सुपरटेक बिल्डर्स की एपेक्स और सियान नाम की सौ मीटर ऊंची इमारतें अवैध घोषित करके देश के उच्चतम न्यायालय के आदेश पर अंततः ध्वस्त हो गई. यह एक ऐसा ऐतिहासिक मौका था जो देश के इतिहास में दर्ज हो गया है. यह मामला कई संदर्भों में इतिहास का हिस्सा बन गया है, ऐसा बहुत कम होता है जब लगभग 800 करोड की प्रॉपर्टी को समूल नष्ट करने की प्रक्रिया को आंखों से देखने का मौका मिले.

यही कारण है कि ट्विन टावर की इमारतों को अपनी आंखों से गिरते हुए मिट्टी में मिलते हुए देखने के लिए लगभग 1 लाख लोगों का हुजूम आ जुटा था. जिसमें  आगरा , कानपुर, मैनपुरी से आए हुए लोग भी थे.

ट्विन टावर तो जमींदोज  हो गया मगर इसके साथ अनेक सवाल अपने पीछे छोड़ गया है, जिसका प्रतिउत्तर अभी तक नहीं मिला है.

आइए देखिए कुछ ऐसे प्रश्न जिन्हें पर समझ करके आप भी इस संपूर्ण मसले को इसकी गंभीरता को समझ सकते हैं.

प्रथम प्रश्न –

300 करोड़ की लागत से बने ये  टावर अगर नियमों को अनदेखी कर बनाए गए तो इसके दोषियों को जेल कब भेजा जाएगा .

दूसरा प्रश्न –

ट्विन टावर लगभग 18 वर्ष पूर्व बनना प्रारंभ हुआ इस बीच कई अधिकारियों ने जो इसे रोक सकते थे या जिन्होंने मंजूरी दी उन्हें न्यायालय में क्या सजा मिलेगी.

तीसरा प्रश्न –

सौ प्रश्नों का एक प्रश्न क्या ट्विन टावर को ध्वस्त करना अपरिहार्य था एक गरीब देश विकासशील देश में और आठ सौ करोड़ रुपए की संपत्ति को राजसात करके उसका सदुपयोग नहीं किया जा सकता था.

निर्माण के ध्वंस को देख कर के देश के लोगों में तरह-तरह के प्रश्न उठ रहे हैं, कयास लगाए जा रहे हैं. निसंदेह यह एक ऐसा ज्वलंत मसला है जिस पर देश को गंभीरता से विचार करना ही चाहिए ताकि आगामी समय में ऐसी गलतियां दोबारा ना हो.

सवाल दोषियों की सजा का

घटनाक्रम के बाद सबसे उत्तर प्रदेश सरकार से महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए उन्हें जेल भेजा जाना चाहिए ताकि यह संदेश जाए कि नियमों का उल्लंघन कतई बर्दाश्त नहीं होगा.

घर मकान खरीददारों की संस्था फोरम फार पीपल्स कलेक्टिव एफर्ट्स (एफपीसीई) ने नोएडा में सुपरटेक के जुड़वां इमारत गिराए जाने को फ्लैट खरीदारों के लिए एक बड़ी जीत माना है. संस्था के मुताबिक – इस कदम से बिल्डरों और विकास प्राधिकरणों का अहंकार भी ध्वस्त हुआ है.

एफपीसीई ने कहा कि इस मामले में विकास प्राधिकरणों की जिम्मेदारी भी तय की जानी चाहिए. करीब 100 मीटर ऊंचे जुड़वां इमारत, एपेक्स और सियान को ढहाने का आदेश पहले पहल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया था फिर सुप्रीम कोर्ट ने करीब एक साल पहले दिया था.    उच्चतम न्यायालय के फैसले के बावजूद यह हुआ कि प्राधिकरण के जो लोग इसमें शामिल थे, फिलहाल उनकी पहचान और जिम्मेदारी तय नहीं की गई है. साथ ही उन लोगों की भी जिम्मेदारी अभी तय नहीं हो सकी है, जो बिल्डरों के कहने पर उन्हें प्रभावित कर रहे थे. इसके लिए सीबीआइ जांच कराए जाने की जरूरत है, ताकि जिन लोगों ने लाखों रुपए खर्च करके ट्विन

टावर में इन्वेस्ट किया और लगातार परेशान हुए उन्हें पूरी तरह से न्याय मिल सके.

कब, क्या और कैसे हो गया

2004: नोएडा प्राधिकरण ने सुपरटेक को भूखंड आबंटित किया, 10 मंजिला इमारत बननी थी.

2006: मानचित्र में बिल्डर ने पहलासंशोधन कराया.

2009: पुनः संशोधन कर 24 मंजिल मंजूर कराई.

2012: 24 मंजिला इमारत की ऊंचाई बढ़ाकर संशोधन के

जरिए 40 मंजिल कराई गई .

2012 : ‘एमराल्ड कोर्ट आरडब्लूए ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की

2014: हाईकोर्ट ने इमारत गिराने का आदेश दिया गया .

2021 : 31 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया, नवंबर 2021 तक जुड़वां इमारत गिराने का आदेश दिया.

2022: फिर 22 मई नई तारीख तय की गई.

2022:20 फरवरी को ‘एडिफिस और जेट डिमोलिशन’ ने स्थल को अपने कब्जे में लिया

2022: 10 अप्रैल को परीक्षण विस्फोट किया गया 2022 : ध्वस्तीकरण के लिए 21 अगस्त को नई तारीख दी गई.

आखिरकार 28 अगस्त2022 को इमारतें ध्वस्त हो गई.

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