धमकी लड़का दे रहा था. और इन सब के जवाब में अपनी जिंदगी खत्म कर ली लड़की ने. उस ने अपने घरवालों को सच नहीं बताया. वह पुलिस के पास भी नहीं गई. खुद बचने या लड़के को दंडित करने का प्रयास भी नहीं किया और किसी से मदद भी नहीं मांगी. वह सिर्फ शर्मिंदा हुई और डरी. वह शर्मिंदा हुई वीडियो में दिख रहे अपने नग्न शरीर पर, अपने बदनाम हो जाने के खयाल पर और इन सारी शर्मिंदगियों से मुक्ति पाने का एक ही रास्ता उसे समझ में आया कि अपनी जिंदगी खत्म कर लो. उस ने यह नहीं सोचा कि अपराधी यानी दोषी लड़के को ही खत्म कर दो या ऐसी कोई सजा दो कि वह किसी और के साथ ऐसा करने के लायक न रहे.

ऐसा ही कुछ अमेरिका के फ्लोरिडा में हुआ. एक स्टौकर ने एक लड़की के न्यूड फोटो इंटरनैट पर वायरल कर दिए. सुबह जब वह सो कर उठी तो देखा कि पूरा सोशल मीडिया उस की नग्न तसवीरों से भरा पड़ा है. उस दिन नई कंपनी में उस की जौइनिंग थी. लड़की पुलिस के पास गई. मगर काफी सारा समय गुजर गया. पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही. स्टौकर मजे से घूमता रहा. फिर टैक्नोलौजी की मदद से उस लड़की और उस की जुड़वां बहन ने मिल कर उस स्टौकर को खोज निकाला.

इंटरनैट पर अपनी न्यूड फोटोज देख कर सदमा तो इस लड़की को भी लगा था, दुख भी हुआ था और थोड़ा डर, थोड़ी शर्मिंदगी भी, लेकिन उस ने मरने का रास्ता नहीं चुना. उस ने लड़ने और स्टौकर को सबक सिखाने का रास्ता चुना.

दरअसल नंगा है यह पूरा का पूरा समाज जो लड़कों को ऐसा करने को प्रोत्साहित करता है और लड़कियां फांसी लगा कर या जहर खा कर अपनी जान देती हैं. अश्लील वीडियो बनाने और उसे इंटरनैट पर डालने वाले लड़के सीना चौड़ा कर के घूमते रहते हैं जबकि लड़कियां शर्म से जान दे देती हैं. समाज लड़कियों को सिखाता है कि इज्जत बचा कर रखो लेकिन लड़कों को कोई नहीं सिखाता कि लड़की की इज्जत वे कैसे करें.

राष्ट्रीय अपराध रिकौर्ड ब्यूरो के हालिया आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल 22,372 गृहिणियों ने आत्महत्या की थी. इस के अनुसार हर दिन 61 और हर 25 मिनट में एक आत्महत्या हुई है. देश में 2020 में हुईं कुल 153,052 आत्महत्याओं में से गृहिणियों की संख्या 14.6 प्रतिशत है और आत्महत्या करने वाली महिलाओं की संख्या 50 प्रतिशत से ज्यादा है.

यह स्थिति केवल पिछले साल की नहीं है. हर साल कमोबेश यही हालत रही है. रिपोर्ट में इन आत्महत्याओं के लिए ‘पारिवारिक समस्याओं’ या ‘शादी से जुड़े मसलों’ को जिम्मेदार बताया गया है. मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस का एक प्रमुख कारण बड़े पैमाने पर घरेलू हिंसा है.

हाल ही में हुए एक सरकारी सर्वे में 30 प्रतिशत महिलाओं ने बताया था कि उन के साथ पतियों ने घरेलू हिंसा की है. ऐसे घरों में महिलाओं का दम घुटता है. महिलाएं बहुत सहनशील होती हैं लेकिन सहने की भी एक सीमा होती है.

दुनिया की कुछ महिलाएं हैं जिन्होंने अपने पति को रूह कंपा देने वाली मौत दी है. जितना उन्हें पति ने सताया उतना ही पति को टौर्चर कर उन्होंने हिसाब बराबर किया.

वर्ष 2000 में कैथरीन ने अपने एक्स हसबैंड जौन चार्ल्स थौमस प्राइस पर कसाई वाले चाकू से 37 बार हमला किया. इस के बाद उस की बौडी से स्किन खरोंच कर अपने लाउंज रूम में लगे मीट हुक में टांग दिया. उस ने मरे हुए हसबैंड के सिर को कुकर में पकाया और सब्जी के साथ बच्चों को परोस दिया. जब वह ऐसा कर रही थी तभी पुलिस ने उसे अरेस्ट कर लिया था.

इसी तरह दिसंबर 2008 में आस्ट्रेलिया में रहने वाली रजनी नारायण ने अपने सोते हुए हसबैंड के प्राइवेट पार्ट में पैट्रोल छिड़क कर आग लगा दी. अचानक हुए इस अटैक से उस का पति सतीश नारायण घबरा गया और पास रखी स्पिरिट की बोतल अपने ऊपर उड़ेल ली. इस से आग भड़क गई और वह बुरी तरह झुलस गया. हादसे के 20 दिनों के बाद उस की मौत हो गई.

ऐसा ही कुछ लंदन में रहने वाली भारतीय मूल की किरण अहलूवालिया ने किया. 1989 में किरणजीत अहलूवालिया ने अपने पति दीपक के ऊपर कास्टिक सोडा और पैट्रोल का मिक्सचर डाल कर आग लगा दी. किरण का आरोप था कि दीपक उस को काफी टौर्चर करता था. उस के साथ मारपीट करना और हर दिन रेप करना दीपक के लिए आम बात थी. 10 साल तक किरण ने सब बरदाश्त किया. लेकिन फिर सोते हुए दीपक को जिंदा जला दिया. इस हमले के बाद दीपक की मौत हो गई.

दरअसल किरण अहलूवालिया की 1979 में 24 साल की उम्र में अरेंज मैरिज हुई. वह अपने पति दीपक के परिवार के साथ ब्रिटेन में रहने आई तो वह बहुत कम इंग्लिश बोलती थी. दीपक ने उस के साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया. वह किरण को धक्का देता, बालों को खींचता, मारता और उस के पैरों पर भारी तवे गिरा देता. उस के साथ गुलामों जैसा व्यवहार करता. पसंद की चीजें न खाने देता. वह उस से इतना डरती थी कि कुछ न कहती. वह रात में सोने से भी बहुत डरती थी क्योंकि दीपक उस से यह कह कर अकसर दुष्कर्म करता रहता कि यह उस का अधिकार है. उसे अपने परिवार से कोई मदद नहीं मिली.

इसी दौरान किरण अहलूवालिया के 2 बेटे हुए जो अकसर हिंसा के गवाह बने. एक रात जब वह दीपक के लिए खाना बनाने के बाद सोने चली गई तो उस ने उसे जगाया और पैसे की मांग की. जब किरण ने इनकार कर दिया तो उस ने किरण की एड़ियां मरोड़ कर तोड़ने की कोशिश की. फिर एक गरम लोहा उठाया और बालों को पकड़ते हुए गरम लोहे को उस के चेहरे पर रख दिया. किरण दर्द से चीख उठी. थोड़ी देर बाद दीपक चैन से सोने चला गया और किरण के मन में दर्द व गुस्से का लावा फूट पड़ा जो उस ने 10 साल से अपने अंदर दबा रखा था.

वह पैट्रोल की एक कैन ले कर उस के पास आई और पति के पैरों पर छिड़क कर आग लगा दी. वह पति को दिखाना चाहती थी कि कितना दर्द होता है. कई बार उस ने भागने की कोशिश भी की थी लेकिन वह उसे पकड़ लेता था और जोर से पीटता भी था. इसलिए किरण ने उस के पैर जलाने का फैसला किया ताकि वह पीछे न भाग सके.

घटना के 5 दिनों बाद दीपक की मृत्यु हो गई और अहलूवालिया पर हत्या का आरोप लगाया गया. उस ने खुद को बेकुसूर बताया लेकिन उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. जेल में उस की मुलाकात एक अंगरेज दोस्त से होती है जो उस के साथ सहानुभूति दिखाता है. धीरेधीरे यह मामला एक एनजीओ के सामने आता है जो उस की रिहाई की मांग करता है. यह बात साबित की गई कि जब उस ने अपने पति की हत्या की तो वह गंभीर अवसाद में थी. बाद में हालात पर विचार करते हुए उसे रिहा कर दिया गया.

सच तो यह है कि अत्याचार करने वाले से ज्यादा दोषी अत्याचार सहने वाला होता है. महिलाओं के साथ भी ऐसी ही स्थिति है. इसे बदलना किसी और के नहीं, बल्कि खुद महिलाओं के हाथ में है. हमारी फिल्मों में भी कभीकभी इस विषय को उठाया गया है. ऐसी कुछ फिल्में हैं जिन में महिलाओं ने अपने साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई और लड़ाई लड़ी.

किरण के जीवन पर आधारित एक फिल्म ‘प्रोवोक्ड’ बनाई गई थी. एक एब्यूसिव रिलेशनशिप का अंजाम क्या हो सकता है और चुप्पी रखने का नतीजा क्या होता है, यह सब फिल्म ‘प्रोवोक्ड’ में बखूबी दिखाया गया था. 2006 में रिलीज हुई यह फिल्म सच्ची घटना पर आधारित थी. इस फिल्म में ऐश्वर्या राय बच्चन लीड रोल में थीं. ऐश्वर्या ने ऐसी महिला का किरदार निभाया जिस का पति उसे क्रूरता के साथ टौर्चर करता है और आखिर में वह उस की जान ले लेती है.

तापसी पन्नू स्टारर फिल्म ‘थप्पड़’ में भी दिखाया गया कि घरेलू हिंसा और मारपीट के खिलाफ आवाज उठाना कितना जरूरी है. 2020 में रिलीज हुई इस फिल्म में एक ऐसी महिला की कहानी दिखाई गई जो पति द्वारा हाथ उठाए जाने पर उस के खिलाफ ऐक्शन लेती है और रिश्ता तोड़ लेती है. फिल्म में तापसी पन्नू ने अमृता नाम की एक ऐसी महिला का किरदार निभाया जो एक परफैक्ट पत्नी, बहू और बेटी है. वह कमाल की डांसर भी है और चाहती तो उस में कैरियर भी बना सकती थी. लेकिन घरपरिवार के आगे अमृता खुद को कुरबान कर देती है. वह पति की खुशी में ही खुश होना सीख लेती है. लेकिन जब उस का पति सरेआम उसे जोर का थप्पड़ मारता है तो अमृता की आंखें खुल जाती हैं. जहां उस के परिवार वाले और रिश्तेदार थप्पड़ को भूल कर आगे बढ़ने की सलाह देते हैं वहीं अमृता पति के खिलाफ जाने का फैसला करती है. अमृता किसी भी तरह की घरेलू हिंसा और एब्यूसिव रिलेशनशिप के खिलाफ है और इसलिए उसे एक थप्पड़ से भी आपत्ति होती है.

इसी अवधारणा पर कुछ समय पहले एक वैब सीरीज बनाई गई थी- ‘क्रिमिनल जस्टिस: बिहाइंड क्लोज्ड डोर्स’. यह वैब सीरीज घरेलू हिंसा का वह भयावह पक्ष दिखाता है कि घरेलू हिंसा क्या हो सकती है और अगर महिला की परिस्थितियों और मानसिक स्थिति पर विचार नहीं किया गया तो उस के साथ कितना घोर अन्याय हो सकता है.

इस वैब सीरीज की कहानी एक ऐसी महिला के इर्दगिर्द घूमती है जो एक रात अपने ‘परफैक्ट’ पति का मर्डर कर देती है और अपना अपराध भी कुबूल कर लेती है. पहली नजर में यह एक सीधासाधा मामला प्रतीत होता है लेकिन जब बचाव पक्ष के वकील केस की तह तक जाते हैं तो असली कहानी सामने आती है. आरोपी महिला के साथ निरंतर यौन और मानसिक शोषण का मामला सामने आता है. इस में महिला की दुविधा, घुटन और दर्द को महसूस किया जा सकता है जो स्थिति की शिकार होने के बावजूद लगातार आंतरिक अपराधबोध से लड़ रही है.

अत्याचार सहना है गलत

चाहे पतिपत्नी हो या फिर गर्लफ्रैंडबौयफ्रैंड, हर रिश्ता आपसी प्यार, विश्वास और इज्जत पर टिका होता है. जब किसी रिश्ते में ये तीनों ही चीजें खत्म हो जाएं तो उसे खत्म कर देना ही बेहतर है क्योंकि ये तीनों चीजें खत्म होते ही रिश्ते में तकरार के साथसाथ मारपीट व गालीगलौज शुरू हो जाती है और रिश्ता जहरीला हो जाता है. बहुत सी महिलाएं घरेलू हिंसा, एब्यूसिव रिलेशनशिप और मारपीट की शिकार होती हैं. जहां कुछ महिलाएं इस के खिलाफ आवाज उठा लेती हैं तो वहीं बहुत सी महिलाएं समाज व परिवार के डर से चुप रह कर जुल्म सहती रहती हैं. अंत में नतीजा भयावह आता है.

औरतें कमजोर नहीं

औरतें कमजोर कैसे हैं? अगर ताकत की बात की जाए तो शारीरिक रूप से औरतें कहीं ज्यादा ताकतवर और मजबूत होती हैं. वे एक बच्चे को अपने पेट में बड़ा करती हैं, 9 महीने तक उसे ले कर हर जगह घूमती हैं और फिर उसे जन्म देती हैं. पुरुष क्या करते हैं? स्त्री तो मन से भी बहुत मजबूत होती है. अगर वह चाहे तो दोचार लड़कों को यों ही पटक दे. मगर वह ऐसा करती नहीं क्योंकि समाज में उसे यह सिखाया जाता है कि वह कमजोर है. उसे पुरुषों, खासकर अपने पति, की पूजा करनी चाहिए. पति परमेश्वर है. उसे अपशब्द नहीं बोलना है. उस का विरोध नहीं करना है. वह जो कहे वैसा करना है.

इसी वजह से वह पति के आगे कुछ बोलती नहीं. पति मारपीट सकता है. हिंसा कर सकता है. मगर सोचने वाली बात है कि अगर कोई स्त्री किसी पुरुष की पत्नी है और साथ रहती है तो क्या उस के पास ऐसे मौकों की कमी है जब वह पुरुष को उस के किए की सजा दे सके या उसे मजा चखा सके. अगर किसी पुरुष या पति ने सालों से परेशान कर रखा है तो ऐसे में क्या पत्नी के पास इतना मौका नहीं कि वह सोए हुए पति का सिर फोड़ दे या उस के खाने में कुछ डाल दे.

जो स्त्री जिंदगीभर प्रताड़ना सहती है उसे पता होना चाहिए कि एक वक्त ऐसा भी आएगा जब वह पति द्वारा खत्म कर दी जाएगी. पति उसे जान से मार सकता है तो क्या स्त्री के पास यह हक नहीं कि वह ऐसे पति की जान ले कर अपना पीछा छुड़ाए और अपनी जान बचाए. यह एक तरह से सैल्फ डिफैंस ही है क्योंकि अगर वह पति की जान नहीं लेगी तो उस की खुद की जान जाएगी.

स्त्रियां खुद ही स्त्रियों की दुश्मन भी होती हैं. एक सास अपने बेटे को पत्नी के खिलाफ भड़काती है. खुद भी उस के साथ नाइंसाफी ही करती है. गालीगलौज करती है और उसे प्रताड़ित करती है. सास को समझना चाहिए कि कल को जब वह बूढ़ी और कमजोर होगी तब उसे बहू के आसरे ही रहना है. अगर वह बहू के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करेगी तो कल को उस के साथ भी बुरा ही होगा.

इसी तरह पुरुष सोचते हैं कि स्त्री को दबा कर रखो, मारपीट करो. लेकिन पुरुष को यह समझना होगा कि अगर कोई उस की देखभाल और उस का खयाल रख सकता है तो वह उस की पत्नी ही है. कभी वह बीमार पड़ा या उस के साथ कुछ गलत हुआ, वह अपंग हो गया तो हर स्थिति में स्त्री ही उस का साथ देगी. अगर वह स्त्री के साथ खराब व्यवहार कर रहा है तो इस का नतीजा भी उसे खुद ही भोगना होगा. स्त्री समाज का गठन करती है. परिवार को बनाती है. स्त्री को नीचा या कमजोर समझना समाज की सब से बड़ी भूल है.

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