रेटिंग : 1 स्टार
निर्माताः नेहा आनंद,ज्योति देशपांडे,प्रांजल खंधड़िया,
लेखक: नीरज पांडे,शारण्या राजगोपाल व सुकन्या सुब्रमणियम
निर्देशक: शुभम योगी
कलाकारः रजत बारमेचा, राधिका मदान,आयुष मेहरा, महेश ठाकुर व अन्य
अवधिः 1 घंटा 46 मिनट
ओटीटीः जियो सिनेमा
भारतीय सिनेमा जगत में क्रिकेट आधारित कई फिल्में बन चुकी हैंमगर यदि हम एम एस धोनी पर बनी फिल्म ‘एम एस धोनी : अन टोल्ड स्टोरी’ को नजरंदाज कर दें तो क्रिकेट के खेल पर आधारित फिल्मों को सफलता नसीब नही हुई है.
अब फिल्मकार शुभम योगी ‘गली क्रिकेट’ के कांसेप्ट और भाईबहन के प्यार को रेखांकित करने वाली मध्यमवर्गीय परिवारों की कहानी ‘कच्चे लिंबू’ लेकर आए हैं,जो कि अपने नाम के अनुरूप कच्ची ही रह गई है.
लेखक व निर्देशक दोनों इसे सही ढंग से बना नही पाए.बहरहाल, यह फिल्म 19 मई से ओटीटी प्लेटफार्म ‘जियो सिनेमा’’ पर स्ट्रीमहुईचुकी है.
कहानी
फिल्म की कहानी के केंद्र में मध्यमवर्गीय नाथ परिवार की पिता की आज्ञाकारी बेटी अदिति (राधिका मदान ) और बड़ा बेटा आकाश नाथ (रजत बरमेचा) हैं.
आकाश नाथ केवल क्रिकेट के दीवाने हैं और अपनी गली के गली क्रिकेट के स्टार हैं. सोशल मीडिया पर आकाश की टीम,आकाश और उसकी टीम के खिलाड़ी, कबीर सेन ( आयुष मेहरा) छाए रहते हैं.
यहां तक कि आकाश नाथ के क्रिकेट खेलने के वीडियो तो सचिन भी पोस्ट करते रहते हैं.अदिति अपनी मां के कहने पर भरत नाट्यम डांस सीख रही है.जबकि पिता की आज्ञाकारी बेटी होने के कारण वह मेडिकल की पढ़ाई कर रही है.
उसका मकसद फैशन डिजायनर बनना है.उनके पिता के मुताबिक कालेज जाने वाली हर लड़की फैशन डिजाइनर बनना चाहती है.आकाश क्रिकेट जगत में कैरियर बनाने के लिए संघर्ष कर रहा है.उसे एक ब्रांड अपने साथ जोड़ना भी चाहता है.
क्रिकेट के किंगमेकर चाहते हैं कि वह ‘अंडरआर्म प्रीमियर लीग’ का चेहरा बने. आकाश के पिता (महेश ठाकुर) चाहते हैं कि उनका बेटा आकाश नाथ एक अच्छी नौकरी पा जाए.इसके लिए वह अपने स्रोतों को फोन करते रहते हैं. लेकिन आकाश हर जगह इंटरव्यू में कह देता है कि वह क्रिकेट से बाहर की जिंदगी की कल्पना ही नहीं करता.
एक मुकाम पर आकाश अपनी बहन अदिति को अपनी खुद की टीम बनाने और उसके खिलाफ एक खेल जीतने के लिए खुले तौर पर चुनौती देता है.आकाश नाथ अपनी बहन अदिति के सामने शर्त रख देता है कि अगर अदिति की टीम ने उसकी टीम को हरा दिया तो वह नौकरी कर लेगा.
यहां से कहानी का ट्रैक अदिति को अपनी टीम बनाने में आने वाली परेशानियों,प्रेमी कबीर सेन को अपने भाई की टीम से बाहर करवा अपने साथ जोड़ने से लेकर क्रिकेट मैच तक चलती है.
लेखन व निर्देशन
‘बिन बुलाए’,‘ग्लिच’,‘सुनो’ और ‘कांदे पोहे’ जैसी लघु फिल्मों के बाद फीचरी फिल्म निर्देशक के तौर पर शुभम योगी ने लंबी छलांग जरुर लगायी है. वह उम्मीदें जगाते हैंपर यहां पूरी तरह से सफल नही रहे.
जब फिल्म ‘गली क्रिकेट’ के बारे में होतो भरत नाट्यम या फैशन आदि पिरोकर फिल्मकार ने महज दर्शकों को भटकाने का ही काम किया है.इतना ही नहीं इंटरवल के बाद फिल्म पूरी तरह से ‘लगान’ की नकल लगती है.
फिल्म में अदिति, आकाश व कबीर सेन की निजी आकांक्षाओं,सपनों आदि पर ज्यादा बात की जानी चाहिए थीपर यह सब गायब है.
फिल्म के कुछ सीन जरुर बेहतर बन पड़े हैं.मसलन- मातापिता के साथ मतभेद होने के बाद अदिति को माता पिता के ही कमरे में एक विस्तारित बिस्तर पर सोना पड़ता है और वह चुपचाप दिल से रोती है.
यही हर मध्यवर्गीय परिवार के अंदर का कटु सत्य है क्योंकि उसके पिता आकाश को नौकरी दिलाने पर तुले हुए हैं.
फिल्मकार ने इस बात को भी अच्छे ढंग से रेखांकित किया है कि मध्यम वर्गीय परिवारों में आज भी किस तरह बेटे व बेटी के बीच अंतर किया जाता है.भाईबहन के बीच प्यार को सही अंदाज में पेश किया गया है.रूढ़िवादिता को चुनौती भी दी गई है.
फिल्मकार ने आकाशनाथ के पिता के किरदार को ठीक से लिखा नहीं गया.हर छोटी सी समस्या के समय युवा पीढ़ी को शराब का सेवन करते हुए दिखाना जरुरी तो नहीं था.क्रिकेट के मैदान पर भाई बहन प्रतिस्पर्धी बनकर उतरते हैं,पर उनके बीच वैमनस्यता या दुश्मनी के भाव न दिखाकर फिल्मकार ने एक नई सोच को जन्म दिया है.
अभिनय
आकाशनाथ के किरदार में ‘उड़ान’ फेम रजत बरमेचा का अभिनय ठीकठाक है.अदिति के किरदार में राधिका मदान केवल सुंदर नजर आई हैं.हां, एकदो इमोशनल दृश्योंमें जरुर वह छा जाती हैं.
राधिक मदान और रजत बरमेचा भाईबहनों के बीच के छोटेछोटे तनाव और उसके पीछे छिपे सम्मान और स्नेह को बाखूबी पेश करते हैं.कबीर सेन के किरदार में आयुष मेहरा निराश करते हैं.महेश ठाकुर के हिस्से करने को कुछ आया ही नहीं.





