जागरुक जनता बड़ा खतरा होती है, वह सवाल करने लगती है, तर्क देने लगती है और शासक से हिसाब भी मांगने लगती है. मध्य प्रदेश में भी ऐसा होने लगा है तो अब तक राज चला रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने जनता को बरगलाए रखने धर्म और अंधविश्वासों की अफीम चटाने का मन बना लिया है, जिससे वह धर्म के नशे में झूमती राम राम भजती रहे और अपनी बदहाली के बारे में सवाल करने से पहले ही लखखड़ाकर लुढ़क पड़े और सरकार के बजाय किस्मत को कोसे.

राज्य में सरकार खुलेआम भजन पूजन-कीर्तन आरती करवाती रही है, अब इन ढकोसलों की भी पोल खुलने लगी तो नया शिगूफा ज्योतिष का अपनाया जा रहा है. सरकार ने फैसला लिया है कि अब अस्पतालों के ओपीडी में ज्योतिषी बैठेंगे, जो मरीजों को बताएंगे कि उनकी बीमारी की वजह कोई इन्फेक्शन, एलर्जी, वायरस या बेक्टीरिया नहीं, बल्कि पंचम का बुध और राहु की महादशा सहित उनके घर का ईशान कोण जैसी बाधाएं हैं, जो दवाइयों, सर्जरी या दूसरे एलोपेथिक इलाज से नहीं, बल्कि मूंगा या नीलम नाम का रत्न धारण करने से ठीक होंगी. घर का प्रवेश द्वार पूर्व में कर दिया जाये तो शर्तिया हार्निया में आराम मिलेगा और अगर जातक यानि रोगी हर सोमवार धतूरे का सेवन करे, तो उसका सालों पुराना बवासीर ठीक हो जाएगा. शुक्रवार का नियमित व्रत रखने से वह पलंग तोड़ने लगेगा.

इस विचित्र किन्तु सत्य जैसी मुहिम की शुरुआत हाल फिलहाल भोपाल स्थित महर्षि पतंजलि संस्थान से होगी, जिसके ओपीडी में डाक्टरों के बजाय ज्योतिषी अपने औजार भृगु संहिता, हस्त रेखाएं देखने बाला मोटा लेंस और हिमालय से लाई गई सिद्धियां लेकर विराजमान होंगे, वह भी नाम मात्र के शुल्क 5 रुपये में.

आइडिया चल निकला तो प्रदेश के अस्पताल देखते ही देखते ज्योतिष केन्द्रों में तब्दील हो जाएंगे और काबिल डाक्टर तीर्थ यात्रा पर निकल पड़ेंगे. नजारा बड़ा दिलचस्प होगा कि रोगी जब अस्पताल में दाखिल होगा, तब ज्योतिषी मुमकिन है ज्यादा मगजमारी न करते उसके मस्तिष्क की रेखाएं देख कर ही बता दे कि उसे जाड़ा मलेरिया या डेंगू नहीं बल्कि सूर्य के क्षीर्ण होने से लग रहा है. इससे ठीक होने उसे बजाय दवाई लेने के सूर्य देवता को दो लोटा जल सुबह शाम चढ़ाते सोमवार का उपवास रखना चाहिए और इससे भी आराम न लगे तो धतूरे की जड़ का सेवन करना चाहिए.

अंधविश्वासों को बढ़ावा देते इस फैसले के पीछे वजहें साफ हैं कि सरकार अब लड़खड़ाने लगी है और पाखंडों व धर्म कर्म को सरकारी इमारतों का मनमाना  इस्तेमाल करते मूर्खतापूर्ण हरकतों पर उतारू हो आई है. वह प्रामाणिक विज्ञान को नकारते पोंगापंथ को प्रोत्साहित करने जैसा आत्मघाती कदम उठा रही है, जो जनता के लिए बेहद नुकसानदेह है. सरकार ने हालफिलहाल यह नहीं बताया है कि इन मूर्खताओं पर यकीन न करने वाले मरीजों को जबरन ज्योतिषी की सलाह पर अमल करने बाध्य किया जाएगा या उन्हें बख्श दिया जाएगा. हर मोर्चे पर असफल हो रही सरकार को यह अनूठा आइडिया तय है भाबी जी घर पर हैं नाम के टी वी सीरियल से मिला है जिसका डाक्टर एलोपेथी से नहीं बल्कि तंत्र मंत्र और झाड फूंक से इलाज करता है.

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