देश की राजधानी दिल्ली में दिल्ली नगर निगम के चुनाव में लाख चाहने और हजार कोशिशों के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी की और उनकी भारतीय जनता पार्टी के साथ पूरी सेना और विचारधारा को करारी हार का सामना करना पड़ा है. जग जाहिर है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली नगर निगम के आधिपत्य के अथक प्रयास किए. यह राजनीति की क, ख, ग जानने समझने वाले अच्छी तरह समझते हैं. उन्होंने दिल्ली नगर निगम का पूरा स्वरूप ही बदल डाला केंद्र की सारी ताकत लगाकर एक नए स्वरूप में दिल्ली नगर निगम खड़ा करके यह सोचकर चुनाव करवाया गया कि अब तो भारतीय जनता पार्टी की जीत सुनिश्चित है. मगर अब जब चुनाव के परिणाम हमारे सामने हैं यह कहा जा सकता है कि यह करारी हार भारतीय जनता पार्टी की पराजय नहीं बल्कि स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी की हार है. इधर,जीत से गदगद आम आदमी पार्टी (आप) ने जीत के पश्चात जो संबोधन दिया है वह कई अर्थों को प्रतिध्वनित कर रहा है उन्होंने नागरिक सुविधाओं में सुधार का वादा किया, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को यह आत्मविश्वास था कि वह फिर जीत दर्ज करेगी.मगर नतीजा पूर्व सर्वेक्षण में करारी हार के अनुमान के बावजूद 100 से अधिक सीट मिलने पर मतदाताओं का आभार व्यक्त कर अब विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए तैयार खड़ी है.
——————
लोकतंत्र में आशीर्वाद, दुखद और शर्मनाक

——————-
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने नतीजों के बाद जो सबसे महत्वपूर्ण बात कही वह यही है कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी का “आशीर्वाद” चाहिए. यह आशीर्वाद अनेक अर्थों में आज देश भर में गूंज रहा है और सबसे बड़ा सत्य तो यह है कि लोकतंत्र में किसी मुख्यमंत्री अथवा प्रधानमंत्री का आशीर्वाद किसी भी निर्वाचित संवैधानिक पदाधिकारियों और संस्था को क्यों चाहिए?

अगर देश में लोकतंत्र है तो संस्थाएं स्वयं संविधान के अनुरूप जनहित के कार्य करेंगी. यह आशीर्वाद आखिर है क्या चीज़ और किस महाशक्ति की ओर इशारा करती है. देश के राजनीतिक प्रेक्षक और बौद्धिक वर्ग इस पर विचार करें तो स्पष्ट हो जाता है कि या आशीर्वाद निरंकुशता का पर्याय है. शायद यही कारण है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप’ के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने पार्टी कार्यालय में समर्थकों से कहा – वह लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश करेंगे और दिल्ली को बेहतर बनाने के लिए सभी दलों से एक साथ आने का आग्रह करेंगे। उन्होंने कहा, ‘हमें दिल्ली की स्थिति में सुधार करना है और भाजपा, कांग्रेस के सहयोग तथा केंद्र और प्रधानमंत्री के आशीर्वाद की भी जरूरत है।’
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट किया, ‘दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे नकारात्मक पार्टी को हराकर दिल्ली की जनता ने कट्टर ईमानदार और काम करने वाले अरविंद केजरीवाल को जिताया है. हमारे लिए ये सिर्फ जीत नहीं बड़ी जिम्मेदारी है.”
‘आप’ के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा- महज 10 साल पुरानी पार्टी ने देश की सबसे बड़ी पार्टी (भाजपा) को उसी के गढ़ में ‘मात’ दे दी. उन्होंने कहा, ‘परिणामों ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि ‘आप’ एक बेहद ईमानदार पार्टी है.’ पंजाब के मुख्यमंत्री एवं ‘आप’ के नेता भगवंत मान ने इसे दिल्ली के आम लोगों की जीत बताई. अब सबसे बड़ा सच यही है कि दिल्ली नगर निगम में भारतीय जनता पार्टी को अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा है एक ऐतिहासिक हार का सामना करना पड़ा है अब इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा यह तो समय के गर्भ में है मगर यह भी सच है कि अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री के आशीर्वाद का मुद्दा उठाकर यह संकेत दे दिया है कि चाहे दिल्ली की सरकार हो या नगर पाली की सत्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नरम रुख के बगैर वह नहीं चला सकते और यह अपने आप में लोकतंत्र के लिए बड़ी अंधेरी और काली बातें है. यहां यह बताना लाजिमी है कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस गुजरात में नरेंद्र मोदी की भाजपा को बहुमत मिली है,कुल मिलाकर तीनों नेताओं को अपने अपने गृह राज्य में मतदाताओं ने विजय दिलाकर सत्ता की चाबी सौंपी है .

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...