महेश उत्तर प्रदेश के जिला फतेहपुर के कस्बा बिंदकी का एक दबंग किसान था. स्थानीय राजनीति में भी उस की अच्छी पकड़ थी. वह एक बार का प्रधान भी रह चुका था. उस की 4 बेटियां थीं, जिन में नीलम सब से छोटी थी. नीलम के अलावा वह तीनों बेटियों का विवाह कर चुका था. सब से छोटी होने की वजह से थोड़ा चंचल स्वभाव की नीलम घर में सब की लाडली थी. वह शादी लायक हुई तो महेश ने सन 2006 में जिला कानपुर के गांव रघुनाथपुर के रहने वाले जगदेव कुशवाहा के बेटे पिंटू से उस की शादी कर दी. पिंटू अपने पिता के साथ खेतीकिसानी करता था.

पिंटू खूबसूरत पत्नी पा कर खुद को बहुत खुशकिस्मत समझ रहा था. जबकि नीलम दुबलेपतले और सांवले रंग के पिंटू को पा कर अपने को बदकिस्मत समझ रही थी. नीलम सुंदर होने के साथ तेजतर्रार भी थी, इसलिए पिंटू उस से दबादबा सा रहता था और उस की हर बात मानता था. कुछ ही दिनों बाद नीलम पति को अपनी अंगुलियों पर नचाने लगी थी.

पिंटू बहुत मेहनती था. वह सुबह 8-9 बजे खेतों पर चला जाता था तो शाम को ही घर लौटता था. वह नीलम को खुश रखने की हरसंभव कोशिश करता था, लेकिन तुनकमिजाज नीलम उस से खुश नहीं रहती थी. कभी वह कम कमाई का रोना रोती तो कभी अपने भाग्य को कोसती. दरअसल, नीलम ने हृष्टपुष्ट, सुंदरसजीले पति के सपने संजोए थे, लेकिन मिला उस के एकदम उलट था. वह उसे किसी भी तरह से संतुष्ट नहीं कर पाता था. इस तरह जैसेजैसे उस के साथ नीलम की जिंदगी कट रही थी.

पिंटू का एक दोस्त था इंद्रपाल. वह पड़ोसी गांव लालपुर का रहने वाला था और वह हैंडपंप लगवाने के ठेके लेता था. हृष्टपुष्ट शरीर का इंद्रपाल मजाकिया स्वभाव का था. पिंटू को जब भी फुरसत मिलती तो वह इंद्रपाल के गांव पहुंच जाता. वहां दोनों साथ खातेपीते और खूब बातें करते. पहले पिंटू शराब नहीं पीता था, लेकिन नीलम के बर्ताव से दुखी हो कर वह शराब पीने लगा था. धीरेधीरे वह शराब का लती बन गया था. एक दिन पिंटू के घर का हैंडपंप खराब हो गया तो मरम्मत के लिए उस ने इंद्रपाल को बुला लिया. पिंटू की शादी के बाद इंद्रपाल उस दिन पहली बार पिंटू के घर आया था. शादी के बाद नीलम के रूपरंग में और निखार आ गया था. इंद्रपाल ने नीलम को देखा तो वह उस की आंखों में रचबस गई.

हैंडपंप ठीक होने के बाद नीलम इंद्रपाल को पैसे देने लगी तो इंद्रपाल ने पैसे नहीं लिए. उस ने कहा, ‘‘भाभी, पिंटू मेरा दोस्त है, फिर पैसे किस बात के. आप बहुत सुंदर हैं. एक बार देख कर मुसकरा देंगी तो हम समझेंगे कि पैसा मिल गया.’’

अपने रूप की तारीफ सुन कर नीलम इंद्रपाल को गौर से निहारने लगी. फिर मुसकरा कर अपना सिर नीचे कर लिया. दिल में नीलम को बसा कर इंद्रपाल भी वहां से चला गया. इस के बाद इंद्रपाल और पिंटू जब कभी मिलते, पिंटू उसे घर ले आता. इंद्रपाल चाहता भी यही था.

नीलम को आकर्षित करने के लिए वह कभी उस के लिए साड़ी ले आता तो कभी साजशृंगार का सामान. थोड़ी नानुकुर के बाद नीलम यह स्वीकार कर लेती. पिंटू को खुश करने के लिए वह उस के साथ शराब पार्टी करता था. इंद्रपाल की आमदनी अच्छी थी इसलिए वह खूब खर्च करता था. कभीकभी वह नीलम को भी हजार-5 सौ रुपए दे देता था. इस तरह नीलम का झुकाव उस की तरफ होता गया. इंद्रपाल अब पिंटू की गैरमौजूदगी में भी उस के घर आने लगा.

जून की तपती दोपहर में एक दिन इंद्रपाल नीलम के घर पहुंचा. नीलम उस समय कमरे में सो रही थी. गरमी अधिक होने की वजह से नीलम सिर्फ पेटीकोटब्लाउज पहने हुए थी. आसपास सन्नाटा पा कर इंद्रपाल नीलम के घर पहुंचा तो उस का कमरा बंद था, मगर खिड़की खुली हुई थी.

अविवाहित इंद्रपाल ने खिड़की से कमरे में झांका तो अस्तव्यस्त कपड़े में सो रही नीलम को देख कर वह बेकाबू हो उठा. पेटीकोट से बाहर झांकती नीलम की अधखुली टांगें तथा उफनते वक्षस्थल देख कर इंद्रपाल की धड़कनें बढ़ गई. उस ने दरवाजा खटखटाया तो नीलम की आंख खुल गईं.

नीलम ने जैसे ही दरवाजा खोला, सामने मंदमंद मुसकराते इंद्रपाल को देख कर वह शर्म की वजह से चारपाई की तरफ बढ़ी. उस ने चारपाई पर रखी साड़ी लपेटनी चाही पर इंद्रपाल ने उस की साड़ी एक तरफ फेंक कर दरवाजा भीतर से बंद कर दिया. इस के बाद उस ने नीलम को अपनी बांहों में भर कर कहा, ‘‘कब तक तरसाओगी भाभी?’’

इस के बाद इंद्रपाल ने नीलम के बदन को चूमना शुरू कर दिया. नीलम ने उस का कोई विरोध नहीं किया तो इंद्रपाल ने उस के बचे हुए कपड़े भी उतार दिए. नीलम भी उस से लिपट गई और चंद मिनटों में उन्होंने सारी मर्यादाएं तोड़ दीं. इस के बाद अवैध संबंधों का यह खेल आए दिन खेला जाने लगा.

पिंटू अपनी पत्नी के प्रेमप्रसंग से बिलकुल अनजान था. लेकिन पासपड़ोस के लोगों में इंद्रपाल और नीलम के नाजायज संबंधों को ले कर चर्चा होने लगी थी. पर उन दोनों ने इस की परवाह नहीं की. इंद्रपाल नीलम का दीवाना था तो नीलम उस की मुरीद. धीरेधीरे इंद्रपाल उस पर अपना अधिकार समझने लगा.

एक दिन पिंटू ने नीलम से कहा कि वह बीजखाद के लिए कानपुर जा रहा है. वह रात में नहीं आ पाएगा. अगले दिन शाम तक ही लौट सकेगा. उसे किसी चीज की जरूरत हो तो बता दे, वह इंतजाम कर जाएगा.

नीलम बोली, ‘‘घर पर सब सामान है. तुम चिंता मत करो. अगर सिद्धनाथ मंदिर जाओ तो वहां से हमारे लिए प्रसाद जरूर ले आना.’’

पिंटू चला गया. उस के जाते ही उस ने इंद्रपाल को फोन कर के पति के कानपुर जाने की बात कह कर उसे रात में घर आने को कह दिया. पर पिंटू कानपुर गया ही नहीं था. दरअसल जब वह घाटमपुर स्टेशन पर पहुंचा तो उसे गांव का गिरिंदपाल मिल गया.

उस ने बताया कि वह खाद लेने कानपुर गया था, लेकिन गोदाम में स्टाक नहीं है. 2-4 दिनों बाद ही खादबीज आएगा. गिरिंद की बात सुन कर पिंटू ने कानपुर जाने का इरादा छोड़ दिया और घाटमपुर स्थित ऐतिहासिक शिवमंदिर चला गया. वहां दर्शन कर के वह प्रसाद ले आया.

पिंटू रात 9 बजे घर पहुंचा, उस समय नीलम इंद्रपाल की बांहों में समाई बेसुध पड़ी थी. पिंटू ने खिड़की से यह सब देखा तो आगबबूला हो उठा. उसे अपने दोस्त से ऐसी उम्मीद कतई नहीं थी. लेकिन सोचविचार के बाद उस ने खून का घूंट पी कर चुप रहना ही उचित समझा. उस ने सोचा कि इतनी रात को वह घर में कलह करेगा तो पूरा मोहल्ला जाग जाएगा, जिस से बदनामी उसी की होगी.

पिंटू पंचायत घर गया और वहां पड़े तख्त पर लेट गया. रात भर वह सो नहीं सका. सारी रात करवटें बदलता रहा. सवेरे वह उठा और इंद्रपाल के घर पहुंच गया. इंद्रपाल उस का तमतमाया चेहरा देख कर समझ तो गया कि शायद उसे उस पर शक हो गया है लेकिन खुद को सामान्य रखते हुए उस ने पूछा, ‘‘पिंटू भैया, आज सवेरेसवेरे?’’

‘‘हां इंद्रपाल, बात ही ऐसी है कि आना पड़ा.’’ पिंटू ने कहा.

‘‘मेरे लायक कोई काम?’’ इंद्रपाल ने पूछा.

‘‘आओ, मेरे साथ चलो, कहीं एकांत में बैठ कर बातें करते हैं.’’ पिंटू ने कहा.

इंद्रपाल उस के साथ चल पड़ा. गांव से बाहर निकल कर दोनों बंबा की पुलिया पर बैठ गए तो पिंटू ने पूछा, ‘‘आजकल मेरी पत्नी तुम पर काफी मेहरबान है?’’

‘‘मैं कुछ समझा नहीं.’’ इंद्रपाल ने अनजान बनते हुए कहा.

‘‘जानबूझ कर अनजान मत बनो.’’ पिंटू ने कहा.

‘‘इतना नाराज क्यों हो रहे हो भैया?’’

‘‘कल रात तुम कहां थे?’’

‘‘अपने घर पर.’’

‘‘सफेद झूठ.’’

इंद्रपाल ने सिर झुका कर मौन साध लिया. उसे इस तरह देख कर पिंटू होंठ चबाते हुए बोला, ‘‘तू मेरा दोस्त नहीं होता तो मैं तुझे कल रात तब ही कुल्हाड़ी से काट डालता, जब तू नीलम के साथ था. अब तू अगर अपनी खैर चाहता है तो ध्यान रखना कि फिर कभी मेरे घर की ओर भूल कर भी कदम मत रखना, वरना मैं तुझे जिंदा नहीं छोड़ूंगा.’’

इंद्रपाल को खरीखोटी सुना कर पिंटू अपने घर पहुंचा और पत्नी की जम कर पिटाई की. नीलम और इंद्रपाल को चेतावनी देने के बाद पिंटू शराब के ठेके पर पहुंचा और जम कर शराब पी. पत्नी की बेवफाई से वह बुरी तरह टूट गया. उस ने दाढ़ीमूंछ बढ़ा ली और नशे का लती बन गया.

दूसरी ओर नीलम और इंद्रपाल ने एकदूसरे से मिलनाजुलना तथा बोलना बंद कर दिया. पिंटू और इंद्रपाल की दोस्ती में दरार पड़ गई थी. लेकिन यह दरार ज्यादा दिनों तक कायम नहीं रह सकी. वजह यह कि पिंटू को पीनेखाने की दिक्कत होने लगी थी क्योंकि उस के पीनेखाने पर इंद्रपाल ही खर्च करता था.

अपनी इन्हीं मजबूरियों के चलते पिंटू ने इंद्रपाल से फिर से दोस्ती कर ली. दोनों साथ बैठ कर फिर खानेपीने लगे. इंद्रपाल ने वादा किया कि वह नीलम को अब कभी बुरी नीयत से नहीं देखेगा. लेकिन वह ज्यादा दिनों तक अपना वादा नहीं निभा सका और नीलम से लुकछिप कर मिलने लगा.

लेकिन सावधानी बरतने के बावजूद नीलम का कारनामा छिपा न रह सका. इस बार नीलम और इंद्रपाल को पड़ोसन सावित्री ने रंगेहाथों पकड़ लिया. सावित्री ने यह बात पिंटू को बताई तो उस का खून खौल उठा. उस ने नीलम की जम कर पिटाई कर दी.

पिंटू एक तरफ अपने गद्दार दोस्त से परेशान था तो दूसरी ओर पत्नी से, जो उस की आंखों में धूल झोंक कर रंगरलियां मना रही थी. आखिर जब बात पिंटू की बरदाश्त के बाहर हो गई तो उस ने गद्दार दोस्त इंद्रपाल को सबक सिखाने का फैसला कर लिया.

इंद्रपाल को सबक सिखाने के लिए पिंटू ने लालपुर गांव निवासी मोहनलाल गुप्ता से बात की. मोहनलाल ने पहले तो नानुकुर की, लेकिन बाद में पिंटू का साथ देने को तैयार हो गया. दरअसल, मोहनलाल का झगड़ा अपने भाई राजेंद्र से होता रहता था. वह झगड़ा पैतृक संपत्ति के बंटवारे को ले कर था.

इस झगड़े में इंद्रपाल राजेंद्र का साथ देता था, जिस से मोहनलाल इंद्रपाल से रंजिश रखता था. इसी कारण पिंटू ने जब इंद्रपाल को ठिकाने लगाने की बात मोहनलाल से की तो वह उस का साथ देने को राजी हो गया.

पहले से तैयार योजना के तहत पिंटू 12 फरवरी, 2017 की शाम इंद्रपाल से मिला. उस ने कहा, ‘‘इंद्रपाल, आज मेरा मूड ठीक नहीं है. सिर और बदन में दर्द हो रहा है. मन में अजीब सी बेचैनी है.’’

इंद्रपाल खिलखिला कर हंसते हुए बोला, ‘‘दोस्त, तुम्हारे मर्ज की दवा मेरे पास है. उस से सिरदर्द भी गायब हो जाएगा और मूड भी ठीक हो जाएगा. 2 पैग लगाते ही हवा में उड़ने लगोगे.’’

इस के बाद इंद्रपाल ने पिंटू के साथ शराब पी. वहां से वापस लौटते समय दोनों बंबा की पुलिया पर बैठ गए. उसी समय मोहनलाल आ गया. मोहनलाल ने इंद्रपाल से तो बात नहीं की, लेकिन पिंटू से बातें करने लगा. इसी बीच मौका पा कर पिंटू ने इंद्रपाल को दबोच लिया.

इंद्रपाल ने छूटने की कोशिश की तो मोहनलाल उस पर टूट पड़ा और लातघूंसों से मारमार कर उसे पस्त कर दिया. हिम्मत कर के इंद्रपाल जान बचा कर भागा, लेकिन कदमों ने उस का साथ नहीं दिया और सरसों के खेत में गिर पड़ा. उसी समय मोहनलाल ने इंद्रपाल को दबोच लिया तो पिंटू ने तेज धार वाले चाकू से उस का गला रेत दिया. उन्होंने इंद्रपाल का धड़ तो वहीं खेत में छोड़ दिया, लेकिन उस के सिर को ले जा कर एक किलोमीटर दूर रायपुर गांव निवासी राकेश वाजपेयी के मटर के खेत में फेंक दिया. इस के बाद दोनों अपनेअपने घर चले गए.

सुबह लालपुर का रामू तेली अपने खेत पर पहुंचा तो उसे पड़ोसी के खेत में किसी का धड़ पड़ा दिखाई दिया. उस ने यह जानकारी गांव वालों को दी तो गांव के तमाम लोग इकट्ठा हो गए. इसी बीच किसी ने थाना घाटमपुर पुलिस को सूचना दे दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी अजय कुमार यादव पुलिस फोर्स के साथ लालपुर पहुंच गए.

अजय कुमार यादव ने वारदात की सूचना पुलिस अधिकारियों को दी और जांच में जुट गए. सरसों के खेत में एक युवक की सिरविहीन लाश पड़ी थी. उस के सिर का पता नहीं था. थानाप्रभारी सिर की तलाश में जुट गए. वहां मौजूद गांव के कुछ लड़के भी सिर खोजने लगे.

दोपहर 12 बजे के करीब अजय कुमार यादव को सूचना मिली कि पड़ोसी गांव रायपुर में राकेश वाजपेयी के मटर के खेत में किसी का कटा सिर पड़ा है. सूचना पाते ही वह रायपुर पहुंचे और राकेश वाजपेयी के मटर के खेत से कटा सिर बरामद कर लिया. सिर और धड़ को जोड़ा गया तो लालपुर गांव के लोग चौंके. वहां मौजूद रामपाल फूटफूट कर रोने लगा. उस ने बताया कि यह लाश उस के भाई इंद्रपाल की है.

उसी समय एसपी ग्रामीण राजेश कुमार सिंह भी आ गए. उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण किया और मृतक के घर वालों से बात की. चूंकि लाश की शिनाख्त हो चुकी थी, इसलिए पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए लालालाजपत राय चिकित्सालय कानपुर भिजवा दिया. अजय कुमार यादव ने मृतक के भाई रामपाल से पूछताछ की तो उस ने बताया कि गांव का मोहनलाल गुप्ता इंद्रपाल से रंजिश रखता था. शक है कि उसी ने इंद्रपाल की हत्या की है. शक के आधार पर पुलिस ने मोहनलाल गुप्ता को हिरासत में ले लिया. थाने ला कर उस से पूछताछ की गई लेकिन उस ने हत्या से साफ इनकार कर दिया.

16 फरवरी, 2017 को पुलिस ने पुन: मोहनलाल से सख्ती से पूछताछ की. इस बार पुलिस की सख्ती से मोहनलाल टूट गया और इंद्रपाल की हत्या का अपराध स्वीकार कर लिया. उस ने बताया कि रघुनाथपुर निवासी पिंटू की पत्नी नीलम से इंद्रपाल के नाजायज संबंध थे. पिंटू के कहने पर उस ने उस की हत्या की थी.

मोहनलाल के बयानों के आधार पर पुलिस ने पिंटू को भी हिरासत में ले लिया. पिंटू ने जब थाने में मोहनलाल को देखा तो अपना अपराध स्वीकार कर लिया. चूंकि दोनों ने अपराध स्वीकार कर लिया था, इसलिए पुलिस ने मृतक के भाई रामपाल की ओर से इंद्रपाल की हत्या का मुकदमा मोहनलाल और पिंटू के खिलाफ दर्ज कर लिया और पिंटू की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त चाकू बरामद करा लिया, जिसे उस ने अपने खेत में छिपा दिया था.

17 फरवरी, 2017 को थाना घाटमपुर पुलिस ने पिंटू और मोहनलाल को कानपुर की अदालत में रिमांड मजिस्ट्रैट के सामने पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक उन की जमानत नहीं हुई थी.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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