आज फटाफट क्रिकेट के दौर में 50 ओवर का वनडे मैच उबाऊ लगने लगा है लेकिन एक दौर वो भी था, जब वनडे मैच 60 ओवर का हुआ करता था. क्रिकेट में काफी कुछ बदल चुका है. बल्लेबाजों का अंदाज कुछ इस कदर बदला कि विरोधी गेंदबाजों की आए दिन धुनाई होने लगी है लेकिन एक ऐसा समय भी था जब ऐसा नहीं हुआ करता था.

आज की तारीख ऐसे दो मौकों के लिए याद की जाती है जब भारतीय क्रिकेट का सिर दो बार शर्म से झुक गया था. एक बार टेस्ट में तो दूसरी बार वनडे क्रिकेट में.

7 जून 1952

1952 की ये तारीख आज भी टेस्ट क्रिकेट में सबसे खराब शुरुआत के लिए जाना जाता है. ये वो दिन था जब इंग्लैंड के हेडिंग्ले मैदान पर भारत और इंग्लैंड की टीमें आमने-सामने थीं. इस टेस्ट में भारतीय टीम ने पहली पारी में 293 रन बनाए थे. जवाब में इंग्लैंड ने अपनी पहली पारी में 334 रन बनाए लेकिन दूसरी पारी में जो हुआ वो शर्मनाक था.

7 जून को दूसरी पारी में भारतीय टीम ने 0 के स्कोर पर अपने 4 विकेट गंवा दिए. इसका श्रेय गया इंग्लैंड के धुरंधर गेंदबाज फ्रेड ट्रूमन को जिन्होंने इन चार में से तीन विकेट अपने नाम किए. भारतीय टीम के दोनों ओपनर (पंकज रॉय और दत्ता गायकवाड़) शून्य पर आउट हुए, उसके बाद एमके मंत्री और विजय मांजरेकर भी शून्य पर पवेलियन लौट गए.

भारतीय टीम इस पारी में 165 रन पर ऑलआउट हो गई और इंग्लैंड को कुल 125 रन का लक्ष्य मिला जो उन्होंने आसानी से 3 विकेट के नुकसान पर हासिल कर लिया.

7 जून 1975, (पहला क्रिकेट वर्ल्ड कप, पहला मैच) भारत बनाम इंग्लैंड

एक बार फिर वही तारीख आई. फर्क इतना तय था कि इस बार टेस्ट क्रिकेट नहीं बल्कि वनडे क्रिकेट की बारी थी. ये मौका था पहले विश्व कप का. टूर्नामेंट के पहले ही मैच में लॉर्ड्स के प्रतिष्ठित मैदान पर भारत और मेजबान इंग्लैंड आमने-सामने थे.

इंग्लैंड ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी करते हुए 4 विकेट के नुकसान पर 334 रन बना डाले. उनकी तरफ से ओपनर डेनिस अमिस ने 137 रनों की लाजवाब पारी खेली लेकिन हैरानी तब हुई जब भारत की पूरी टीम मिलकर भी 60 ओवर में इतने रन नहीं बना सकी जितने अकेले डेनिस ने बनाए थे.

भारतीय टीम 60 ओवर में 3 विकेट के नुकसान पर 132 रन ही बना पाई. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर इतने विकेट बाकी रहने और पूरे ओवर के खेलने के बावजूद इतने कम रन क्यों बने, तो इसका जवाब ये है कि टीम के धुरंधर ओपनर सुनील गावस्कर से कुछ ज्यादा ही उम्मीदें लगा ली गई थीं.

गावस्कर ने इस वनडे मुकाबले में 174 गेंदों पर नाबाद 36 रन बनाए और पूरे ओवर खेलकर बिना आउट हुए पवेलियन लौट आए. उन्होंने अपनी उस पारी में कुल 1 चौका जड़ा था.

दर्शक ने मैदान पर गिरा दिया था अपना खाना

गावस्कर की उस पारी से एक फैन से न सिर्फ टीम के कप्तान वेंकटराघवन बेहद नाराज हो गए थे बल्कि दर्शकों का गुस्सा तो सातवें आसमान पर जा पहुंचा था. एक दर्शक इतना ज्यादा नाराज हो गया कि वो मैदान पर दौड़ा चला आया और अपने लंच को मैदान पर बिखेर दिया. 

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