आपदा को अवसर बना लेने वाले लोग ही हमेशा अनूठी सफलता हासिल कर सकते हैं. यह कटु सत्य है. हम अकसर सुनते हैं कि किसी वाचमैन की बेटी या सब्जी बेचने वाले या रिकशा चलाने वाले के बेटे या बेटी ने आईएएस या ‘नीट’ में सर्वोच्च स्थान पा लिया है.

जी हां, ऐसा होता है. तभी तो अच्छी शिक्षा हासिल करने के पैसे न होने पर भी अंचित्य बोस ने नृत्य में ऐसी महारत हासिल की कि उसे किशोरवय में ही सूनी तारापोरवाला ने अपने निर्देशन में बनी फिल्म ‘ये बैले’ में नृत्य व अभिनय करने का ऐसा अवसर प्रदान किया कि उस ने अंतर्राष्ट्रीय ख्याति अर्जित कर ली.

अचिंत्य बोस के अभिनय से सजी फिल्म ‘ये बैले’ फरवरी 2020 से नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो रही है. तो वहीं सूनी तारापोरवाला निर्देशित नृत्यप्रधान वैब सीरीज में भी अचिंत्य बोस ने अभिनय किया है जोकि बहुत जल्द नेटफ्लिक्स पर ही स्ट्रीम होगी. यों तो अचिंत्य बोस को अब ‘हिप हौप’, ‘जौज’ और ‘बैले’ नृत्य में महारत हासिल हो चुकी है मगर पश्चिमी नृत्य में उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए उन्होंने अमेरिका के कैला आर्ट्स इंस्टिट्यूट में प्रवेश लिया है.

वहां की फीस दे पाना उन के वश की बात नहीं है, इसलिए वे ‘क्राउड फंडिंग’ कर धना जुटा रहे हैं. वैसे, उन्हें आंशिक छात्रवृत्ति मिल चुकी है. अचिंत्य बोस की परवरिश उन की ‘सिंगल मदर’ ने किया है. आपदा में ही अवसर तलाशते, संघर्ष करते हुए निरंतर आगे बढ़ रहे अचिंत्य बोस से हम ने बातचीत की.

बचपन में आप की नृत्य के प्रति रुचि कैसे पैदा हुई थी?

आप यह कह सकते हैं कि मेरी परवरिश अभावों के बावजूद संगीत व नृत्य के माहौल में हुई है. मेरी मां अनुपमा बोस, जोकि ‘सिंगल पेरैंट्स’ हैं, कत्थक, उड़ीसी व भरतनाट्यम इन 3 क्लासिकल आर्ट फौर्म में माहिर हैं. तो घर के अंदर हमेशा डांस का ही माहौल रहा. हमेशा डांस को ले कर ही चर्चाएं होती रहती हैं. मेरे नाना नितीश कुमार बोस और नानी नमिता बोस बंगाली माहौल में पैदा होने के कारण उन्हें भी इंडियन डांस व संगीत में रुचि है. मेरी परवरिश नानानानी के अलावा मां के साथ ही हुई है. इस वजह से मेरे अंदर भी नृत्य के प्रति रुचि पैदा हुई.

सच तो यह है कि मैं ने गायन से शुरुआत की थी, पर गायन से नृत्य तक आ गया. पहले हम ने स्कूल में दोस्तों के साथ एक डांस ‘स्टेप अप’ देखा था, जिस की प्रैक्टिस दोस्तों के साथ करनी शुरू की थी. फिर मैं मुंबई आ गया. यहां मैं ने नृत्य निर्देशक अशेलो लोबो की कंपनी ‘द डांस वक्र्स’ से जुड़ा. वहां पर मैं ने डांस की ट्रेनिंग ली. उस के बाद वहीं पर दूसरे बच्चों को डांस सिखाने भी लगा.

मैं ने सुना है कि आप ने नृत्य का प्रशिक्षण लिया था?

जी, यह भी सच है. शुरुआत में मैं ने तीनचार साल तक कोलकाता में रह कर देवाशीष देव से भारतीय शास्त्रीय संगीत की कुछ ट्रेनिंग जरूर ली थी. इस के अलावा प्राचीन कला केंद्र से शास्त्रीय गायन सीखा था. लेकिन मैं ने संगीत या गायन के क्षेत्र में ज्यादा काम नहीं किया.

मतलब?

जब मैं शास्त्रीय संगीत व शास्त्रीय गायन की शिक्षा ले रहा था तभी स्कूल में दोस्तों के साथ मेरी ‘स्टेप अप’ डांस की प्रैक्टिस भी जारी ही थी. हम ने अपने दोस्तों के साथ स्कूल टीम बना रखी थी. उन दिनों मैं डेनियल मार्टिन सहित कई मशहूर डांसरों के वीडियो भी देखता रहता था. इन डांसरों के यूट्यूब वीडियो देख कर मैं सीख रहा था. इसी तरह डांस में मेरी रुचि बढ़ती गई.

आज आप ने जो सफलता हासिल की है उस में आप की मां का बहुत बड़ा योगदान रहा होगा?

बिना मां की मदद के मैं कुछ नहि कर सकता था. बचपन में मैं कोलकाता में रहता था. मेरी मां मुबई शहर में रहती थीं. जब वे कोलकाता जाती थीं तब वे मेरे साथ गाते समय बैठती थीं. उस वक्त वे डांस के भी टिप्स दिया करती थीं. वे थोड़ाबहुत गानाबजाना करा देती थीं. तो मैं कुछ सीखता गया. इसी तरह मैं ने उन से ही तबला वादन भी सीखा. जहां तक डांस का सवाल है तो मेरी मां ने मुझे अपने सपनों को फौलो करना सिखाया. मुझे उन का मार्गदर्शन पलपल मिलता रहता है.

मुंबई आने के बाद किस तरह का संघर्ष रहा?

मेरी मां एक सिंगल मदर हैं, जिस के चलते उन की जिंदगी में तमाम उतारचढ़ाव आए, जिन का असर गाहेबगाहे मुझ पर भी पड़ता रहा. हमारी जिंदगी में कुछ भी आसान तो नहीं रहा पर मेरा और मेरी मां का मानना है कि जीवन संघर्ष का ही नाम है. हम ने कुछ दिन ऐसे भी देखे हैं जब हमारी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए. पर हम ने हार नहीं मानी. मेहनत करते रहे. आखिरकार, यहां तक पहुंच गए. मेरी मम्मी हमेशा कहती हैं कि हमारा घर प्यार व मेहनत का घर है.

हर दिन अच्छा नहीं होता. यह बात तो हर इंसान के साथ लागू होती है. मेरा संघर्ष इसलिए भी रहा क्योंकि हमारी पृष्ठभूमि अलग है और हम आर्थिक रूप से इतना सक्षम भी नहीं रहे कि हम अच्छे से अच्छे स्कूल में जा कर पढ़ाई कर पाते.

डांस की ट्रेनिंग बेहतरीन संस्थान से लेने की ताकत हमारे नहीं रही. हम तो सीखने के साथ ही सिखाने का काम भी करते आए हैं. हम ने बारबार स्कौलरशिप के लिए हाथ फैलाया. दूसरों के मुकाबले कुछ ज्यादा ही मेहनत करनी पड़ी. मेहनत के बल पर हम जितना सीख सकते थे, वह सब हम सीखते रहे. मैं बैले व टैंपरेरी डांस टीचर का सहायक भी था. अभी भी मैं डांस की कुछ क्लासेस लेता हूं. 5 वर्ष तक डांस जगत में अति कठिन मेहनत करने के बाद मुझे महज 16 वर्ष की उम्र में सूनी तारापोरवाला की फिल्म ‘यह बैले’ मिली जो कि ‘नेटफ्लिक्स’ पर स्ट्रीम हो रही है.

सूनी तारापोरवाला ने फिल्म ‘यह बैले’ के लिए आप का चयन किस तरह से किया था?

मैं ‘द डांस वक्र्स’ से जुड़ा हुआ था. और वहीं के एक शिक्षक येहुदा मेअर और उन के 2 डांस के शिष्य अमिरुद्ध शाह व मनीष चौहाण की ही कहानी पर यह फिल्म है. येहुदा और सोनी मैम एकदूसरे से परिचित थीं. पहले इस फिल्म में अमिरुद्ध शाह व मनीष चौहाण ही अभिनय करने वाले थे पर अमिरुद्ध शाह लंदन में फंस गया था, इसलिए उस की जगह उस का किरदार निभाने के लिए येहुदा की ही सलाह पर सोनी मैम ने मेरा चयन किया था. वास्तव में मेरा वार्षिक शो चल रहा था, तब येहुदा के ही कहने पर सोनी मैम मेरा डांस शो देखने आई थीं.

मेरा डांस का शो खत्म हुआ तो उन्होंने मुझे बुलाया और पूछा कि अभिनय करते हो? तब मैं ने सच बता दिया कि मैं अभिनय नहीं करता लेकिन मौका मिला तो जरूर करूंगा. उन्होंने दूसरे दिन मुझे औडीशन देने के लिए बुलाया. मैं ने औॅडीशन दिया. फिर एक माह तक कई बार मेरा औडीशन कई तरह से लिया गया. आखिरकार, मेरा चयन हो गया. उस के बाद मुझे बैले डांस की कठिन ट्रेनिंग से गुजरना पड़ा. उस के बाद मैं ने फिल्म की शूटिंग की. फिर दोबारा ‘द डांस वक्र्स’ पहुंच कर बच्चों को डांस की ट्रेनिंग देने लग गया.

आप ने फिल्म में आसिफ का किरदार निभाया है, क्या उस के बारे में आप पहले से कुछ जानते थे?

सर, जिस किरदार को मैं ने निभाया यानी कि अमीरुद्दीन शाह उर्फ आमिर और दूसरे मनीष चौहाण इन दोनों को जानता था. वैसे, सूनी मैम ने आमिर के किरदार में कुछ कल्पना जोड़ कर उसे आसिफ बनाया. बहरहाल, आमिर व मनीष ये दोनों मुझ से उम्र में व अनुभव में काफी बड़े हैं. मैं इन्हें भैया ही कहता रहा हूं. ये दोनों ‘द डांस वक्र्स’ से ही जुड़े हुए थे, जिस से मैं भी जुड़ा हुआ हूं. जब मैं इस कंपनी में ज्यूनियर में था तो इन्हें डांस करते देखा करता था. इन के बारे में दूसरों से काफीकुछ सुनता रहता था. तब हम से कहा जाता था कि बैले डांस में हमें इन के स्तर तक पहुंचना है.

अंधेरी के स्टूडियो में जब हम क्लासेस के लिए जाते थे, तो अंत में आमिर व मनीष हमें कुछ न कुछ जरूर सिखाते थे. कई बार वे हमें डेमोस्टेट करते थे, तो कभी सैट दिखाया करते थे. हर रविवार को शाम 4 से 6 बजे एक क्लास हुआ करती थी, जो हमारे लिए कम्पलसरी थी. एक दिन आमिर इस क्लास को असिस्ट कर रहे थे और मैं पीछे था. मुझे नींद आ रही थी, तो मैं एक पाइप को पकड़ कर सो गया था. तब आमिर ने आ कर मुझे हलके से थप्पड़ मारते हुए कहा कि, ‘सोना है तो बाहर जा.’ आमिर मुझे बच्चे की ही तरह मानते थे. मनीष से भी मुझे काफीकुछ सीखने का अवसर मिला.

जब आप को पता चला कि आप को आमिर वाला किरदार निभाना है, तो आप के मन में पहली बात क्या आई थी?

मैं अंदर से बहुत डर गया था क्योंकि आमिर बहुत अच्छा डांस करते हैं. मुझे लगा कि मुझ से न हो पाएगा. इस से पहले मैं ने बैले डांस किया भी नहीं था. लेकिन सोनी मैम ने कहा कि तू कर लेगा. उस के बाद मेरी मुलाकात सिंडी से हुई. उस ने तो 5 माह में मुझे रगड़ कर अच्छा बैले डांसर बना दिया. इस तरह मेरा आत्मविशवास बढ़ा कि मैं परदे पर आमिर का किरदार निभा पाऊंगा.

फिल्म ‘ये बैले’ में आप को डांस के साथ अभिनय करने का अवसर मिल रहा था, इसलिए की?

‘ये बैले’ करने की कई वजहें रहीं. मेरी मां सूनी तारापोरवाला की बहुत बड़ी फैन हैं और इस फिल्म की कहानी लिखने के साथ ही सूनी तारापोरवाला इस का निर्देशन कर रही थीं, इसलिए मुझे यह फिल्म करनी थी. सूनी जी तो व्हिशलिंग वुड इंटरनेशनल स्कूल, सत्यजीत रे स्कूल में जा कर अभिनय सिखाती हैं. मेरी मम्मी को सूनी की फिल्म ‘लिटिल जिजो’ काफी पसंद है.

क्या आप ने अभिनय की भी ट्रेनिंग ले रखी थी?

जी नहीं. लेकिन पूजा स्वरूप और विजय मौर्य ने मेरे साथ अभिनय की वर्कशौप कर मुझे अभिनय में निपुण किया. पहले मुझे आता नहीं था कि अभिनय कैसे करना है, फीलिंग कहां से निकलेगी, मुझे संवाद कैसे बोलना है क्योंकि फिल्म में निर्देशक ने थोड़ी सी जबान बदली कराई है. पहले मेरे लिए यह सब बहुत कठिन था लेकिन मेरी ट्रेनिंग ऐसी हुई कि हर माह मेरे लिए आसान होता चला गया. फिर जब सिंडी ने मुझे बैले डांस की ट्रेनिंग दी, तो कमाल हो गया.

उन्हें देख कर लगता है कि उन के शरीर में पैदाइशी बैले नृत्य है. सिंडी जब कूदती हैं तो कम से कम 3 से 4 फुट ऊंचा उठ जाती हैं और आराम से बात करते हुए छलांग मारती हैं कि पता ही नहीं चलता. मुझे तो 4 माह केवल ऊंचाई लाने में ही चले गए. तो ये सारी चुनौतियां थीं जिन्हें सूनी मैम की टीम ने मुझे ट्रेनिंग दे कर दूर करा दीं. 6 माह मेरी कठिन मेहनत रही.

फिल्म के अपने किरदार को ले कर क्या कहना चाहेंगे?

फिल्म में मेरे किरदार का नाम आसिफ है. आसिफ जिस चीज से प्यार करता है उस में अपनी पूरी जान डाल देता है. जब उस ने ठान लिया कि वह बैले डांस करेगा, तो उस ने अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी. जब उसे अपने मम्मी, पापा व चाचू को समझाना था तो वह उन्हें समझा लेता है. वह जितना लोगों से प्यार करता है, जितना लोगों के प्रति खुद को कमिट कर देता है, वह भी कमाल का है. वह एनर्जेटिक है. उसे बहुत जल्दी गुस्सा भी आ जाता है.

आसिफ का किरदार निभाने के बाद आप के अंदर क्या बदलाव आए?

सब से बड़ा बदलाव यही रहा कि मैं बैले डांस करने में माहिर हो गया. इतना ही नहीं, फिल्म पूरी करने के बाद जब मैं फिर ‘द डांस वक्र्स’ पहुंचा तो मेरे टीचरों ने कहा कि, ‘अचिंत्य, तू थोड़ा मैच्योर हो गया है. अब तू डांसर लगता है.’ आसिफ का किरदार निभाते हुए मेरा काफी विकास हुआ. मैं ने पहली बार जीवन के अलगअलग क्षेत्र से बड़ी हस्तियों को आ कर एक फिल्म को बनाते हुए देखा व अनुभव किया था. मैं ने हर किसी से काफीकुछ सीखा था.

मैं ने बहुतकुछ ऐसा सीखा था जिसे मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता. तो फिल्म ‘ये बैले’ करते हुए मेरे अंदर जो मैच्योरिटी आई है वह शायद बाद में नहीं आएगी. आसिफ का किरदार निभाते हुए मेरी डांसर के रूप में जो ट्रेनिंग हुई वह तो कमाल की रही.

क्या यह माना जाए कि आसिफ के किरदार से अचिंत्य काफी रिलेट कर रहे थे?

काफी हद तक. देखिए, आमिर व आसिफ थोड़ा सा अलग हैं क्योंकि आसिफ को थोड़ा सा फिक्शनलाइज किया गया है. सोनी मैम ने मुझ से कहा था कि मैं आसिफ को अपने निजी अनुभवों से निभाऊं. आसिफ ‘अंडर प्रिविलेज्ड चाइल्ड’ है. उस के पास धन, साधन व सुविधाओं का अभाव है. ऐसा ही मेरे साथ भी है. कुछ दृश्यों में मुझे वास्तव में महसूस हुआ कि यह तो मेरे पास भी नहीं है. तो कई दृश्य ऐसे रहे जिन्हें मैं ने अपने निजी जीवन के अनुभवों से प्रेरणा ले कर निभाया.

आप की फिल्म ‘ये बैले’ तो 3 वर्ष से नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो रही है. अब तक किस तरह के रिस्पौंस आए हैं?

प्रतिक्रियाएं तो 197 देशों से आईं. पहले ही दिन मेरे पास रशिया, ब्राजील से संदेश आए थे. लोगों ने संदेश में लिखा था कि फिल्म बहुत इंस्पायरिंग है. कुछ दिनों पहले निर्देशक सोमी ने एक स्पैशल स्क्रीनिंग रखी थी. उस वक्त दर्शकों में एक शख्स नेपाल से आए थे. फिल्म देखने के बाद वे मेरे पास रोतेरोते आए. उन्होंने मुझ से रोतेरोते कहा, ‘मैं भी बचपन में डांस करता था. अब तो मैं कविताएं लिखता हूं. लेकिन आज ‘ये बैले’ फिल्म देख कर मुझे मेरा बचपन याद आ गया.

मुझे अपना बचपन इसलिए भी याद आया कि आज मैं जहां हूं, उस के लिए मैं ने बहुत लड़ाई की है. मुझे यह देख कर अच्छा लगा कि आप ने भले ही डांस के माध्यम से किया हो पर मेरा प्रतिनिधित्व इतने बड़े प्लेटफौर्म पर किया है. मेरी बात कितने लोगों तक पहुंचाई, यह मेरे लिए गर्व की बात है.’ मेरे लिए यही प्रतिक्रिया सब से प्यारी है. मेरे दिल के करीब है. ऐसा मुझ से किसी ने पहली बार कहा था. उस के बाद मैं ने घर पर आ कर पुराने संदेश पढ़े तो पाया कि इसी तरह की बात किसी न किसी अंदाज में कईयों ने लिख कर भेजी हुई थी.

क्या इस के बाद आप को दूसरी फिल्म का औफर मिला?

फिल्म इंडस्ट्री से कई लोगों ने बधाई दी और एकसाथ काम करने की बात भी कही. फिलहाल मैं अपनी एक वैब सीरीज के आने का इंतजार कर रहा हूं. यह वैब सीरीज भी डांस पर ही है. इस का लेखन, निर्माण व निर्देशन सोनी तारापोरवाला ने ही किया है. इस वैब सीरीज के बारे में ज्यादा नहीं बता सकता. मगर इस के फिल्मांकन में एक वर्ष से अधिक का समय लगा. यह वैब सीरीज कमाल करने वाली है. कुछ और भी काम किया है.

आप खुद को किस डांस फौर्म में माहिर समझते हैं?

मुझे लगता है कि स्पैशलिस्ट बनने में तो अभी बहुत समय है. मेरे लिए अभी मंजिल काफी दूर है. अभी तो मुझे बहुतकुछ सीखना है. अभी मैं अमेरिका के कैला आर्ट्स में 4 वर्ष की डांस की ट्रेनिंग के लिए जा रहा हूं. वहां से आने के बाद देखूंगा कि अब क्या किया जाए. यहां की फीस व रहने आदि के खर्च वहन करने की मेरी क्षमता नहीं है. मुझे कुछ आंशिक छात्रवृत्ति मिल गई है. बाकी की रकम मैं क्राउड फंडिंग से जुटाने के लिए प्रयासरत हूं.

आप ने अमेरिका के इस इंस्टिट्यूट जाने का निर्णय क्या सोच कर लिया?

अगर अमेरिका में कोई कत्थक करे, तो मैं उस से यही कहूंगा कि आइए हमारे भारत देश में कत्थक सीखिए क्योंकि कत्थक हमारे देश का है. इसी तरह से जिस फौर्म के डांस मैं कर रहा हूं वे अकेरिका के हैं, तो वहां जा कर ट्रेनिंग लेने की जरूरत मैं ने महसूस की.

दूसरी बात, मुझे कालेज में पढ़ने का अवसर नहीं मिल पाया, तो इसी बहाने कालेज में पढ़ लूंगा. मैं हमेशा से डांस में या डांस सायकोलौजी में ही कुछ करना चाहता था. मैं डांस लिटरेचर वगैरह पढ़ना चाहता था. बैले तो यूरोप का है. पर बाकी हिप हौप, जैज आदि डांस के जो फौर्म अमेरिका से आए हैं. सो, वहां जा कर अथैंटिकली सीख कर आऊंगा. मेरी मम्मी की भी यही इच्छा है.

सुना है कि अमेरिका में 4 वर्ष की डांस की ट्रेनिंग में लंबा खर्च आने वाला है?

जी हां, आप की बात सच है. यह रकम बहुत बड़ी है. और कड़वा सच यह है कि उस खर्च को वहन करने की क्षमता मुझ में नहीं है. मैं क्राउड फंडिंग का सहारा ले रहा हूं. मैं हर किसी से कह रहा हूं कि जो भी मेरी मदद छोटी राशि से भी करना चाहे, वह कर सकता है. वैसे तो मुझे आंशिक स्कौलरशिप मिली है, मगर बाकी की राशि इकट्ठा करने में लगा हुआ हूं. सैमिस्टर वन के लिए राशि इकट्ठा हो गई है. बाकी के लिए भी राशि मिल जाएगी, ऐसी उम्मीद है. लेकिन मैं यह कभी नहीं कहता कि भारत में नृत्य प्रशिक्षण के अवसर कम हैं. भारत में डांस का महत्त्व कम नहीं है.

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