आधार कार्ड को आज सरकार ने सिर्फ पहचानपत्र नहीं रहने दिया बल्कि उस के सहारे हर नागरिक को अपना गुलाम बना डाला है ताकि देशवासियों पर चौबीसों घंटे निगरानी रखी जा सके कि वह क्या कर रहा है, कैसे कर रहा है, क्यों कर रहा है. टैक्नोलौजी के सहारे पूरे देश को एक बड़ी खुली जेल में बदल डाला गया है जहां जेब में बिना आधार कार्ड रखे कोई चल नहीं सकता.

मजेदार बात यह है कि आधार बनाया ही ऐसे गया है कि जिस से इस की जानकारी सिर्फ सरकार के पास रहे और वह जब चाहे इसे बदल दे. हर औनलाइन ट्रांजैक्शन पर आधार नंबर कहीं न कहीं आ जाता है. जो लोग डैबिट या क्रैडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं उन्हें आधार कार्ड का नंबर एक स्टेज पर देना पड़ता है जिस के जरिए उन की हर गतिविधि पर सरकार की नजर रहती है. रेल, बस, मैट्रो पर चढऩे पर आप को पहचान बताने के लिए आधार दिखाना होता है.

सरकार मनमानी पर उतारू है, वह अपने फायदे के लिए कोई भी बहाना बना कर जब चाहे आधार कार्ड के नियम बदल सकती है. गुड गवर्नेंस रूल्स 2020 के नाम पर सरकार का शिकंजा अकसर कसा जाता है जबकि सब को यह मालूम नहीं हो पाता. सरकार ने गुड गवर्नेंस और प्राइवेसी की भाषा ऐसी तैयार कर रखी है मानो वह कह रही हो कि किसी को जेल में तो उस की सुरक्षा के लिए डाला जाता है ताकि कोई उसे लूट न सके. आधार नंबर का इस्तेमाल गैरसरकारी संस्थाएं भी कर सकें, इस के लिए बड़ी लच्छेदार भाषा में पिरो कर रूल्स में एक संशोधन कर दिया गया, कि आधार नंबर का इस्तेमाल गैर केंद्र सरकारी संस्थाएं भी कर सकती हैं. लंबेचौड़े, उलझी भाषा वाले नियमों पर जनता से राय भी मांगी गई पर उन्हें केवल वे जानते हैं जिन्हें सरकारी वैबसाइटें खंगालने का मर्ज है.

अखबारों में कोई विज्ञापन नहीं, कोई टीवी पर सूचना नहीं, कोई एक्स (x) या ब्रैंड्स पर सूचना नहीं. 20 अप्रैल से 20 मई तक का समय देश की 140 करोड़ जनता को दिया गया कि देख लो, तुम्हारी नई जंजीर ठीक है न. तुम्हारे पैर की छोटी उंगली बांधी जा रही है ताकि वह किसी मेज से न टकरा जाए. चिंता न करो, हम हैं न, तुम्हारी चुनी सरकार. तुम्हारा भला करेंगे. जंजीरों का यह जाल जिस में तुम बंधे हो, यह जनता की मरजी के हिसाब से है. अरे, 30 दिन कमैंट करने के लिए काफी नहीं हैं, तो हम 15 दिन और दिए देते हैं. अब न कहना कि हम तानाशाह हैं.

इस तरह की लफ्फाजी से घिरे शब्दों की इतनी भरमार है कि जनप्रतिनिधि, पत्रकार, कानून कुछ नहीं जान पाते कि क्या हो रहा है और आपहम सब एक और बंधन में बंध जाते हैं गुड गवर्नेंस के नाम पर.

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