3 अक्तूबर, 2023 की सुबह ‘न्यूज क्लिक’ के बरक्स देश की पत्रकारिता पर सत्ता की हुकूमत की गाज एक बार फिर गिरी, जिस की गूंज पूरे देश में सुनाई दी और जनमानस में यह संदेश गया कि नरेंद्र मोदी सरकार की छाया में भारत की पत्रकारिता किस तरह खतरे में और अंकुश में है.

‘न्यूज क्लिप’ के वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, अभिषेक शर्मा के साथ उन की पूरी टीम जिस तरह नरेंद्र मोदी सरकार की धज्जियां उड़ाते रहे हैं, वह पूरे देश ने देखा है. सीधी सी बात की है कि अगर कोई पत्रकारिता संस्थान साहस के साथ सत्ता को आंख दिखाता है, तो इस का मतलब यह है कि वह देश और पत्रकारिता के प्रति ईमानदार है. किसी भी तरह का गलत आचरण या लोभ के कारण कोई पत्रकारिता संस्थान या पत्रकार बेबाकी से सत्ता की आलोचना नहीं कर सकता. सच यह है कि जो लोग सत्ता के गुणगान करते हैं, वे सत्ता के भय से पोल न खुल जाए सत्ता के ढोल बजाते रहते हैं. मगर आश्चर्य है कि जो निष्पक्ष व ईमानदार पत्रकारिता करते हैं, सत्ताधारी उन्हें हलकानपरेशान करते हैं और जो हां में हां मिलाते हैं, उन्हें प्रशस्ति देते हैं. सब से बड़ा उदाहरण आज की तारीख में ‘न्यूज क्लिक’ है, जिस पर चीन से रुपए लेने का आरोप लगा कर सत्ता ने सबक सिखाने की कोशिश की है और कड़ा संदेश दिया है पत्रकारिता संस्थाओं को.

हाल ही में बीबीसी पर भी ऐसा ही हमला सत्ता द्वारा किया गया और बाद में बीबीसी को क्लीन चिट भी मिल गई. आज केंद्र में बैठी हुई सरकार पत्रकारिता के साथ कुछ ऐसा व्यवहार कर रही है मानो वह कोई अपराधी हो. कुलमिला कर संदेश यह है कि जब तक सत्ता की हां में हां मिलाते रहोगे, तुम्हारा कोई बाल बांका भी नहीं करेगा.

यही कारण है कि समाचार पोर्टल ‘न्यूज क्लिक’ से जुड़े पत्रकारों पर काररवाई को ले कर विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ और भाजपा आमनेसामने आ गए. विपक्षी गठबंधन ने ‘न्यूज क्लिक’ से जुड़े पत्रकारों पर छापेमारी की काररवाई की कड़ी निंदा की, वहीं दूसरी तरफ भाजपा ने कहा, ‘वित्तपोषण मामले में कानून अपना काम कर रहा है.’

सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ने मोरचा संभाला और एक तरह से स्वीकार कर लिया कि ‘न्यूज क्लिक’ पर काररवाई उन की जानकारी में है. वैसे जैसा भाजपा के नेताओं का चरित्र है, वे यह भी कह सकते थे कि उन्हें कोई जानकारी ही नहीं है, अनजान बन सकते थे.

विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के आरोप कि, ‘भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की काररवाई केवल उन लोगों के खिलाफ है, जो सत्ता के सामने सच बोलते हैं. नफरत और विभाजनकारी सोच को बढ़ावा देने वालों के खिलाफ कोई काररवाई नहीं होती.’

इंडियन नैशनल डवलपमैंटल इन्क्लूसिव अलायंस (इंडिया) ने एक बयान में कहा, ‘सरकार ने सांठगांठ वाले पूंजीपतियों का मीडिया संस्थानों पर नियंत्रण करा कर अपने पक्षपातपूर्ण और वैचारिक हितों के लिए मीडिया को मुखपत्र बनाने की भी कोशिश की है. ऐसा कर के भाजपा न केवल अपने किए पापों को छिपा रही है, बल्कि वह एक परिपक्व लोकतंत्र के रूप में भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा से भी समझौता कर रही है.’

कांग्रेस ने गंभीर आरोप लगाया है, ‘छापेमारी बिहार में जाति आधारित गणना के निष्कर्षों की बढ़ती मांग से ध्यान भटकाने वाला है.’

मगर देखा जाए, तो बड़े ही दुस्साहस के साथ भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा, “कानून अपना काम करेगा, लेकिन पूर्व में आपातकाल लगाने वाली और हाल ही में 14 पत्रकारों पर प्रतिबंध लगाने वाली कांग्रेस को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रैस की स्वतंत्रता के बारे में उपदेश नहीं देना चाहिए. कांग्रेस का प्रैस के बारे में उपदेश देना शैतान द्वारा शास्त्रों के बारे में उपदेश देने जैसा है.”

पत्रकारों के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले विभिन्न संगठनों ने दिल्ली पुलिस की छापेमारी की निंदा की है और दावा किया गया है कि यह प्रैस की स्वतंत्रता को अवरुद्ध करने का प्रयास है.

प्रैस क्लब औफ इंडिया ने कहा है कि ‘न्यूज क्लिक’ से जुड़े पत्रकारों और लेखकों के आवासों पर छापों को ले कर बहुत चिंतित है. हम घटनाक्रम पर नजर रख रहे हैं और एक विस्तृत बयान जारी करेंगे. पीसीआई पत्रकारों के साथ एकजुटता से खड़ी है. आज देश जिस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है, वह चिंता का विषय बन चुका है और पूरी दुनिया में सरकार की गतिविधियों की निंदा हो रही है.

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