Swami Chinmayanand Rape Case : लौ छात्रा से बलात्कार के आरोपी संत और पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद को एमपी-एमएलए कोर्ट ने दोषमुक्त कर ‘बाइज्जत’ बरी कर दिया. मामले के विवेचना अधिकारी कोर्ट के सामने पुख्ता साक्ष्य पेश नहीं कर सके, लिहाजा साक्ष्यों के अभाव का फायदा बलात्कार के आरोपी को मिला. पुख्ता साक्ष्य मिलता भी कैसे? सरकार स्वामीजी की, स्वामीजी सरकार के, पुलिस सरकार की और पीड़िता का मुंह तो डर, दबाव और पैसे से पहले ही बंद करवाया जा चुका है. मगर कोर्ट ने भी कुछ क्यों नहीं किया, यह सवाल है?

इस देश में साधु, महात्मा और स्वामी कहलाने वाले बड़ेबड़े लोग बलात्कार और हत्या जैसे जघन्य कृत्यों के कारण जेल गए. कुछ छूट गए, कुछ छूटने की पूरी उम्मीद में हैं. छूट वे इसलिए जाते हैं क्योंकि सत्ता, नेता, पुलिस, अदालत और जनता सब उन की जेब में हैं.

इन चिन्मायनंद सरीखों को शर्म नहीं आती. अपनी गलीच करतूतों पर धर्म का परदा डाल कर ये रोज जनता को प्रवचन देने बैठ जाते हैं. और जनता निरी मूर्ख, इन के कुकृत्यों के वीडियो देख कर, इन के कुकर्मों को समाचारपत्रों और चैनलों पर देखपढ़ कर भी इन की भक्त बनी रहती है. ऐसे अनपढ़, मूर्ख और धर्म के आगे अंधे व बहरे हो चुके लोगों को अगर ये साधु-संन्यासी आराम से अपना शिकार बनाते हैं, उन की बहूबेटियों की इज्जत लूटते हैं और फिर कानून के शिकंजे से साफसुथरे बाहर निकल आते हैं तो दोष किस का है?

निसंदेह दोषी इस देश की जनता ही है. अंधभक्त लोगों को ये साधुसंत ही नहीं नोंच रहे, यही उन की बेटियों से रेप नहीं कर रहे बल्कि आज तो धर्म के नाम पर सत्ता भी यही सब कर रही है.

चिन्मयानंदों को उन के किसी कुकृत्य की सजा इसलिए नहीं मिलती क्योंकि अपने अंधभक्तों की बेशुमार संख्या दिखा कर वे सरकार को हमेशा अपने दबाव में रखते हैं. वोट खिसकाने की धमकी में लिए रहते हैं. इसलिए चिन्मयानंदों के कुकृत्यों के केस कमजोर करने और उन की रिहाई के लिए सरकार पुलिस व अदालत पर दबाव बनाती है.

अपनी सत्ता बचाए रखने के लिए चिन्मयानंदों की जरूरत सरकार को बहुत ज़्यादा है, खासतौर पर दक्षिणपंथी सरकार को. सत्ता में बना रहना ही एकमात्र लक्ष्य है, उस के आगे औरत की इज्जत कोई माने नहीं रखती. ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के नारे लगाते रहो और बलात्कारी चिन्मयानंदों को जेल से निकलवाते रहो, उस के लिए चाहे गवाहों को खरीदना पड़े या पीड़ित को. चिन्मयानंदों के खिलाफ अदालतों में चल रहे मुकदमों को कमजोर करने के लिए सरकार किसी भी हद तक जा सकती है. धर्म को राजनीति का हथियार बनाने वाली मौजूदा सत्ताधारी पार्टी ऐसे चिन्मयानंदों के सहारे ही सत्ता में बनी रहेगी.

आसाराम और उस के बेटे नारायण साईं सहित उस के आश्रम के 8 लोगों के खिलाफ बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, अप्राकृतिक यौन अपराध, महिलाओं पर नाजायज बल का इस्तेमाल, धमकी, हत्या, बंधक बनाना जैसी धाराओं में केस दर्ज हुआ. सारे कुकृत्य इन संतों ने अपने आश्रमों में किए. आश्रमों में रहने वाली साध्वियों के साथ मुंह काला किया, आश्रम में अपने दुख ले कर आने वाली औरतों की इज्जत लूटी, मगर मूर्ख जनता आज भी इन आसारामों के गुणगान में लगी है. इन के आश्रम बदस्तूर चल रहे हैं. और धर्म की अंधी औरतें तो इन के आते ही इन के पैरों में लोटने लगती हैं. मूर्खता और अंधेपन की इस से बड़ी मिसाल कहीं नहीं मिलेगी.

डेरा सच्चा सौदा का बाबा रामरहीम अपने आश्रम में महिलाओं से बलात्कार करता रहा. उस पर ह्त्या का मामला भी दर्ज हुआ. मामला खुला तो पीड़ितों के दबाव में एफआईआर दर्ज हुई. उस को जेल भेजना पड़ा. मगर रामरहीम के लिए जेल तो जैसे एक पिकनिक स्पौट है, खानेखेलने की जगह. वह कुछ दिन अंदर रहता है, कुछ दिन पैरोल पर बाहर घूमता है. नेताओं से मिलता है. अपने भक्तों को दर्शन-प्रवचन देता है. आश्रम बदस्तूर चल रहा है. सत्ता को उस के अनुयायियों का पूरा सपोर्ट मिल रहा है. मूर्ख और अंधी जनता उस की भक्त बनी हुई है. उस को यह बलात्कारी अभी भी भगवान का अवतार नज़र आता है.

संत रामपाल के भी लाखों अनुयायी हैं. रामपाल पहले सिंचाई विभाग में इंजीनियर था. वहां बंधीबंधाई तनख्वाह मिलती थी. उस से संतोष नहीं हुआ तो बाबा बन कर कमाई करने लगा. धर्म के धंधे में उतारते ही करोड़ों की कमाई होने लगी. रामपाल के खिलाफ अवैध गर्भपात सैंटर खोलने, अनुयायी की हत्या करने, आश्रम में हथियार रखने और सरकारी काम में बाधा डालने जैसे कई जघन्य मामले दर्ज हैं. मगर जनता इस अपराधी के आगे अभी भी  नतमस्तक है.

नाचने वाले बाबा स्वामी नित्यानंद को कौन भूल सकता है? नित्यानंद भी स्वयंभू भगवान है. वह अपने भक्तों के सामने खुद को भगवान की तरह पेश करता था. नित्यानंद पर बच्चों का अपहरण करने और अपने शिष्यों के साथ दुष्कर्म करने के आरोप हैं. साल 2010 में उसे गिरफ्तार किया गया था, जिस के कुछ ही समय बाद ही उसे बेल मिल गई. इस के बाद नित्यानंद फरार हो गया. उस ने एक द्वीप पर अपना कब्जा जमाया और उसे एक देश घोषित कर दिया. इतना ही नहीं, नित्यानंद ने इस द्वीप के लिए पासपोर्ट भी जारी करने का दावा किया था. आखिर सरकार की मदद के बिना कोई देश छोड़ कर नए द्वीप पर कैसे जा सकता है?

खुद को इच्छाधारी बताने वाला बाबा भीमानंद राजधानी दिल्ली में हाईप्रोफाइल सैक्स रैकेट चलाता था. पूरी तरह ऐयाशी में डूबा रहने वाला भीमानंद कई नेताओं और अधिकारियों को लड़कियां सप्लाई करता था. फिलहाल जेल में है और उस के अंधभक्त उस के बाहर निकलने की राह देख रहे हैं.

आसाराम बापू, सच्चिदानंद गिरी, गुरमीत सिंह राम रहीम, स्वामी ओम, निर्मल बाबा, इच्छाधारी भीमानंद, स्वामी असीमानंद, नारायण सांई, संत रामपाल, आचार्य कुषमुनी, बृहस्पति गिरी, ओम नमः शिवाय बाबा, मलखान सिंह जैसे हत्या, बलात्कार, अवैध जमीनें और हथियार रखने के आरोपी बाबाओं की फेहरिस्त बहुत लंबी है. इन की जगह सिर्फ जेल होनी चाहिए, मगर देश में इन के बड़ेबड़े लग्जरी आश्रम हैं, इन के पास अरबोंखरबों की संपत्तियां हैं. विदेशों में बड़ेबड़े आश्रम और जमीनें हैं. लाखों की भीड़ इन की अनुयायी है, सरकार और पुलिस इन की जेब में हैं, इसलिए इन्हें अपने कर्मों पर शर्म नहीं आती, बल्कि गर्व होता है.

लौ की छात्रा से बलात्कार का आरोपी स्वामी चिन्मयानंद जेल से बाहर आ कर गरजता है कि अगले 7 साल में मेरा लाड़ला देश का प्रधानमंत्री बनेगा, तो इशारा किस तरफ है और जेल से बाहर निकलने में किस स्तर पर जा कर उस को मदद पहुंचाई गई है, यह लिखने की जरूरत नहीं है. पीड़िता कहां है? चिन्मयानंद की रिहाई का उस पर क्या असर हुआ है? यह सब जानने की किसी को जरूरत नहीं है. अंधभक्त इस बात से खुश हैं कि बाबा पर ईश्वर की कृपा है. वे उन की जयजयकार में लगे हैं. इन अंधभक्तों में बहुत बड़ी संख्या औरतों की है. शर्मनाक !

बात 12 साल पहले की है. 30 नवंबर, 2011 को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के मुमुक्षु आश्रम के अधिष्ठाता स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ उस की एक शिष्या ने चौक कोतवाली में दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया था. यह शिष्या चिन्मयानंद द्वारा संचालित एक लौ कालेज की स्टूडैंट थी. आरोप था कि चिन्मयानंद ने अपने कर्मचारियों की मदद से शिष्या को मुमुक्षु आश्रम में बंधक बना कर उस से कई बार बलात्कार किया.

बता दें कि चिन्मयानंद का असली नाम कृष्णपाल सिंह है. वह उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले का रहने वाला है. चिन्मयानंद का नाम राम मंदिर आंदोलन के बड़े नेताओं में शुमार था. वाजपेयी सरकार में वह केंद्रीय गृह राज्यमंत्री बनाया गया. चिन्मयानंद का शाहजहांपुर में आश्रम है और वहां वह एक लौ कालेज भी चलाता है. बलात्कार की शिकार लड़की उसी लौ कालेज की स्टूडैंट थी.

लड़की के पिता की तरफ से कोतवाली शाहजहांपुर में लड़की के अपहरण, बलात्कार और जान से मारने की धाराओं में केस दर्ज हुआ था और लड़की का बयान मजिस्ट्रेट के सामने कलमबद्ध किया गया था. यह भी बता दें कि इस से पहले चिन्मयानंद के आश्रम में रहने वाली एक साध्वी ने भी उस पर बलात्कार का केस दर्ज करवाया था.

स्वामी चिन्मयानन्द को पुलिस ने अरेस्ट कर जेल भेज दिया. जिन दिनों यह मामला उछला, सारे टीवी चैनलों में चिन्मयानन्द की क्लिप्स चलीं. गंदे और घिनौने वीडियोज आज भी यूट्यूब पर देखे जा सकते हैं. अखबारों में उस की तस्वीरें छपीं. जाहिर है, पीड़ित लड़की ने ही वे वीडियो बनाए थे. मामला तो दर्ज होना था. कुछ दिनों बाद पुलिस ने विवेचना कर के चिन्मयानंद के खिलाफ आरोपपत्र अदालत में दाखिल किया. मगर इस केस की विवेचना के दौरान पीड़ित लड़की को और पीड़ित किया गया. कहा गया कि उस ने चिन्मयानंद से एक बड़ी रकम की डिमांड की. उस ने चिन्मयानंद को बदनाम करने की नीयत से वीडियो मीडिया में लीक किए जबकि दोनों के संबंध सहमति से बने थे.

शर्म आनी चाहिए स्वामी चिन्मयानंद को अपनेआप को संत कहते हुए. पीड़ित लड़की ने कुछ भी किया हो मगर वीडियो तो चिन्मयानंद के ही थे जिस में उस की नग्नता साफ नजर आ रही थी.

खैर, आज पुख्ता सुबूतों के अभाव में चिन्मयानंद अदालत से बाइज्जत बरी हो चुका है. लोकसभा चुनाव से पहले स्वामी चिन्मयानंद को जेल से बाहर निकालना उत्तर प्रदेश सरकार से ले कर केंद्र सरकार तक के लिए जरूरी था क्योंकि रामलला के मंदिर के लिए लड़ाई लड़ने वालों में चिन्मयानन्द का नाम भी शामिल है. सम्मान-उपहार तो मिलना ही था.

दरअसल, 80 के दशक के आखिरी में जब देश में राम मंदिर आंदोलन जोर पकड़ रहा था तब इस आंदोलन में चिन्मयानंद ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया था और भाजपा में शामिल हो कर अपने राजनीतिक सफर का भी आगाज किया था. श्रीराम जन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य डा. रामविलास वेदांती के मुताबिक, राम मंदिर आंदोलन में अनेक संत जुड़े थे. उन में से एक चिन्मयानंद भी था. आंदोलन के दौरान अयोध्या आनाजाना भी लगा रहा.

एक भाजपा नेता ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा- मंदिर आंदोलन के समय चिन्मयानंद ने महंत अवैद्यनाथ (उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गुरु) के साथ मिल कर राम मंदिर मुक्ति यज्ञ समिति बनाई और इसी के जरिए ये लोग मंदिर आंदोलन में अहम भूमिका निभाने लगे.

बाद में दूसरे बड़े संत रामविलास वेदांती और रामचंद्र परमहंस समेत तमाम संतों को भी राम मंदिर आंदोलन से जोड़ लिया गया. 7 अक्टूबर, 1984 को चिन्मयानंद ने सरयू तट पर राम जन्मभूमि आंदोलन का संकल्प लिया. 19 जनवरी, 1986 को वह राम जन्मभूमि आंदोलन संघर्ष समिति के राष्ट्रीय संयोजक बना. 1989 में स्वामी निश्चलानंद के अधिष्ठाता पद छोड़ने के बाद चिन्मयानंद मुमुक्षु आश्रम आ गया.

80 के दशक में स्वामी धर्मानंद के बाद स्वामी चिन्मयानंद इस आश्रम और उस से जुड़े संस्थानों के प्रबंधन की जिम्मेदारी का निर्वहन करने लगा. चिन्मयानंद ने ही शाहजहांपुर में मुमुक्षु शिक्षा संकुल नाम से एक ट्रस्ट बनाया, जिस के जरिए कई शिक्षण संस्थानों का संचालन किया जाता है. इन में पब्लिक स्कूल से ले कर पोस्टग्रेजुएट स्तर के कालेज तक शामिल हैं. इस तरह कमाई के साथसाथ धर्म के प्रचारप्रसार के कई द्वार खुल गए.

राम मंदिर को करीब से जानने वाले वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक ब्रजेश शुक्ला कहते हैं कि राम मंदिर आंदोलन के दौरान चिन्मयानंद का शौक राजनीति के साथसाथ महिला संसर्ग का भी रहा. एक दिन यह ज़रा जोर से उछल गया.

आज चिन्मयानन्द के कई बड़े आश्रम हैं. हरिद्वार में भी एक आश्रम है. इन आश्रमों में महिला साध्वियों के साथ क्या हुआ और कालेज की छात्राओं को कैसे हवस का शिकार बनाया गया, ये बातें अब किसी से छिपी नहीं हैं. मगर ताज्जुब है कि इतने खुलासे के बाद भी औरतों को ऐसे घृणित किरदार के लोगों से नफरत नहीं होती. कानून अंधा हो, अदालत सुबूत मांगती हो लेकिन जिन लोगों ने स्वामी चिन्मयानन्द के नंगे और अश्लील वीडियो देखे हैं क्या उन को यह मानने के लिए किसी सुबूत की जरूरत है कि यह कोई संत नहीं है?

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