Family Suicide Case : साल 2023 के आखिरी दिन जब पूरा जालंधर नए साल के जश्न में डूबा था तब वहां से एक सनसनीखेज खबर सामने आई. डाकखाने में काम करने वाले पोस्टमास्टर मनमोहन सिंह ने पूरे परिवार के साथ खुद को खत्म कर दिया था. दरअसल, मनमोहन सिंह कर्ज और घर की कलह से परेशान था. उस ने अपनी दोनों बेटियों, पत्नी और एक नातिन की हत्या कर खुद आत्महत्या कर ली. मौके से मिले सुसाइड नोट में यही लिखा मिला कि कर्ज और पारिवारिक कलह के कारण टैंशन की वजह से यह कदम उठाया है.

इसी तरह इस 3 जनवरी को एक शख्स पत्नी को वीडियोकौल कर के फांसी पर लटक गया. पति ने पत्नी को वीडियोकौल किया और फिर उस के ही सामने फांसी लगा ली. पत्नी रोरो कर पति को सुसाइड नहीं करने के लिए रोकती रही. मगर पति ने उस की एक न सुनी. मृतक युवक श्याम सुंदर का पत्नी से झगड़ा हुआ था. इस के बाद उस ने सुसाइड कर लिया.

नोएडा के लौ रेजीडेंसी के टावर 2 से एक महिला ने इस 10 जनवरी को 16वें फ्लोर से नीचे छलांग लगा कर जान दे दी. उस की गोद में 6 महीने की बच्ची भी थी. मां और बच्ची की मौके पर ही मौत हो गई. महिला अपने परिवार के साथ रह रही थी और काफी दिनों से बीमारी और डिप्रैशन से जूझ रही थी. महिला का नाम सारिका था.

इसी तरह 11 जनवरी को आईआईटी कानपुर के होस्टल में एमटैक के एक छात्र ने फंदा लगा कर आत्महत्या कर ली. बीते एग्जाम में परफौर्मेंस खराब होने से वह तनाव में था.

प्रयागराज निवासी 23 साल की अंशिका लखनऊ यूनिवर्सिटी से बीएफए कर रही थी. 10 जनवरी की शाम वह किसी युवक से फोन पर वीडियोकौल से बात कर रही थी जो उस का दोस्त था. इसी दौरान किसी बात पर गुस्सा आने के बाद उस ने फांसी लगा ली. घटना के समय वह रूम में अकेली थी.

5 नवंबर, 2023 को बस्ती में पति से वीडियोकौल पर बात करते हुए एक महिला फंदे से झूल गई थी. दुबई में रह रहे पति से वीडियोकौल पर बात करतेकरते विवाहिता ने पंखे से लटक कर जान दे दी. पत्नी को फंदा लगाते हुए लाइव देखता पति छटपटा कर रह गया. दोनों की 3 साल की बेटी है. 28 वर्षीया साधना सिंह बेटी को ले कर घर पर रहती थी. उस रात पतिपत्नी वीडियोकौलिंग के जरिए बात कर रहे थे. इसी बीच, किसी बात पर दोनों में विवाद हो गया. गुस्से में आ कर साधना सिंह ने आत्महत्या करने की बात कह कर फोन काट दिया.

आत्महत्या की ऐसी घटनाएं लगभग रोज ही सुनने को मिलती रहती हैं. कभी तनाव, कभी किसी पर गुस्सा, कभी अपेक्षा पूरी न हो पाना, कभी असफलता और कभी लाचारीवश लोग खुद अपनी जान देने का फैसला करते हैं. जान देना बहुत बड़ी बात है. मगर आजकल लोग छोटीछोटी बातों पर जान देते हैं. आप जानवरों को देखिए. वे कभी आत्महत्या नहीं करते. मनुष्य ही आत्महत्या करते हैं. मगर यहां भी एक अपवाद है. दरअसल, एक ऐसी जगह है जहां पक्षियों को आत्महत्या करते देखा जाता है.

क्या पक्षी भी करते हैं आत्महत्या

असम के दिमा हासो जिले की पहाड़ी में स्थित जतिंगा घाटी को पक्षियों का सुसाइड पौइंट कहा जाता है. हर साल सितंबर की शुरुआत के साथ ही आमतौर पर छिपा रहने वाला जतिंगा गांव पक्षियों की आत्महत्या के कारण चर्चा में आ जाता है. यहां न केवल स्थानीय पक्षी बल्कि प्रवासी पक्षी भी इस दौरान पहुंच जाएं तो वे खुदकुशी कर लेते हैं.
इंसान अकसर ऊंची इमारतों से कूद कर या फंदा लगा कर जान देते हैं. पक्षी होने के कारण जाहिर है कि वे इमारत से कूद कर या फांसी लगा कर तो जान नहीं दे सकते. सो, वे तेजी से उड़ते हुए इमारतों या ऊंचे पेड़ों से जानबूझ कर टकरा जाते हैं और तुरंत ही उन की मौत हो जाती है. ऐसा इक्केदुक्के नहीं, बल्कि सितंबर के समय में हर साल हजारों पक्षियों के साथ होता है. ऐसी घटनाएं शाम को 7 से 10 बजे के बीच सब से ज्यादा होती हैं. पक्षी तेज गति से उड़ते हुए आते हैं और गांव में उगे पेड़ों और मकानों से टकराते हैं. उन के टकराते ही उन की मौत हो जाती है.

पक्षियों की मौत क्यों होती है, इस पर पक्षी विशेषज्ञों का कहना है कि इस जगह पर कोई मैग्नेटिक फोर्स है जो इन रहस्यमय मौतों की वजह बन रही है. यहां की जनजाति इस घटना को भूतप्रेतों और अदृश्य ताकतों का काम मानती है. बहुत बार इमारतों से टकरा कर घायल हुए पक्षियों का उपचार और उन्हें खाना खिलाने की भी कोशिश की गई लेकिन ऐसे पक्षियों ने खाना लेने से इनकार कर दिया और इलाज पर भी उन के शरीर ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.

अमावस और जिस दिन अधिक कुहरा होता है उस दिन भी यहां सब से ज्यादा पक्षियों की मौत होती है. इस घटना के पीछे सचाई क्या है, वह तो खबर नहीं मगर यह सच जरूर है कि हरेक जिंदगी मूल्यवान होती है.

आत्महत्या की वजह

इंसानों की बात करें तो वे ज्यादातर असफलता की स्थिति को न सह पाने के कारण ऐसा करते हैं. विद्यार्थियों के मामले में परीक्षा अच्छी न जाना सब से महत्त्वपूर्ण कारण होता है. आईआईटी के छात्र की आत्महत्या पर बात करें तो उस की वजह यही थी. लाखों खर्च कर जब मांबाप अपने बेटे की सफलता का समाचार सुनने को बेताब होते हैं और बेटा सही परफौर्मैंस नहीं दे पाता तो वह पेरैंट्स का सामना करने से घबराता है. उसे लगता है कि वह पेरैंट्स की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाया. उस के दिमाग में तनाव हावी हो जाता है और वह इस परिस्थिति से भागने का विकल्प चुनता है.

ऐसा ही प्रेमप्रसंगों में असफलता मिलने पर भी होता है. इंसान अपने पार्टनर से अपेक्षाएं रखता है मगर वह पूरी न हो तो वह गुस्से में खुद को ही ख़त्म कर डालता है. इस तरह वह अपने पार्टनर को एहसास दिलाना चाहता है कि पार्टनर के बिना उस की जिंदगी का कोई मतलब नहीं. या फिर पार्टनर से अपनी नाराजगी इस तरह जाहिर करता है और सोचता है कि मरने के बाद उस की कीमत पार्टनर को समझ आएगी. पर भला इस से बड़ी बेवकूफी और क्या होगी कि आप ने किसी और के लिए खुद को ख़त्म कर दिया. घरवालों की वर्षों से संजोयी उम्मीदें एक झटके में किसी के लिए तोड़ दीं.

इसी तरह जब किसी अपने पर बहुत गुस्सा आए तो भी इंसान बौखला जाता है और तनाव में आ कर ऐसे कदम उठा लेता है. जीवन में आर्थिक संकट पैदा होने या कर्ज, बीमारी और बेवफाई के चक्रव्यूह में फंसे इंसान भी अक्सर आत्महत्या कर लेते हैं. उन्हें कोई रास्ता नजर नहीं आता तो वे दुनिया को ही अलविदा कह देते हैं.

धर्म भी है एक वजह

धर्म ने इंसान के दिलोदिमाग में अपनी पैठ बना रखी है. धर्म ने हमें बताया है कि अपने परिजनों या जीवनसाथी व बच्चों के प्रति हमारे क्या उत्तरदायित्व हैं और यदि कोई इसे पूरा नहीं कर पाता तो उस का जीवन व्यर्थ है. ऐसा इंसान पापी कहलाता है. ऐसे में खुद को तथाकथित पाप का भागीदार बनने से बचने के लिए ऐसा इंसान जीवन को ही खत्म कर डालता है. कंपीटिशन के इस जमाने में यदि बच्चे पेरैंट्स की अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पाते या परिवार का गुजरबसर करने के योग्य नहीं रहते तो भयवश सब खत्म कर डालते हैं. इस की वजह उन की सोच है, जिसे धर्म ने बचपन से गढ़ा है.

यह नजरिया बिलकुल भी उचित नहीं. जिंदगी आगे बढ़ने का नाम है. जिंदगी में कुछ गलत होता है, कोई रास्ता बंद होता है तो दूसरा रास्ता खुल भी जाता है. बस, जरूरत है नए रास्ते तलाशने की, अपने हौसलों को मजबूत बनाए रखने की. आप हर किसी को खुश नहीं रख सकते. हो सकता है आप अपनों की अपेक्षाओं पर खरे न उतर पाएं. मगर इस से हारने के बजाय नई मंजिल तलाश करें. वक्त बदलते देर नहीं लगती. हिम्मत रखी जाए तो हर समस्या का समाधान मिल जाता है. आवेश में आ कर अपनी कीमती जिंदगी गंवाना कतई सही नहीं है.

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