भारत ने इतिहास बनाया 23 अगस्त, 2023 को, जब चांद पर भारत ने कदम रखे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बना.”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरा भाषण अगर आप ध्यान से देखें, तो स्पष्ट है इस में, “मैं… मैं…” की भावना अपने शबाब पर है. आप इस रिपोर्ट में देखेंगे कि किस तरह नरेंद्र मोदी पर मैं… मैं… का फोबिया अपने रंग दिखा रहा है.

एक- देश में अमृत काल मनाया जा रहा है, विगत 76 वर्षों में देश के 12 प्रधानमंत्री हुए हैं, इन में नरेंद्र दामोदरदास मोदी पहले हैं, जिन्होंने यह काम किया है. अपने लिए 8,400 करोड रुपए का एक विमान खरीदा है और आप उस से उतरते ही नहीं है. क्या यह मैं… मैं… का उदाहरण नहीं है. दूसरा –
प्रधानमंत्री ब्रिक्स सम्मेलन में दक्षिण अफ्रीका पहुंचे. स्वागत के लिए एक कैबिनेट मंत्री के आने की खबर सुन कर नरेंद्र मोदी रूठ गए और विमान से उतरने से इनकार कर दिया. बात दूर तक पहुंची. भारत सरकार ने नाराजगी जाहिर की, तब जा कर दक्षिण अफ्रीका के उपराष्ट्रपति स्वागत के लिए पहुंचे और नरेंद्र मोदी विमान से उतरे. पाठको, नरेंद्र मोदी का यह मैं… मैं… का सब से बड़ा उदाहरण कहा जा सकता है.

लोकसभा के चुनाव हों या फिर किसी राज्य सभा के, हर चुनाव में भारतीय जनता पार्टी एक ही चेहरा सामने रखती है, वह है प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी का. यह मोदी का मैं… मैं… का सब से ज्वलंत उदाहरण है. दीघाट समय में जब हिमाचल प्रदेश का चुनाव हुआ, वहां पार्टी ने नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा. यही सबकुछ कर्नाटक में भी हुआ और नरेंद्र मोदी लंबे समय तक चुनाव प्रचार करते रहे, मगर भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह पराजित हो, यह मैं… मैं… ही है कि आगामी समय में देश में पांच राज्यों में चुनाव होने जा रहे हैं, यहां भी भारतीय जनता पार्टी किसी स्थानीय चेहरे को सामने न ला कर सिर्फ मोदी के चेहरे को मतदाताओं के बीच ले जा कर के वोट मांगने की तैयारी में है.

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “मैं …मैं…” कर के हर एक कामकाज की सफलता को अपना बताने की फितरती भावना अपने उफान पर है.

नरेंद्र मोदी की यह सब से बड़ी खामी है कि वह ऐसा कोई दिन, समय, भाषण नहीं होता, जब स्वयं को दुनिया के समक्ष प्रदर्शित करने का मौका चूक जाते हों. यह बात कुछ मायने में तो सहज रूप से स्वीकार आम जनमानस कर लेता है, मगर हर एक जगह आप देश के प्रधानमंत्री होने के नाते उस एक एकाधिकार, विश्वास और प्रेम का दुरुपयोग कर रहे होते हैं, जो आप को प्रधानमंत्री के नाते इस देश की जनता ने सौंपा है.

दरअसल, यह इतिहास में पहली दफा हुआ है. प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू हों या फिर लाल बहादुर शास्त्री अथवा इंदिरा गांधी या फिर अटल बिहारी वाजपेयी, इन सब के भाषणों पर अगर शोध किया जाए, तो स्पष्ट हो जाता है कि उन्होंने “मैं” की भावनाओं को दूर रख कर सदैव “हम” को आगे रखा और देश को विकास देने का प्रयास किया.

जब देश का एक प्रधानमंत्री देश की हर एक योजना, परियोजना और भाग्यवश हर एक अच्छे हो जा रहे काम की दाद लेने के लिए तो तैयार है, मगर जहां कहीं कोई कमी हो जाती है, जैसे नोटबंदी, कोरोना महामारी से मृत लोगों को राहत, वहां आप मौन धारण कर लेते हैं या फिर विपक्ष को गरियाने लगते हैं, नेहरू और पूर्ववर्ती सरकारों को दोषी बताने लगते हैं. देश की जनता यह सब देख रही है और इस की विवेचना भी कर रही है, जिस का सार संक्षिप्त यही है कि नरेंद्र मोदी लगातार आबाध गति से जिसजिस तरह “मैं… मैं…” कर रहे हैं, वह उन के व्यक्तित्व के लिए तो नुकसानप्रद है ही, देश के लिए भी बहुत नुकसानदायक है.

अब जैसे आज 23 अगस्त, 2023 को देशभर के समाचारपत्रों में नरेंद्र मोदी का एक वक्तव्य छपा है, जिसे पढ़ कर आप स्वयं अनुमान लगा सकते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “भारत आने वाले वर्षों में पूरी दुनिया की वृद्धि का इंजन बनेगा.”

मोदी ने कहा, “उन की सरकार ने ‘मिशन’ के रूप में सुधारों को आगे बढ़ाया है, जिस से देश में कारोबार सुगमता की स्थिति बेहतर हुई है.”

5 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था बनेंगे

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोहांसबर्ग ब्रिक्स ‘बिजनेस फोरम लीडर्स डायलाग’ को संबोधित करते हुए कहा, “भारत जल्द ही पांच लाख करोड़ डालर की अर्थव्यवस्था होगा. भारत के पास दुनिया की तीसरी बड़ी स्टार्टअप पारिस्थितिकी है और यहां पर सौ से भी अधिक यूनिकार्न मौजूद हैं. एक अरब डालर से अधिक राजस्व वाले स्टार्टअप यूनिकार्न की श्रेणी में आते है.” यह कहते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह स्वीकार करना चाहिए कि देश को आज इस ऊंचाई तक पहुंचाने के लिए देश की करोड़ जनता में और पहले के नेतृत्व में ईमानदारी से काम किया है. तब आने वाले समय में हम इस मुकाम पर पहुंच पा रहे हैं. मगर, नरेंद्र मोदी की बौडी लैंग्वेज और भाषण के एक भी शब्द से इस सचाई पर कोई तथ्य सामने नहीं आता.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस “मैं… मैं…” के स्याह पक्ष की विवेचना करते हुए साफगोई से बताना चाहते हैं कि नरेंद्र मोदी दक्षिण अफ्रीका की तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर मंगलवार को जोहांसबर्ग पहुंचे. इस दौरान नरेंद्र मोदी 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे हैं और दुनिया के कई नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें कर रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 अगस्त, 2023 को सुबह दक्षिण अफ्रीका के लिए रवाना होने से पहले एक वक्तव्य में कहा कि ब्रिक्स देश विभिन्न क्षेत्रों में एक मजबूत सहयोग एजेंडा अपना रहे हैं.

उन्होंने कहा, “हम मानते हैं कि ब्रिक्स विकास संबंधी अनिवार्यताओं और बहुपक्षीय प्रणाली में सुधार सहित पूरे ‘ग्लोबल साउथ’ के लिए चिंता का सबब बने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने का मंच बन गया है.”

दरअसल, उन्होंने कोई भी ऐसा मंच या भाषण के समय मौका नहीं चूका है, जब वे “मैं… मैं…” पर नहीं आ जाते हैं और दुनिया को बताने का प्रयास करते हैं कि भारत देश में अगर कोई विकास का रास्ता खुल रहा है, तो उस के पहले और अंतिम जनक वही हैं. लेकिन सच तो यह है कि इस बात को कोई थोड़ा भी पढ़ालिखा व्यक्ति या बौद्धिक कभी भी नहीं मान सकता. सच तो यह है कि देश को आगे बढ़ाने में सभी का योगदान होता है और अगर एक प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी इस सच को स्वीकार कर “हम… हम” करने लगे तो उन की एक बेहतर छवि और संदेश देशदुनिया में सकारात्मक ही जाएगा.

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